महाराष्ट्र में चुनाव की तारीख करीब आ रही है, मुद्दे बनाने और उन्हें लपकने की होड़ मची हुई है। इसी बीच, करण जौहर की फिल्म 'वेकअप सिड रिलीज हुई, तो राज ठाकरे की पार्टी मनसे को ज्वलंत मुद्दा मिल गया। फिल्म में मुम्बई को बॉम्बे बोला गया है, फिर क्या था! जगह जगह शुरू हो गया, फिल्म का विरोध! हड़बड़ाहट में करण जौहर भी जा पहुंचे राजा साहेब के दरबार मत्था टेकने। उन्होंने बाकायदा माफी मांगकर मामले को रफादफा किया।
इसके बाद हर पार्टी को मौका मिल गया, शिवसेना ने कहा सिर्फ राज ठाकरे से माफी मांगने से नहीं चलेगा, समूचे महाराष्ट्र से माफी मांगो। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण कहने लगे, राज से माफी मांगने का मतलब ही नहीं था। कानून व्यवस्था के लिए सरकार है, लेकिन मुख्यमंत्री महोदय शायद यह भूल गए कि अभी साल भर पहले ही मनसे ने परप्रांतीय के मुद्दे पर जमकर आक्रामकता दिखाई थी और पुलिस प्रशासन, कानून व्यवस्था धरी की धरी रह गई थी। सड़क पर उतरी राजनीतिक गुंडागर्दी ने आम आदमी को मुश्किल में डाल रखा था और लोगबाग, टैक्सी-रिक्शा वाले पुलिस के सामने ही पिटते देखे गए।
ऐसे में, करण जौहर अगर राजा साहेब के दरबार में माफी मांगने पहुंच गए, तो क्या अपराध कर दिया। अब तो आम आदमी भी समझने लगा है कि यदि इस शहर में सुकून से रहना है, तो राजा साहेब की छत्रछाया जरूरी है, क्योंकि कानून व्यवस्था की माथापच्ची से अच्छा है राज ठाकरे से गुहार लगाना। भले ही, वेकअप सिड परदे पर चले न चले, लेकिन करण के राज ठाकरे से माफी मांग लेने से फिल्म का प्रदर्शन बेखटके चल रहा है। राजा साहेब भी उदार हैं, जिन्होंने माफी मांगते ही फिल्म चलने दी और उन्हें फिल्म के डायलॉग में मुम्बई को बॉम्बे कहने पर भी एतराज नहीं है।
सर्वेश पाठक
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