मुंबई हमले के
आतंकी कसाब की फांसी को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। खासकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स
पर कसाब को फांसी की खबरें खूब तैर रही हैं...भारतवासी खुशी का ईजहार कर रहे हैं
तो कई ऐसे कमेंट भी इन साइट्स में तैरते हुए नजर आए जो कसाब की फांसी पर सवालिया
निशान लगाते दिखे। खासकर क्या कसाब की मौत डेंगू से हुई है...? जैसे पोस्ट ने कहीं न कहीं लोगों को ये सोचने पर जरूर मजबूर कर दिया है कि आखिर कसाब की मौत का सच क्या है...? क्या
सरकार ने डेंगू से कसाब की मौत होने के बाद उसे फांसी का रूप देने की कोशिश की गई
और शायद इसलिए ही फांसी को पूरी तरह से गुपचुप रखा गया। ये सवाल इसलिए भी उठता है
क्योंकि कहीं न कहीं कसाब और उसके जैसे कई लोगों को फांसी की सजा मुकर्रर होने के
बाद भी लंबे समय तक उन्हें फांसी पर नहीं लटकाया गया। खैर ऐसे कई सवाल और भी हैं
मसलन संसद पर हमले के आरोपी अफज़ल गुरु का क्या होगा...? उसे कब कसाब की तरह फांसी देकर उसके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। देर सबरे
कसाब को गुपचुप दी गई फांसी और अफजल गुरु को कब फांसी पर लटकाया जाएगा इसका जवाब
भी सामने आ ही जाएगा। कसाब की फांसी को दूसरे पहलू से देखें तो एक और सवाल उठता है
कि अगर वाकई में कसाब की मौत डेंगू से नहीं बल्कि उसे फांसी दी गई है तो फिर सरकार
ने कसाब को फांसी देने के लिए शीतकालीन सत्र से ठीक पहले का वक्त क्यों चुना...? इस वक्त को सिर्फ शीतकालीन सत्र से पहले के वक्त के तौर पर न देखा
जाए...क्योंकि ये वक्त 2014 के आम चुनाव से ठीक पहले का भी वक्त है। क्या यूपीए
सरकार ने 2014 के आम चुनाव में कसाब की फांसी के बहाने देश की जनता की सहानुभूति
बटोरने की कोशिश करते हुए वोटों को साधने की कवायद तो नहीं की है...? इन सारे पहलुओं को जोड़ा जाए तो सामने आता है कि वर्तमान में यूपीए सरकार
अपने कुछ फैसलों को लेकर खासी मुश्किलें में घिरी हुई है और जिसमें भ्रष्टाचार,
घोटाले, एफडीआई और महंगाई खास हैं। 22 नवंबर से शुरु हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र
में जहां विपक्षी दलों ने सरकार को एफडीआई के मुद्दे पर घेरने की पूरी तैयारी कर
ली है वहीं अविश्वास प्रस्ताव की तलवार भी सरकार के सिर पर लटक रही है। ऐसे में
क्या शीतकालीन सत्र से ठीक पहले मुंबई हमले के दोषी आतंकी कसाब को फांसी देने का
सरकार का फैसला क्या इन मुद्दों से विपक्ष और जनता का ध्यान हटाने की कवायद तो
नहीं है...?
deepaktiwari555@gmail.com
2 comments:
इस देश की सरकार की बहादुरी देखो, कि वो कसाब को फांसी देने में सफल हो गई (चाहे चुपके से ही ) .
पर ऐसा वो आगे नहीं करेगी .
आखिर ऐसा करने से देश की शान्ति को ख़तरा है.
अगर कहीं देश द्रोही नाराज हो गए तो , देश में बलवा हो जायेगा, सरकार गिर जायेगी .
इस देश की सरकार की बहादुरी देखो, कि वो कसाब को फांसी देने में सफल हो गई (चाहे चुपके से ही ) .
पर ऐसा वो आगे नहीं करेगी .
आखिर ऐसा करने से देश की शान्ति को ख़तरा है.
अगर कहीं देश द्रोही नाराज हो गए तो , देश में बलवा हो जायेगा, सरकार गिर जायेगी .
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