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7.2.12

मैं तुम्हारा नेता हूँ .


मैं तुम्हारा नेता हूँ .
सच को छिपाता हूँ 
न्याय को मिटाता हूँ 
मानवता को बाँटता हूँ 
दंगे करवाता हूँ 
सपने दिखाता  हूँ
उन्मांद फैलाता हूँ 
धोखा देता हूँ 
छल करता हूँ 
आदर्श छोड़ता हूँ 
झूठ बोलता हूँ 
शराब बांटता हूँ 
शबाब बांटता हूँ
नोट बांटता हूँ 
झुग्गी में सोता हूँ 
कटोरे में खाता हूँ 
दरिन्दा बनता हूँ 
लुटेरा बनता हूँ 
हिंसक बनता हूँ 
चापलूस बनता हूँ
बहरूपिया बनता हूँ 
वतन बेच देता हूँ 
वचन बेच देता हूँ 
इज्जत बेच देता हूँ 
धर्म बेच देता हूँ 
कर्म बेच देता हूँ 
विश्वास बेच देता हूँ 

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