आज फ़िर होली मे
मिली कुए मे भांग आज फ़िर होली मे
काम हुए सब रांग आज फ़िर होली मे
देख के कुश्ती मच्छर की गश खाते जो
बने वही किंग-कांग आज फ़िर होली मे
करे भांगडा भांग उछलकर भेजे मे
नही जमी पर टांग आज फ़िर होली मे
सजी-धजी मुर्गी की देख अदाओं को
दी मुर्गी ने बांग आज फ़िर होली मे
करने लगे धमाल नींद के आंगन मे
सपने ऊट्पुतंग आज फ़िर होली मे
एक कुआरी पैंट के आगे ये साड़ी
कौन गया है टांग आज फ़िर होली मे
सादे nal kudi soniye aa jao
suno ishk da song aaj fir holi me
(सुरेश नीरव पत्रकार और मंच के प्रसिद्ध कवि हैं ) इनका मोबाइल -9810243966
4.3.08
लीजिए , सुरेश नीरव का एक होलियाना अंदाज
Labels: आदि इत्यादी
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6 comments:
भड़ास तो अभी से ही होली के रंग में रंगना शुरु हो गया है। कविता पढ़ कर लग रहा है कि होली बस दस्तक दे रही है
...का हो उपधिया जी, त..ई ह कवी जी क मोबाइल नंबर-9810243966
कबीर सारारारारारारारारारारारारारारार....
holi ka rang chdhne laga bhiyon.
HARE BHAIYA AUR KAVITA SUNVAIEGA TAKI HOLI KA MAJA DUGUNA HO JAE.
पंडित जी,आपके नाम का "होलीफ़िकेशन" कैसा लगा ? GREEN LIGHT UPADHYAY.....
बुर न मानो होली है । माफ़ करें भाई बड़े "आ" की मात्रा लगाना भूल गया था ,सुधार कर पढ़ लीजिए बुरा न मानो होली है.....
manish bhaiya...ab kahte ho to kuchh krunga...tumhara aadesh kaise tal skta bhai..
dr.sab bura kyon manunga...bura to mai khud hoon...bina hansi-mjak ki khurak ke mai to mr hi jaoonga...chutiya thode hoon jo bura man jaoong...nmste g
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