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31.10.12

Indira Gandhi: दुर्गा या दानव


Mystery of Indira Gandhi- इंदिरा गांधी की मौत: राज 31 अक्टूबर 1984 का
माना जाता है कि इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की मौत की एकमात्र वजह था खालिस्तान और ऑपरेशन ब्लू स्टार. ना ऑपरेशन ब्लू स्टार होता ना इंदिरा जी की हत्या की जाती. लेकिन अपने फैसलों से कभी पीछे ना हटने वाली इंदिरा गांधी ने अपनी जान की परवाह न करते हुए पंजाब में पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार की मंजूरी दी और फिर कई बार कहने पर भी अपने रक्षकों से सिखों को नहीं हटाया. जून 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया और इसका परिणाम चंद महीनों में ही इंदिरा गांधी को अक्टूबर 1984 में अपनी जान गंवा कर चुकानी पड़ी.

जिस समय इंदिरा गांधी जी की मौत हुई उस समय सभी की राय थी कि राजीव गांधी को ही देश की सत्ता सौंपी जाए लेकिन सोनिया गांधी अड़ी हुई थीं कि राजीव ये बात कतई मंजूर ना करें. आखिरकार राजीव ने सोनिया को कहा कि मैं प्रधानमंत्री बनूं या ना बनूं दोनों ही सूरत में मार दिया जाऊंगा.

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30.10.12

hindustan huyee ?

आज अचानक मैं इस बात पर चौंक गया कि  दबंग फिल्म के गीत 'मुन्नी बदनाम हुयी ' में वह बदनाम अपने आप को हिन्दुस्तान बताती है . यदि मेरे सुनने में गलतफहमी नहीं हुयी है तो वह कहती है 'मैं हिन्दुस्तान हुयी'. अगर ऐसा है तो यह देश और हिन्दू दोनों के लिए अपमान जनक है . मुझे तो लगता है कि  इस शब्द को 'कूड़ेदान' या और कुछ से बदल देना चाहिए . मैं आप लोगों की राय जानना चाहता हूँ . कृपया बताएं . 

देर आयद मगर दुरूस्त नहीं आयद-ब्रज की दुनिया


मित्रों, किसी महान लेटलतीफ भारतीय ने कभी अपनी लेटलतीफी के बचाव में शायद यह महान मुहावरा गढ़ा होगा-देर आयद दुरूस्त आयद। लेटलतीफी हम भारतीयों के खून में जो है। बाद में भारतीय रेल ने इसे किंचित संशोधन के साथ अपना लिया-दुर्घटना से देर भली। लेकिन कोई जरूरी नहीं कि विलंबित ताल में निबद्ध हरेक रचना महान ही हो। कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि खिचड़ी बनने में काफी देर लग जाए और फिर भी खिचड़ी अधपकी हो या फिर जल गई हो। अब कांग्रेस पार्टी द्बारा केंद्रीय मंत्रीमंडल में किए गए बदलाव को ही लीजिए जिसके लिए काफी समय से लोगों की आँखें 10 जनपथ पर लगी हुई थीं। बदलाव हुआ जरूर है लेकिन वैसा नहीं जैसी कि उम्मीद की जा रही थी। बल्कि इस परिवर्तन के बहाने कुछ ऐसे भी कदम उठाए गए हैं जो जनता की आशाओं के नितांत विपरीत हैं। उदाहरण के लिए मलाईदार और अतिघोटाला संभावित मंत्रालय में काफी होते हुए भी अब तक सीएजी की नजर में ईमानदार रहे जयपाल रेड्डी को पदावनत कर विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में भेज दिया गया है। जिस तरह सोमवार को रेड्डी ने अपना नया कार्यभार नहीं संभाला उससे तो यही कयास लगाया जा रहा है कि इसके पीछे हो-न-हो उद्योगपति मुकेश अंबानी का हाथ है।
                मित्रों, जहाँ एक तरफ जयपाल रेड्डी को उनकी ईमानदारी के लिए दंडित किया गया है वहीं "दाग अच्छे हैं" की अपनी पुरानी नीति पर चलते हुए असहाय विकलांगों का पैसा खा जानेवाले सलमान खुर्शीद को पुरस्कृत करते हुए अतिमहत्त्वपूर्ण विदेश मंत्रालय की बागडोर सौंप दी गई है। इतना ही नहीं आईपीएल की कालेधन की बहती गंगा में हाथ धोने के बदले जमकर स्नान करने के आरोपी शशि थरुर को भी फिर से मंत्री बना दिया गया है। अभी कुछ ही दिन पहले कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा अध्यक्ष से मिलीभगत कर राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में अभूतपूर्व कौशल का प्रदर्शन करने के आरोपी सुरेश कलमाड़ी और 2-जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में घोटालों का विश्व कीर्तिमान स्थापित करनेवाले ए. राजा को अतिमहत्त्वपूर्ण संसदीय समितियों का सदस्य बनवाकर भी कांग्रेस नेतृत्व ने यही संकेत दिया था कि उसका "दाग अच्छे हैं" की नीति में अभी भी अटूट निष्ठा है। अब जहाँ नेतृत्व की नीति ही उल्टी गंगा बहाने की हो वहाँ आसानी से यह समझा जा सकता है कि नए आनेवाले मंत्रियों से नेतृत्व की क्या अपेक्षाएं हैं और नेतृत्व ने उनको किस प्रकार से या किस प्रकार के काम करने के निर्देश दिए होंगे।
                  मित्रों, काफी समय पहले महनार में अजंता सर्कस लगा था। तभी एक नए हाथी को सर्कस में शामिल किया गया। जोर-शोर से लाउडस्पीकरों से प्रचार किया गया कि सर्कस में लाया गया हाथी कमाल का है इसलिए यह कमाल के करतब भी दिखाएगा, जैसे-यह फुटबॉल खेलेगा,सूंड से बल्ला पकड़कर क्रिकेट खेलेगा,गेंदबाजी भी करेगा,बाबा रामदेव की तरह योगासन भी करेगा इत्यादि। सर्कस देखने के लिए घोषित तिथि को लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बैठे हुए लोगों से कई गुणा ज्यादा संख्या ऐसे दर्शकों की थी जो खड़े थे। फिर बेकरारी भरा वह पल भी आया जब उक्त हाथी को प्रदर्शन के लिए उपस्थित किया गया। सामने एक फुटबॉल रखा गया जिसे हाथी को किक करना था। हाथी आया और चुपचाप खड़ा हो गया। प्रशिक्षक ने कई-कई बार बार-बार आवाज लगाई लेकिन हाथी अपनी जगह से हिला ही नहीं। ईधर दर्शकों का धैर्य भी जवाब देने लगा था। वे अपना गुस्सा बेजान कुर्सियों पर उतारने लगे। अंत में जब अंकुश से हाथी के मस्तक पर प्रहार किया गया तो उसने अपने पिछले पैरों को मोड़ लिया और पहले तो पटाखा छूटने की-सी धमाकेदार ध्वनि उत्पन्न करनेवाला गैस-विसर्जन किया और फिर बैठ गया। और तभी हमारे राज्य वैशाली जिले में एक नई कहावत ने जन्म लिया-हाथी अयलन (आया) हाथी,हाथी पदलक (पादा) पोएं। रविवार को कांग्रेसरूपी हाथी (बतौर खुर्शीद साहब) द्वारा केंद्र सरकार में किया गया विस्तार और हेर-फेर भी कुछ ऐसी ही घटना है। इस करतब के द्वारा सिर्फ वोट-बैंक को साधने और बेईमानों को प्रोत्साहित करने और ईमानदारों को दंडित करने की ईमानदार कोशिश की गई है। जहां तक युवाओं को ज्यादा संख्या में सरकार में शामिल करने और जिम्मेदारी का काम सौंपने का सवाल है तो सरकार और पार्टी की रसातल में जा चुकी साख को फिर से आसमान की बुलंदियों तक उठाने के लिए मंत्रियों का सिर्फ युवा होना ही काफी नहीं हो सकता बल्कि सबसे बड़ी शर्त तो ईमानदारी होती है जो कि नेतृत्व को चाहिए ही नहीं।


शिवराज ने नरेश को मविप्रा का अध्यक्ष महाकौशल के विकास के लिये बनाया था या उनके राजनैतिक व्यक्तित्व के विकास के लिये?
राजनेता कोई संत या सन्यासी नहीं होता जिससे कि त्याग और बलिदान की उम्मीद की जाये। कोई ऐसा राजनीतिज्ञ जिसका सब कुछ छीन कर किसी दूसरे की झोली में डाल दिया गया हो वो तो और अधिक प्रतिशोध की आग में झुलसा हुआ रहता हैं। और ऐसे में उसे फिर से कोई अवसर देने वाला अवसर दे दे तो फिर कहना ही क्या है? ऐसा ही कुछ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पूर्व विधायक नरेश दिवाकर को मविप्रा का लालबत्तीधारी अध्यक्ष बनाकर किया है। सियासी हल्कों में यह चर्चा है कि आखिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें महाकौशल विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष महाकौशल के विकास के लिये बनाया था या उनके राजनैतिक व्यक्तित्व के विकास के लिये? बीस साल से जिस केवलारी विस क्षेत्र का वे प्रतिनिधित्व कर रहें हैं वहां खुद कितना विकास हुआ है? इसका खुलासा हाल ही में हुआ हैं। वैसे तो हर साल हर विस द्वोत्र में हाई रूकूल और हायर सेकेन्डरी स्कूल खुलते हैं। लेकिन इस साल केवलारी विस द्वोत्र में उगली के पास रुमाल गांव में खुले हायर सेकेन्डरी स्कूल ने राजनैतिक भूचाल ला दिया है। इस घोषणा के बाद से ही उगली में क्षेत्रीय विधायक और विस उपध्यक्ष हरवंश सिंह का विरोध चालू हो गया।इन दिनों जिले में भाजपा के चुनावों को लेकर राजनैतिक हलचल जारी हैं। हालांकि आलकमान के निर्देशानुसार भाजपा में चुनाव की जगह आम सहमति से चयन होने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं। मंड़लों के चुनावों में तो कोई खास उलट फेर होने की संभावना नहीं हैं।
विकास किसका महाकौशल का या खुद का? -राजनेता कोई संत या सन्यासी नहीं होता जिससे कि त्याग और बलिदान की उम्मीद की जाये। कोई ऐसा राजनीतिज्ञ जिसका सब कुछ छीन कर किसी दूसरे की झोली में डाल दिया गया हो वो तो और अधिक प्रतिशोध की आग में झुलसा हुआ रहता हैं। और ऐसे में उसे फिर से कोई अवसर देने वाला अवसर दे दे तो फिर कहना ही क्या है? ऐसा ही कुछ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पूर्व विधायक नरेश दिवाकर को मविप्रा का लालबत्तीधारी अध्यक्ष बनाकर किया है। उल्लेखनीय है कि दो बार के विधायक रहते हुये भी भाजपा ने नरेश दिवाकर की कई आरोपों के चलते टिकिट काट कर तत्कालीन सांसद नीता पटेरिया को दे दी थी। वे भारी मतों से चुनाव जीत भी गयीं थीं। प्रदेश में चार सांसदों को चुनाव लड़ाया गया था जिनमें से तीन को दो चरणों में कबीना मंत्री बना दिया गया। लेकिन ना जाने क्यों शिवराज सिंह ने नीता पटेरिया को मंत्री नहीं बनाया हालांकि उन्हें प्रदेश महिला मोर्चे का अध्यक्ष जरूर बना दिया गया। इसके बाद जब लाल बत्तियां बंटनी शुरू हुयी तो शिवराज ने पूर्व विधायक नरेश दिवाकर को महाकौशल विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बना दिया। यहां यह उल्लेखनीय है कि विकास के लिहाज से प्रदेश के पिछड़े हुये क्षेत्रों के विकास को गति प्रदान करने के लिये प्राधिकरण बनाये गये हैं। इस लिहाज से देखा जाये तो नरेश जी के अध्यक्ष बनने के बाद से महाकौशल के विकास को गति पकड़ना चाहिये था लेकिन ऐसा कुछ तो दिखायी नहीं दिया वरन उनके राजनैतिक व्यक्तित्व में विकास जरूर दिखायी दे रहा हैं। जिले को भी कोई विशेष उपलब्धि नहीं हुयी हैं। हां कहने को उन दो सड़कों के लिये राशि मंजूर करने की जरूर घोषणा हुयी है। ये सड़के है सर्किट हाउस से एस.पी. बंगले तक तथा सिंघानिया के मकान से मठ स्कूल जिसे जुलूस मार्ग कहा जाता है। ये दोनों सड़कें ही उनके विधायक रहते हुये दुगनी लागत में उनके समर्थक भाजपा ठेकेदारों ने घटिया बनायीं थी। इनमें से एक पहली सड़क तो बन गयी है लेकिन जुलूस मार्ग अभी भी नहीं बनी है जबकि दशहरा का जुलूस तो इस साल का भी निकल गया है। सियासी हल्कों में यह चर्चा है कि आखिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें महाकौशल विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष महाकौशल के विकास के लिये बनाया था या उनके राजनैतिक व्यक्तित्व के विकास के लिये?
विकास की गंगा कहां गुम हो गयी उगली में?-जिले में विकास की गंगा बहाने वाले भागीरथ,इंका महाबली,प्रदेश के कद्दावर नेता,दादा ठाकुर और विकास पुरुष जैसे ना जाने कितने नामों से जिले के इकलौते इंका विधायक और विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह को पुकारा जाता हैं। लेकिन बीस साल से जिस केवलारी विस क्षेत्र का वे प्रतिनिधित्व कर रहें हैं वहां खुद कितना विकास हुआ है? इसका खुलासा हाल ही में हुआ हैं। वैसे तो हर साल हर विस द्वोत्र में हाई रूकूल और हायर सेकेन्डरी स्कूल खुलते हैं। लेकिन इस साल केवलारी विस द्वोत्र में उगली के पास रुमाल गांव में खुले हायर सेकेन्डरी स्कूल ने राजनैतिक भूचाल ला दिया है। इस घोषणा के बाद से ही उगली में द्वोत्रीय विधायक और विस उपध्यक्ष हरवंश सिंह का विरोध चालू हो गया। वहां गांव के लोगों और इंका नेताओं का भी यह कहना है कि हरवंश सिंह के पहले चुनाव जीतने के बाद से ही उगली में हायर सेकेन्डरी स्कूल खोलने की मांग की जा रही थी। यह मांग अभी तक पूरी नहीं हो पायी है जबकि उससे छोटे गांव रुमाल में हायर सेकेन्डरी स्कूल खुल गया। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि सितम्बर माह में ही शिक्षक दिवस के मौके पर क्षेत्रीय विधायक हरवंश सिंह ने रुमाल गांव में ही शिक्षकों के सम्मान का आयोजन किया था। इस घोषणा से उगली गांव में आक्रोश पैदा हो गया और विधायक के आगमन पर पुतला जलाने की घोषणा कर दी गयी। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि हरवंश सिंह कांग्रेस के दिग्विजय मंत्री मंड़ल में दस साल तक एक ताकतवर मंत्री के रूप में रहें हैं। वर्तमान में भाजपा के राज में भी वे लाल बत्तीधारी विस उपाध्यक्ष के पद पर विराजमान हैं। इन सब कारणों से जो विरोध उपजा उसे येन केन प्रकारेण हरवंश सिंह ने फिलहाल तो शांत कर लिया और उनका पुतला बनने के बाद भी जल नहीं पाया। यहां यह भी उल्लेखनीय हैं कि पिछले चुनाव में उनका मुकाबला करने वाले भाजपा प्रत्याशी डॉ. ढ़ासिंह बिसेन भी इन दिनों प्रदेश वित्त आयोग के अध्यक्ष बन कर लाल बत्ती पर सवार कबीना मंत्री के दर्जे के साथ केवलारी क्षेत्र में ही घूम रहें हैं। लेकिन 2013 में होने वाले विस चुनाव के पहले उपजे इस विरोध ने इंका विधायक हरवंश सिंह को चौकन्ना कर दिया हैं और अब वे डेमेज कंट्रोल करने के उपाय तलाशने में जुट गयें हैं। बताया तो यह भी जा रहा है कि इस विरोध की खबर सुनकर हरवंश ने अपने दो सिपहसालारों को भी खूब खरी खोटी सुनायी है जबकि इसमें उनका कोई दोष भी नही था। अब चुनाव तक वे इस विरोध को कैसे और कितना शांत कर पायेंगें? यह तो अभी भविष्य की गर्त में ही हैं। 
जिला भाजपा अध्यक्ष को लेकर अटकलें हुयी तेज-इन दिनों जिले में भाजपा के चुनावों को लेकर राजनैतिक हलचल जारी हैं। हालांकि आलकमान के निर्देशानुसार भाजपा में चुनाव की जगह आम सहमति से चयन होने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं। मंड़लों के चुनावों में तो कोई खास उलट फेर होने की संभावना नहीं हैं। अधिकांश मंड़लों में अध्यक्ष पद पर पुराने चेहरों के बने रहने की ही संभावना हैं। जिला अध्यक्ष पद को लेकर सर्वाधिक चर्चे हो रहे हैं। जिले में भाजपा के तीन नेताओं के इर्द गिर्द ही यह चयन प्रक्रिया घूम रही हैं। इनमें डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन,नीता पटेरिया और नरेश दिवाकर शामिल हैं। वैसे तो अध्यक्ष पद के लिये आधा दर्जन से ज्यादा नाम शामिल हैं जिनमें वर्तमान अध्यक्ष सुजीत जैन के अलाव पूर्व अध्यक्ष वेदसिंह ठाकुर एवं सुदर्शन बाझल,सुदामा गुप्ता, भुवनलाल अवधिया,प्रेम तिवारी,अशोक टेकाम आदि शामिल हैं। नरेश दिवाकर के मामले में कहा जा रहा है कि वे अपनी तरफ से सुजीत को अध्यक्ष बनाने की कोशिश तो नहीं करेंगें लेकिन यदि आम सहमति बनती दिखी तो वे विरोध भी शायद ना करें। वैसे उनकी ओर से सुदर्शन बाझल का नाम आगे किया जा सकता हैं। यदि आदिवासी अध्यक्ष बनाने की बात हुयी तो वे अशोक टेकाम के नाम को आगे कर सकते हैं। डॉ. बिसेन खुले तौर पर कुछ बोल नहीं रहें हैं लेकिन सुजीत से उन्हें भी कोई  तकलीफ नहीं हैं। प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष एवं विधायक नीता पटेरिया ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं। जिले के दोनों आदिवासी विधायक शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले की विशेष रुचि अपने क्षेत्रों के मंड़ल अध्यक्षों तक ज्यादा केन्द्रित हैं। इस सबके बावजूद भी यह माना जा रहा हैं प्रदेश स्तर पर जिसके नाम पर आम सहमति बन जायेगी उसके सर पर ही ताज पहनाया जायेगा।”मुसाफिर”  

सुब्रमण्यम स्वामी के खुलासों से सोनिया-राहुल पस्त, मीडिया फिर भी मस्त

27 Oct को सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी की फर्जी कंपनियों के बारे में प्रेस वार्ता में खुलासा किया। डॉ स्वामी ने विभिन्न इंडियन पेनल कोड के धाराओ के बारे में भी बताया जिनके अंतर्गत सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी दोषी है। डॉ स्वामी ने राहुल गांधी के स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख के पिक्टेट बैंक में खाता होने का सनसनीखेज खुलासा करने के साथ ही आरोप लगाया है कि गांधी खानदान ने विभिन्न देशों में दर्जनों फर्जी कंपनियों बनाई। अरबों का धन बटोरा फिर कंपनी बंद कर दी। कांग्रेस के धन से दिल्ली का हेराल्ड हाउस कौड़ियों के भाव खरीदा जिसकी बाजार कीमत हजार करोड़ से अधिक है। डॉ स्वामी ने कहा की इनकी कंपनियों में विदेशी निवेश भी हुआ है इसलिए इसके जांच SIT से की जानी चाहिए। डॉ स्वामी ने कहा की उन्होंने अभी 27 में से केवल कंपनियों के बारे में जानकारी दी है। आगे जाकर वो सभी कंपनियों और उसमे हुए अनियमित्ताओ के बारे में जानकारी देगे। डॉ स्वामी कहते है की सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को इस्तीफा देना चाहिए। पूरा वीडियो देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें .


 http://www.youtube.com/watch?v=RfQohTipfkg&feature=youtu.be&noredirect=1


वो कहते है कि वो केजरीवाल की तरह केवल आरोप लगा कर भागने वाले नहीं है। वो इन आरोपों को न्यायालय में ले जायेंगे और इन मुद्दों को अंत तक ले जायेंगे।

डॉ स्वामी ने यह भी बताते है कि किस प्रकार से सोनिया गाँधी विभिन्न घोटालो में संलिप्त है और किस प्रकार से सोनिया गाँधी ने अनेको येसे काम किये है। जिसके लिए उन्हें कानूनी तौर पर सजा मिलनी चाहिए। डॉ स्वामी कहते है की सोनिया गाँधी का चोरी करने का इतिहास रहा है सबसे पहले इनसुरेन्स एजेंट बनकर चोरी कियाफिर मारुती का टेक्निकल डायरेक्टर बनकर चोरी कियाफिर वो झूटे तरीके से वोटर बन गयीराहुल गाँधी जब पैदा हुआ तो उसको इतालियन नागरिक बना दिया। तो इस तरह से सब कुछ मिला कर यह देश का सबसे महाभ्रुस्त परिवार है यह और इस परिवार की पोल खोलने की प्रक्रिया आज से उन्होंने सुरु कर दी है।

श्रवण कुमार शुक्ल/ Shravan Kumar Shukla

29.10.12

‘हिंदी’ में बोले मनमोहन सिंह



हिमाचल में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार चरम पर है...ऐसे में राज्य के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा ने 2014 के आम चुनाव से पहले का सेमिफाइनल माने जा रहे इस चुनाव में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के लिए वोट मांगने हिमाचल प्रदेश के ऊना पहुंचे। मनमोहन सिंह के पहुंचने के बाद उनकी जनसभा में सुखद एहसास ये रहा कि मनमोहन सिंह साहब हिंदी में बोले। इसे सुखद एहसास इसलिए था क्योंकि हमारे पीएम साहब साल में दो ही बार हिंदी बोलते हैं...या तो 15 अगस्त को या फिर 26 जनवरी को...ऐसे में मौका न तो स्वतंत्रता दिवस का था और न ही गणतंत्र दिवस का...फिर भी पीएम साहब की हिंदी सुनकर सुखद एहसास तो होना ही था। मनमोहन सिंह ने हिमाचल प्रदेश में विकास की रफ्तार थमने की बात कहते हुए राज्य की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। जिस समय देश के पीएम मनमोहन सिंह भाजपा को कोस रहे थे...ठीक उसी वक्त ऊना में ही एक और पीएमइन वेटिंग की उपाधि से सजे भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी हिमाचल में विकास की बयार बहाने पर मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की पीठ ठोंक रहे थे। आडवाणी ने केन्द्र की कांग्रेस सरकार को कोसते हुए यहां तक कहा कि 2014 का चुनाव वक्त से पहले होगा और भाजपा की सत्ता की राह हिमाचल से ही प्रशस्त होगी। हिमाचल में जहां भाजपा के लिए अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है तो कांग्रेस के लिए हिमाचल की सत्ता में वापसी करने की चुनौती। वैसे हिमाचल की रवायत है कि यहां पर हर पांच साल में यहां की जनता सरकार बदल देती है...लेकिन इस बार देश के हालात कुछ ज्यादा ही जुदा है...और सत्ता में वापसी का ख्वाब संजोए बैठी कांग्रेस भी शायद ये अच्छी तरह से जानती है कि केन्द सरकार के फैसलों से जनता की नाराजगी उसे भारी पड़ सकती है...लिहाजा कांग्रेस ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी हिमाचल में जनसभाएं कर चुके हैं तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मैदान में उतर गए हैं...भाजपा की अगर बात करें तो हिमाचल और गुजरात के रास्ते केन्द्र की सत्ता की चाबी हासिल करने का ख्वाब देख रही भाजपा भी हर हाल में इन राज्यों में अपनी सत्ता को खोना नहीं चाहती...लिहाजा भाजपा से भी नितिन गडकरी से लेकर सुषमा स्वराज और अरूण जेटली तक राज्य में सभाएं कर चुके हैं...यानि मुकाबला कांटे हैं। कांटे के इस मुकाबले का फैसला भी जनता ने ही करना है...ऐसे में देखना ये होगा कि जनता हिमाचल में एक बार फिर से कमल लहराती है...या फिर हाथ का साथ देती है।


27.10.12

पगथिया: मोहब्बत एक दरिया है .........

पगथिया: 
मोहब्बत एक दरिया है .........:
 मोहब्बत   एक दरिया है,  जो  डूब गया   वो  दीवाना। 
शमा   तो एक जरिया है , जो  मिट गया  वो परवाना।।
आँखों ...

25.10.12

अथ श्री हाथी-चींटी कथा-ब्रज की दुनिया

मित्रों,हाथी और चींटी से संबंधित बहुत-से चुटकुले आपने पढ़े होंगे और पाया होगा कि उन सबमें चीटियों का उनके छोटे आकार और बलहीनता के लिए मजाक उड़ाया गया है। मगर हम ऐसा करते समय भूल जाते हैं कि चीटियाँ शायद दुनिया की सबसे मेहनती और अनुशासित जीव हैं। यह अपने शारीरिक भार से कई गुणा ज्यादा वजन भी मजे में उठा लेती हैं। लेकिन किसी हाथी को चीटियों के गुणों से या उसके जीने-मरने से क्या लेना-देना? हाथी तो जब भी चलेगा तो इस बात से बेफिक्र होकर ही कि उसके पाँव के नीचे कोई छोटा जीव-जंतु न आ जाए। तभी तो केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी जिसे केंद्रीय कानून मंत्री हाथी की उपमा देते हैं ने जान-बूझकर आम-आदमी को यानि चीटियों को कुचल-कुचलकर चलना शुरू कर दिया है। यह हाथी दरअसल आदमखोर हो गया है और शाकाहारी तो बिल्कुल भी नहीं रह गया है।
                    मित्रों,यह सही है कि इस हाथी में इन दिनों अपार बल है। वह पागल भी हो गया है और इसलिए अपने देश को ही उजाड़ने लगा है,तहस-नहस करने लगा है। बलवान हो भी क्यों नहीं उसके पास सलमान खुर्शीद जैसे ऑक्सफोर्ड रिटर्न जो हैं। मुश्किल यह है कि ऑक्सफोर्ड इंगलैंड में है और वहाँ के जंगलों में हाथी होता नहीं इसलिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के नाती खुर्शीद साहब को हाथी के बारे में पढ़ाया भी नहीं गया होगा। वहाँ के पाठ्यक्रम में तो भेड़ियों के बारे में जानकारी देनेवाले पाठ ही होंगे जो वहाँ के जंगलों में पाए जाते हैं। अगर ऑक्सफोर्ड में हाथी के बारे में पढ़ाया जाता तो खुर्शीद साहब ऐसा बयान हरगिज नहीं देते कि हाथी का चींटी क्या बिगाड़ लेगी? तब उनको यह पता होता कि अगर हाथी की सूंड में चींटी घुस जाए तो हाथी की मौत हो जाती है। इस अवस्था में पहले तो हाथी पागल होकर आत्मविनाशक हो जाता है,अपना ही नुकसान करने लगता है और अंत में मर जाता है।
                       मित्रों,मैं अपने एक आलेख "बालकृष्ण की गिरफ्तारी के निहितार्थ" में काफी पहले केंद्र सरकार को हाथी और आमआदमी को चींटी से संबोधित कर चुका हूँ। अपने उस आलेख में भी मैंने यह बताया था कि एक अकेली चींटी भी अगर हाथी की सूंड में घुस जाए तो इत्ती-सी जीव उसकी जान भी ले सकती है। अगर मेरे उस आलेख को खुर्शीद साहब ने पढ़ा होता तो वे इस तरह का बचकाना बयान नहीं देते लेकिन वे क्यों मुझे पढ़ने लगे? जब उनके लिए आज के भारत का सबसे बड़ा यूथ आईकॉन बन चुका अरविंद केजरीवाल ही चींटी के समान है तो मैं तो शायद उनके लिए जीवाणु होऊंगा जिसे नंगी आँखों से देखा भी नहीं जा सकता।
                        मित्रों, सलमान खुर्शीद अपने जमाने में किस स्तर के विद्यार्थी रहे होंगे पता नहीं लेकिन इन दिनों साहब कभी राजनीतिज्ञों का इतिहास नहीं पढ़ते हैं यह तय है। आश्चर्य है कि वे हमसे काफी बड़े हैं फिर भी भारतीय राजनीति में कब,क्या और क्यों हुआ उनको पता नहीं है? हमने खुद ही नंगी आँखों से लालू-कल्याण के सूरज को राजनीति के आसमान पर चढ़ते और फिर उतरते देखा है। मुझसे कुछ साल बड़े मेरे भाइयों-बहनों ने इसी कांग्रेसी हाथी पर सवार इंदिरा गांधी को पहले तो जेल भेजते हुए और फिर जेल जाते भी देखा है। मैंने खुद 80 के चुनाव में "पूड़ी-कचौड़ी तेल में,इंदिरा गांधी जेल में" के नारों से आकाश को गुंजायमान होते हुए देखा है। लोकतंत्र में जनता कब किसे उठाकर रद्दी की टोकरी में फेंक दे,कब चींटी को हाथी और हाथी को चींटी बना दे कोई नहीं जानता। फिर भी अगर सलमान खुर्शीद अपने और अपने भाग्य के ऊपर इतरा रहे हैं तो इसे उनका बचपना ही मानना और समझना पड़ेगा। कहा भी गया है-
भीलन लूटी गोपिका वही अर्जुन वही बाण।
पुरूष बली नहिं होत है समय होत बलवान।।
                                   मित्रों,आलेख के प्रारंभ में ही मैंने इस बात का जिक्र किया है कि भ्रष्टाचार शास्त्र के परम् विद्वान और हेराफेरी के जानेमाने विशेषज्ञ खुर्शीद साहब के अनुसार कांग्रेस पार्टी एक हाथी है और चूँकि खुर्शीद साहब भी कांग्रेस में हैं तो प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर वे इस हाथी का कौन-सा भाग हैं? खैर ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई करने के कारण हो सकता है कि उनको हाथी का भूगोल पता नहीं होगा। कोई बात नहीं उनको पता नहीं है तो क्या हुआ हमें तो पता है और अच्छी तरह पता है। जनाब खुर्शीद साहब कांग्रेसरूपी हाथी का खानेवाले दाँत,पेट,आँत,दिल,दिमाग,सूंड,पूँछ तो हो सकते नहीं क्योंकि यह सब तो सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार का कोई लायक-नालायक सदस्य ही हो सकता है। इन दिनों पूँछ पर राबर्ट बाड्रा का दावा सबसे मजबूत लगता है जिस पर हथौड़ा पड़ते ही इन दिनों हाथी पागल-जैसा हो गया है। बचे दिखाने के दाँत तो यह ओहदा सबको पता है कि इन दिनों माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास है। सबसे अंत में तो हाथी की लीद ही बचती है जो जनाब खुर्शीद साहब हो सकते हैं। वैसे इस लीद में भी कई आश्चर्यजनक गुण और विशेषताएँ पाई जाती हैं जिन पर फिर कभी किसी अन्य सुअवसर पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

कानजीलाल वर्सेस कजरीवाल ? O.M.G..!


कानजीलाल  वर्सेस  कजरीवाल ? O.M.G..!




प्यारे दोस्तों,

आपने  फिल्म `ऑ..ह  माय  गॉड` देखी  है?  इस  फिल्म में  भगवान की  सत्ता को  ललकारने वाले  `कानजी  लालजी  मेहता` नामक  एक आम आदमी का  किरदार (श्री परेश  रावलजी) आपको  याद  है? हाँ, तब  तो   फिर, ये  कानजीलाल के  सारे  संवाद भी  याद  होंगे..! पता  नहीं  क्यों, मुझे  आम  आदमी  कजरीवाल के  (MENGO PEOPLE ) मन  की  पीड़ा  और  ये कानजीलाल के  मन  की  पीड़ा,  एक  जैसी  लग  रही  है, आईए  देख ही  लेते  हैं..!

(नोट- यह  व्यंग आलेख  सिर्फ  मनोरंजन के  उद्देश्य  से  लिखा  गया  है, किसी  व्यक्ति-धर्म-पक्ष-परिवार-समाज से  इसका  कोई  लेनादेना  नहीं  है  - मार्कण्ड दवे ।)

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१. (वारासणी में   चोर बाज़ार  की  अपनी  दुकान के  लिए  होलसेल  मूर्तियाँ  ख़रीदते हुए ।)

कानजीलाल- " एक  बड़े  पेट वाले  गणपति  देना, एक  ढाईसो वाले  क्रिश्ना  देना और आठ  वो  बोड़ी-बिल्डर  हनुमान  देना..! कितना  हो  गया? अब  इतना  लिया है तो  फिर  तीन  सांईबाबा  तो  बोनस  मिलेगा  ना?"

/वर्सेस/

कजरीवाल- " एक  राष्ट्रीय  दामाद  लपेट  में  लिया, एक  कानून  मंत्री  भी  निपटा लिया  और   विरोधी  पार्टी  का  एक  चिल्लर  भी  ढ़ेर  हो  गया..! टोटल  तीन  हो  गया ? अब  इतनी सारी  मेहनत  के  बाद,  हिलस्टेशन  लवासा जाकर  बोनस  में   और  ग़हराई से  तफ़तीश  तो  करनी  पडेगी  ना..!"

२. ( भगवान का  अपमान  करने  पर  अपनी  पत्नी की  आस्था का  मज़ाक  उड़ाते हुए ।)

कानजीलाल- "मुझे  एक  बात  बता,  पत्नी  के  उपवास  रख़ने  से  पति  के  पाप  कैसे  धूल  सकते  हैं?"

/वर्सेस/

कजरीवाल- " मुझे  एक  बात  बता, अन्ना-रामदेव  के  उपवास  रखने  से,  इन  बेईमानों  का  ह्यदय  परिवर्तन  कैसे  हो  सकता  है?"

३. ( दहीं-हांडी कार्यक्रम में गोविंदा बने अपने  बेटे से  नाराज़ होकर ।)

कानजीलाल- "अ..रे..! मेरा  बेटा  ना  गोविंदा  बनेगा,  ना  चंकी  पांडे  बनेगा, बेवकूफ़..! मेरा  बेटा  बड़ा  होकर  क्रिकेटर  बनेगा  क्रिकेटर..समझी?"

/वर्सेस/

कजरीवाल- " मेरी  पार्टी  का  कोई  भी सदस्य  ना  लुच्चा  बनेगा, ना  लफ़ंगा  बनेगा, ठग्गीजी.! मेरा   हरेक  साथी  चुनाव  जीत  कर, देश  के  लिए   एक मिसाल  बनेगा  मिसाल..समझे?"

४. (राजस्थानी  ग्राहक  को  ठगने  के  आशय से ।)

कानजीलाल- " बद्रीनाथ  में  जब  मंदिर  बन  रहा  था  ना  तब  ज़मीन  फाड़कर  ये  मूर्ति  प्रगट  हुई  थी..! द्वारिका  के  बहुत  बड़े  साधु  जब  पदयात्रा  पर  निकले  थे तब  मैंने  उन्हें  एक  लोटा  पानी  पिलाया था  बस,  बदले  में  प्रसन्न  हो  कर  उन्होंने  मुझे  ये  मूर्ति  दी  और  ये  मूर्ति  आते  ही  मेरा  नसीब  पलट  गया ..!" 

/वर्सेस/

कजरीवाल- " दिल्ली  में  जब  भ्रष्टाचार  विरोधी  आंदोलन  चल  रहा  था   तब  अन्नाजी  के  साथ  मैं  भी  उसमें  शामिल  हुआ था  बस, बदले  में   उनसे  मतभेद  के  चलते  मुझे  ये  प्रेरणा  मिली (?) फिर,  उन्होंने  प्रसन्न  हो  कर  मुझे  आशिर्वाद  दिया  और  उनसे  अलग  होते  ही, इन   भ्रष्ट  मंत्रीओं  का  नसीब  चौपट   हुआ..!

५. (दहीं-हाँडी  कार्यक्रम  को  रूकवाने  के  आशय से  ।) 

कानजीलाल- " सुनिए, सुनिए, सुनिए, शांत  हो  जाईए..शांत  हो  जाईए..! अभी-अभी  धर्मधुरंधर  सिद्धेश्वर  महाराज ने  ये  बताया  है  कि, जगह-जगह  दहीं-हांडी  के  कार्यक्रम  में  उमड़ी  भीड़  को  देख  कर  किशन-कन्हैया  बहुत  प्रसन्न  हुए  हैं  और  आज  वो  अपने  भक्तों  के  हाथों से  दूध  और  मक्खन  खायेंगें..!"

/वर्सेस/

कजरीवाल- " सुनिए, सुनिए, सुनिए, शांत  हो  जाईए..शांत  हो  जाईए..! अभी-अभी अधर्म  धुरंधर  बे-असरकारी  सूत्रों ने  बताया  है  कि, जगह-जगह  नाना  प्रकार  की  समस्याओं  के विरुद्ध  चल  रहे  आंदोलनों  में  उमड़ी  दुःखी  भारी  भीड़  को  देख  कर  मनमोहन  भगवान  बहुत  आहत  हुए  हैं  और  आज  वो  सभी  भ्रष्ट मंत्रीओं  को  अपने हाथों  से  हथकड़ीयाँ  पहना  कर  उन्हें  जेल  भेजेगें..!"

६. ( दहीं-हाँडी  कार्यक्रम  का कबाड़ा  करने के  बाद ।)

कानजीलाल- " भगवान  का  ड़र  किसी  ओर  को  दिखाना  महाराज..! देखता  हूँ,  क्या  करेगा  भगवान..!"

/वर्सेस/

कजरीवाल- " मरने-मरवाने  का  ड़र  किसी  ओर  को  दिखाना  न्यायमंत्रीजी..! देखता  हूँ,  आपके  निर्वाचन  क्षेत्र  में  जाने-आने  पर  क्या  करेगें  बलवान..!


७. (इन्श्योरेन्सवालों  का  क्लॅम  पास  करने से  मना  करने के  बाद ।)

कानजीलाल- " हाँ,  मेरे  जैसे  पचास  कानजी के  केस  तो  चल  रहे  होंगें, मगर तुम्हारे  इस  किशन  पर  तो  किसीने  केस  नहीं  किया  होगा  ना..!  मैं   तुम्हारे  भगवान  पर  ही  केस  करूँगा..!  

/वर्सेस/

कजरीवाल- " हाँ, मेरे  जैसे  पचासों  NGO`S  के  केस  भ्रष्ट मंत्रीओं  पर  चल  रहे होंगे, मगर  आजतक  उनके  दामादों  पर  तो  किसीने  ऊँगली  नहीं  उठाई  होगी  ना.!  मैं   इस  देश के  सब से  बड़े  दामाद  पर  ही  ऊँगली  उठाऊँगा..!"

८. (कॉर्ट  रूम  में अपना केस  ख़ुद  लड़ते  हुए ।)

कानजीलाल-" दूसरा  कोई  रास्ता  ही  नहीं  है..! मि. लॉर्ड,  सारे  के  सारे  वकील  भगवान से  ड़रे  हुए  हैं  तो,  मज़बूरी  में  ये  केस  अब  मुझे  ही  लड़ना  पड़ेगा..!" 

/वर्सेस/

कजरीवाल- " दूसरा  कोई  रास्ता  ही  नहीं  है, मि. जनता,  सारे  के  सारे  पक्ष-सांसद  एक  दूसरे से  मिले  हुए  हैं  तो  फिर,   मज़बूरी  में  सरकार  की  अक्ल  अब  मुझे  ही  ठिकाने  लानी  पड़ेगी  ना..!

९. (कॉर्ट  रूम ।) 

कानजीलाल-" ये  तो  इन्स्योरन्सवालों  ने  कहा  कि,  भगवानने  तुम्हारी  दुकान गिराई  है, भगवान  से  पैसा  ले  लो, इसीलिए  मैंने  ये  केस  किया  है  वर्ना  हम  तो धंधेवाले  गुजराती  लोग  है, हमें  इस  झंझट में  पड़ना  ही  नहीं  है..!"

 /वर्सेस/

कजरीवाल- " ये  तो  सरकार  के  सारे  मंत्रीओ ने  हमें  बारबार उकसाया  कि, सरकार  की  ख़ामीयाँ   निकालना  आसान  है, एक  बार  राजनीति में  आकर  देखो, इसीलिए  हम ने  राजनीतिक  दल  बनाया  है  वर्ना,  हम तो  आम  आदमी  है, हमें  इस  झंझट में  पड़ना  ही  नहीं  है..!"

१०. (कॉर्ट रूम-"आई  ऑब्जेक्ट मि.लॉर्ड, भगवान के  सेवा कार्य  को  धंधा  कह  रहे हैं, मि.कानजी?)

कानजीलाल-" ये  धंधा  ही  है  मि.लॉर्ड..! जैसे  म्यूज़ियम में  मोम का  पुतला  दिखा कर  पैसे  लिए  जाते  हैं  बस, वैसे  ही  ये  लोग  मंदिर  में  पत्थर  का  पुतला  दिखा  कर  पैसे  ले  लेते  हैं..!  और,  पुजारीओं  की  तो  सैलरी  भी  होती  है..! इनके  धंधे  में तो  कभी   रिशेसन (Recession = मूल्यपतन)  भी  नहीं  आता..!"

 /वर्सेस/

कजरीवाल- " ये  सारे नेता लोग  इसे  धंधा  ही  मानते  है..!  पांच साल के  बाद  जैसे  ही नया चुनाव  आता  है  तुरंत, ये लोग  जनता के  सामने  बड़े-बड़े   झूठे  वायदे  दोहरा  कर  चुनाव  जीत  जाते  हैं  ..! और, सरकार से  सैलेरी, जनता से  रिश्वत, उद्योगपतिओं  के  साथ  धंधा  जमा  कर, सब कुछ  एक साथ  लूटते  हैं..! फिर, राजनीति  के  धंधे  में  तो  कभी  रिशेसन भी  (मंदी)  नहीं  आता..!""

११.(कॉर्ट रूम- "लेकिन, मंदिर वाले  आपको  पैसा  क्यूँ  दे?")

कानजीलाल-" क्यों  कि, मैंने  मंदिरो में  भी  लाखों के  प्रिमीयम  भरे  हैं..!  ये  देखिए, ये  सारी  रिसीप्ट,  उस  प्रिमीयम की  है,  जो  मैं  पिछले  अठ्ठारह  सालों से  भरता  आया  हूँ..! मि.लॉर्ड, ये  मस्जिद का  चंदा, ये  दरगाह की चद्दर, चर्च की  कैंडल, फ़क़ीर की  झोली, बाबा की  अगरबत्ती, माँ  की  चूंदड़ी (चूनरी), टोटल  दस-साढ़े दस लाख रूपया  मैं  सारी  दुकानो  में  भर  चुका  हूँ..! मेरी  सासुमाँ  बीमार  रहती  थी  तो  मंदिर वालों ने  कहा, ग्यारह  हज़ार  दो, पूजा  कराओ..फिर देखो, पूजा  कराई  और  सासुमाँ  टपक  गई..! चलो, वो  तो  अच्छा  हुआ  पर, ग्यारह  हज़ार  भी  गए? ये  लोग  तो  रिफंड भी  नहीं  देते..!"

 /वर्सेस/

कजरीवाल- " उनको  जवाब तो  देना  पड़ेगा क्यों कि, सरकार  ने  जनता से  टैक्स  वसूल  किया  है..! देखिये, आयकर, वेल्थ  टैक्स, कैपिटल  गेईन  टैक्स, सेल्स टैक्स, सर्विस  टैक्स, रोड  टैक्स, वगैरह, वगैरह..! टोटल, आज़ादी से  आजतक, इतने  सालों  में  जनता ने   करोड़ो-अरबों  रूपया  सरकारी  दुकानों में (दफ़्तरों में) भरे  हैं..! सरकार ने  कहा  था  कि, इस  टैक्स के  बदले में  आपके  लिए  आरामदायक  सुख-सुविधा  मुहैया  कराई  जाएगी  पर, ये तो  भ्रष्टाचार  कर  के  सारे  पैसे  हज़म  कर  गये  और  पूछने  पर जवाब  देने के  बजाय, हम पर  लाठीयाँ  बरसाते  है?"

१२. ( कॉर्ट रूम- छोटी-छोटी बातों के लिए भगवान पर केस नहीं किया जाता । )

कानजीलाल-"मि.लॉर्ड, ये  छोटी  बात  नहीं  है ।  मुझे  अगर  न्याय  नहीं  मिला  तो,  मैं  और  मेरा  परिवार  रास्ते  पर  आ  जायेंगें..! ये मंदिर वाले  कहते  हैं, श्रद्धा से  दान दो,  आप का  कभी  बुरा  नहीं  होगा  और  इन्स्योरन्स वाले  कहते  हैं, टाईम  पर प्रिमीयम  भरो, बुरा  हुआ  तो  हम  है  ना..! तो  मैंने तो  दान भी  दिया  है  और प्रिमीयम  भी  भरे  हैं..! और  आज  दोनों के  दोनों ने  हाथ  उपर  कर  लिए  हैं ?"

/वर्सेस/

कजरीवाल- " ये  छोटी-मोटी  लूट  नहीं  है..! जनता  को  अगर  न्याय  नहीं  मिलेगा तो  सब के सब  रास्ते  पर  उतर  आयेगें..! चुनाव के  वक़्त  इन्हों ने   ही   कहा  था कि, आप  हमें  वोट  दो  हम  आप  का  कल्याण  कर  देगें..! अब  भ्रष्टाचार  करने  के  बाद  कहते  हैं  कि, हमने  कुछ ग़लत  या  बुरा  काम  किया  है  तो  कॉर्ट  में  जाओ..! महँगाई  और सरकारी  टैक्स  भरते-भरते   हमारी  जेबें  ख़ाली  हो  गई  है  और  इन्होंने  हाथ  उपर  कर  दिए  है , हम  कॉर्ट  कैसे  जाएं?"

१३.(कॉर्ट रूम के बाहर- एक्ट ऑफ गॉड  के  ४००  करोड़ के  मुकद्दमे  दायर  होने के  बाद ।)

कानजीभाई-" महाराज, ये तो  सरकारी  जगह है, यहाँ से  तो  सुरक्षित  निकल जाओगे  लेकिन, इन  लोगों से  मंदिरो में, मस्जिदों मे, गिरिजाघरों में, किस-किस से  बचोगे?"

/वर्सेस/

कजरीवाल-" नेताजी, जब तक सरकारी गाड़ी और सुरक्षा साथ है, सुरक्षित रहोगे लेकिन, अगला  चुनाव  हार कर  जब  सारे  देश में  घूमोगे  तब  किस-किस से बचोगे?"

१४.( टीवी  इंटरव्यू  में ।)

कानजीलाल- " जिस तरह वो  माफ़िया वाले  गन  दिखा  कर  ड़राते  हैं,  ये लोग भगवान  दिखा  कर  ड़राते  हैं..! आप के  बच्चे की  कुंडली  मांगलिक  है, उसे  कालसर्प  योग है, वगैरह..वगैरह..! क्या  है  ये, उसे  साँस  तो  लेने  दो ?

/वर्सेस/

कजरीवाल-" जिस तरह  वो  माफ़िया वाले  गन  दिखा कर  ड़राते  है, ये  नेता  लोग देशी-विदेशी  विरोधीओं  को  दिखा कर  हमें  ड़राते  हैं..! आप को  आतंक  से  ख़तरा  है, आप को  विरोधी  पार्टीओं की  नीतिओं  से  ख़तरा  है,  वगैरह..वगैरह..! क्या  है  ये, हमें  किसे  वोट  देना  है, ख़ुद  ही  तय  करने  दो?"

१५.(टीवी  इंटरव्यू  में- आप के हिसाब से धर्म की परिभाषा क्या है, धर्म या मज़हब एक इन्सान की  ज़िंदगी में  क्या  काम  करता  है ?)

कानजीलाल- " मैं  समझता हूँ  जहाँ  धर्म  है,  वहाँ  सत्य के  लिए  जगह  नहीं  है  और  जहाँ  सत्य  है, वहाँ  धर्म  की  ज़रूरत ही  नहीं  है? मेरे  हिसाब से  तो  धर्म  एक ही  काम  करता  है, या तो  वो  इन्सान को  बेबस  बनाता  है  या  आतंकवादी..!"

/वर्सेस/

कजरीवाल-" मैं  समझता  हूँ,  जहाँ  किसी  पद प्राप्ति की लालसा  है,  वहाँ  देश  की सेवा  के लिए  जगह  नहीं  है  और  जहाँ  देश  सेवा की  भावना  हैं,  वहाँ  सत्ता-लालसा की  ज़रूरत ही  नहीं  है..! मेरे  हिसाब से  तो  सत्ता-लालसा  एक ही  काम  करती  है, या तो  वो  लीडर  को  भ्रष्ट  बनाती  है  या  फिर,  किसी  पक्ष, परिवार  या मंत्रीजी  का  चापलूस..!"

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ANY  COMMENT,  SIR?

मार्कण्ड दवे । दिनांकः२५--१०-२०१२.

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MARKAND DAVE
http://mktvfilms.blogspot.com   (Hindi Articles)

बेचारा रावण या शायद हम :'(

 बेचारा रावण या शायद हम :'(


24.10.12

मेला...

विजयादश्मी का मेला....

मेले में केला
मेले में पकौडी
मेले में मिट्टी के खिलौने
मेले में कोका कोला
मेले में गूड की जलेबी
मेले में रेली का रेला
स्थान- दश्मी का पोखरा, धानापुर , जनपद-चन्दौली।
.... मेला, केला और झमेला, इन तीनों का अजीब संयोग है।
आखिर कैसे आप सोचते होंगे, तो सुनिए आप मेले में जाएं और केला ना देखें ये सम्भव नहीं, अगर केला दिख गया और मोल भाव में झमेला ना हो तो कहिएगा !
अरे भाई गांव का मेला गांव के लोग और उसमें औरतों का मजमा फिर बन गई बात। शाम के चार बजे एक भाई साहब ने फोन किया पांच साल से हमने मेला नहीं देखा चलिए देख आएं। मैं भी राजी हो गया। हम लोग चल दिए मेला देखने... एक किलो मीटर का पैदल सफर तय करके हम लोग पहुंचे मेला देखने। सबसे पहले हमारा सामना केला से हुआ। आगे बढें तो कोका कोला से रंग, पोखरे का पानी और शक्कर......।
फिर गूड की जलेबी और  मिट्टी के खिलौने, गुल्लक..।
बादाम, झाल- मुडी के साथ मेले का रेली-रेला।
हो गया भई मेला.....।

एम. अफसर खां सागर

खुशी-खुशी खुशी को अपना लिया

खुशी-खुशी खुशी को अपना लिया
दफ्न कर गमों को झुठला दिया
कब्र में मगर भूल गया नमक डालना
लौटकर भुतहा सा रूह ने कंपा दिया
दफ्न गमों का पिंजर न गल सका
अक्ल में फिर-फिर वह आ खड़ा
महफूज नहीं इन खुशियों के बीच भी
अफसोस फिर भी खुश नहीं ताउम्र
अटपटा लगे, तो न कहना
यह दस्तूर ए जहां है
चाहो खुशी तो मिलती है वो जरूर
पर मगर गमों के चादर में लिपटी हुई
अस न बस खोलोगे खुशी फिर भी गमों को उकेर कर।
-सखाजी

जिंदगी की कहानी

जिंदगी की कहानी
आसमान में उड़ते
पक्षी की तरह है!
पक्षी का पीछा करें,
तब भी आसमान में
पैरों के निशां नहीं मिलते,
पक्षी उड़ जाता है,
पीछे आकाश खाली रह जाता है,
जिंदगी में भी कहीं
कोई चिन्ह नहीं छुड़ते,
सब कुछ विस्मृत हो जाता है,
रह जाती हैं तो केवल यादें
जिंदगी तो
प्रमाण मांगती है
आज का!
आशीष कुमार 
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग 
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार  
09411400108

शर्म करो महाराज !


सतपाल महाराज...इस नाम से तो वाकिफ ही होंगे आप...पेशे से राजनीतिज्ञ हैं...लेकिन टीवी पर अक्सर आपको लोगों को ज्ञान बांटते दिखाई दे जाएंगे। उत्तराखंड की पौड़ी संसदीय सीट से सांसद महाराज अपने संसदीय क्षेत्र के विकास की बजाए लोगों के मन के विकास को ज्यादा तरजीह देते हैं। इनके संसदीय क्षेत्र में आप इनको खोजेंगे तो शायद ये आपको न मिलें...लेकिन टीवी पर धार्मिक चैनलों में आप इनके प्रवचन जरुर सुन सकते हैं। टीवी पर इनके प्रवचन सुनने का मौका मिले तो जरुर सुनिएगा...क्योंकि टीवी पर लोगों को सादगी भरा जीवन जीने का उपदेश देने वाले महाराज की जिस हकीकत से मैं आपको रुबरु कराने जा रहा हैं...उसके बाद शायद आपको मेरी बातों पर विश्वास न हो कि सादा जीवन जीने की बात करने वाले महाराज खुद के जीवन में कितना इसे उतारते हैं। दरअसल 23 अक्टूबर 2012 को महाराज के बेटे श्रद्धेय का विवाह था...विवाह समारोह हरिद्वार में रखा गया था...हम भी महाराज और उनके बेटे को सुखी वैवैहिक जीवन की शुभकामनाएं देते हैं...लेकिन इस शादी में महाराज ने जो किया उसने माहाराज की कथनी और करनी का फर्क साफ जाहिर कर दिया। सादगी पसंद महाराज ने अपने बेटे की शादी को शाही बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अनुमान के मुताबिक सादगी पसंद महाराज ने अपने बेटे की शादी में करीब 100 करोड़ रूपए पानी की तरह बहा दिए। शादी में सिर्फ बिजली पर ही एक करोड़ रूपए खर्च कर दिए...यही नहीं हरिद्वार प्रशासन ने भी महाराज के दरबार में खूब शीश नवाया और जी जान से नियमों को ताक पर रखकर हरिद्वार की जनता के कष्टों की परवाह न करते हुए सारी सुविधाएं मुहैया कराई। हरिद्वार प्रशासन ऐसा करता भी क्यों न सतपाल महाराज की धर्मपत्नी अमृता रावत उत्तराखंड की कैबिनेट मंत्री जो ठहरी। जनता को बिजली मिले या न मिले लेकिन शादी में बिजली की कोई कमी नहीं छोड़ी गई। इसी तरह सजावट, खाने और अन्य चीजों पर भी महाराज ने करोड़ों रूपए पानी की तरह बहा दिए। शाही शादी में शामिल होने के लिए हरिद्वार में देश के तमाम वीआईपी से लेकर राजनेता पहुंचें थे...और हर कोई सादगी पसंद महाराज के शाही तामझाम का लुत्फ उठाने में मशगूल था। सतपाल महाराज ने मेहमानों के लिए अस्थाई टॉयलेट का निर्माण करवाया था...और आपको जानकर हैरानी होगी की गंगा के नाम पर नाम कमाने वाले...गंगा की स्वच्छता की बड़ी बड़ी बातें करने वाले सतपाल महाराज के बेटे की शादी में पंडाल के आसपास बने अस्थाई टॉयलेट का सारा मल मूत्र सीधे गंगा में विसर्जित कर दिया गया। सतपाल महाराज के बेटे की शादी ऐसे वक्त में हुई जब उनके संसदीय क्षेत्र के कई इलाके दैविय आपदा से जूझ रहे हैं...आपदा से जहां कई लोगों को मौत हो चुकी है...वहीं लोगों को घर बार सब आपदा की भेंट चढ़ गया। एक तरफ लोग जहां उनके संसदीय क्षेत्र में दाने दाने को मोहताज थे...वहीं हरिद्वार में जनता के जनप्रतिनिधि अपने बेटे की शाही शादी में करोड़ों रूपए लुटाने में मशगूल थे। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सांसद और धर्मगुरु सतपाल महाराज के व्यक्तित्व और कथनी – करनी में कितना फर्क है। सतपाल महाराज की सादगी को पोल ये कोई पहली बार नहीं खुली थी...इससे पहले भी अपने जन्मदिन पर सतपाल महाराज ने हरिद्वार में ऐसा ही तामझाम किया था। बड़ा सवाल ये है कि जब एक राजनेता शादी जैसे समारोह में करोड़ों रूपए लुटाता है उस वक्त हमारे देश की तमाम एजेंसियां कहां छिपी बैठी रहती हैं। आयकर विभाग से लेकर दूसरे तमाम विभागों को ये तामझाम क्या दिखाई नहीं देता...या फिर इसलिए नहीं दिखाई दिया कि राज्य और केन्द्र दोनों जगह कांग्रेस की सरकार है...और सतपाल महाराज भी कांग्रेस से ही ताल्लुक रखते हैं। दिल्ली में बाबा रामदेव या अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करते हैं तो ये एजेंसियां इनसे आंदोलन में हुए खर्चे का हिसाब किताब मांगने पहुंच जाती हैं...लेकिन सतपाल महाराज जैसे नेता जब शादी में करोड़ों लुटाते हैं तो सब जाने कहां चले जाती हैं। हैरत की बात तो ये भी है कि इस सब के बाद भी सतपाल महाराज जैसे नेता इस सब को गलत नहीं बताते...उन्हें शर्म नहीं आती कि उनके क्षेत्र की जनता दाने दाने को मोहताज हैं...और वो करोड़ों सिर्फ शान ओ शौकत की खातिर लुटा रहे हैं...महाराज को शर्म भले ही न आती हो...लेकिन हमें शर्म जरूर आती है कि ये हमारे जनप्रतिनिधि हैं जो देश की सर्वोच्च संस्था संसद में देश की जनता के कल्याण के लिए फैसले लेते हैं...अब ऐसे नेता जनता का कितना कल्याण सोचते होंगे...ये बताने की जरूरत तो कम से कम अब नहीं बची।
deepaktiwari555@gmail.com

आम आदमी


आम आदमी 

 क्या रावन लँका में पैदा होते हैं ?

पता नहीं ,मगर यहाँ स्वदेशी का खूब चलन है !!
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विजया दशमी की शुभ कामनाएँ ,आम जनता को छोड़कर ... ?

क्योंकि आम जनता के पटाखे फूटते हैं!!

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एक ही थेली के चट्टे-बट्टे , सिद्ध कीजिये ?

पक्ष और विपक्ष को गले मिलते देखिये !!

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एक वचन या  बहु वचन - सदाचार और भ्रष्टाचार ?

सदाचार तो एक जैसा ही होता है पर भ्रष्टाचार तो बहुआयामी  रंगीला ..!!

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भक्त - गुरूजी,सुख और दुःख कैसे जाने ?

गुरु-  जिसको सबने मिल कर चुना वह दुःख और जो चुना गया
         वह सुख।

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गाँव-गाँव में फर्जीवाड़ा पहुंचाईये ?

सरल ,बस बाप ... आप मनरेगा को खूब  दूध पिलाईये !!

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"कोयला के सानिध्य" की करामात बतलाईये  ?

कोयला अन्दर से भी काला और बाहर से भी, मगर सानिध्य पाने
वाला अन्दर से काला और बाहर से धोल्ला !!

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कानून अपना काम करेगा ?

.................आम आदमी पर !!

न्यायालय में देख लेंगे ?

...................आम आदमी को !!

कानून के हाथ लम्बे होते हैं ?

.................आम आदमी तक !!
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23.10.12

हर सरफरोश .........



हर सरफरोश दुनिया में
अपना नाम अमर करना
चाहता है,
और इसलिए हम
खुद से पूछते हैं कि
क्या हमारे कारनामे
सदियों तक कहे जाएंगे?
क्या यह दुनिया
हमारे जाने के बाद
हमारा नाम याद रखेगी?
पूछा जाएगा कि
कौन थे हम?
और किस जूनुन तक
अपने जज्बातों से
मोहब्बत करते थे,
अपने उद्देश्यों के लिए
कैसी कशिश थी!
जब वो
मेरी कहानियां सुनाएंगे
तो कहेंगे,
उसने कितने महान कारनामे किए,
मौसम की तरह
लोग आते जाते रहेंगे,
लेकिन यह नाम
कभी नहीं मरेगा!
वो कहेंगे
मैं उस जमाने में रहा
वो यह भी कहेंगे कि
वह महान युग था!


आशीष कुमार 
प्रवक्ता 
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग 
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार