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4.6.11

मेरी कविता...


सत्ता के गलियारे में
बंदूकें बोएगी मेरी कविता.....
तुम्हारे पैर के
नाखूनों से खोपडी तक
बारूद ढोएगी मेरी कविता.......
सरकार को बता दो -
गरीबी में जी लेगी
भूखे पेट रह लेगी
मगर-तुमसे पाँव फंसाकर
कभी नही सोयेगी मेरी कविता......

6 comments:

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (6-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

Atul kushwah said...

Vandana Ji, Apki sarahna se mujhe apratim khushi hai...Dhanyabaad..

Anupama Tripathi said...

छोटी सी कविता जिसमे एक गूँज है ..एक विश्वास है ...एक घोष है ...!!
बहुत सुंदर रचना ..!!
badhai.

ZEAL said...

Beautifully expressed !

prerna argal said...

bahut hi seedhe saral shabdon main kaafi gahrai liye hue anookhi rachanaa.badhaai sweekaren.



please visit my blog.thanks

prerna argal said...

bahut hi seedhe saral shabdon main kaafi gahrai liye hue anookhi rachanaa.badhaai sweekaren.



please visit my blog.thanks