रविकुमार बाबुल
हां मैं अपराधी हूं,
मैंने अपराध किया है,
तुमसे पूछे बगैर,
तुम्हीं से प्यार करने का?
मेरे मुंसिफ हो तुम्हीं ,
प्यार को स्वीकार कर,
मेरे साथ इंसाफ कर देना?
या फिर करके इंकार ,
खुद अपराधी हो जाना?
तुम्हारे इस गुनाह की,
ताउम्र मैं,
सजा काट लूंगा?
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