Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

16.2.19

अब निंदा नहीं चाहिए...एक भी आतंकी जिंदा नहीं चाहिए...

अब निंदा नहीं चाहिए...एक भी आतंकी जिंदा नहीं चाहिए...
https://www.youtube.com/watch?v=Djcx1YdvrvA&feature=share
पाकिस्तान तेरे फिर टुकड़े करेंगे...इंशाअल्लाह,इंशाअल्लाह
शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु ज़्यदा से ज़्यदा इस वीडियो को ज़्यदा से ज़्यदा शेयर करें...

14.2.19

"नेता जी अब फिर दोनों हाथ मे लड्डू नही चैलेंगे"....

  (नेता जी के लड्डू)
         
"नेता जी...अब फिर दोनों हाथ मे लड्डू नही चलेंगे"
मुलायम सिंह जी के बयान की  छोटी सी तशखीज़(आंकलन)...
समाजवादी पार्टी के मुखिया आली जनाब मुलायम सिंह यादव जी का कल एवान-ए-पार्लियामेंट में दिया गया बयान बहुत बड़ी हिक़मते अमली की तरह इशारा करता है।सूबे व् मुल्क़ की सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी नेता जी ने अपने बयान से इशारों ही इशारों में मुस्लिम वोटर्स को आगाह कर दिया है कि अब मुसलमानों का मुस्तक़बिल और हक़-ओ-हुक़ूक़ सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी में ही महफूज़ हैं।नेता जी और वज़ीर-ए-आज़म की दोस्ती किसी से पोशीदा नही है और इस बात पर सनद तब लग जाती है जब आली जनाब वज़ीर-ए-आज़म साहब नेता जी के पोते की शादी में सैफ़ई तशरीफ़ ले गए और काफी वक़्त भी उन्होंने दिया।हमेशा से सूबे के 25% मुस्लिम वोटर्स को और खास कर 90% से ज़्यादा सुन्नी मुस्लिम वोटर्स को बीजपी और आरएसएस का हौवा दिखा का सियासत करने वाले नेता जी अब समझ चुके हैं कि अक्लियती खास कर सुन्नी मोअशरे का वोट उनसे खिसक गया और प्रियंका जी के बाराह-गर्म(सक्रिय) सियासत में दाखिल होने से नेता जी की छटपटाहट लाज़मी है।ताहम जोड़ तोड़ की सियासत के माहिर खिलाड़ी नेता जी मुस्तक़बिल में होने वाले आम इंतेखबात के मद्देनज़र किस तरह ख़ुद व् अपने खानदान को CBI के शिकंजे के बचायें उनके लिये सबसे बड़ी फ़िक़्र का सबब है।नेता जी का ये बयान मेरी समझ से कई पोशीदा राज़ पर से पर्दा उठा गया....
१- मायावती जी की सियासत को किसी क़ीमत पर पनपने नही देना है।
२- आज़म खान साहब अब हाथ से निकले हुए मालूम होते हैं,नेता विरोधी दल न बनाये जाने की ख़लिश उनके दिल मे आज भी है और वो गाहे ब गाहे अपनी तक़रीर में इसका इज़हार भी करते रहते हैं।अखिलेश जी से आज़म साहब के मरासिम जग ज़ाहिर हैं।
३- नेता जी अपनी सियासी दनीश्वरी से समझ चुके हैं कि मोदी जी की सरकार मुतल्लक अक्सरियत(पूर्ण बहुमत) के साथ वापसी कर रही है CBI जाँच का ख़ौफ़ भी उनके ज़ेहन में है।
४- मुस्लिम वोट समाजवादी से हटकर अपना नया ठिकाना ढूंढ ले या तो खुल कर बीजपी को सपोर्ट कर दे या काँग्रेस की ओर चला जाए ताकि भारतीय जनता पार्टी को फायदा हो सके।(ये एक सोची समझी पोशीदा चाल है  जो अभी तक कोई समझा नहीं है) {यही है नेता जी के दोनों हाथों में लड्डू का फॉर्मूला}  मोदी जी  रहे तो बचने का जुगाड़ और काँग्रेस आ जाए तो बचने का जुगाड़ -- क्योंकि मुस्लिम वोट बहुत तेजी से टूटेगा मुलायम सिंह जी के इस बयान के बाद।
इसलिये मेरा ज़ाती तौर से मानना है कि मुस्लिम वोटर्स को बहुत संजीदा फैसला लेना है क्योंकि नेता जी इशारों ही इशारों में मुस्लिम वोटर्स से समाजवादी पार्टी को वोट देने से मना कर गए और कांग्रेस को वोट दे कर मुसलमान फिर से 70 साला बदहाली और ग़ुरबत की ज़िंदगी जीना नही चाहता।इसलिये बिना किसी सियासी दांव पेंच में फसे सीधे भारतीय जनता पार्टी को मुसलमान वोट करे ताकि हुक़ूमत की तशकील में मुस्लिम वोटों की भी एहमियत मंज़रे आम पर आसके और बीजेपी को पानी पी पी कर कोसने वाले सुडो सेक्युलर सिंडिकेट को मुँह तोड़ जवाब दिया जा सके।मुसलमानों को ये बात भी ज़ेहन में रखनी है कि जमहूरियत में हक़ का मुतालबा आप हुक़ूमत से तभी कर सकते हैं जब हुक़ूमत की तशकील में आपकी हिस्सेदारी यक़ीना(सुनिश्चित) हो।
डॉ. सयैद एहतेशाम-उल-हुदा
प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक,प्रचारक
भारतीय जनता पार्टी

9.2.19

पुराना शिकारी नया जाल लाया...(तलाक़-ए-सलासा पर कांग्रेस की नई चाल)

कांग्रेस के क़ौमी सदर राहुल गांधी जी के(अगर हुक़ूमत आयी तो तलाक़-ए-सलासा पर बने कानून पर पाबंदी आएद कर दी जाएगी) कि मंज़रे आम पर पुरज़ोर मज़म्मत करता हूँ...इसके साथ साथ एक बात की वज़ाहत भी कर दूं कि मरकज़ी भाजपा हुक़ूमत की मंशा शरीयत में दखांदाज़ी नही बल्कि तहफ़्फ़ुज़-ए-शरीयत है और ये बात पार्टी के क़ौमी सदर आली जनाब अमित शाह जी अपनी तक़रीर में वाज़े भी कर चुके हैं...एवान-ए-पार्लियामेंट में पास हुए तलाक़-ए-सलासा ऑर्डिनेंस का मक़सद शौहर को अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास कराना है...ताहम क़ौमी सदर जनाब अमित शाह साहब ने इस बात की भी ताईद की है कि घरेलू इख़्तेलाफ़ मुफ्तियाने इक़राम की मौजूदगी में शरीयत की रोशनी में हल किये जायें जिससे अदलिया नव्य्यात से बावस्ता न होना पड़े, जिसके लिए पार्टी सतही काम कर रही है...अब सवाल इस बात का है कि क़ौम के ज़िम्मेदार हज़रात,मुफ्तियाने इक़राम को ये ज़िम्मेदारी अपने हाथ में लेकर शरीयत की रौशनी में क़ौम को बेदार करें...क्या ऐसा हुआ अभी तक या हो रहा है???
राहुल गाँधी जी का बयान खुशामदी(तुष्टिकरण) की एक और सियाह इबारत लिखने पर मबनी है...अक्लियती मुस्लिम मोअशरे को कांग्रेस की इस चाल को संजीदा तवज्जो के साथ समझना होगा वरना फिर वोही कहावत नुमायां हो जयेगी..."पुराना शिकारी नया जाल लाया"...
जय हिंद
डॉ. सयैद एहतेशाम-उल-हुदा
प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक एवं वक्ता
+91 9837357723