(अभी तक बस कविताओं और छोटे मोटे लेखों कि दुनियां में ही खोई रही पहली बार एक कहानी लिखने कि कोशिश कि है आप सभी के सुझाव आमंत्रित है ,कृपया ब्लॉग पर कहानी पढ़कर प्रतिक्रिया अवश्य दें ताकि सुधार किया जा सके पूरी कहानी पढने के लिए क्लिक करें http://meriparwaz.blogspot.com/)
इस खबर ने मुझे भोचक्का कर दिया शायद इसलिए नहीं की मौत की खबर थी शायद इसलिए की मुझे अब उसकी आँखों का सूनापन समझ आया ,दिल भर आया नई नवेली दुल्हन ही तो थी वो ठीक से एक साल भी नहीं हुआ था उसकी शादी को और दुनिया उजड गई उसकी.
सुधा ने बात आगे बढाई रंगों से कितना प्यार था इस लड़की को कितने चाव से रंग बिरंगे लहंगे साड़ियाँ , शाल ना जाने क्या क्या ख़रीदा था शादी के लिए .दिन भर चित्र बनती थी सारी दुनिया को रंगीन कर देना चाहती थी ये ,और आज प्रकृति का क्रूर मजाक देखो इसके सारे रंग चले गए .इसके माता पिता इसे यहाँ ले आए है ताकि कुछ समय बाद इसकी दूसरी शादी करवाई जा सके आखिर उम्र ही क्या है अभी इसकी ,पूरी जिंदगी एसे निकलना बहुत मुश्किल है प्रभाकर पर ये लड़की मानती ही नहीं कहती है आलोक (प्रेरणा का पति) की यादों के साथ ही बचा हुआ जीवन गुजार देगी.
मैंने कहा वो तो आज नहीं कल मान ही जाएगी आजकल विधवा पुनर्विवाह बड़ी बात नहीं है ,इसके बाद सुधा ने जो कहा वो सुनकर में फिर भोचक्का हो गया "प्रभाकर तुम नहीं समझोगे एक औरत के लिए अपने पति को भूलना आसान नहीं ,आदमी की जिंदगी में पत्नी उसके जीवन का हिस्सा होती है उसकी अर्धांगिनी होती है पर पत्नी का तो पूरा जीवन ही पति और परिवार में सिमट जाता है पति जब ऑफिस से घर आता है तो आराम के मूड में होता है पर पत्नी चाहे ऑफिस में रहे या घर में उसे बस पति और परिवार याद रहता है .पत्नी के जाने पर पति को आघात लगता है पर समाज उससे उसके रंग नहीं छीनता पर पति के जाते ही सबसे पहले पत्नी के जीवन के रंग नोचकर उससे अलग कर दी जाते है ,उसका सिंदूर उसकी हरी चूड़ियाँ ,रंगीन कपडे सब उससे छीन लिए जाते है.
पत्नी के जाने पर पति बस साथी खोता है पत्नी तो अपना जीवन अपने रंग सब खो देती है "शौक से हलके रंग पहनना ,हल्का मेकअप करना अलग बात है पर जब जबरजस्ती ये रंग छीन लिए जाए तो तकलीफ दुगुनी हो जाती है" खेर जाने दो शायद तुम नहीं समझ पाओगे ....
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16.7.11
खोए हुए रंग
Labels: खोए हुए रंग, माँ का रंग त्याग, विधवा पुनर्विवाह
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2 comments:
कनु जी कहानी बहुत सुन्दर लिखी है आपने किन्तु लिंक ठीक नहीं लगा है अब इसे अलग से जोड़ कर ही आपके ब्लॉग पर आऊँगी.
dhanyawad shalini ji .internet problem ke karan link me problem aa gaya hai shayad.sabhi pathkon se anurodh hai poori kahani padhne ke lie http://meriparwaz.blogspot.com/
ko apne brawser par paste karein aur mere blog tak pahunche.ya bhadaas blog me 1st no. par parwaz naam se mere blog ka link hai waha click karein.asuvidha ke lie khed
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