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4.2.11

तू ख्यालों में राह करती है

तू खयालोंमें राह करती है,
मेरे दिल को तबाह करती है ।

दिल तेरी आग में धधकता है ,
पर तू खुशियों की आहें भरती है ।

जब भी जलता है कोई परवाना ,
शम्मा बस वाह-वाह करती है ।

ये मोहब्बत की दास्ताँ कैसी ,
जो दिलो जान पे गुजरती है ।

4 comments:

sangeeta modi shamaa said...

shamaa ka kam he jalna prwane kyun chale aate he

Dr Om Prakash Pandey said...

kitne parwane jale raj ye paane ke liye,
shamma jalane ke liye hai ya jalaane ke liye .

Anamikaghatak said...

wah wah.........ati uttam

Dr Om Prakash Pandey said...

dhanywaad anaji!