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15.3.18

कांग्रेस : प्रधानमंत्री देने वाले सूबे में कुगत पर भी शर्म नहीं

यूपी में तो 'बताशे फिंक' चुके हैं पार्टी के,  जमानत जब्ती के आईने में सूरत देखिये... 

सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस पार्टी ने पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में पेट भर कर धूल चाटी। अब दो उपचुनाव में चारों खाने चित्त। उस पर भी तुर्रा ये कि बीजपी की हार, सपा की जीत पर कांग्रेसी बम बम हो रहे हैं..! शर्म हया बची है कि नई..हैं.!  बड़े आये 'अब्दुल्ला दीवाना' बनने। बीते बरस कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था। ख़ुद तो डूबे ही सनम यार को भी ले डूबे। इतिहास की सबसे करारी हार के बाद भी सबक नहीं सीखा और मुंह उठाये चले आये गोरखपुर, फूलपुर के मैदान में।

दुअन्नी भर औकात नहीं थी फिर भी लड़ पड़े। सपा, बसपा ने सियासी सयानापन दिखाया और बीजपी के गढ़ मिट्टी में मिला दिए। और ये वो उत्तर प्रदेश है जिसने देश को चार चार कांग्रेसी पीएम दिए हैं..नेहरू, शास्त्री, इंदिरा और राजीव। वीपी सिंह को भी कांग्रेसी ही माने तो पांच। हद ये कि फूलपुर तो ख़ुद पंडित जवाहरलाल नेहरू की सीट रही। आज़ादी के बाद लागातार तीन बार यहां से जीते। बाद में नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित और वीपी सिंह भी यहां से जीते। उस फूलपुर में आपकी जमानत जब्त हो गयी और आप बीजपी के हारने पर झांझ, मंजीरे, खड़ताल लेकर लांगुरिया गा रहे हैं ,नाच रहे हैं। शर्म, हया बची है कि नही..?

और गोरखपुर...वो तो हिन्दू महासभा और ,बीजपी का मठ हमेशा से रहा आया। इक्का दुक्का जीत के सिवा कांग्रेस का मुंह भी नहीं देखा गोरखधाम ने। 1980 में हरिकेश बहादुर जीते थे बस। इस अभेद्य मठ को ढहाने का श्रेय सपा सुप्रीमो अखिलेश और बसपा सुप्रीमो मायावती को ही जाता है। ये बहुत बड़ी जीत है। साइकिल पर बैठ कर हाथी के "भांगड़ा गिद्दा" करने का मौका.! लेकिन आप कौन...? खाली पीली अब्दुल्ला दीवाना होने से जग हंसाई ही करवा रहे हैं आप। मान लीजिए.. यूपी में आपकी पार्टी के 'बताशे फिंक' चुके हैं..! 'बताशे फिंकने' का मतलब समझते हैं न...! बड़े आये सोशल मीडिया पर भौकाल मचाने वाले।  जाइये पहले गोरखपुर, फूलपुर की 'जमानत जब्ती' के आईने में सूरत देखिये अपनी।

डॉ राकेश पाठक
प्रधान संपादक, कर्मवीर

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