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26.6.11

कोऊ धर्म होऊ हमहि का लेना

मूर्ख हिंदू या अक्लमंद हिंदू


दिल्ली के पश्चिम में एक बहुत प्राचीन कालकाजी मंदिर स्थित है , जिससे उस छेत्र का नाम ही कालकाजी है .

उसके सामने एक बहाई मस्जिद है जिसका गेट उन्होंने बिलकुल मंदिर के गेट के सामने बनाया है . और गेट पर बोर्ड लगा कर लिखा है , "बहाई उपासना मंदिर"


और सारे भक्त जो भी माता का दर्शन करने आते हैं, मंदिर बोर्ड पर पढ़ कर अंदर प्रवेश करते हैं.

अंदर कोई मूर्ति नहीं है , और जगह जगह दान पात्र रखे हैं.

फिर जैसा हिंदुओं के बारे में मशहूर है ही , वे वैसे ही हाथ जोरते हुए व दान करते हुए चलते जाते हैं.

मैंने कई बार उत्सुकता वश उनसे जानने की कोशिश की कि अंदर क्या देखा , किसका मंदिर है , पहली बात तो ये प्रश्न ही उनको हास्यापद लगता है , दूसरे जबाब , किसका , भगवान का,

भगवान की मूर्ति तो है नहीं. !

अरे बाबूजी , भगवान तो दिल में होता है .

इस प्रकार से लाखों रूपया हिन्दुस्तान के भोले हिंदुओं से इकठा करते हैं.

अगर आप गए होंगे तो आप को तो पता ही होगा बहाई क्या होते हैं.

पूरी दिल्ली की सब कब्रों पर हिंदुओं की भीर इसका एक और उदाहरण है .

वहाँ चढ़ाया पैसा कहाँ जाता है , बताने की आवश्यकता नहीं .

कई स्वनामधन्य लोग इसको ही सर्व धर्म समभाव कहते हैं

और हिंदू कि बात करना पाप है , साम्प्रदाइकता है .

जय भारत के हिंदू, और उनकी धार्मिक शिछा .

6 comments:

SANDEEP PANWAR said...

असली हिन्दू मूर्ख है, जो समझदार है वो कथित हिन्दू है

शिखा कौशिक said...

sarthak v vichar yogy post prastut ki hai aapne .aabhar

Shalini kaushik said...

dharm ke nam par to yahan janta se chahe kuchh bhi le lo sab dene ko taiyyar hain .sarthak post kintu ham jaise logon ke liye kyonki jo vahan jakar paisa lutate hain un par aisee post koi prabhav nahi dal sakti.

https://worldisahome.blogspot.com said...

धन्यवाद संदीप जे, शिखा जी, एवं शालिनी जी ,

मैं तो यही कहूँगा होसला अफजायी के लिए हार्दिक धन्यवाद.

ये सही है कि देश की करोरों अनपढ़ जनता तक यह बातें नहीं पहुचेगी पर यदि प्रबुद्ध वर्ग जान जायेगा तो कभी न कभी यह बात नीचे तक भी रिस जायेगी.

हम तो अपने अपने छेत्र में प्रचार कर लें तो बाकी ईश्वर खुद कर लेंगे.

अभी एक भी कमेन्ट नहीं आया कि क्यों सम्प्रदैकता का पाठ पढ़आ रहे हो .

शिखा जी का मुक्तक भी नहीं आया

जय श्री राम

तेजवानी गिरधर said...

आपने मुद्दा तो सही उठाया है

https://worldisahome.blogspot.com said...

आदरणीय ब्लॉग मित्रों ,

कुछ कमेंट्स मेरे ब्लॉग पर आये थे , उन्हें भी यहाँ चस्पा कर रहा हूं , क्योंकि यह ही बरा पलेटफारम है .


जाट देवता (संदीप पवाँर) said...
गुप्ता जी राम राम,
आप भी सच में ऐसा लेख लिखते हो कि सबकी चोंच बंद हो जाती है
असली हिन्दू मूर्ख है, जो समझदार है वो कथित हिन्दू है

June 26, 2011 5:41 AM


I and god said...
धन्यवाद संदीप जी,

क्या कहूँ , वैसे में भी इन्ही में से एक हूं. अब समझदार होने कि कोशिश कर रहा हूं.

आपका
अशोक गुप्ता

June 26, 2011 8:36 AM


आशुतोष की कलम said...
अरे मे तो लोटस टेम्पल समझता था..
हाँ कोई मूर्ति तो है ही नहीं

जय हिन्दू जय हिन्दूस्थान

June 26, 2011 9:31 AM


I and god said...
धन्यवाद आशुतोष जी ,

आपने किस इमानदारी से मान लिया कि आप भी मंदिर ही समझ कर उसे देख आये.

फिर देश की करोरों अनपढ़ जनता की क्या गलती.

पर चूँकि में हमेशा शक्की रहा हूं , इसलिए देखते वक्त मुझे मालूम था मैं क्या देख रहा हूं.

ऐसे ही इस देश में बहुत बरे बरे संप्रदाय चल रहे हैं, जो नाम से तो हिंदू लगते हैं पर सिखाते कुछ और ही हैं.

और हमारी बेचारी भोली हिंदू जनता, केवल हाथ जोरना, दान डालना ही जानती है .

कमेंट्स के लिए आपका धन्यवाद

June 26, 2011 8:22 PM