आज कुछ देर पहले यशवंत दादा ने फोन करके मुबारकबाद दिया कि डा.रूपेश अब आप चले सही रास्ते पर पहले तो बात ही समझ न आयी । आप सब के लिये खुशखबरी है या बुरी खबर ये तो आप लोग जाने पर हमें तो लग रहा है कि जो होता है मेरे ही भले के लिये होता है । अरे भाई लोगों बात ये है कि यशवंत दादा ने ब्लागवाणी (अरुण अरोरा)से बात करी कि आप लोग कुछ भड़ासियों के ब्लाग्स को क्यों नहीं दर्शा रहे हैं तो सीधा आरोप कि बात अश्लीलता की है । आप लोगों की तो इतना सुन कर ही उदास हो गयी ,अरे मेरे प्यारों ये तो जान लीजिये कि ब्लागवाणी में बैठे महानुभावों को तो मेरा ब्लाग आयुषवेद(http://aayushved.blogspot.com) भी अश्लील लगता है । दिल थाम कर बैठिए क्योंकि अब मैं अपना लैंग्वेज साफ़्टवेयर चेन्ज कर रहा हूं वरना ब्लागवाणी के लोग जिस भाषा को समझते हैं वह न बोली तो मेरा बोलना बेकार हो जाएगा । इन लोगों को जब भगवान बना रहा था तो लगता है कि उसने बाकी सारा मसाला खत्म होने पर सिर्फ़ एक ही मैटेरियल लिया और इन्हें बना डाला और वह है "चूतियम सल्फ़ेट" । इन चूतियम सल्फ़ेट(इनकी हड्डियां कैल्शियम से बनी नहीं होती हैं) से निर्मित वणिक वृत्ति के लोगों को लगता है कि जिसका ये नाम नहीं लेंगे उसे कौन जानेगा । अरे ,इनकी सोच का क्या कहना ये साले हगते समय भी सोचते होंगे कि अगर ज्यादा हग दिया तो ज्यादा भोजन करना पड़ेगा इस लिये साले जिन्दगी भर अपनी कृपण प्रवृत्ति के कारण कब्ज से परेशान रहते हैं क्योंकि सोच बदलेगी नहीं और कब्ज जाएगी नहीं । जैसे हर व्यक्ति मानता है कि ईश्वर ने उसे किसी खास उद्देश्य से पैदा किया है तो ये सोचते हैं कि इन्हें भी एक उद्देश्य देकर पैदा किया है कि जाओ और जिन्दगी भर बेंचो ,बेंचो और बेंचते ही रहो । ये साले वही लोग हैं जो युद्ध के समय हथियार,कफ़न और मैय्यत का सामान बेंचते हैं और शान्ति के समय दाल-चावल लेकर बैठ जाते हैं । इन सालों को लगता है कि जब मरेंगे तो सारा पैसे का बैंक ड्राफ़्ट बनवा कर पिछाड़ी के छेद के रास्ते अंदर घुसा लेंगे और साथ ले जाएंगे । इन लोगों के लिये चूतिया शब्द मुझे छोटा जान पड़ता है इन्हें एक मेडिकल एडवाइजरी ब्लाग अश्लील जान पड़्ता है क्योंकि उसमें मां-बहनों की योनि में होने वाले दर्द यानि मक्कल शूल का उल्लेख है । अब ये तो नहीं कह सकता कि इस जमात के लोगों की मां-बहनें इस बीमारी से पीड़ित न होती होंगी पर ये जरूर कह सकता हूं कि ये नीच और पैसे के लोभी उस दर्द और टीस को समझ ही नही सकते क्योंकि उसके लिये चाहिये दर्द समझने वाला दिल जो इन चूतियेस्ट(ये चूतिया की सुपरलेटिव डिग्री है जो सिर्फ़ इन्हीं के लिये इस्तेमाल करी जा सकती है) लोगों के पास होता ही नहीं है । इनकी अश्लीलता की परिभाषा मे योनि और लिंग जैसे शब्द आते हैं तो मेरी भड़ासी डिक्शनरी देख कर तो इनका शेष जीवन टायलेट में ही बीतेगा । अब एक बात मैं जो कहने जा रहा हूं वह ये कि मुझे ऐसा लग रहा है कि एग्रीगेटर्स चलाने वालों को लगता है कि अगर ये किसी नवोदित ब्लागर को बेदखल कर देंगे तो उसका अस्तित्त्व समाप्त हो जाएगा । आप सब भाई-बहनों की राय चाहूंगा कि क्या हम जैसे तिरस्कार ,बहिष्कार करे गये इनकी नजरॊं में गलीज़ लोगों का अपना एग्रीगेटर नहीं हो सकता जिसकी तकनीक और आदर्श ब्लागवाणी या इन जैसे एग्रीगेटर चलाने वालों से कही अधिक उन्न्त और प्रेमपूर्ण हो जो अभी चलना सीखे बच्चों की गांड पर लात मार कर गिरा देने में यकीन न रखता हो बल्कि उसे उंगली पकड़ा कर चलना और दौड़ना सिखाए ,मार्गदर्शन दे ;भड़ास का एग्रीगेटर ऐसा हो जो वहां से शुरू हो जहां इन मक्कार लोगों की सोच ही न जाती हो ।
मैं यशवंत दादा(जो ब्लागिया मसान के चंड भैरव हैं) का आवाहन करता हूं " ॐ ब्लाग मरघट चंडभैरव भड़ासाय यशवंताय गुणवंताय कीर्तिवंताय ब्लागवाणी कीलय-कीलय ,मर्दय-मर्दय ,स्तंभय-स्तंभय ,उच्चट-उच्चट , मोचय-मोचय सकल समूल नाशय-नाशय हुं हुं फ़ट फ़ट क्रीं क्रीं स्वाहा.....(इस स्वरचित अघोर मंत्र का एक हजार जप कर के दशांश होम और अपने रक्त की आहुति दे रहा हूं) कि अगर तनिक सा भी पौरुष शेष है भड़ासियों में तो ब्लागवाणी और इन जैसी हलकट सोच रखने वाले लोगों के लिये इनके युग की समाप्ति की हुंकार भर कर इनकी गांड में ऐसा चीरा मारें कि देखने वालों को समझ न आए कि मुंह कहां खत्म हो रहा है और गांड कहां शुरू हो रही है।
इन चूतियेस्ट लोगों को लगता है कि भड़ासी इनके पास जाकर गिड़गिड़ाएं ,इनके पैर चाटें और कहें कि प्रभु हमें भी दिखा दो वरना हम मर जाएंगे । अरे इन सालों को दिखा दो कि ब्लाग की दुनिया में जन्म हम इन गांडुओं के भरोसे पर नहीं बल्कि अपनी दम पर लिये हैं । हम अपना एग्रीगेटर बनाएंगे और इस इरादे के साथ आज इस बात के क्रियान्वयन की शुरूआत हो गयी है । हमारे साथ हमारे बुलंद इरादे हैं तो जय हमारी ही है हमारे साथ हमारी सोच में बसा भावुक सा परमात्मा है और इनके साथ है इनकी दुर्बुद्धि । अरे स्स्स्स्साले हमे क्यों देखकर जलते हैं हम अपने दिमाग का दही मथ रहे हैं तुम्हारी गांड में भंवर क्यों उठ रहे हैं ,साला तेली का तेल जल रहा है और गांड जल रही है मशालची की...........
एक बार फिर दिल से पूरी ताकत और भाव पूर्वक मंत्र का जाप करिए और काम पर लग जाइए......
" ॐ ब्लाग मरघट चंडभैरव भड़ासाय यशवंताय गुणवंताय कीर्तिवंताय ब्लागवाणी कीलय-कीलय ,मर्दय-मर्दय ,स्तंभय-स्तंभय ,उच्चट-उच्चट , मोचय-मोचय सकल समूल नाशय-नाशय हुं हुं फ़ट फ़ट क्रीं क्रीं स्वाहा.....
जय जय भड़ास
11.3.08
ब्लागवाणी का सर्वनाश हो...
Posted by डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
Labels: Bhadas, डॉ. रुपेश, ब्लोग्वानी
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10 comments:
अच्छी बात को गंदे लहजे में आपने कहा है श्रीवास्तव जी. मैं आपकी बातो से सहमत हू लहजे से नही
-Rajesh Roshan
भाई ,ये रितिक रोशन का चाचा क्या आपको जानता भी है या बिना बात समझे मुंह मार रहा है । आपके अंदाज का इसे पता नहीं है इसलिये भंकस किया है । इसको आपका लहजा गंदा लगता है और अगर ये आप की बात से सहमत नहीं होगा तो क्या आप अपना काम रोक देंगें । ओए,तू एक बार आयुषवेद पर जा और फिर कुछ बोल । जब बात ऐसी हो तो यही जबान काम आती है अगर ब्लागवाणी वाले मुंबई में हों तो मुझ हिजड़े से मिलें तो उन्हें बताती हूं कि अच्छा और गंदा क्या होता है और तू शाणे तू भी आकर मिल तो दुझे समझाती हूं कि गंदा क्या होता है ,आ तुझे हिजड़े की जबान में समझाती हूं.....
जय भड़ास
आज एक बात तो समझ में आ रही है कि जो भड़ासी भाई हर पोस्ट को पढ़ते हैं और कमेंट करते हैं वो डा.साहब के इस बाग़ी रवैये को देख कर सहम गये हैं कि कहीं ब्लागवाणी उनको न बेदखल करदे वरना कहां है मेरा वीर महावीर परमवीर तेजस्वी भाई जो बेगुसराय से क्रांतिघोष करता है । अगर डर है तो बिजली,पानी,सड़कें,छुटपुट राजनीति,गाज़ा-बाजा-राजा और क्रिकेट फ़ुटबाल जैसे मुद्दों पर लिखना ही बेहतर हैं ।
भड़ास ज़िन्दाबाद
बच्चों ,जिगर थाम के बैठो कि अब मेरी दूसरी पारी है । तुममें दम है जान है जोश है । मजबूत लिखा है....
भड़ास ज़िन्दाबाद
बच्चों ,जिगर थाम के बैठो कि अब मेरी दूसरी पारी है । तुममें दम है जान है जोश है । मजबूत मंत्र लिखा है....
भड़ास ज़िन्दाबाद
MUNNAVAR AAPAA ...LAGTA HAI AAP BHI DHIRE-DHIRE AVINASH KI MENTALITY KI HOTI JA RAHI HAIN.VAISE BATA DUN KI MAIN JO BLOGING KARTA HUN VAH GHOR GARIBI MEIN KARTA HUN,AUR DO DIN CHAAR DIN PAR INTERNET KE LIYE SHAHAR JANA PADTA HAI.ISLIYE MAA JI PAHLE BACHCHE KI MAJBURI DEKH LO TAB IDHAR AA KAR PITPITAAIEGAA.AUR JAHAN TAK COMMENT KA SAVAL HAI TO AP ULJHE RAHIYE COMMENTVAJI MEIN AUR KHUD KO PADHAKU SABIT KARTE RAHIYE...JITNA SAMBHAV HOGA USSE KAHIN JYAADA MAIN KAR KE DIKHAAUNGAA...KABHI AAJMAAIEGAA.
JAI BHADAS
JAI YASHVANT
MANISH RAJ BEGUSARAI
डर गये डर गये डर गये ,मेरे कमेंट करते ही शहर पहुंच गये......
बालक तुम तो रिसिया गये जान पड़्ता है ...
अले मेला प्याला प्याला भाई नालाज हो गया...
BILKUL NARAJ NAHI HUA DIDI AB DEKHO.SSSAALE BLOGVAANI VAALE TERE KO CHALLENGE DETA HAI APUN TERE MEIN TAAKAT HAI TO MAIN AB SE JO BHI LIKHUN VO MAT DIKHAANAA....SAMJHAA BE CHUTIYAM SULPHET....KUTTAA..KAMINAA....ULLU...DIDI AUR GAALI DUN KYAA?HA..HA...HA...
JAI BHADAS
JAI YASHVANT
MANISH RAJ BEGUSARAI
प्रेम करो सबसे, नफरत न करो किसी से.
प्रेम करो सबसे, नफरत न करो किसी से.
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