राजेन्द्र जोशी
देहरादून । मुख्यमंत्री आवास के घटाटोप अंधियारे में खोये पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंण्डूड़ी को आखिर कार मजबूरी में ही सही जनता की याद आ ही गयी। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहते हुए उन्होने भले ही कभी सडक़ यात्राएं न की हो, लेकिन लोक सभा चुनाव में जनता ने ऐसी मार मारी कि उन्हे अब सडक़ पर उतरना पड़ रहा है। अब क्षेत्रीय जनता भी समझ चुकी है कि खंण्डूडी का सडक़ पर उतरने का मकसद जनता की समस्याओं से रूबरू होना नहीं अपितु उनकी भविष्य की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का हिस्सा है। कुमांयू दौरे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंण्डूड़ी इन दिनों गढ़वाल क्षेत्र के टिहरी और उत्तरकाशी जिलों के दौरे पर हैं। चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री इस बात को लेकर खासे परेशान हैं कि मुख्यमंत्री रहने के बावजूद उन्हे राज्य के लोग सीधे तौर पर अब भी नहीं पहचानते हैं। अब प्रदेश के दौरे कर वे जनता को यह बताने में लगे हुए हैं कि वे भी उत्तराखण्ड में भाजपा के नेता हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा तो यहां तक भी है कि पूर्व मुख्यमंत्री यह स्वीकार कर चुके हैं कि वे कभी जन प्रिय नेता नहीं रहे। इसी कारण अपनी उस छवि को तोडऩे का भी वे जनसभाएं आयोजित कर प्रयास कर रहे हैं। इतना ही नहीं चर्चा तो यहां तक है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने भीड़ जुटाने का नया फार्मूला भी तलाश लिया है। इसी फार्मूले के तहत वह अपने साथ प्रदेश सरकार में मौजूदा एक राज्य मंत्री को भी लेकर चल रहे हैं। कारण साफ है जो लोग जन सभाओं में आना नहीं चाहते उन्हे राज्य मंत्री से अपने कार्यों को कराने के लिए मजबूरन सभाओं में आना ही पड़ता है, मंत्री के साथ होने से पूर्व मुख्यमंत्री के रूतबे में ईजाफा होने की भी चर्चा है। भाजपा से जुड़े सूत्र दबी जुबां स्वीकार करते हैं कि यह सरकारी पैसे का सीधा-सीधा दुरूपयोग है। पूवर््ा मुख्यमंत्री प्रदेश भर में घूमकर स्वयं तो सरकारी पैसे का दुरूपयोग कर ही रहे हैं साथ ही एक राज्य मंत्री भी जनसमस्याओं के लिए नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री के प्रति वफादारी दिखाने के लिए सरकारी पैसे के दुरूपयोग में जुटे हैं। साथ घूम रहे राज्य मंत्री जो पहली बार मंत्री बने हैं हो सकता है उन्हे सरकारी धन की पीड़ा न हो लेकिन मुख्यमंत्री रहते मितव्ययता का पाठ पढ़ाने वाले जनरल खंण्डूड़ी को तो कम से कम अब स्वयं मितव्ययता का पालन करना ही चाहिए। पहले ही वह जबरन मुख्यमंत्री आवास पर कब्जा किये बैठे हैं अब कम से कम आम जनता के पैसे को बेवजह खर्च करने से तो बचें।
15.10.09
आखिर क्यों सडक़ पर हैं खंण्डूड़ी
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