Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

7.8.11

विवाह अथवा ब्लैकमेलिंग ?





''हिन्दुस्तान '' दैनिक समाचार -पत्र में कुछ समय पूर्व  ''दहेज़ में कार मांगने पर दुल्हन के पिता को हार्ट-अटैक ;मौत'' खबर पढ़कर आँखें नम हो गयी थी  .बेटी की बारात आने में कुछ ही दिन रह गए थे  .दुल्हन के पिता कुछ दिन पहले सगाई की रस्म अदा क़र आये थे. शादी में ५१ हज़ार की नकदी के अलावा बाइक और फर्नीचर देना तय हुआ था . लड़के वालों ने फोन पर धमकी दे दी कि यदि दहेज़ में कार देनी है तो बारात आएगी वर्ना कैंसिल समझो.'समझ में नहीं आता विवाह जैसे पवित्र संस्कार को ''ब्लैकमेलिंग' बनाने वाले ऐसे दानवों के आगे लड़की के पिता कब तक झुकते रहेंगे. अनुमान कीजिये उस पुत्री के ह्रदय की व्यथा क़ा जो जीवन भर शायद इस अपराध बोध से न निकल पायेगी कि उसके कारण उसके पिता की जान चली गयी.होना तो यह चाहिए था कि जब वर पक्ष ऐसी ''ब्लैकमेलिंग'' पर उतर आये तो लड़की क़ा पिता कहे कि ''अच्छा हुआ कि तुमने मुझे विवाह पूर्व ही यह दानवी रूप दिखा दिया.मेरी बेटी क़ा जीवन स्वाहा होने  से बच  गया '' पर ऐसा कब होगा और इसमें कितना समय लगेगा? ये कोई नहीं बता सकता.मै तो बस इतना कहूँगी----
            '''बेटियों को इतना बेचारा मत बनाइये;
      क़ि विधाता भी सौ बार सोचे इन्हें पैदा करने से पहले..''
                                                शिखा कौशिक 
[क्या आप ''भारतीय नारी '' सामूहिक ब्लॉग से जुड़ना चाहते हैं ? मुझे मेरे इ मेल पर सूचित करें .मेरा इ मेल है -shikhakaushik666 @hotmail .कॉम]
                                    

5 comments:

vandana gupta said...

आपने बिल्कुल सही बात कही है । माता पिता को बेचारा बन कर नही रहना चाहिये वरन खुलकर विरोध करना चाहिये तभी ऐसी प्रथाओ से मुक्ति मिलेगी।

डॉ० चन्द्र प्रकाश राय said...

aise mamalon me laaki ke pita ko khud shadi hi nahi tod dena chahiye balki samaj me aise logo ko jaleel bhi karna cahhaiye aur kanoon ke havale bhi karna chahiye ,akhir khud maut klo gale laga kar to apno ko anath bana diya .aj ke yug me aise vicharon se ghrida failana jaroori hai ,ye to bhrston se bhi bada bhrstachar hai aur bada apradh bhi .

Shikha Kaushik said...

thanks vandna ji for comment .

तेजवानी गिरधर said...

हर प्रथा को तोडने के लिए वक्त के खिलाफ चलना होता है

तेजवानी गिरधर said...

हर प्रथा को तोडने के लिए वक्त के खिलाफ चलना होता है