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28.1.12

पादरी की कुत्सित मानसिकता


पादरी की कुत्सित मानसिकता 

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने धर्मनिरपेक्षता का झंडा लेकर भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं पर कुठाराघात 
करने एवं उन्हें लहू-लुहान करने की कुत्सित मानसिकता पर राम बाण प्रहार करते हुए विद्यालयों में 
छात्रों को भगवद गीता पढ़ाने के प्रदेश सरकार के निर्णय के विरोध में दायर की गयी याचिका को १० मिनट में 
ठुकरा दिया | याचिका कैथोलिक पादरी बिशप काउन्सिल से गत वर्ष अगस्त में दायर की थी | तब न्यायालय ने
वादी को गीता पढके आने के लिए कहा था |

काउन्सिल के प्रवक्ता 'फादर' आनंद मुत्तंगल की याचिका में कहा गया था की मध्य प्रदेश सरकार को "किसी एक
धर्म की शिक्षाएँ पढ़ानें की जगह सभी धर्मों को पढ़ाना चाहिए" | याचिका में भारतीय प्रतीकों, एवं कथानकों
से लिए गए नामों पर भी आपत्ति करते हुए कहा गया था कि सरकार की योजनायें जैसे "लाडली लक्ष्मी", "बलराम
 ताल","कपिल धारा" आदि हिन्दू नामों पर आधारित हैं और "सेकुलर" नहीं हैं | सरकारी कार्यक्रमों में भूमि पूजन 
करना सेकुलरिस्म का उल्लंघन है |

याचिका सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अजित सिंह एवं संजय यादव ने वादी के अधिवक्ता से पूछा कि क्या 
उन्होंने गीता पढ़ी है | उनके उत्तरों से असंतुष्ट न्यायालय ने निर्णय दिया कि गीता निश्चित रूप से भारतीय 
दर्शन का ग्रन्थ है न कि किसी धर्म विशेष का.
ये यह मिशनरियों की हकीकत ?क्या ये लोग साम्प्रदायिकता नहीं फैला रहे हैं ?ये लोग हिन्दुस्थान 
में भी हिन्दू नाम से कुपित हो रहे हैं तो अपने देशो में हिन्दुओ के साथ कैसा बर्ताव करते होंगे ?

1 comment:

Dr Dwijendra vallabh sharma said...

sahi baat hai janaab . ye aise logon ki bahut badi himmat hai ki hindu logon ke desh me hindu ko samjhaaya jaata hai ki aisa mat karo waisa mat karo . secularism ki afeem se sabko behosh karne ki taiyaari kar rakhi hai hamaari sarkaaron ne . yadi hindu sahi samay par nahi jaaga to gulaami me jyaada din nahi lagenge. dehiye , sameekshaa kijiye har taraf aur kalpana karen pachas saal baad ke bhaarat ki & kaun hoga yahaan ka shaasak \