इंका और भाजपा के हरफनमौला खिलाड़ियों हरवंश और गौरी भाऊ के बीच केवलारी में होने वाली जंग क्या रोचक होगी?
भाजपायी राजनीति में इन दिनों पूर्व विधायक नरेश दिवाकर और पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी की युगलबन्दी चर्चित हैं। दोनों नेताओं को एक साथ ना केवल कई कार्यक्रमों में शिरकत करते एक साथ देखा गया हैं वरन ऐसे भी चर्चे हैं कि दोनों ही नेता एक साथ प्रदेश भाजपा के कार्यालय में भी देखें गयें हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा द्वारा महाकौशल के वरिष्ठ भाजपा नेता और मन्त्री गौरीशंकर बिसेन को केवलारी क्षेत्र का प्रभार दिया हैं जो कि विधानसभा उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह का निर्वाचन क्षेत्र हैं। मुख्यमन्त्री की तरह ही मरावी ने प्रभारी बनने के बाद उंहोंने भी केवलारी आने से परहेज किया था जिससे कार्यकत्ताZओं में असन्तोष था। पहले भी बिसेन और हरवंश को एक साथ खड़े देखा गया हैं। प्रभात झा और नव नियुक्त प्रभारी गौरीशंकर बिसेन को बहुत कुछ करना होगा वरना नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात ही निकलेगा। भाजपा ने कहा हैं कि बिजली की दरों में वृद्धि प्रदेश सरकार ने नहीं वरन नियामक आयोग ने की हैं जिसे कांग्रेस सरकार ने बनाया था। यह कांग्रेस की दिग्गी सरकार का ही पाप हैं जिसे प्रदेश की जनता भोग रही हैं।जिले से एक और पुरानी उपलब्धि छिनने जा रही वह हैं एकमात्र विधि महाविद्यालय।इस मुद्दे पर भी वैसी ही राजनीति हो रही हैं जैसी करने के नेता आदी हो चुके हैं।
नरेश राजेश जोड़ी भाजपायी हल्कों में चचििZत- भाजपायी राजनीति में इन दिनों पूर्व विधायक नरेश दिवाकर और पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी की युगलबन्दी चर्चित हैं। दोनों नेताओं को एक साथ ना केवल कई कार्यक्रमों में शिरकत करते एक साथ देखा गया हैं वरन ऐसे भी चर्चे हैं कि दोनों ही नेता एक साथ प्रदेश भाजपा के कार्यालय में भी देखें गयें हैं। सियासी हल्कों में चर्चा हैं कि इन दोनों नेताओं के रास्त भले ही अलग अलग हों लेकिन मञ्जिल एक ही हैं और वो है सिवनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने की। इनमें से एक नरेश दिवाकर तो भूतपूर्व विधायक हैं और पुन: विधायक बनना चाहते हैं तो दूसरी ओर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी पालिका अध्यक्ष के बाद अगली पायदान के रूप में विधायक बनने का सपना सञ्जोये हुये हैं। वैसे अतीत में देखा जाये तो इन दोनों ही नेताओं के सम्बन्ध अच्छे नहीं रहें हैं। जब नरेश विधायक थे और राजेश युवा मोर्चे के अध्यक्ष थे तबदोनों में ही काफी तना तनी चला करती थी। ऐसा भी दावा किया जाता था कि नरेश की टिकिट कटवाने में भी राजेश की महत्वपूर्ण भूमिका थी। यहां यह भी उल्लेखनीय हैं कि वर्तमान में भाजपा की ही नीता पटेरिया ना सिर्फ विधायक हैं वरन प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष भी हैं। अगले चुनावमें उनकी टिकिट कट ही जायेगी इसकी भी कोई गैरण्टी नहीं हैं। ऐसे में दोनों के बीच बनी यह जुगल बन्दी कितने दिन चलेगी और ना जाने कब टूट जायेगीर्षोर्षो इसके बारे में कोई ठोसदावा नहीं किया जा सकता हैं।
हरवंश के क्षेत्र के गौरी बने प्रभारी फिर शुरू हुयी चर्चायें -प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा द्वारा महाकौशल के वरिष्ठ भाजपा नेता और मन्त्री गौरीशंकर बिसेन को केवलारी क्षेत्र का प्रभार दिया हैं जो कि विधानसभा उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह का निर्वाचन क्षेत्र हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस से हारी हुयी सीटों को जीतना भाजपा ने पहली प्राथमिकता बनायी हैं।इसके तहत पहले सरकार के मन्त्री जयसिंह मरावी को प्रभारी बनाया गया था। लेकिन मुख्यमन्त्री की तरह प्रभारी बनने के बाद उंहोंने भी केवलारी आने से परहेज किया था जिससे कार्यकत्ताZओं में असन्तोष था। इसके चलते प्रभात झा ने अब गौरीशंकर बिसेन को प्रभारी बनाया हैं। भाजपायी हल्कों में यह दावा भी किया जा रहा हें कि गौरी भाऊ खुद भी प्रभारी बनने के इच्छुक थे। राजनैतिक विश्लेषकों में इन चर्चाओं के लेकर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा हैं। पहले भी बिसेन और हरवंश को एक साथ खड़े देखा गया हैं। चाहे फिर वह परिसीमन का मामला हो या फिर चुनावी समीकरणों का मामला हो। दोनों ही नेताओं ने एक दूसरे के लाभ के लिये दलीय हितों को दरकिनार करने में कोई परहेज नहीं किया हैं। पिछले विधानसभाचुनाव में हरवंश की जीत और भाजपा की हार को लेकर भाजपायों ने जो आरोप चस्पा किये थे उसके कुछ छीण्टें गौरी भाऊ के दामन पर भी आये थे। वैसे राजनैतिक विश्लेषकों का यह भी मानना हैं कि बिसेन और हरवंश सिंह दोनों ही कर फल और जुगाड़ की राजनीति में माहिर हैं। वैसे दबे स्वरों में एक चर्चा यह भी हैं कि शिवराज-हरवंश सांठगांठ के किस्सों के चलते प्रभात झा ने पहले नियुक्त प्रभारी को अलग कर गौरीशंकर बिसेन को इस आशा के साथ मोर्चे पर लगाया हैं कि वे बीसें साबित होगें और केवलारी में भाजपा को जिताने के लिये सफल रणनीति बना कर राह आसान करेंगें। लेकिन क्षेत्र के समर्पित भाजपा कार्यकत्ताZ बार बार धोखा खाकर इतनेहताश होचुके हैं और उनकी यह धारणा बन चुकी हैं कि वक्त आने पर हरवंश सिंह सभी भाजपा नेताओं को पटा लेतें है और उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता हैं। भाजपा कार्यकत्ताZओं में एक बार फिर से विश्वास पैदा करने के लिये प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा और नव नियुक्त प्रभारी गौरीशंकर बिसेन को बहुत कुछ करना होगा वरना नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात ही निकलेगा।
अब तो कांग्रेसपर दोष मढ़ने के बजाय अपनी उपलब्धि गिनाये भाजपा -प्रदेश कांग्रेस के आव्हान पर बिजली की दरों में हुयी वृद्धि को लेकर हर जिले में ब्लाक स्तर पर धरना प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा हैं। जिले में भी यह क्रम शुरू हो चुका हैं। हालांकि जिले यह सब औपचारिक ही रहेगा क्योंकि जिले के अध्यक्षों की घोषणा ना होने से ना तो पुराने ही सक्रिय रह गये हैं और नाही नये। कांग्रेस के इस हमले का जवाब देते हुये भाजपा ने खुद कांग्रेस और दिग्गी सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया हैं। भाजपा ने कहा हैं कि बिजली की दरों में वृद्धि प्रदेश सरकार ने नहीं वरन नियामक आयोग ने की हैं जिसे कांग्रेस सरकार ने बनाया था। यह कांग्रेस की दिग्गी सरकार का ही पाप हैं जिसे प्रदेश की जनता भोग रही हैं। अख्बारों में प्रकाशित समाचारों के अनुसार तो विद्युत कम्पनियों ने बिजली की दरों में 22 प्रतिशत वृद्धि करने की मांग की थी जिसे नियामक आयोगनें नहीं माना और वर्तमान में 4 से लेकर 6 प्रतिशत तक बिजली की दरें बढ़ायीं हैं। यदि ऐसा हैं तो भाजपा को इसे कांग्रेस और दिग्गी राजा का पाप मानने के बजाय पुंय मानना चाहिये जिसके कारण जनता पर 22 प्रतिशत वृद्धि का बोझ नहीं पड़ा। बिजली पानी सड़क को मुद्दा बना कर आठ साल पहले सरकार बनाने वाली भाजपा आखिर कब तक अपने पापों को कांग्रेस और दिग्गी के सिर मढ़ते रहेगी जबकि वास्तविकता तो यह हैं कि उसकी सरकार अपने ही वायदों पर खरी नहीं उतर रही हैं। भाजपा के राज में भी बिजली के बिल तो किसानों को करण्ट मार रहें हैं लेकिन तारों में करण्ट गुल रहता हैं। यदि दूसरे कार्यकाल में भी भाजपा अपनी उपलब्धियों को गिनाने की स्थिति में नहीं हैं तो यह अत्यन्त ही शर्मनाक बात हैं।
लॉ कालेज छिनने पर भी घिसीपिटी राजनीति ही हो रही है-जिले से एक और पुरानी उपलब्धि छिनने जा रही वह हैं एकमात्र विधि महाविद्यालय। बहुत संघंषोZं के बाद कालेज में लॉ फेक्ल्टी खेलने की घोषणा गेदरिंग में आये तत्कालीन शिक्षा मन्त्री माधवलाल दुबे ने की थी। सन 1981 से यह लगातार चलते रहा। लेकिन अब यह बन्द होने जा रहा हैं। इस मुद्दे पर भी वैसी ही राजनीति हो रही हैं जैसी करने के नेता आदी हो चुके हैं। प्रदेश में सरकार चलाने वाली भाजपा और उसके नेता पत्र लिखकर राज्पाल की ओर गेन्द उछाल रहे हैं तो कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने कोई आन्दोलन छेड़ना तो दूर अभी कुछ कहना या लिखना भी उचित नहीं समझा हैं। एक प्रश्न यह भी उठता हैं कि इतना बड़ा फैसला सरकार ने कोई एक दिन में तो लिया नहीं होगार्षोर्षोयदि लम्बे समय से यह कवायत चल रही थी तो कालेज से सम्बन्धित शासकीय कर्मचारियों ने इससे जन प्रतिनिधियों को अवगत क्यों नहीं कराया? सरकार के द्वारा फैसला लेेने के बाद ही यह मामला क्यों खुलार्षोर्षो क्या जन प्रतिनिधियों को इस बात का अहसास नहीं था कि उनके क्षेत्र और जिले से एक और चीज छीनी जा रही हैं?क्या बार कांउसिल आफ इंड़िया ने निरीक्षण फीस के रूप में एक लाख रुपये की राशि जमा करने को कहा थार्षोर्षो यह राशि जमा की गई या नहीं? ये तमाम ऐसे सवाल हैं जिनके उत्तर जनता के सामने आना चाहिये अंयथा और भी चीजें जिले से ऐसे ही छिनती जायेंगीं।
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