मुंबई में धमाके ,कितनी ही जानें बस एसे चली गई जेसे हवा हो,किसी ने बेटा किसी ने पति किसी ने माँ,किसी ने पिता खो दिया . उनके दर्द को हम लोग शायद नहीं समझ सकते पर मैंने एक छोटी सी कोशिश की है समझने की ,कि जब सुबह घर से काम के लिए निकले किसी के पापा घर नहीं लौटते होंगे तो क्या भावनाएं हो सकती है....
पापा तुम घर क्यों न लौटे?
मैंने तो सोचा था आज जब आओगे तो मेरे लिए मीठी टॉफी लाओगे
ना लाओगे तो में जिद करके तुम्हारे ऊपर झूम जाऊंगी
पर में इन्तेजार ही करती रह गई तुम नहीं आए
अब कौन मुझे टॉफी लाकर देगा?
देखो ना तुम्हारे जाने से मैं अकेली हो गई
बताओ ना पापा तुम घर क्यों ना लौटे?
सब कहते है तुम चले गए
पर कहा चले गए पापा तुम?
सुबह तो कहकर गए थे कि जल्दी आऊंगा
तुम्हे बाहर घुमाने ले जाऊंगा
पर अब तो इतनी देर हो गई कल से आज तक नहीं आए .
अब में किसके कंधे पर बैठकर बाहर जाउंगी?
जब आओगे तो खूब रूठकर बेठुंगी तुमसे
बताओ ना पापा तुम घर क्यों ना लौटे?
माँ कल तक कितनी सुन्दर दिखती थी
लाल चूड़ियों ,हरी साडी ,और लाल बिंदी में
पर आज जाने क्यों सारे रंगों से अचानक दूर हो गई
पापा जब वापस आओगे तो माँ को कहना कि एसे रंगों से दूर ना रहे
उनपर रंग बड़े अच्छे लगते है
तुम्हारे ना आने से देखो माँ के सारे रंग चले गए
बताओ ना पापा तुम घर क्यों ना लौटे?
कल शाम से ही दादी रो रही है
इतनी जोर से रोती है कि सारा मोहल्ला इकठ्ठा हो गया है
मै कब से चुप करने कि कोशिश कर रही हु पर वो चुप ही नहीं होती
पापा तुम ही कहते थे ना शोर मत करो पड़ोसियों को तकलीफ होती है
पर जाने क्यों आज दादी ये बात भूल गई है
पापा जब आओगे तब दादी को जरूर समझाना
वो रोती हुई अच्छी नहीं लगती मुझे
देखो ना तुम्हारे जाने से दादी कि आँखों में कितने आंसू है
बताओ ना पापा तुम घर क्यों ना लौटे?
कल से दादा कितने बदहवास से है
जाने कहाँ कहाँ फ़ोन लगाते है
बार बार छाता उठाकर जाने कहा जाते है
देखो ना उन्हें तो पानी में जाना बिलकुल पसंद नहीं
आज उनने मम्मी से बरसात में कुछ गरमा गरम बनाने के लिए भी नहीं कहा
कल से कुछ नहीं खाया उनने
उनकी तबियत बिगड़ जाएगी .....
जब आओगे तो उन्हें प्यार से खिलाना और मीठी सी डांट भी लगाना
सुनो ना आपके जाने से देखो उनके मुह से निवाला नहीं उतरता
बताओ ना पापा तुम घर क्यों ना लौटे?
देखो ना कल से सब बस न्यूज़ चैनल देख रहे है,कोई मुझे कार्टून नहीं देखने देता
हमारे प्यारे घर में भीड़ इकट्ठी हो गई है
सब रोते है ,कितने गंदे लगते है सब रोते हुए
मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा
सब क्यों बार बार मेरे सर पर हाथ फेर रहे है
जेसे में बिचारी हु
माँ को भी सब एसे ही देख रहे है
देखो ना आपके जाने से सबके चेहरे से मुस्कान चली गई
बताओ ना पापा तुम घर क्यों ना लौटे?
जल्दी आ जाओ ना पापा
मैं आपको बिलकुल तंग नहीं करुँगी
गुडिया , टॉफी कुछ नहीं मांगूंगी
आपसे रिमोट भी नहीं लूंगी,आपके कंधे पर भी चढूँगी
आ जाओ ना पापा
देखो ना आपके जाने से कुछ भी अच्छा नहीं लगता
बताओ ना पापा तुम घर क्यों ना लौटे?
14.7.11
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11 comments:
न जाने क्यों पढ़कर आँखे नाम हो गयी
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फिर गूँज उठा भारत का गौरव
आतंको की ललकारो से
टूट न जाये होसला हमारा
इन दर्द भरी पुकारो से
--
आभार
दिल दहला देने वाली कविता। बहुत बढि़या।
bahut hi maarmik...dardanak post.
समझ नहीं आता आप लोगो को प्रशंसा के लिए धन्यवाद् दू या जो चले गए उनके लिए दुःख मनु.ये शब्दों का दम नहीं भावनाओ का अतिरेक है शायद....भगवान् सब मृतात्माओं को शांति दे और धन्यवाद् उसका कि हम आज भी जिन्दा है क्यूंकि कल तो कुछ नहीं कहा जा सकता अब....मैं खुशकिस्मत हु कि कल वहा नहीं थी पर हो भी सकती थी....
देखो ना आपके जाने से कुछ भी अच्छा नहीं लगता
बताओ ना पापा तुम घर क्यों ना लौटे?
vastvikta ko chhooti prastuti.
दो लाइन पढ़ते ही रो पड़ा...,
rachna ka dard samjhne ke lie aap sabhi ka dhanyawad
आपकी यह कविता तो पत्थरों का भी आसूं निकल दे .... क्या कहूँ .... मन भर आया है.... दिमाग ने कम करना बंद कर दिया है .....
धन्यवाद् राजेंद्र जी.काश मेरी ये कविता हमारे प्रधानमंत्री पढ़ पाए और बाकि नेता भी ताकि उनके पत्थर दिल पिघल सके.
kahte hain aatakvadeeyon ke bhi bachche hote hain...agar ye baat sahi hai to ve apane bacchon se kya kah kar ghar se nikalte honge...ya unke bachche bhi unsse poochate honge ki papa tum fir aa gaye...itane bachchon ke papaon ko sula kar
bahut hi marmik kavita aapaka aabhar
sahi kaha aapne,na jane unka dil kaha chala jata hai jo asi vardaat ko anjaam dete hai.tippani ke lie dhanyawad
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