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27.5.10

जाति-जनगणना के खिलाफ़ सबल भारत

(उपदेश सक्सेना)
1857 के स्वतंत्रता आंदोलन से डरे हुए अंग्रेज़ों ने 1871 की जनगणना में जाति-मज़हब का कॉलम भी जोड़ दिया था ताकि भारत में जनता की एकता भंग हो जाए, इसके बाद 1947 में हुआ भारत का विभाजन जातीय आधार पर हुआ था, अब एक बार केन्द्र की कांग्रेस नेतृत्व की गठबंधन सरकार उसी नीति पर चल पड़ी है. देश में चल रही जनगणना में जातीय आधार जोड़ने की कवायदें अब केन्द्रीय कैबिनेट से होकर मंत्रिमंडलीय समूह के पास तक जा पहुंची हैं. देश के बुद्धिजीवीवर्ग ने इसके खिलाफ़ एकजुटता बनाना शुरू कर दिया है.
हालांकि 1931 में कांग्रेस के खासे विरोध के बाद अंग्रेज़ सरकार ने जाति-जनगणना का ख्याल दिमाग से निकाल दिया था, मगर अब पुनः ऐसा होने जा रहा है. इस बारे में सबल भारत नाम का एक अभियान शुरू किया गया है, जिसके सूत्रधार राजनीतिक चिन्तक वेदप्रताप वैदिक बनाए गए हैं. इस अभियान को बलराम जाखड, वसंत साठे, जगमोहन. राम जेठमलानी, एमजीके मेनन,सोली सोराबजी जैसे ख्यात लोगों ने अपना समर्थन दिया है, वहीँ इसका संचालन आरिफ मुहम्मद खान,सुभाष कश्यप, जगदीश शर्मा, दिलीप पडगांवकर,रजत शर्मा, जैसी हस्तियों के पास है.अभियान के तहत जुलूस, धरना, उओवास, विरोध यात्राएं जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.

2 comments:

RAJNISH PARIHAR said...

राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए समाज को जातिविहीन करना ही होगा! जनगणना में जाति को शामिल करने से और भी बहुत सी विसंगतियां पैदा हो जाएगी!नेता लोग और खाम्प पंचायतें जातिगत जनगणना का दुरूपयोग करेंगे! देश में पहले ही जाति को लेकर आरक्षण की मांग हो रही है,जो और बढ़ेगी! आज जरूरत इस बात की है क़ि हम समाज की भलाई के लिए इसे जातियों में ना बांटे!

RAJNISH PARIHAR said...

राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए समाज को जातिविहीन करना ही होगा! जनगणना में जाति को शामिल करने से और भी बहुत सी विसंगतियां पैदा हो जाएगी!नेता लोग और खाम्प पंचायतें जातिगत जनगणना का दुरूपयोग करेंगे! देश में पहले ही जाति को लेकर आरक्षण की मांग हो रही है,जो और बढ़ेगी! आज जरूरत इस बात की है क़ि हम समाज की भलाई के लिए इसे जातियों में ना बांटे!