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31.12.12

वो 2012 की बात थी...


लो 2013 भी आ गया...वक्त है नई शुरुआत की...नई ऊर्जा, नए जोश और नई उमंग से आगे बढ़ने का। बीते हुए कल से कुछ सीख कर आगे बढ़ने का। उन बातों को...झगड़ों को आपसी मनमुटाव को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने का जो जाने आनजाने बीते साल में कुछ कड़वाहट घोल गए। 2011 के बाद 2012 का सफर भी कुछ इसी अंदाज में करने की मैंने भी पूरी कोशिश की थी लेकिन कहते हैं न कि सब कुछ आपके मन मुताबिक हो ऐसा संभव नहीं है। 2011 में नोएडा में नौकरी करने के दौरान देहरादून में नौकरी का बेहतर अवसर मिला। बेहतर अवसर जान 17 जनवरी 2012 को मैंने देहरादून में नेटवर्क 10 समाचार चैनल के साथ एक नई शुरुआत की। 2008 से अपने गृह प्रदेश उत्तराखंड से दूर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में उसके बाद ग्वालियर और ग्वालियर से दिल्ली तक का सफर तय किया। इस दौरान नए प्रदेश में नए शहर में नए लोगों के बीच काम करने का अनुभव बेमिसाल था। बहुत कुछ जानने- सीखने को मिला और कई नए दोस्त भी बने। 2012 में वापस उत्तराखंड में काम करने का अवसर मिला तो काफी जद्दोजहद के बाद देहरादून में नेटवर्क 10 समाचार चैनल के साथ जुड़ने का फैसला लिया। नए संस्थान में नए लोगों के बीच सामंजस्य बैठाने में समय लगता है लेकिन इसमें मुझे बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। नया चैनल था तो सभी साथियों में जोश था अपने संस्थान को नंबर वन बनाने की ललक थी। काफी हद तक उत्तराखंड में लोगों के दिलों में जगह बनाने में हम सफल भी हो गए। उत्तराखंड का 24 घंटे का एकमात्र समाचार चैनल होने के कारण भी हमको लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने में ज्यादा वक्त नहीं लगा और कम समय में हमने एक मुकाम को हासिल किया। दर्शकों का हमें बेपनाह प्यार और साथ भी मिला जिसकी गवाह क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मुद्दों पर हमारे विशेष कार्यक्रम में दर्शकों के कभी न बंद होने वाली फोन कॉल्स थी। बस जरूरत थी तो दर्शकों के इस प्यार और विश्वास को बरकरार रखने की जो किसी भी संस्थान के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। हम हर तरह की चुनौती का सामना की पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन संस्थान में इस दौरान कई बार हुई प्रबंधकीय उठापठक इस कोशिश को कमजोर कर देती थी। लेकिन हल्के से ठहराव के आगे भविष्य में बेहतरी की उम्मीद लिए सभी कर्मचारी एक बार फिर से अपनी कोशिश को साकार रूप देने में जी जान से जुट जाते थे। इस बीच संस्थान को कई बार खराब आर्थिक हालात का भी सामना करना पड़ा जिसका खामियाजा कर्मचारियों को भी कई बार भुगतना पड़ा लेकिन पहले दिन से संस्थान के साथ जुड़े सभी कर्मचारियों का संस्थान से भावनात्मक लगाव ही था कि इस सब के बाद भी कर्मचारियों का जोश ठंडा नहीं हुआ। स्थितियों में सुधार की उम्मीद के साथ कई लोग संस्थान के साथ जुड़े रहे तो कई लोगों ने इस बीच संस्थान को बॉय बॉय भी कर दिया। 2012 गुजर गया और 2013 का आगमन हो गया लेकिन बीते एक साल में संस्थान ने अपने बहुत ही कम समय में न सिर्फ अपने सर्वोच्च शिखर को छुआ बल्कि कई बार ऐसी स्थितियां आई की लगने लगा कि इसका जीवन सिर्फ 365 दिनों का ही है। बहरहाल 2013 के रूप में नया साल सामने है और नए साल में नई सोच, नई आशा, नई उम्मीद, नए सपने, नए जज्बे के साथ एक नई ऊर्जावान शुरूआत करने के लिए एक बार फिर से कमर कस ली है। इसी उम्मीद के साथ कि बीते साल की तरह मुश्किल दौर भी बीते दिनों की बात हो जाएगी और नया साल 2013 सफलता के नए आयाम गढ़ेगा आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

deepaktiwari555@gmail.com

2 comments:

प्रेम सरोवर said...

आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। नव वर्ष 2013 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। धन्यवाद सहित

Jyoti Mishra said...

thanks Ankur.. for visiting me
n happy new year to u too !!