ramashankar: सेक्स क्या का पता बदल गया है. कृपया आप अपने लिंक में सुधार कर लें यह अब http://www.sexkya.com/ पर उपलब्ध है.
अविनाश: रमाशंकर जी, क्योंकि आप भड़ास के भी मेंबर हैं, इसलिए आपसे जुड़े लिंक हटाना पड़ रहा है। हम दो ध्रुवों पर खड़े लोग हैं - आपसे क्षमा चाहूंगा।
9.6.08
या तो तुम मेरे हो या तो तुम रहोगे कहाँ जानी ?
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2 comments:
हरे दादा,
कमाल है चवन्नि से ज्यादा जो नही है वो अपने आपको एक ध्रुव कह रहा है, प्रतिस्पर्धा उस से जिसके आस पास फ़टकने कि भी हिमाकत मुश्किल मे डाल दे मगर देखेंगे आसमां कि ओर ही।
ये तो वही बात हो गयी कि "खिसियानि बिल्ली खम्भा नोचे". दादा ये एक बेहतरीन चुटकुला रहा भडासियों के लिये।
मजे लिजिये।
जय जय भडास
हे प्रभु,कितना ढीठ प्राणी है लेकिन है तो मेरी ही जाति का.... मैंने बताया था न कि मैं और अविनाश इस ग्रह के न होकर दूसरी आकाशगंगा से भगाए गए हैं वहां हम धरती के सुअर जैसे जानवर की तरह के प्राणी हैं,मैं तो इंसानो की सोहबत में बदल गया ये पट्ठा नहीं बदला.... रजनीश भाई आपने इस बात को मात्र चुटकुला कह कर इसकी बेइज्जती कर दी ये तो इस सहस्त्राब्दी का सबसे बड़ा चुटकुला है..... "दूसरा ध्रुव" है कल्लूराम..
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