बाबा रामदेव की पहल क्रांतिकारी है। वे निजाम बदलने की बात कहते हैं। एक व्यवस्था को फर्क नहीं पड़ता कि कोई बाबा आस पास कहीं कुछ शोर मचा रहा है। बल्कि वो आंख मूंद कर सोये रहना चाहते हैं। क्योंकि वो जानते हैं देश में धामिर्क संगठनों के किसी आंदोलन को महज सांप्रदायकता करार देकर कभी भी कुचला जा सकता है। भारत बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। अभी सबको हरा हरा नजर आ रही है। लेकिन कुछ ही समय बाद इनको सब समझ आ जाएगी आखिर संकट है कितना बड़ा। बाबा ने रायपुर में जितना खुल कर बोला शायद किसी बड़े शहर में बोला होता तो कोई ना कोई अब तक भुन गया होता। रामदेव बाबा कहते हैं, संसद में सब चोर बैठे हैं। ये सीधे तौर से गाली है। ये ना केवल गाली है बल्कि सीधी सी धमकी है कि बाबा अपनी सेना तैयार करने में लगा है जल्दी करो अपना बोरिया बिस्तर बांध लो संसद अब उन्ही की कर्मस्थली रहेगी जो ईमानदार और देश के बारे में सोचने वाले होंगे। यह महापुरुषों के नाम पर पहचानी जानी वाली भारतभूमि ही केवल नहीं बल्कि दुनिया के सबसे समृद्ध देश के रूप में पहचान बनाने की ओर अग्रसर है। चाहे जो भी हो बाबा का इरादा नेक है। जो खराब आचरण करे मां बेटी को छेड़े उसे शूली चढ़ा दो बाबा के भीतर मैंने एक ज्वाला महसूस की उनके अंदर पनप रहे उस ब्रम्हाण्ड को भी देखा। बाबा कल के चमकते सितारे हैं। लेकिन इन्ही सबके साथ ये भी उतना ही सत्य है कि हालात बाबा के खिलाफ किसी भी वक्त जा सकते हैं। जरा सा उत्साह और पैनापन कभी भी बाबा को व्यवस्था के ऊंटपटांग नियमों में फांस सकता है। हालाकि बाबा के पीछे जनबल और योग शक्ति है ये वही ताकत है जो शंकर के पास है। सदियों में एक ब्रम्हचारी और योगी पैदा होता है। यूं तो भारत भूमि में हजारों योगी और ब्रम्हचारी पड़े हैं। लेकिन जनता के बीच जाकर काम करने वाले हनुमान के बाद विवेकानंद ही पैदा हुए और अब पतंजली के बाद बाबा रामदेव। आजका ज़माना नहीं है किसी पर जल्दी विश्वास कर लेने का ,अब जो भी ज्यादा एक्टिविज्म दिखाता है वो उतने जल्दी जनता की नजरों में खद्दड़ बनता है। तो बाबा का काम और लक्ष्य दोनों ही पैने और धारदार हैं। लेकिन अभी लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि करना क्या है। सबसे कठिन काम सदस्य बनाना अप्रेल से बाबा का स्वाभिमान मंच सदस्यता अभियान में तेजी लाएगा हर ओर बाबा के भक्त दौड़ेंगे। लेकिन इस दौड़धूप में बाबा को ख्याल रखना होगा कहीं कोई एक भी भक्त यहां गलत गतिविधियों में पाया गया तो मीडिया का टारगेट बन सकते हैं। बाबा में मैने जो गुण पाये वो हैं, नेतृत्व क्षमता,अहिंसक सोच,सबको लेकर चलने की आदत, और भयानक वाणी, बाबा को समझना होगा ज्यादा उत्साह ठीक नहीं है,सच तो बहुत कुछ है लेकिन कहने के लिए थोड़ा ध्यान रखना होगा। जय हो ऐसे अच्छे लक्ष्य को लकेर चलने वाले बाबा और उनके सहयोगियों की।।।।।।।।।।।।
12.2.10
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3 comments:
भाई वरुण कुमार जी आपकी चिंता जायज तो है लेकिन हम तो बाबा को पिछले सात साल से इसी तरह से आग उगलते सुन और देख रहे हैं. तभी(2003 में ही) घोषणा कर दिए थे कि ये बाबा कुछ करने वाले हैं. योग-प्राणायाम को जिस तरह से जन सामान्य के लिए सुलभ बनाया और लाभों से प्रत्यक्ष अवगत कराया ,मरते हुओं को जीवन दिलाया इससे बाबा जी देश विदेश में इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि किसी को भी उनपर हाथ लगाने को सौ बार सोचना होगा उनके किसी कार्यकर्त्ता को भी छूने की हिम्मत कोई करेगा तो उसके लिए भी उसे कमसेकम दस बार सोचना पड़ेगा. क्योंकि बाबा जी अपने कार्यकर्त्ता को मानसिक और वैचारिक रूप से इतना तो मजबूत कर रहे हैं कि वह कोई गलत कदम न उठाये और न अपने किसी साथी को उठाने दे.
आपने जो अपने शहर में सुना उसे बाबा जी स्वाभिमान ट्रस्ट बनने के बाद तो सैकड़ों बार कह चुके हैं,उससे पहले भी कई बार कहते रहे हैं.
बेहतर लिखा है भाई
बेहतर लिखा है भाई
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