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3.7.09

समलैंगिकता स्वीकार्य नही बल्कि उपचार्य है

आज की सबसे बड़ी ख़बर: दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिकता को मान्य घोषित किया। बहुत दिनों से ये चर्चा का विषय है कि समलैंगिकता सही है या ग़लत। कई देशों में ये मान्य है और कई देश है जो आज भी इसे स्वीकार नही पा रहे है। इन में से ही हमारा देश भी था पर दिल्ली हाईकोर्ट के आज के फैसले ने इसे हमारे देश में भी स्वीकार्य बना दिया है।
आश्चर्य होता है जब ऐसी किसी ख़बर या फैसले के बारे में सुनता हूँ। समझ नही आता कि लोग तरक्की कर रहे है या फ़िर गर्त में जा रहे है। सेक्स मनुष्य जीवन में सिर्फ़ एक entertainment का जरिए नही है बल्कि ये एक natural fenomina है जिसे हम बदल नही सकते है। और अगर हमने इसे बदलने की कोशिश की तो फ़िर अंजाम हमेशा nature के अनुसार होगा जोकि कभी भी सही नही हो सकता है। क्योंकि विरोध या अवज्ञा तो इंसानों को भी नही पसंद फ़िर वो तो हमें जीवन देने वाली प्रकृति है।
आज का समाज इसे चाहे कुछ भी कहे, इसे सही साबित करने के चाहे जितने भी उदाहरण प्रस्तुत करें पर ये १oo फीसदी ग़लत है और ग़लत ही रहेगा। समलैंगिक जो भी लोग है, चाहे वो पुरूष हो या औरत, वो मानसिक रूप से बीमार होते है। और मेरे ख्याल से उन्हें अपना इलाज करवाना चाहिए।
sex is not only the part of satisfaction. It is the method of breeding also. Can any homosexual tell me how will they breed a new genaration? अगर इस तरह सभी समलैंगिक हो जाए तो दुनिया ख़तम करने के लिए किसी प्रलय की क्या जरूरत है? वैसे आज लोगों की सोंच देख कर तो लगता है प्रलय की शुरुआत हो चुकी है।
अंत में अगर कहूँ तो सिर्फ़ इतना ही कहूँगा "समलैंगिकता स्वीकार्य नही बल्कि उपचार्य है"।

http://kucchbaat.blogspot.com/

4 comments:

sexy said...

yes u r right but courts gave their decision. unfortunately courts only seeing an independence of a man or woman. They should also consider social and religious aspect of such issues. Naturally sex is a means of maintaining existence of any living creature. Human has searched entertainment with in it. Therefor many unnatural means of sex has been created mainly in USA and Europe. But Indian view about sex is quite different. Our culture does not permit this type of sex.

jamshed said...

Mujhe to shak hai kahin Judge sahib bhi to......

दीपिका said...

satya vachan...

नवीन कुमार 'रणवीर' said...

उपचार के लायक तो देश में बहुत से लोग और संगठन हैं जो कि देश को पथभ्रष्ट कर रहे हैं औऱ खुले आम कानून को ताक पे रख किसी को भी पीटते हैं या उनके धार्मिक प्रतिष्ठानों को आग लगा देतें है...
"धारा-377...ऐसा देस है मेरा!"
naveen-ranvir.blogspot.com