सत्ता के गलियारे में
बंदूकें बोएगी मेरी कविता.....
तुम्हारे पैर के
नाखूनों से खोपडी तक
बारूद ढोएगी मेरी कविता.......
सरकार को बता दो -
गरीबी में जी लेगी
भूखे पेट रह लेगी
मगर-तुमसे पाँव फंसाकर
कभी नही सोयेगी मेरी कविता......
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
Labels: atul kushwah, meri kavita
6 comments:
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (6-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
Vandana Ji, Apki sarahna se mujhe apratim khushi hai...Dhanyabaad..
छोटी सी कविता जिसमे एक गूँज है ..एक विश्वास है ...एक घोष है ...!!
बहुत सुंदर रचना ..!!
badhai.
Beautifully expressed !
bahut hi seedhe saral shabdon main kaafi gahrai liye hue anookhi rachanaa.badhaai sweekaren.
please visit my blog.thanks
bahut hi seedhe saral shabdon main kaafi gahrai liye hue anookhi rachanaa.badhaai sweekaren.
please visit my blog.thanks
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