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8.8.11

कुंवर प्रीतम के मुक्तक

इस मौसम में सबको भाए,ऐसी कोई बात कहां
झुके हुए कंधों पर आए,ऐसा कोई हाथ कहां
बने बनाए सम्बन्धों में,मट्ठा डाल रहे हैं सब
टूटे चुके रिश्तों को जोड़े, ऐसा कोई साथ कहां
कुंवर प्रीतम




1 comment:

Dr Om Prakash Pandey said...

wah!kya khoob likha aapne.