ठंड रख कलमाड़ी !
अदालत ने पूछे ये कैसे सवाल ?
गलते-गलते रह गयी मेरी काली दाल,
कैसे जान गए वे मेरी तिनको वाली दाढ़ी ?
मन को समझाना होगा !ठंड रख कलमाड़ी .
शिखा कौशिक
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
Labels: politics
2 comments:
bahut khoob kataksh.
आपकी चंद पंक्तियां बहुत असरकारक होती हैं शिखा जी
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