(जो लिख रहा हूं उसका एक-एक शब्द पढे बगैर कोई राय कायम मत करिएगा । मेरा उद्देश्य किसी जाति धर्म सम्प्रदाय को पीड़ा पहुंचाना या बुरा बोलना हरगिज़ नहीं है । यह बात मात्र एक व्यक्ति से मुलाकात का जिक्र है अगर आप इस विषय में जानकारी रखते हैं तब ही वक्तव्य दें)
आज जब मैं मनीष भाई का लिखा पोस्ट पढ़ रहा था तभी मेरे पास एक सज्जन(?) दरवाजे पर आए मेरी आदत हैं कि अगर मैं घर में हूं तो घर का दरवाजा बन्द नहीं करता कभी जैसा कि मुम्बई के लोगों को दरवाजा बन्द रखने की बीमारी होती है । उन महाशय को देख कर मैंने सोचा कि शायद कोई मरीज है तो बुला लिया पता होता कि ये जनाब दिमाग में इतनी उथल-पुथल छोड़ जाने वाले हैं तो शायद उन्हें पुटास की गोली देकर भाग जाता । इन्होंने आकर मुझे अपना परिचय दिया कि वो "नकलंग दल विश्व शान्ति मिशन" से जुड़े हैं और मेरा नाम सुन कर मिलने चले आए(जरूर साला कोई कमीना होगा जो मुझे चैन से जीने नहीं देना चाहता होगा कि जैसे ही घर वापिस आया तो इन हजरत को भेज दिया) । आते ही परिचय चाय-पानी के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि मैं चाहता हूं कि आप मेरी बात को भड़ास पर लिखिए क्योंकि सुना है बड़े ही दिलेर और सरल स्वभाव के लोग हैं भड़ासी(इनका सूचना स्रोत क्या है पता नहीं पर शायद मुंह पर प्रशंसा सुन कर हम भी कुप्पा हो गए) । जनाब ने भी मनीष भाई की पोस्ट को देखा और बोले कि आप तो हिन्दू हैं क्या आप सहर्ष ही इस बात से सहमत हैं कि दुनिया बनाने वाले ब्रम्हा जी अपनी बेटी से बलात्कार करेंगे ,अपन क्या बोल सकते थे क्योंकि अभी तक तो इस आदमी का कैरेक्टर ही समझ में नहीं आ रहा था । वो आगे बोला कि हिन्दू धर्म से जुड़ी जो पुस्तकें आपके लिये आदरणिय हैं ये सब किस्से कहानी उन्हीं से निकाले गये हैं न कि शिव ने ऐसा किया ,विष्णु ने ऐसा किया और ब्रम्हा ने ऐसा किया वगैरह वगैरह......... क्या आप ऐसे किसी भी प्राणी को देवता मान सकते हैं जिसके आदर्श मनुष्यों से भी गये गुजरे हों जो गुरूपत्नी के संग मुंह काला करे या बेटी से कुकर्म करे वह पूज्यनीय हो और आप हिन्दू ऐसे देवी देवताओं की उपासना करते हैं...... अपुन साला चुप्प्प्प्प...... जनाब बोले कि सत्य तो यह है कि जो ग्रन्थ आप हिन्दुओं को या मुसलमानों को या इसाईयों को पढ़ाये जा रहे हैं वे नकली हैं .... अब तो यार हद हो गयी तो मैं बोला कि प्रभू यही बता दीजिये कि असली ग्रन्थ कहा हैं किसके पास हैं ? जनाब बोले कि उन्हें राक्षसों ने छिपा दिये हैं और आप सब के हाथों में नकली भ्रष्ट ग्रन्थ आपके देवी-देवताओं का नाम से लिख कर पकड़ा दिये गये हैं ..... अरे यार आप क्या चाहते हो ? जनाब बोले कि मैं चाहता हूं कि आप अपने बीच मौजूद इंसानों जैसे शरीर वाले राक्षसों को पहचानिये और उनसे बचिये ,अप लोग इतना गन्दा गन्दा अपने देवी-देवताओं के बारे में पढ़ कर भी क्यों नहीं सोचते कि आखिर ऐसा क्यों है ?.....
अपुन क्या बोलें समझ में ही नहीं आ रहा था कि इस बन्दे को क्या कहूं इस लिये सोचा कि पहले इसे ही सुन लेता हूं ........ सच तो यह है कि इस दुनिया में आप जो भी देख या महसूस कर रहे हैं वह सच नहीं है वह आपको महसूस कराया जा रहा है........ आप सबका दिमाग उनके अधिकार में है.... वो हैं जैन.... अरे स्स्स्साला अपन तो दिमाग ही घूम गया कि इतनी देर से ये क्या कहे चला जा रहा था मैंने सब सुन लिया लेकिन अब तो ये तो धार्मिक विवाद खड़ा कर रहा है मैंने थोड़े कड़े स्वर में पूछा कि आपको ऐसा नहीं लगता कि आप किसी विशेष धर्म से जुड़े शान्त अहिंसक लोगों पर बिना किसी बात के निहायत ही घटिया इल्जाम लगा रहे हैं.... बाहर निकलिए मेरे घर से..... जनाब बोले बस सच सुनने की ताकत नहीं है मैं तो बड़ा सुन कर आया था .... कम से कम पूरी बात तो सुन लीजिए....इधर साला दिमाग की मां-भैन हो गई कि किस सुपर क्लास चूतिये से पाला पड़ गया है....मैंने कहा कि जितना संक्षेप में कह सकते हैं कहिए और दुकान उठाइए..... । उसने मुझसे बोला कि अब कोई बात नहीं बस दो एक सवाल छोड़े जाता हूं आप और भड़ासियों के लिये.......
१ . जब जैन एक अलग धर्म है और वे भारत में अल्पसंख्यक हैं तो जरा ये बताइए कि अदालती कार्यवाही के दौरान हिन्दू भगवद्गीता की शपथ लेता है ,मुसलमान क़ुरान शरीफ़ की और इसाई अपने धर्म ग्रन्थ बाईबिल की तो जैन किस धर्म पुस्तक की शपथ लेते हैं..... या वे अदालत ही नहीं जाते....???????
२ . भारत के दोनों स्वतंत्रता संग्रामों में दस जैन क्रान्तिकारियों के नाम बताइये .....
मेरे पास उसकी बातों का जवाब नहीं है मैं अल्पज्ञ हूं लेकिन क्या आपमें से कोई इस शास्त्रार्थ में आगे आने का साहस रखता है ? किसी के पास उसकी बातों के जवाब हैं ? क्योंकि ये तो दो सवाल हैं वो तो सवालों की गठरी मेरे ऊपर पटक गया है और साथ ही पटक गया है "सत्यपुर टाइम्स" नामक एक अखबार का एक विशेषांक जो उसकी इन बातों से भरा पड़ा है......
7.3.08
आप सबका दिमाग उनके अधिकार में है.... वो हैं जैन....
Posted by डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
Labels: जैन, धर्म पुस्तक, सत्यपुर टाइम्स
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5 comments:
bhai sab us aadmi ko fir se khojiye uske charno ke drshn kraie bhadas pr...mai unka chrn chhuna chahta hoon....prabhu ve sachhe bhadasi mharaj the aapne unhe jane kaise diya...khojiye unhe....stypur times ka kuchh mal to jroor hi dikhaiye bhaiya....nhi to hmara avtar akarth chla jaega....g
THIKE BOL RAHE HAIN HARE BHAIYA .DOCTOR SAHAB AAP US MAHAN ATMA KO PAKAD KAR BHADAS PAR LAAIE.HAM INTJAAR KAR RAHE HAIN.
भद्रजनों,उस प्राणी को तो मैं कहीं न कहीं से खोज निकालूंगा पर क्या उसके सवालों का जवाब मिला ? दरअसल वह पूंजीवाद की ऐसी तैसी करने वाला संत था अब उसका कहना कहां तक सत्य है यह तो सब कथा कहानी बांचने के बाद ही समझ आएगा....
Doctor ji, us vyakti ne jo bhi apse pucha hai vah uske dimag ki uthal puthal k eak hissa hai. Btw uski bat me dam hai.
Doctor ji, us vyakti ne jo bhi apse pucha hai vah uske dimag ki uthal puthal k eak hissa hai. Btw uski bat me dam hai.
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