Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

19.12.10

har taraf aawaz ye uthne lagi hai..

''सौप कर जिनपर हिफाजत मुल्क की ; ले रहे थे साँस राहत की सभी ;
चलते थे जिनके कहे नक़्शे कदम पर ;
जिनका कहा हर लफ्ज तारीख था कभी ;
वो सियासत ही हमे ठगने   लगी है ;
हर तरफ आवाज ये उठने लगी है .
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है नहीं अब शौक खिदमत क़ा किसी को ;
हर कोई खिदमात क़ा आदी हुआ है  ;
लूटकर आवाम क़ा चैन- ओ  -अमन ;
वो बन गए आज जिन्दा बददुआ हैं ;
वो ही कातिल ,वो ही हमदर्द ,ये कैसी दिल्लगी है ;
हर तरफ आवाज ये उठने लगी .
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कभी जो नजर उठते ही झुका देते थे;
हर एक बहन के लिए खून बहा देते थे ;
कोई फब्ती भी अगर कसता था ;
जहन्नुम  उसको  दिखा  देते थे ;
खुले बाजार पर अब अस्मतें लुटने लगी हैं ;
हर तरफ आवाज ये उठने लगी है .


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4 comments:

FARHAN QAZI said...

bilkul sahi likha hai. bahut badhiya. keep it up.

Dr Om Prakash Pandey said...

mujhe to lagta hai ki ab aawajein bhee uthannee band ho gayeen hain .
Pash ne kaha hai na :
hadsa ye naheen ki hadsa hua
hadsa ye hai ki sab khamosh hain ..

Shalini kaushik said...

bilkul sahi kaha aapne ...badhai

anand jagani said...

दिल को छु लेने वाली पन्कतिया असरदार और सटीक मजा आ गया