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14.12.11

मनुष्य स्वभाव का विश्लेषण

मनुष्य स्वभाव का विश्लेषण 

मानस मर्मज्ञ मुरारी बापू के श्री मुख से मनुष्य स्वभाव का विश्लेषण सुना ,तब लगा की हमारे पौराणिक 
ग्रन्थ गहन विश्लेषण के बाद ही लिखे गए हैं .मनुष्य का स्वभाव कितने प्रकार का हो सकता है .हम यदि 
किसी के स्वभाव को समझ सकने में सफल हो जाते हैं तो बहुत से व्यवधानों से बच सकते हैं .मनुष्य 
का स्वभाव हमारे महर्षियों ने १४ प्रकार का बताया है -


१.मिट्टी -मिट्टी का स्वभाव पानी डालने पर कोमल और पानी सुखाने पर कठोर होता है .जब तक 
      ज्ञान दो ,समझ दो तब तक कोमल और जैसे ही ज्ञान देना बंद करो स्वभाव पुन:कठोर हो जाता है. 


२.छलनी-जब अनाज छानने के लिए छलनी में अनाज डाला जाता है तब छलनी के छिद्रों से अधपका
    और कणी अनाज बाहर निकल जाता है .छलनी सार रूप अनाज को अपने अन्दर रख लेती है ठीक 
    इसी तरह मनुष्य का भी स्वभाव होता है ऐसे लोग सार बात को ग्रहण कर लेते हैं और थोथी बातें 
    बाहर फ़ेंक देते हैं .


३. भैसा - भैसा आलस का प्रतिक माना गया है ,भैंस दिन भर पानी में रहने के बाद भी पानी पीने का 
       काम घर पर ही करती है और पानी से निकल कर गन्दा कीचड़ खुद पर उंडेल लेती है ,ठीक ऐसा
      भी स्वभाव होता है सही स्थान ,समय और परिस्थिति का उपयोग नहीं कर पाते या फिर आज के 
      काम को कल पर टालते रहते हैं और जग हंसाई के काम कर बैठते हैं. 


४. हंस   -हंस उपयोगी वस्तु को ग्रहण कर लेता है और विवेकशील प्राणी होता है ,किसी के काम में 
        बाधा नहीं डालता है इसी तरह के स्वभाव वाले लोग विवेकशील होते हैं .जानबूझ कर आग 
        लगाने का काम नहीं करते हैं .


५.तोता  - तोता रट्टा लगाने वाला जीव है जो अर्थ समझे बिना सिर्फ रटता रहता है ,ठीक ऐसे ही 
      स्वभाव वाले लोग सूक्तियों या मर्म को समझे बिना शास्त्रों को घोकते रहते हैं जबकि पल्ले कुछ 
      भी नहीं पड़ता है और उनका ज्ञान भ्रम या छलावा उत्पन्न कर देता है.


६.घोडा   -     घोड़े पर बैठकर घुड़सवार जब उसका मार्गदर्शन करता है तब तक घोडा लक्ष्य की और 
         दौड़ लगाता है और घुड़सवार के उतरते ही एक जगह खडा हो जाता है यानि इस तरह के लोग 
        जब तक हाथ में डंडा होता है तब तक काम करते हैं .डंडा गायब होते ही पहले जैसा बन जाते हैं .


७.बिल्ली  -बिल्ली को रबड़ी खिलाओ या बादाम केसर का दूध पिलाओ मगर चूहा देखते ही छलांग 
     लगाती है .ऐसे आदमी को स्वार्थी स्वभाव की उपमा दी गयी है 


८.कोआ -काक की गंदगी में चोंच मारने की बुरी आदत होती है.कोआ अकृतज्ञ होता है .इस प्रकार के 
     इंसान जिस व्यक्ति के कारण उन्नति हुई है उसका भी नुकसान करने से नहीं चुकते हैं.


९.मच्छर  -मच्छर स्वभाव के लोग अकारण ही बक-बक करने लग जाते हैं तथा शांति और आराम में 
       खलल डालने का काम करते हैं.दुसरे का सुख -चैन इन्हें फूटी आँख नहीं सुहाता है.


१०.जोंक या ज्लौक   -पानी में आडी होकर चलने वाली जंतु जो दुसरे का खून चूसने का स्वभाव रखती
       है इस स्वभाव के लोग जानबूझ कर आग  लगाते हैं और दबे कुचले का खून चुंसते हैं. 


११.छिद्र कुम्भ  ऐसा घडा जिसके पेंदे में छेद हो .ऐसे लोग कोई भी बात नहीं समझने वाले मुर्ख होते हैं.
        समझ बिलकुल टिकती नहीं ,ज्ञान को तुरंत बाहर फेंक देते हैं .


१२.पशु  -पशु अभ्यास तथा चिंतन रहित जीने वाला प्राणी है.पशु और भैंस में इतना ही अंतर है की पशु 
     पानी के तट को छिछ्लाता नहीं है जबकि भैंस पानी पीकर सिंग से पानी को छिछला कर देती है. 


१३.सांप    - सांप को दूध पिलाने पर भी जहर ही उगलता है उसके पास विष के अलावा कुछ भी नहीं 
       होता है ,ऐसे लोग उपकार का बदला भी अपकार से चुकाने वाले होते हैं .


१४.पत्थर  -पत्थर पर कितना ही शीतल जल बरसा दो मगर उस की कठोरता पर कोई फर्क नहीं पड़ता 
       इस प्रकार के लोग प्रेम और संवेदना से रहित होते हैं .


       हमें पग-पग पर ऐसे ही लोग मिलते रहते हैं यदि हम उनके स्वभाव को परख नहीं पाते हैं तो 
जीवन भर हानि उठाते रहते हैं. 
   

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