कल विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस था ..... ३ मई ! नही जानता हम में से कितने पत्रकारों को पता था पर फिलहाल मुझे भी कल शाम पता चला ................. काफ़ी ग्लानी हुई पर देर आयद दुरुस्त आयद।
सो इस दिन कामना से कि प्रेस आजाद होगी और खासकर चीन में !
हम श्रद्धांजलि देते हैं दुनिया भर में इस वर्ष शहीद हुए पत्रकार भाइयो को और दिया जलाते हैं उम्मीद का कि हम पथभ्रष्ट न हो , लड़ते रहे
................. दुनिया में हम पर कितने ज़ुल्म हो या कितनी ही ज्यादतिया ................. हम लड़ने को मरने को तैयार हैं ............
इन्केलाब जिन्दाबाद
हम होंगे कामयाब एक दिन
होगी क्रांति चारो ओर एक दिन
कलम चले तो
जिगर खुश भी हो और छलनी भी
कलम रुके तो
निजाम ऐ ज़िन्दगी भी रुक जाये
कलम उठे
तो उठे सर तमाम दुनिया का
कलम झुके
तो खुदा की नज़र भी झुक जाए
3 comments:
मयंक भाई,इसमें ग्लानि भाव कैसा?क्या आपको लगता है कि हम विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की स्थिति में सचमुच में हैं?आज तो ऐसा लगता है कि अगर सबसे ज्यादा परतंत्रता कहीं है तो वह प्रेस में ही है?जिसे आज़ादी का मुग़ालता हो वो जरा मेरी दी खबरों को दिखाए......
अरे प्यारे भाई इसी परतंत्रता का प्रतिकार है भड़ास
जय जय भड़ास
अर्थवाद के इस युग में पैसा
पत्रकारिता पर भारी है
लोकतंत्र के चौथे खम्भे की
कॉमशिंयल ब्रेक लाचारी है.
डॉक्टर साहेब की बात बिल्कुल सही है
प्रेस की आजादी और पत्रकारों की गैरत
दोनों ही आज लालाओं के यहाँ गिरवी रखी है.
परन्तु हम प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनायेंगे ठीक उसी तरह
जिस तरह सही मायनों में आजाद न होते हुए भी हम
स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और ईश्वर से वास्तविक आजादी की
कामना करेंगे.
जय जय भड़ास
वरुण राय
भाई दुखी होने का नहीं क्योँ की भडास सबसे अलग स्वतंत्र है, यहाँ मनाओ अपनी स्वतंत्रता, रही बात प्रेस की तो नोकरी करोगे और स्वतंत्रता की बात करोगे तो लाला जी नोकरी से ही स्वतंत्र कर देंगे .
जय जय भडास
Post a Comment