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29.11.20

यूट्यूब पर फर्जी पत्रकारों की बाढ़

akhilesh dubey
akhileshd884@gmail.com
    

अण्डरकवर जर्नलिज्म यानी स्टिंग ऑपरेशन के नाम पर सिवनी  में फर्जी पत्रकार गैंग की वसूली का दौर निरंतर चल रहा है। अखबारों, अलंकार, अनुप्रास और शब्दों के जाल से कोसों दूर इस गैंग ने अलग-अलग नाम से कई तरह के यू-ट्यूब चैनल बना रखे हैं, जिस पर केवल और केवल स्टिंग ऑपरेशन कर बद्नीयति से वीडियो लोड किया जाता है, उसके बाद वसूली का खेल शुरू हो जाता है। जिसमें एक से अधिक लोग मिलकर इस वसूली के षड्यंत्र को अंजाम देते हैं।

 
सिवनी।वसूली का यह गोरख धंधा शहर के कई फर्जी पत्रकार, जिन्हें कलम पकडऩा तक नहीं आती वे सवेरे से शिकार की तलाश में निकल पड़ते हैं।  ऐसे कई यू-ट्यूब कथित पत्रकारों की शिकायत मिली हैं, जो समय-समय पर वसूली को लेकर कई स्टिंग ऑपरेशनों के माध्यमे से अच्छाखासा पैसा ऐंठ चुके हैं। ऐसी घटनाओं के बाद यह सवाल जरूर उठने लगे हैं कि चैनल का स्टिंग ऑपरेशन करने वाला विंंग यानी एसआईटी का उद्देश्य आखिर होता क्या है?, क्या धन की उगाही करना? इन कथित यू-ट्यूब पत्रकारों के खिलाफ मिली शिकायत पर यदि गौर किया जाता तो यह सामने आता है कि सच को दिखाने का दावा करने वाली इस वसूली गैंग का मकसद केवल धन उगाना है। जहां तक पुलिस प्रशासन की बात की जाए तो एक मोबाइल और आईडी के सम्मान में वह इस लुटेरी गैंग से पूछताछ करने में भयभीत होती है।

हब लोक टीप-टॉप बनकर बकायदा वसूली पर निकल पड़ते हैं ऐसा लगता है कि यह स्थापित समाचार पत्रों चैनलों से भी बढ़कर है।आम जनता और शासकीय कर्मचारी(जो भ्रष्ट हैं )वह इन्हें हवा दे रहे हैं।आलम यह है कि प्रेस का सम्मान तो नहीं दहशत होती जा रही है।

जी हां इन दिनों सिवनी नगर में  यूट्यूब चैनल पर चलने वाले पत्रकारों की भरमार कुछ ज्यादा ही हो गई है जिला जनसंपर्क विभाग  में भले ही इन तथाकथित पत्रकारों ( संबंधित यूट्यूब न्यूूज चैनलों से नियुक्ति पत्र भी नहीं जमा है ) सुबह से निकल जाते हैं टिपटॉप होकर यह यूट्यूब चैनल के पत्रकार सुबह से ही बैग टांगे निकल जाते हैं जैसे कि बड़े लाइव कवरेज में जा रहे हैं यह तथाकथित पत्रकार लोगों को बड़े-बड़े बोल ब'चन देते हैं।अपने आपको बताते हैं जिले का सबसे बड़ा पत्रकार । कुछ संस्थाओ तो ऐसी है जो 1000 रुपये से 5000 हजार रुपये जमा करवाकर अपनी संस्थान का कार्ड भी बना देती है । इन फर्जी पत्रकारों ने विजिटिंग कार्ड भी छपवा रखे है। जो लोग पुलिस की चेकिंग के दोरान उनको प्रेस (मीडिया) की धोस भी दिखाते है। गा?ी रोकने पर पुलिस से बदतमीजी करते है । इनमे से बहुत से पत्रकार है जो भूमाफिया और अपराधी है जिनपर न जाने कितने अपराधिक मुकदमे भी दर्ज है प्रेस मीडिया छपवा कर मीडिया को बदनाम कर रहे है  ये फर्जी पत्रकार प्रशासन और पुलिस को धोखा देते हुए कई सारे असामाजिक कार्यों में भी लिप्त जैसे प्रतीत होते हैं ये समस्या सिर्फ सिवनी शहर की नहीं बल्कि हर ?िले और कस्बे की है,  ने इस विषय पर सुझाव दिया कि जिला पुलिस प्रशासन को इस ओर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है

इस संबंध में उल्लेख करना लाजमी होगा कि समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों का रजिस्ट्रेशन प्रेस ऑफ इंडिया के भारतीय समाचार पत्र कार्यालय से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन विभाग से रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़पेपर ऑफ इंडिया से अनुमोदित होते हैं रजिस्टर समाचार पत्र आरएनआई प्राप्त कर संबंधित क्षेत्र के जिला अनुविभागीय अधिकारी और जनसंपर्क अधिकारी से अनुमोदित होता है। देखा जा रहा है कि इन दिनों ना जाने क्यों पत्रकारिता का स्वरूप ब्लैकमेलर हो चला है। इसका कारण सोशल मीडिया और यूट्यूब में  खबरें बनाकर टूटी-फूटी भाषा से संवाद संप्रेक्षण है। कोई भी ऐसा कर और अपनी लाइक्स के आधार पर अपने आप को पत्रकार समझने लग जाता है। इन दिनों ऐसे तथाकथित पत्रकारों की बाढ़ सी आ गई है। इस संबंध में और ऐसे उगाए तथाकथित पत्रकारों की लंबी फेहरिस्त के बारे में जब राष्ट्र चंडिका ने जनसंपर्क अधिकारी से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि डी ब्लॉक और राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त 26 जनवरी पर निकलने वाले समाचार पत्रों पर हमारा नियंत्रण नहीं है या आरएनआई का क्षेत्र अधिकार है हम इस पर कुछ नहीं कर सकते।

जनसंपर्क अधिकारी सिवनी के इस खुलासे  से यह साफ हो गया कि या तो वह असहाय हैं या वह जानबूझकर ऐसे तथाकथित पत्रकारों को संरक्षण दे रहे हैं।

स्टिंग ऑपरेशन को घात पत्रकारिता या डंक पत्रकारिता भी कहा गया है। दरअसल घात पत्रकारिता खोजी पत्रकारिता की कोख से ही निकली है, लेकिन इस तरह की गैंग स्टिंग ऑपरेशन के नाम पर वसूली को अंजाम दे रही हैं। इन ऑपरेशनों में बड़े व्यापारियों को पुख्ता सबूतों के साथ फंसा लिया जाता है और उसके बाद सोशल मीडिया पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इमेज डालकर वसूली का खेल खेला जाता है। फर्जी पत्रकार कहें या मार्केट माफिया इस तरह की गैंग विज्ञापनों के खेल में भी लाखों के वारे-न्यारे करती है। इनमें ऐसे कई यू-ट्यूब चैनल संचालक भी हैं, जो कई मर्तबा कानून के हाथों में आ चुके हैं,    उल्लेखनीय है कि राजस्थान के बीकानेर कलेक्टर ने इस तरह के स्टिंग ऑपरेशन को लेकर कड़े नियम की दरकार करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखा था। उसके बाद राजस्थान सरकार ने इस तरह के फर्जी यू-ट्यूब पत्रकारों पर शिकंजा कसने की कार्रवाई शुरू की थी।  

सिवनी शहर में इस तरह के यू-ट्यूब पत्रकारों की बाढ़ आई हुई है। इन यू-ट्यूब पत्रकारों के पास किसी भी तरह के दैनिक या साप्ताहिक अखबार का आरएनआई नहीं है और न ही ये फर्जी पत्रकार शहर की मुख्यधारा की पत्रकारिता में सक्रिय हैं।  वह इलैक्ट्रोनिक मीडिया को भी शर्मशार कर रहा है। किसी भी परिस्थिति को वीडियो  या फोटो से जोड़कर गलत तरीके से  खबरों को चलाने धमकाने और उगाही में बढ़-चढ़कर इस तरह के स्वयंभू पत्रकार यूट्यूब फेसबुक व्हाट्सएप ग्रुप का भी भारी मात्रा में दुरुपयोग कर रहे हैं. इसमें समझने वाली बात यह है कि इन फर्जि पत्रकारों ने अब प्रिंट मीडिया में भी सेंध लगा दी है। बकायदा इसके लिए आरएनआइ(अखबार पंजीकरण संस्था भारत)में अखबार का पंजीकरण करवाकर अखबार के संपादक ,प्रधान संपादक और मालिक बन कर इनके द्वारा लोगों के समक्ष रौब गाठा जा रहा है। अखबार पंजीकरण प्रक्रिया की लचीली व्यवस्था का नतीजा है कि इस तरह के लोग भी अखबार पंजीकरण करवा रहे है।

इनकी कार्यशैली हमेशा ही संशय के घेरे में रहती है क्योकि जनता और  अधिकारियों को, जिस तरह से इन्होने भ्रमजाल में फंसाया हुआ है यह इसका फायदा उठाने से, कभी नही चूक रहे है।  शहर में कोई भी इनसे अछूता नही है जिन्हे इन फर्जी पत्रकारों ने परेशान नही किया हो । अवैध कमाई का जरिया बना चुके पत्रकारिता को इनके द्वारा बदनाम किया जा रहा है।

लोगों से अवैध वसूली कर रहे यह लोग पत्रकारिता के स्तर को निम्न करने में लगे हुए है। जिसका खामियाजा सही और प्रोफशनल पत्रकार भुगत रहे है। अब देखना यह है कि इस तरह के फर्जी पत्रकारों के जमावडे के रोकथाम के लिए प्रशासन क्या कर सकता है। अगर आपका किसी ऐसे फर्जी पत्रकार से सामना होता है या फिर हुआ है तो आप उसकी जानकारी हमें इस पर भेज सकते है  हम ऐसी समाज में भ्रम और अराजकता की जानकारी लोगों तक पहुचायेंगे जिससे आम आदमी से लेकर अधकारिओ तक ऐसे लोगों से बचने का रास्ता निकला जा सके।

1 comment:

विजय ग्रेवाल said...

इन फर्जी पत्रकारो के लिए कही ना कही हम सब जिम्मेदार है जी ।