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11.5.08

अभागिन मां को मदर्स डे के दिन भड़ास का बेमिसाल तोहफा

कल 11 मई को मदर्स डे पर भड़ास एक अभागिन मां को वो तोहफा देने जा रहा है जिसे पाकर उसके नाम के आगे जुड़ा अभागिन शब्द हट जाएगा।

हिंदी ब्लाग जगत में मील का पत्थर कायम करते हुए भड़ास कम्युनिटी ब्लाग ने वो कर दिखाया जिसकी लोग सिर्फ बातें करते हैं। घर से, बेटों से बिछड़ी एक मां को मदर्स डे के दिन भड़ास उसके परिवार और उसके बेटों से मिलवायेगा।

कानपुर के रहने वाले साथी शशिकांत अवस्थी, जो भड़ास के संचालक मंडल में बतौर सलाहकार शामिल हैं, ने एक पोस्ट डाली कृपया मदद करें शीर्षक से। इस पोस्ट को पढ़कर मैं इतना विचलित हुआ कि मैंने शशिकांत जी के पोस्ट से तथ्य उठाकर एक अलग सूचना बनाई और उसे भड़ास पर सबसे उपर बाईं तरफ स्थायी रूप से चिपका दिया। वो सूचना इस तरह थी...

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प्लीज, इस अभागिन मां की मदद करें
कल मैं एक स्‍टोरी करने के लिये कानपुर नगर स्थित एक वृद्धाश्रम गया था। वहां कई वृद्ध थे जिनमें एक थीं लगभग 60 वर्षीय राजमणि दुबे। वह तीन माह पहले दिल्ली से बिहार के रोहतास जिले स्थित सुजानपुर के लिये चली थीं लेकिन दुर्भाग्य से वह कानपुर पहुंच गयीं। यहां काफी भटकने के बाद वृद्धाश्रम पहुंच गयीं। यहां पर वह काफी दुखी व परेशान सी दिख रहीं थीं। यह जानकर की वहां पर अखवार वाले आये हैं तो पास आकर कहने लगीं कि वह मुझे मेरे घर और मेरे बच्चों के पास पहुंचा दें। यह कहकर वे रोने लगीं। वृद्धाश्रम के संचालक छेदीलाल पाल के पास उन्‍होंने जो पता बताया था, उन्‍होंने मुझे देकर अनुरोध किया कि मैं पता ढूंढने में मदद करूं लेकिन वास्‍तव में मुझे भी मालूम नहीं है इसलिये मैं उसे यहां डाल रहा हूं।
नाम- राजमणि दुबे
पति- स्‍व.कैलाश दुबे
ग्राम- सुजानपुर (कटार से एक किलोमीटर आगे)
पोस्ट- डिहरी
जिला- रोहतास
पुत्रों के नाम- रामप्रवेश, श्रीनिवास व रामबदन दुबे
भड़ासी भाइयों और भड़ास के पाठकों से अनुरोध है कि वे अगर इस मामले में कुछ मदद कर पाएं तो मेरे मेल एड्रेस awasthi.shashikant@gmail.com अथवा मेरे मोबाईल न. 09415068287 पर देने का कष्‍ट करें।
-शशिकान्‍त अवस्‍थी
सलाहकार, भड़ास

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इस सूचना के लगे अभी बारह घंटे नहीं हुए होंगे, शशिकांत ने खुशी के मारे, भीगी आंखों से एक पोस्ट लिख मारी धन्यवाद भड़ासियों, जीत ली जंग शीर्षक से।

इस पोस्ट के मुताबिक दिल्ली से राजीव रंजन और मुकेश जी का फोन आया। ये दोनों उसी इलाके के हैं जहां की ये अभागिन मां है। इन दोनों ने पूरा रास्ता शशिकांत जी को समझा दिया है। शशिकांत मदर्स डे के दिन उस मां को अपने परिवार और बच्चों से मिला देंगे, ये उन्होंने बताया है।

बात सिर्फ किसी बिछड़े को उसके परिजनों से मिलाने की नहीं है। बात है हिंदी वालों के बीच बढ़ते प्रेम भाव का। एक अनजाना सा मंच भड़ास और उससे जुड़ने वाले आपस में अनजाने लोग, देखते ही देखते इस देश के कोने कोने तक छा गये, सबको भा गये, प्रेम और प्यार बांट गये। बिछड़ी मां को बेटों से मिलाना , बिछड़े दोस्त को दोस्त से मिलाना, बेरोजागरों को नौकरी दिलाना, गलत करने वालों को खुलकर गरियाना, मन में दबी हुई भड़ास को निकालकर तन और मन को स्वस्थ करना...कितने फायदे दिए इस ब्लाग ने।

मैं नमन करता हूं भड़ास और भड़ासियों को। मैं अकेला कुछ नहीं हूं, पर हम सब मिलकर बहुत ताकतवर हैं, हमारी ताकत का प्रतीक है भड़ास और हम कसम खाते हैं कि इस ताकत का कभी गलत उपयोग नहीं करेंगे।

जय भड़ास

5/10/०८, 12:15 PM

9 comments:

Anonymous said...

सुन रहे हो हिंदी ब्लाग जगत के मठाधीशों, कथित महिलावादियों, कथित प्रगतिशीलों, कथित झंडाबरदारों। भड़ास वाकई तुम सबसे बहुत बड़ा है। तुम लोग सिर्फ गाल बजाते हो, ये ब्लाग करके दिखा देता है। यही ताकत है भड़ास की। यहां दिलदार और भावुक लोग हैं जो बौद्धिक बाजीगरी की बजाय साफ साफ बोलना और साफ साफ जीना मरना पसंद करते हैं।

मैं हरे प्रकाश भाई, डा. रूपेश भाई, यशवंत भाई और उनकी पूरी टीम को सलाम करता हूं। खासकर शशिकांत को ढेर सारी शुभकामनाएं।

आप लोग लगे रहिए, उपर वाले की दुवा आप लोगों के साथ ही है।

डा. विद्यासागर तिवारी
पुणे

Anonymous said...

आप के इस प्रयास के लिये आप और आप कि टीम बधाई के पात्र हैं । अपनी ताकत का उपयोग जन कल्याण के लिये करना , आसान नहीं हैं । आशा ही नहीं विश्वास हैं उस माँ के आशीर्वाद से आप सब को जो आत्म संतुष्टि मिली होगी वह यहाँ आयी किसी भी तिपानी या कमेन्ट से नहीं मिलेगी । मै व्यक्तिगत तौर से और नारी ब्लॉग की सूत्रधार कि हैसियत से खुले मन से आप को और आप कि टीम को सलाम करती हूँ और विश्वास रखीये कि वौचारिक मतभेद कभी भी अच्छे काम के आड़े नहीं आता हैं । एक अच्छे कार्य के लिये आप तारीफ़ ही नहीं धन्यवाद के पात्र हैं ।

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

दादा,हम तो खूब अच्छी तरह से जानते हैं कि कई बार जब ताकत आ जाती है तो उसका दुरुपयोग होने की संभावना बढ़ जाती है पर जिसने भड़ास का दर्शन समझ लिया वो शक्ति का उपयोग प्रेम बिखेरने और लोगों का दर्द बांटने में ही करेगा। माताजी अपने बेटों से मिल जाएंगी ये सोच कर ही सुख हो रहा है। हम और प्रसरित होते चलेंगे, भड़ास इसी तरह से लोगों की पीड़ाएं समझता चलेगा..
जय जय भड़ास

रंजू भाटिया said...

बहुत ही सराहनीय कदम जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है सच में मदर डे नाम सार्थक कर दिया आप लोगों ने
बधाई के पात्र हैं आप लोग !

शोभा said...

भड़ास की पूरी टीम को इस नेक काम के लिए हृदय से बधाई ।

Kavita Vachaknavee said...

कई बार लगता है कि कहने के लिए शब्द कितने अधूरे हैं, बस यही समझ लें.प्रशंसनीय कार्य के लिए आप सभी की सराहनीय भूमिका को मेरी सदिच्छाएँ.आपका ‘यश’ हो.

rakhshanda said...

आप लोगों ने जो कुछ किया उस पर कुछ भी कहने को मुझे अल्फाज़ नही मिलते,बस इतना कहूँगी कि किसी भी तारीफ से कहीं बढ़ कर उस माँ के दिल से जो दुआएं आप सब के लिए निकली होंगी,दुनिया की हर कीमती चीज़ से बढ़ कर अनमोल होगी,,ऐसी दुआएं बहुत किस्मत वालों को नसीब होती हैं...आमीन

Anonymous said...

दादा,
वाकई ये बेहतरीन रहा, हमारी मानवीय संवेदना ने लोगों को बता दिया की हम सिर्फ बक्चोदी ही नहीं करते हैं. और मुझे लगता है की हमारे भडासी साथी इतने ज्यादा अगर भडासी हैं तो ताकत का गलत उपयोग नहीं ही करेंगे क्यूंकि इसका दुरूपयोग भडासी होने पर ही प्रश्नचिंह लगा देगा. हम तो लोगों के लिए हैं और लोगों के प्रेम से अगर हमारा भडास रसवंती होता चले तो सच में ये हमारी जीत होगी.
जय जय भडास

Ankit Mathur said...

भडास की ताकत के बारे में जिन लोगों को संदेह रहे हैं उन लोगो के लिये ये एक मुंह तोड जवाब है कि भडास के माध्यम से नित नये सकारात्मक कार्यों का बिना किसी हेतु के सफ़लता पूर्वक निष्पादन किया जा रहा है, ये इस मंच की ताकत है, जिसने इसे मुश्किलों मे भी खडे रखा और आज भडास इतना प्रभावशाली हो चुका है कि
मीडिया जगत इससे विचलित है।
भडास ज़िन्दाबाद...
अंकित माथुर