आत्मदर्शन Visualization
आत्मदर्शन शायद सबसे मुख्य विधा है जिसकी मदद से आप अपने जीवन को
अभीष्ट दिशा में ले जा सकते हो। जो कुछ आप चारों तरफ देख रहे हैं, वह प्रारंभ में
एक सिर्फ विचार ही होता है। जैसे यह कप जिसमें आप चाय ही रहे हैं या यह घर जिसमें
आज आप रहते हैं, बनने से पहले वह कभी आपके मन में एक विचार के रूप में ही था कि आप
ऐसा घर बनाना चाहते हैं। फिर आपने उसकी योजना बनाना शुरू किया, उसका नक्शा बनवाया
और इसके बाद उसका निर्माण करवाया। तब जाकर उसका भौतिक अस्तित्व सामने आया जिसमें
आज आप रहते हैं। इस तरह मनुष्य का जीवन हमेशा समय की पटरी पर निरंतर आगे ही चलता
जाता है और कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखता है।
भूतकाल
भविष्य
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आप इस बात को समझ लीजिये कि हमारे चारों तरफ जो कुछ भी है, वह शुरू
में मात्र एक विचार, एक ऊर्जा, एक तरंग होती है। यह समझना बहुत आवश्यक है, यही एक
तरीका है जिससे आप समझ सकते हैं कि ऊर्जा ही पदार्थ में परिवर्तित होती है। जरा
सोचिये कि एक हिप्नोटिस्ट आपको यह मानने के लिए बाध्य कर देता है कि आपकी हथेली
में जो सिक्का है वह बहुत गर्म है, उसकी गर्मी से आपकी हथेली लाल हो जाती है, यहाँ
तक कि आपके हाथ में फफोले भी पड़ सकते हैं। यहाँ सिक्का सिर्फ विचार के द्वारा ही
आपको गर्म लगने लगा था। यदि आपने यह सोचा होता कि आपकी हथेली पर रखा सिक्का ठंडा
है तो क्या आपकी त्वचा लाल हुई होती?
यदि आप यह विश्वास कर चुके हैं (लेकिन मेरे खयाल से आप अभी करेंगे
नहीं) कि एक अमुक विचार से कुछ ही सैकंड में पदार्थ अपनी अवस्था बदल सकता है। तो
एक उपयुक्त विचार ट्यूमर (कैंसर) की अवस्था में बदलाव क्यों नहीं कर सकता है। कई
वर्षों से आत्मदर्शन के प्रशिक्षक श्री कार्ल सिमोन्टन यही बात साबित करने की
कौशिश तो कर रहे हैं। लोथर हरनाइसे (कुछ बिंदुओं को छोड़ कर) उनकी शोध का बहुत सम्मान
करते हैं। अपने कई प्रयोगों से कार्ल ने यह सिद्ध किया है कि कैंसर के वे रोगी
अधिक समय तक जीवित रहे जिन्होंने आत्मदर्शन विधा को सही ढंग से अपनाया था। सिमोन्टन
अपने कैंसर के रोगियों को सिखाते हैं कि
वे यह कल्पना करें कि उनकी श्वेत-कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं पर आक्रमण कर रही हैं,
उन्हें नेस्तनाबूत कर रही हैं। लेकिन लोथर इस तरह के विचार से सहमत नहीं है।
क्योंकि पहले तो इस विचार में रोगी अपने ट्यूमर पर ध्यान कैंद्रित करता है जबकि वे
यह मानते हैं कि मुख्य समस्या कुछ और है ट्यूमर का महत्व द्वितीयक है। दूसरा रोगी
अपने शरीर में एक युद्ध का विचार मन में लाता है, जब कि वे शत प्रतिशत यह मानते
हैं कि कैंसर के रोगी को संतुलन और तारतम्य (Harmony) की आवश्यकता होती है, न कि युद्ध की कल्पना करने
की।
श्री लोथर ने कैंसर के सैंकड़ों विजेताओं से साक्षात्कार किया है और
वे इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि कैंसर का रोगी अपने ट्यूमर से सीधा सामना करने से
बचता है, लेकिन अपने स्वस्थ भविष्य की सुखद कल्पनाओं में डूबे रहना पसन्द करता है।
हालांकि हर रोगी की अपनी अलग तकनीक होती है, लेकिन सबका अंत समान ही होता है, अपने
सुखद भविष्य का सृजन करना। लोथर यह मानते हैं कि उनके 3E कार्यक्रम में सबसे अहम कोई
बिंदु है तो वह आत्मदर्शन ही है। क्योंकि यदि अपना भविष्य हम सृजन नहीं करेंगें तो
और कौन करेगा? कृपया अपनी समय रेखा का पुनः अवलोकन कीजिये और
विचार- वस्तु रेखा से इसकी तुलना कीजिये।
विचार
वस्तु
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भूतकाल
भविष्य
------------------------------------------------------------------------------------------>
दोनों रेखाएं एक ही दिशा में चल रही हैं और दोनों पीछे नहीं मुड़ती
हैं। आप इनमें से किसी भी रेखा को पीछे नहीं मोड़ सकते हैं। इसलिए आज से ही
प्रारंभ करें, खुद अपने भविष्य का सृजन करना शुरू करें।
नीचे मैं आपको श्री लोथर की तकनीक को विस्तार से समझाने की कौशिश
करूँगा, जो उन्होंने अपने मित्रों और यूरोप के प्रसिद्ध आत्मदर्शन के प्रशिक्षक
जेक ब्लैक और क्लॉस पर्टल से सीखी है। पिछले कुछ वर्षों में ग्लॉसगो के जेक ब्लैक ने अपनी माइंड स्टोर सिस्टम 50,000 से ज्यादा
लोगों को सिखाया है। वे कई विख्यात लोगों और कम्पनियों के कंसल्टेंट है। लोथर कहते
हैं कि कैंसर के हर रोगी को जेक ब्लैक (अंग्रेजी) या क्लॉस पर्टल (जर्मन) के
सेमीनार में जाकर आत्मदर्शन की तकनीक सीखना ही चाहिये।
आमतौर पर कैंसर का रोगी यह सोचता है कि उसके लिए सबसे मुख्य काम
ट्यूमर को नष्ट करना है, जब ट्यूमर से मुक्ति मिल जायेगी तब वह कोई आध्यात्मिक
उपचार को अपनायेगा। लेकिन यह बहुत जोखिम भरा निर्णय है। यह बहुत जरूरी है कि रोगी
ट्यूमर को खत्म करने के उपचार के साथ ही आत्मदर्शन तकनीक से अपने सुखद भविष्य का
सृजन भी करना शुरू करे।
कैसे? यह शब्द भी बहुत महत्व
रखता है क्योंकि यह कई अहम निर्णय लेने में व्यवधान पैदा करता है। प्रायः जिन
लोगों ने कभी ध्यान (Meditation)
नहीं किया है या जिनके विचार आध्यात्मिक नहीं हैं, आत्मदर्शन के महत्व को नहीं समझ
पाते हैं। इसलिए यह सोचने की गलती मत
कीजिये कि यह आत्मदर्शन कैसे ट्यूमर को नष्ट करेगा, बल्कि मुझ पर और लोथर पर
विश्वास कर लीजिये कि यह कार्य करता है।
वैसे आपको आत्मदर्शन सिखाने वाले कई प्रशिक्षक मिल जायेंगे। लेकिन
अधिकांश प्रशिक्षकों को कैंसर के रोगियों को आत्मदर्शन सिखाने का अनुभव नहीं होता
है। वे आठ दिन तक आपको अधूरा ज्ञान देते हैं, और कुछ ही दिनों में आप फिर सब कुछ
भूल जाते हैं। एक अच्छे प्रशिक्षक की पहचान करना भी कठिन काम है।
संक्षेप में मैं यही कहूँगा कि आप अपने प्रशिक्षक से अपने भविष्य को
सुखद बनाने की तकनीक सीखें। भूत या वर्तमान पर अधिक ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
लोथर कहते हैं कि यदि आप अपने भूतकाल के बारे में जानते हैं तो भविष्य को बदलना
आसान रहता है। लोथर यह नहीं कहते हैं कि रोगी अपने भूतकाल के बारे में बिलकुल नहीं
सोचे, आप उन्हें गलत मत समझिये। कैंसर के उपचार में भविष्य के सृजन पर पर्याप्त
ध्यान देना आवश्यक होता है।
नदिया के दांये तट पर आपका ड्रीम हाउस
अपने शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए बहुत जरूरी है कि आप
बिलकुल शांत (Relaxed State) होकर विचार और सृजन करना शुरू करें। शान्त होना पहली प्रक्रिया है। इसके
लिए आपको अल्फा स्थिति में आना जरूरी है। अल्फा शब्द का मतलब मस्तिष्क की शांत अवस्था
है। जैसे ई.ई.जी. में मस्तिष्क की चेतना का चित्रण होता है। मस्तिष्क में शांत
अवस्था (7-14 hertz))
में उत्पन्न तरंगों को अल्फा तरंग कहते हैं (बीटा, थीटा और डेल्टा अन्य
तरंगें होती हैं)। मन को शांत करने के लिए कई तकनीकें या मेडीटेशन सिखाया जाता है।
इसके लिए कुछ पुस्तकें और सी.डी. भी मिल जाती हैं। या आप शास्त्रीय संगीत भी सुन
सकते हैं।
जब आप शांति की गहन अवस्था को पूरी तरह प्राप्त करलें, तभी आप कल्पना
करना शुरू करे। आप सोचिये कि आप एक शांत नदी के दाएं तट पर चलते जा रहे हैं। थोड़ा
आगे चल कर आप दाई तरफ मुड़ते हैं। आपको नीला आकाश और हरियाली दिखाई देती है।
हरे-भरे पेड़ों के बीच में एक सुन्दर सा घर दिखाई देता है, जिसकी छत लाल रंग की है
(कृपया अपने ड्रीम हाउस की कल्पना कीजिये) । अब आप घर में प्रवेश करते हैं और एक
सुन्दर से स्नान घर में जाते हैं, जहाँ एक शावर लगा है। शावर के नीचे खड़े होकर आप
अपनी सारी नकारात्मकता को धो डालते हैं।
इसके बाद आप सूर्य की सुनहरी धूप में बैठते हैं, जहाँ कुछ ही पलों में तेज
धूप आपके शरीर को सुखा देती है।
इसके बाद आप एक स्क्रीन रूम में जाते हैं। आपके सामने वाली दीवार पर
तीन बड़े स्क्रीन लगे हैं। आप स्क्रीन के सामने एक सोफे पर आराम से बैठ जाते हैं।
आपके हाथ में रिमोट कंट्रोल होता है। बांई तरफ का स्क्रीन भविष्य के दृश्य बताता है, दाहिनी तरफ का स्क्रीन
भूतकाल के दृश्य दिखाता है और बीच का स्क्रीन वर्तमान के दृश्य दिखाता है। आपको जो
कुछ भी समस्या हो आप रिमोट से बीच का स्क्रीन चालू कीजिये। आप यह स्वीकार कीजिये
कि आपके पहले भी कई लोगों को यह तकलीफ हो चुकी है। अब आप दाहिनें स्क्रीन को चालू कीजिये। आप भूतकाल में यह देखिये कि क्या
आपको पहले भी यह तकलीफ हुई थी? यदि हुई थी तो क्या आपने इसका समाधान ढूँढ़ लिया था? आमतौर पर वर्तमान की चुनौतियों का समाधान भूतकान में नहीं मिलता है। लेकिन यदि कोई तकलीफ जीवन में दो बार घटित हो
जाये, तो भूतकाल में उसका समाधान ढूँढ़ना बहुत हितकर होता है। अब आप रिमोट कंट्रोल की मदद से इस स्क्रीन की तस्वीर को छोटा करके पॉज कर दें। इसके बाद आप
रिमोट कंट्रोल की मदद से बीच वाले स्क्रीन की तस्वीर को भी छोटा कर दें और पॉज का
बटन दबा दें।
अब आप शांत होकर बाएं स्क्रीन को चालू करें और अपनी समस्या का समाधान
खोजने की कौशिश करें। ऐसी स्थिति की कल्पना कीजिये जहाँ आपकी समस्या पहले ही ठीक
हो चुकी है। जैसे आपकी बाई जांघ में एक ट्यूमर है, जिसकी वजह से आप चल भी नहीं
पाते हैं। अब आप कल्पना कीजिये कि पर आप दोस्तों के साथ स्कीइंग कर रहे हैं। आप बर्फ की चोटियों,
सर्द हवाओं, दोस्तों के हंसने की आवाजें और आपकी तेज चलती सांसों को महसूस कीजिये।
अब इन तस्वीरों को बड़ा करें, उनकी ब्राइटनेस बढ़ाएं और अपने शरीर पर इन तस्वीरों
के प्रतिबिंब को अनुभव करें। जब भी वक्त मिले आप रोज स्क्रीन रूम में जाइये और
स्वयं को स्कीइंग करते हुए निहारिये। अब आपको बीच या दाहिने स्क्रीन पर देखने की जरूरत नहीं है। सीधे बांए स्क्रीन पर देखिये।
आपका अगला कार्य अपने स्कीइंग के इस वीडियो को एक केसेट में रिकॉर्ड
करना है। अब इस वीडियो टेप को अपने सामने एक टेबल पर रखे "यूनीवर्स वीडियो रिकॉर्डर" में डालिये और इस रिकॉर्डिंग को पूरे संसार में
रिले कर दीजिये। यह बहुत जरूरी बात है। इससे आपके सभी लोग आपके भावी उद्देष्य के
अवगत हो जायेंगे। इस तरह अचानक दूसरे लोग जो आपकी मदद करना चाहते हैं, आपके जीवन
में आ जायेंगे। इसके बाद आप घर से बाहर निकलें और नदी के किनारे लौट आयें। सात तक
गिनती करें और आत्मदर्शन के सत्र का समापन कर दें।
मैं जानता हूँ कि शुरू में आपको यह सब समझ के परे की बात लगेगी। लेकिन
मुझ पर विश्वास कीजिये, जल्दी ही आपको इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। यदि
आपको फिर भी विश्वास नहीं है तो आप यह छोटी सी तकनीक आजमा कर देखिये। मसलन
एयरपोर्ट या रेल्वे स्टेशन पर पार्किंग प्लेस के बारे में विचार कीजिये या अपने
बिजनेस पार्टनर्स के साथ मीटिंग के परिणाम के बारे में सोचिये। यदि यह छोटा सा
टोटका काम करता है तो कोई बड़ी बात के बारे में कल्पना कीजिये। जब पूरा
आत्मविश्वास हो जाये तब अपना भविष्य संवारना शुरू कीजिये।
एक बात का विशेष ध्यान रखिये कि अंत हमेशा सबके लिए सुखद होना चाहिये।
अपने फायदे के लिए किसी का नुकसान नहीं होना चाहिये।
नदिया के दांये तट पर अपने मकान में कुछ और कमरे बनवाइये
नदिया के किनारे स्थित आपके ड्रीम हाउस में कुछ और कमरे भी बनवा सकते
हैं। जैसे आप एक कमरा अपने लिए विश्राम करने और रिलेक्सेशन के लिए बनवा सकते हैं,
जहाँ आप दर्द होने पर रिलेक्स होने के लिए जा सकते हैं। आप एक गोष्ठी के लिए बैठक
बनवा सकते हैं। इस बैठक में आप महत्वपूर्ण लोगों को बुला सकते हैं और उनकी अमूल्य
राय ले सकते हैं। आप किसी भी हस्ती को जैसे महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद,
आइंस्टीन, लोथर हरनाइसे, डॉ. बुडविग,
प्रोफेसर अब्दुल कलाम और मदर टरेसा को बुलवा कर आमने-सामने बैठ कर अपनी समस्या के
बारे में उनकी राय ले सकते हो।
आप अपने सारे रिश्तेदारों और करीबी दोस्तों को बुलवा कर एक समारोह का
आयोजन कर सकते हैं। सब लोग आपके सामने कुर्सियों पर बैठे होगे और आप मंच पर खड़े
होकर अपनी स्कीइंग या अमरनाथ की यात्रा के अनुभवों को रोचक ढंग से बता रहे हैं। सारांश यह है कि कहानी कुछ भी हो आप स्वस्थ हैं
और आपको स्वस्थ हालत में सब देख रहे हैं। इसलिए ये सब भी आपको अपना सुखद भविष्य
बनाने में मदद करेंगे।
एक प्रश्न अक्सर पूछा जाता है कि नदिया के दाहिने किनारे बने मकान में
कितनी बार जाना चाहिये। वैसे तो कोई निश्चित नियम नहीं हैं। फिर भी इस बारे में
लोथर यही कहते हैं कि जब भी वक्त मिले मकान में जरूर जाइये। यदि आपकी तकलीफ गंभीर
है तो आपको दिन में कई बार जाना चाहिये।
आत्मदर्शन स्वास्थ्य में जबर्दस्त सकारात्मक परिवर्तन लाता है। इसमें
कोई खर्चा नहीं होता है और यह तकनीक 100% काम करती है। इस तकनीक को आप गंभीर रोगों के उपचार, जीवन को खुशहाल
बनाने या आर्थिक सफलता पाने के लिए प्रयोग कर सकते हैं। इस विधा से आप अपने भविष्य
को जैसा चाहो वैसा बना सकते हो।
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डा. साहब आपके विचार बहुत उत्तम है। लेखन शैली सरल है। वेसे आप विशेष रुप कैंसर के बारे में लिखा है। परन्तु इन विचारो के साथ तो कौई भी अपनी सारी समस्याओं और बीमारियों पर विजय पा सकता है। परन्तु यहां मैं इतना जोड़ना चाहता कि जैसे नये चालक भीड़ वाली जगह पर गाड़ी न चलाकर कम भीड़ वाली जगह पर गाड़ी चलाकर धीरे-धीरे समय के अनुभव लेकर कहीं भी गाड़ी चलाने में सक्षम हो जाता है। वैसे इन विचारो के साथ कोई भी व्यक्ति अपनी छोटी-छोटी समस्याओं पर अनुभव करके बड़ी समस्य़ाओं पर विजय पा सकता है।
श्री अजीत मिश्रा जा आपने सही कहा है। एक तो इसके पहले (मेडीटेशन आदि के द्वारा) पूरी तरह रिलेक्स होना जरूरी है, तभी आप अपने अवचेतन मन से जुड़ोगे तभी यह कार्य करेगा, वर्ना नहीं... अंत में शुक्रिया...
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