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6.7.12

इन किशन भगवान से तो राम ही बचाए


महोदय ऐसा लगता है कि आप ने ऐसा इसी लिए लिखा है कि ताकि कमेंट रुप कुछ दिन के लिए एक बढिया मसाला मिल जाये आपके उठाये हर सवाल का उत्तर है परन्तु कुछ सवाल है। 1. यदि आप की आप बदसूरत है तो क्या आप किसी यह कहते कि मैं शर्मिंदा हूँ? 2. क्या आपने कभी इस बात की किसी से तुलना की क्या हमारे बाप ने यह किया और तुम्हारे बाप ने यह गलत किया। 3. क्या कभी आपने अपने माँ बाप की इस लिए पसंद नहीं किया कि दूसरे के माँबाप ज्यादा अमीर। आपने लिखी कहानी में से तो यही अर्थ निकलता कि आप किसी दूसरे को नीचा दिखा कर ऊंचे होना चाहते है। दूसरे शब्दो में एक लाइन को बड़ा करने के लिए आप दूसरी लाइन को काटकर छोटा करना चाहते हैँ। मित्र दूसरे कमी निकाल कर कुछ लोगों को आकर्षित तो क्या जा सकता है। पर खुद को ऊचा नहीं उठाया जा सकता है। रही बात आर्य समाजी बनने की तो बनने के बाद यदि उसमे कोई कमी मिली तो फिर कुछ और अपनाइयेंगे क्या और यह सिलसिला कब तक चलेगा।

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