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9.5.08

धन्‍यवाद भड़ासियों जीत ली जंग

देखो भाई भडास की ताकत भड़ास पर पोस्‍ट डाले अभी तक 24 घण्‍टे भी नही बीते थे कि आज अपरान्‍ह तीन बजकर नौ मिनट पर दिल्ली से भड़ासी भाई राजीव रंजन का फोन आ गया कि वह भी इसी जिले से ही सम्‍बन्‍ध्‍ा रखते है और उन्‍होने वहां पर जाने का रास्‍ता व ट्रेन आदि की जानकारी उपलब्‍ध करा दी इसके बाद एक भड़ासी श्री मुकेश जी का फोन आ गया जो बिहार के सासाराम के निवासी है इस समय दिल्ली में है उन्‍होने पूरा डिहरी से सुजानपुर तक कर रास्‍ता वहां से दूरी इत्‍यादि बता दी जिसके लिये मै दोनो भड़ासी भाईयों का ह्दय से शुक्रगुजार हू कि उन्‍होने एक भूली हुयी मां को अपने बेटों के पास पहुंचाने के लिये मेरी मदद की साथ ही मै धन्‍यावाद ज्ञापित करता हू बडे भाई यशवंत जी का जो आपने पोस्‍ट को भड़ास के बिलकुल ऊपर स्‍थान देकर सभी भड़ासी साथियों का ध्‍यान इस ओर आकृष्ट किया डा.रूपेश जी तथा रजनीश जी ने अपनी टिप्पडी के माध्‍यम से सभी भड़ासी मित्रों से ढूढने का आग्रह किया, जिसके माध्‍यम से एक बडा व नेक काम सम्पन्न होने जा रहा है । मित्रों जरा कल्‍पना करें कि तीन माह अपने बच्चों व परिवार से दूर रहने के बाद जब मां अपने परिवार के बीच पहुंचेगी तो क्‍या दृश्‍य होगा । क्‍या हाल मां का होगा क्‍या हाल उसके बच्‍चों का होगा । कल सबेरे ही मै उनको ट्रेन मे बिठाने का कार्य करूंगा । एक बार पुन: यशंवत भाई,डा.रूपेश,राजीव रंजन,मुकेश,रजनीश जी को हार्दिक धन्‍यवाद ।

शशिकान्‍त अवस्‍थी
सलाहकार

6 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

शशिकांत भाई,ये भड़ास का एक भावुक मानवीय पहलू है और जो लोग भड़ास की निन्दा करते हैं वे इसे नहीं देख पाते। आपको याद होगा कि इससे पहले भी भड़ास के माध्यम से हरे भइया और विद्युत भाई के खोए मित्रों को मिला पाने का कार्य हुआ है। ईश्वर की करूणा हम जैसे दिल से सोचने वाले लोगों के साथ सदैव बनी रहे ऐसी कामना है ताकि हम ऐसी छोटी-छोटी खुशियां देने के निमित्त बनते रहें,परमात्मा आपको प्रसन्न रखे.....
जय जय भड़ास

Unknown said...

शशि कान्त भाई,
इसमें धन्यव्वाद दीजिये उन मित्रों का आत्म्जनो का जिन्होंने तत्क्षण आपको उपुय्क्त सूचना दी. बधाई के पात्र तो सिर्फ आप हैं जिन्होंने मानवता का पाठ पढा दिया हम सबको.
उम्मीद करते हैं की भडास लोगों तक पहुँचे और इसमें हमारे आत्मीय जन ही मील के पत्थर साबित होंगे.
जय भड़ास की.

जय जय भड़ास

संजय शर्मा said...

कल्ह मदर्स डे पर एक माँ के लिए इससे बड़ा शानदार तोहफा और क्या हो सकता है .नेक कार्यों के लिए आप सब वधाई के पात्र हैं . समाज आभारी रहेगा . इसे हम सत्कर्म का भडास कहेगे

संजय शर्मा said...

कल्ह मदर्स डे पर एक माँ के लिए इससे बड़ा शानदार तोहफा और क्या हो सकता है .नेक कार्यों के लिए आप सब वधाई के पात्र हैं . समाज आभारी रहेगा . इसे हम सत्कर्म का भडास कहेगे

राजीव रंजन श्रीवास्‍तव said...

Ham jaise-jaise "samajhdaar" hote jate hain, bauddhikata ham par havi hoti jati hai. Bhavanaayee hamare man-mastishka se gayab hoti jati hain. Ham badi-badi baten kar, bauddhik bakchodi kar apne-apko teesmaar khan samajhane lagte hain. bhawanavihin bauddhikata khatarnaak hoti hai, thik usi tarah jis tarah buddhihin bhawukta. Bladimir Lenin agar bhawuk nahi hota to kranti nahi hoti. wah bhi russia ke kai buddhijiwio ki tarah czar ke saath judkar rangrelia mana sakta tha. Darasal, mujhe lagta hai ki bahut sari samasyayon ki jad hi samvedanhinata hai. agar ham samvedanshil honge to doosaron ki taqlif samajh sakte hai, uski pida ko samajh sakte hai. Bhadas ki kai baaton se asahmat hote hue bhi mujhe yah kahne me tanik bhi sankoch nahi ki samvedansheelata ke mamle me bhadas ke sadasya anya blogs ke "buddhijiwiyon" se bahut aage hain. Ummid hai bhawanaon ka ye dariya bauddhikata ke taap se sukhega nahi.

Anonymous said...

अवस्थी जी, इस पवित्र कार्य करने पर आप बधाई के पात्र ही नहीं ढेरों शुभकामनाओं और आशीर्वाद के भी हकदार हैं. इस शुभ काम से जुड़े सभी लोगों को हमारी शुभकामनाएँ.
मीनाक्षी