जय भारत माता की
[मेरी आवाज़ में ]
धरती से लेकर अम्बर तक ;
सूरज से लेकर समंदर तक;
पूरब से लेकर पश्चिम तक ;
उत्तर से लेकर दक्षिण तक ;
जय भारत माता ........
सीमाओं पर डट जाओ;
माँ की आन पे मिट जाओ ;
दुश्मन से जा टकराओ ;
मार दो या मर जाओ ;
ye kahte nikle dam
जय भारत माता की !
लक्ष्य से विचलित ना हो मन ;
रखना सुरक्षित अपना वतन ;
शत्रु की चाल को करके विफल;
दिखला देना बाहुबल;
बस लबो पे रहे हरदम
जय भारत माता की .
जय हिंद !
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
सीमाओं पर डट जाओ;
माँ की आन पे मिट जाओ ;
दुश्मन से जा टकराओ ;
मार दो या मर जाओ ;
ye kahte nikle dam
जय भारत माता की !
लक्ष्य से विचलित ना हो मन ;
रखना सुरक्षित अपना वतन ;
शत्रु की चाल को करके विफल;
दिखला देना बाहुबल;
बस लबो पे रहे हरदम
जय भारत माता की .
जय हिंद !
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
3 comments:
sundar!
जय न गण की है
जय न तन्त्र की है
न ही जय भारतमाता की
आज तो जय है..........
स्वार्थ माता की
रिश्वत माता की
कुर्सी माता की
सत्ता माता की
...........पता नही आप
किस दुनियां में रहती/रहते हैं
आपकी कविताएं आपको ही अच्छी
लगती होंगी............या फिर सपनों में
जीने वालो को..............
मुझे तो धेले की नही लगी..........
jo log maa ka samman karna nahi jante vo aise hi comment karte hain .aapka dosh nahi .
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