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11.12.11

''लोकपाल ' पर खुली बहस में कॉँग्रेस को अवश्य शामिल होना चाहिए था


''लोकपाल  ' पर  खुली   बहस  में  कॉँग्रेस  को  अवश्य  शामिल  होना चाहिए था


अन्ना टीम द्वारा  जंतर  - मंतर   पर  आयोजित  ''लोकपाल  ' पर  खुली   बहस  में  कॉँग्रेस  को  अवश्य  शामिल  होना चाहिए था .चूंकि इस समय केंद्र में सरकार यू.पी.ए.की है जिसमे कॉँग्रेस एक प्रमुख पार्टी है इसलिए  कॉँग्रेस को ऐसे अवसर पर जनता के समक्ष भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना नजरिया जरूर व्यक्त करना चाहिए .अन्ना टीम जनता की प्रतिनिधि बन चुकी है जो वास्तव में हमारे सांसदों को होना चाहिए .अन्ना-आन्दोलन को मिला समर्थन वास्तव में भ्रष्टाचार से त्रस्त भारतीय जनता की हुंकार थी .लोकतंत्र में ऐसा आन्दोलन वास्तव में बहुत शर्म की बात है जबकि हमारे द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही सत्ता संभाल रहे हैं .क्यों नहीं रुक पा रहा भ्रष्टाचार ?क्यों जरूरत पड़ रही है लोकपाल की ?जबकि जनता के लोग ही शासन चला रहे हैं  बहुत गंभीरता  के साथ इन सवालों  पर विचार करने की जरूरत  है पर अफ़सोस सब सवाल-जवाब वहीँ के वहीँ धरे रह जाते हैं .अन्ना का आन्दोलन वास्तव में राष्ट्रीय राजनैतिक  पार्टियों पर से उठ चुके जनता के विश्वास को प्रदर्शित करता है .इसलिए जब भी मौका मिले राष्ट्रीय   राजनैतिक    पार्टियों    को   अपने   विचार    खुलकर   जनता  के सामने   रखने   चाहियें     .शशि   थरूर   जी    का  यह  कथन   कितना    सटीक है -
मुद्दा करप्शन नहीं है, हर कोई करप्शन के खिलाफ है। मुद्दा है करप्शन से किस तरह से निपटा जाए। कानून बनाने वालों को इस पर संसदीय बहस की जरूरत है।''सभी मुद्दे बातचीत से ही सुलझते हैं .यदि बी.जे.पी. के साथ साथ सभी अन्य  मुख्य   राजनैतिक  दल   यह मत रखते    है कि''-प्रधानमंत्री और संसद में सांसदों का आचरण लोकपाल के दायरे में आए। ''तो कॉग्रेस को  भी इस मत से सहमत होना चाहिए क्योंकि बी.जे.पी. मुख्य विपक्षी दल है और अन्य दलों  में भी  जनता  के चुने   हुए प्रतिनधि   हैं  इसलिए उनके मत का भी सम्मान किया जाना चाहिए .
          खुली बहस में सबको यह हक़ है कि वह अपने विचारों  को रखे  फिर  जनता यदि यही चाहती है तो कौंग्रेस को भी अपने तर्कों से जन-विश्वास प्राप्त करना चाहिए .संसद  भी जनता के प्रतिनिधियों के बहस का ही तो स्थान  है फिर खुली बहस में डर कैसा  ?बहस में हिस्सा न लेने पर कौंग्रेस  अपना पक्ष जनता के समक्ष नहीं रख पाती  है और इसे इस तरह प्रचारित किया जाता है जैसे  ''कॉँग्रेस '' का उद्देश्य भ्रष्टों को बचाना  है .
                   अन्ना टीम को भी केवल ''जन लोकपाल '' पर ही ध्यान केन्द्रित करना चाहिए .व्यक्ति विशेष को निशाना बनाकर कहे गए वक्तव्य  मुख्य विषय से ध्यान भटका  देते  हैं.भ्रष्टाचार मिटना चाहिए -एक बस यही लक्ष्य लेकर  चलें  तो सफलता जरूर मिलेगी अन्यथा यह आन्दोलन भी दिशाहीनता का शिकार हो जायेगा .
                                    शिखा कौशिक 

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