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1.11.08

हिन्दी का "राष्ट्रभाषा" का दर्जा कितना सच

संविधान में "राष्ट्रभाषा" नामक शब्द की व्याख्या नहीं की गई है। हिन्दी के लिए राजभाषा शब्द सटीक समझा जाता है। क्योंकि राजभाषा एक निश्चित संकल्पना है और राष्ट्रभाषा एक भावात्मक क्षेत्र। तो फिर हम ये क्यों कहते है "हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है।" आइये हम इसके बारे में जाने:--

१९४७ तक ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजी देश की राजभाषा थी। स्वतंत्रता के बाद संविधान में यह उल्लेख था की हिन्दी, जो देवनागरी लिपि में लिखी जाती हो, इस देश की राजभाषा है। पर हिन्दी का जोरदार विरोध जारी रहा। इसलिए १९६३ तक हिन्दी राजभाषा का दर्जा पा सकी। पर अंग्रेजी को राजभाषा के पद पर रहने दिया गया। कारण था हिन्दी विरोध। तब ये क्यों कहा गया कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। दरअसल हिन्दी ने स्वतंत्रता के समय संपर्क भाषा की भूमिका निभाई थी। और महात्मा गाँधी ने भी इसे राष्ट्रभाषा कहा था। आज भी यह सभी वर्गों और भाषा-भाषियों के बीच संपर्क भाषा बनी हुयी है। साहित्य और फिल्म भी हिन्दी में बनती है। अतः सबसे बड़ी संपर्क भाषा होने के कारण हिन्दी को राष्ट्रभाषा मान लिया गया है। इसलिए कुछ भाषाविद यह कहते है , भोजपुरी, मराठी, बंगला आदि सभी भारत की राष्ट्रभाषा है। राष्ट्रभाषा किसी संविधान के पन्नो में नहीं बल्कि भावात्मक क्षेत्र का शब्द है। अगर कोई भाषा भारत में सबसे बड़ी संपर्क भाषा हो जायेगी तो उसे राष्ट्रभाषा मान लिया जाएगा। अतः ये हमारे नवयुवकों का कर्तव्य है की वे हिन्दी को ही राष्ट्रभाषा बनाये रखें। देखें भविष्य में "हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है " यह वाक्य मिथक तो नहीं हो जाएगा?

2 comments:

विजय तिवारी " किसलय " said...

हिन्दी प्रेमी / हिन्दी भाषी / हिन्दी कवि एवं लेखक
होने के नाते मुझे भी हिन्दी से लगाव है.
आलेख की बातें चिन्तन-मनन करने योग्य हैं
आपका
विजय तिवारी 'किसलय '
जबलपुर

N.R.Thombare VMV 1992 said...

सचमुच चिन्तन-मनन करने योग्य बात हैं |

एन आर ठोम्बरे
उप.मं.अ. (आईटी)
कम्प्यूटर संकाय,
ब्रब्रेट ,
जबलपुर