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10.5.10

मैं निकला था साथ में किसी को ले कर,

मैं निकला था साथ में किसी को ले कर,
मैं निकला था साथ में किसी को ले कर,
की साथ हम एक नई दुनिया बसायेंगे.
 और वो ना मिली और धोका दे गयी,
चली गयी अकेले मुझे यूँ तन्हा छोड़ के.
फिर हम भी तन्हा निकल लिए, उन अनजानी राहों पर,
की शायद वो कहीं किसी मोड़ पर मिल जाये,
बस यहीं जीवन की एक आखरी आस लेकर.......


By : Pawan Mall

1 comment:

SANJEEV RANA said...

आश में ही बाश हैं जी
लगे रहो