सत्येंद्र कुमार-
गोरखपुर
: गाड़ियों में लाखों रुपये खर्च करने वालों का खुदा ही मालिक है । इनकी
लाखों की गाड़ी कब इनके लिए कब्रगाह बन जाये कुछ कह नही सकते । तमाम सुरक्षा
फीचर के दावे करने वाली गाड़ी कंपनियों का हाल यह है कि जान पर बन आने के
बाद भी ये लोग इन घटनाओं को सीरियसली नही लेते । बड़े अरमान से साल भर पहले
हमारे मित्र ने भी 24 लाख रुपये में चारपहिया वाहन टाटा हैरियर खरीदा था ।
लेकिन इनकी यही 24 लाख की उड़नखटोला इनकी कब्रगाह बन गयी होती । कल दोपहर के
समय गाड़ी चलाते वक्त इनकी गाड़ी के अंदर अचानक धुआँ उठने लगा । धुएँ की
रफ्तार बढ़ने पर जैसे ही इन्होंने ब्रेक लगाया कि गाड़ी बीच सड़क पर जेल में
तब्दील हो गयी । गाड़ी के सारे सिस्टम लॉक हो गए । अब गाड़ी न आगे जा पा रही
थी न पीछे । ट्राफिक जाम हुआ तो अंदर इन्हें फंसा देख जनता जनार्दन ने जैसे
तैसे इन्हें बाहर निकाला ।
ये
महाशय तो बच गए लेकिन कंपनी इतना सब कुछ होने पर भी बेहयाई पर उतर आई ।
कंपनी का कहना है ऐसा हो जाता है अब गाड़ी पूरी चेक अप के बाद लगभग डेढ़ दो
महीने में मिलेगी । तब तक गाड़ी में 24 लाख खर्च करने वाले हमारे मित्र फिर
से पैदल हो गए हैं ।
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खेल मनोविज्ञान (Sports Psychology)
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