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27.5.23

सिविल सेवा में चयनित युवाओं को जाति और धर्म में मत बांटिए



अशोक मधुप, वरिष्ठ पत्रकार

संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा का कल रिजल्ट आया। भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और केंद्रीय सेवा समूह 'ए' और समूह 'बी' में नियुक्ति के लिए कुल 933 उम्मीदवारों की अनुशंसा की गई है। अनुशंसित 933 उम्मीदवारों में से 345 सामान्य , 99 ईडब्ल्यूएस , 263 ओबीसी के हैं, 154 एससी , 72 एसटी के हैं। 178 उम्मीदवारों को वेटिंग लिस्ट में रखा गया है। परीक्षा में इशिता किशोर ने  एयर एक रैंक हासिल की है। उसके बाद गरिमा लोहिया, उमा हरथी एन और स्मृति मिश्रा रहीं। इस बार खास बात यह  की लड़कियों ने परीक्षा में दबदबा कायम किया है।

21.5.23

समय की बात करती हैं प्रमोद दुबे की कहानियां




प्रयागराज। आज के समय में अपनी रचनाओं के जरिए समाज की विडंबनाओं को
उकेरना, ग़लत चीज़ों के खिलाफ़ अपनी रचनाओं के जरिए खड़ा होना बड़ी बात हैं।
कहानियों और ग़़ज़लों के जरिए क़लमकार अपनी बात कहता आया है और आगे भी कहता
रहेगा। यह चीज़ स्पष्ट रूप से प्रमोद दुबे की कहानी संग्रह ‘घोंसला’ और
डॉ. इम्तियाज़ समर के ग़ज़ल संग्रह ‘मोहब्बत का समर’ में दिखाई देती हैं। इन
दोनों ही लोगों ने वर्तमान समय की विसंगतियों को समझा, देखा और परखा है,
इसी हिसाब से सृजन किया है। यह बात रविवार को साहित्यिक संस्था
‘गुफ़्तगू’ की ओर से करेली स्थित अदब घर में अयोजित कार्यक्रम के दौरान
मशहूर न्यूरो सर्जन और कवि डॉ. प्रकाश खेतान ने अपने वक्तव्य में कही।

नौसिखियों की तरह भास्कर हुआ मुंबई में लांच

 

 दैनिक भास्कर जबलपुर समूह मुंबई में लांच हो गया है। लेकिन पहले दिन का इस अखबार को देखें तो यह किसी नौसिखिए की तरह निकला है। इसमें तमाम गलतियों की भरमार है। हालात यह है क‌ि डेटलाइन में मुंबई की जगह कई जगह मंबई छपा है। साथ ही ब्रीफ की खबरों में रिपोर्टर की एक के नीचे एक बाइलाइन है।

तो क्या फर्जी के आगे झुक गए लखनऊ के असली पत्रकार !

sanjay srivastava-

मैं संजय श्रीवास्तव लखनऊ में 28 वर्ष से सक्रिय पत्रकारिता से जुड़ा हूं। हिंदुस्तान, स्वतंत्र भारत, कुबेर टाइम्स, राष्ट्रीय स्वरूप,  जनसत्ता एक्सप्रेस, श्री टाइम्स, कैनविज टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट इत्यादि में मैंने निष्पक्ष, निर्भीक और ज़मीनी पत्रकारिता की। लखनऊ के सभी वरिष्ठ साथी मेरी पत्रकारिता और आचरण से भली - भांति- परिचित हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नए दौर में साइबर एनकाउंटर्स

 

कौशल किशोर | twitter @mrKKjha

पिछले साल भारत में लगभग बीस लाख साइबर क्राइम की रिपोर्ट दर्ज की जाती है।  इसका मतलब औसतन पांच हजार से भी ज्यादा अपराध प्रति दिन दर्ज किए गए थे। इसके अतिरिक्त भारत और अन्य देशों में रिपोर्ट नहीं किए गए साइबर अपराधों की लंबी फेहरिस्त है। यह बेहद गंभीर मामला है। वैश्विक स्तर पर ठगी का यह आंकलन एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर सालाना हो चुका है। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के प्रणेता और कंप्यूटिंग के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले जेफ्री हिंटन को अपनी उपलब्धि पर पछतावा हो रहा है। एक दशक की लंबी सेवा के बाद हाल ही में वह गूगल की मातृ संस्थान अल्फाबेट इंक से इस्तीफा दे चुके हैं। इसके साथ ही एआई के लगातार बढ़ते जोखिम के बारे में खुल कर बात भी करने लगे हैं।

कानपुर में बार एसोसिएशन ने अधिवक्ताओं और पत्रकारों को किया सम्मानित

 



कानपुर बार एसोसिएशन ने शनिवार को अधिवक्ताओं और पत्रकारों को सम्मानित किया। कानपुर कचहरी में पिछले दिनों हुए आंदोलन में शामिल अधिवक्ताओं को सम्मानित किया। वह निष्पक्ष पत्रकारिता से आंदोलन की धारदार खबरें लिखकर अधिवक्ताओं की आवाज़ बुलन्द करने वाले पत्रकारों का भी सम्मानित किया गया। जिसमें कानपुर जर्नलिस्ट क्लब के महामंत्री अभय त्रिपाठी, हिंदुस्तान अखबार के गौरव श्रीवास्तव, जागरण के अलोक शर्मा, अमर उजाला के आशीष अग्रवाल को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किए गए, उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से अधिवक्ता और बार के पदाधिकारी कानपुर कचहरी पहुंचे। अधिवक्ताओं को सम्मानित किया गया।

रोने की हजार वजहें कम पड़ जाएं यदि हंसने की एक वजह मिल जाए

आज के भागदौड़ भरे जीवन में लोग तनाव और डिप्रेशन जैसी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इससे न सिर्फ इंसान का काम प्रभावित होता है, बल्कि इसका असर उसके जीवन और परिवार पर भी पड़ता है। आजकल तो चारों तरफ के हालात देखकर व्यक्ति वैसे ही परेशान रहता है। लेकिन हमें अपनी जिंदगी में जरूर खुश रहना चाहिए और हंसना चाहिए। डिप्रेशन और तनाव दूर करने के लिए हंसना सबसे प्रभावी माना जाता है। हंसने से न सिर्फ वह इंसान खुशी महसूस करता है बल्कि उसके आसपास के लोगों पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता है। हंसने से रोग दूर होते हैं और दिल के साथ-साथ दिमाग भी स्वस्थ रहता है। लोग इस बात को नहीं जानते हैं कि बात करते समय हम जितनी ऑक्सीजन लेते हैं, उससे छह गुना ज्यादा ऑक्सीजन हम हंसते समय लेते हैं। इंसान के जीवन में हंसी के पल बढ़ाने के लिए विश्व हास्य दिवस मनाया जाता है। शरीर में एंडोर्फिन का स्राव होने से हंसी दर्द को कम करने के साथ ही मांसपेशियों के तनाव को भी कम करती है. यह मई महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है। विश्व हास्य दिवस लोगों में हंसी के स्वास्थ्य लाभ और चिकित्सीय प्रभावों को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है


 


सुरेश गांधी-

आधुनिक जीवनशैली में तकनीकी विकास ने हमें बहुत सारी चीजें दी हैं, बहुत-सी सुविधाएं प्रदान की हैं। लेकिन बहुत कुछ छीन भी लिया है। इनमें हंसी और खुशी भी शामिल हैं। तमाम भौतिक संसाधनों और सुख-सुविधाओं ने जीवन को आरामदेह और आसान तो बना दिया लेकिन हमसे हमारा वक्त, खुशियां और मुस्कराहटें छीन लीं। ऐसे में हास्य योग मनुष्य के जीवन में बहुत उपयोगी है, इंसान को जिंदगी हंसते-हंसाते हुए गुजारनी चाहिए। जिंदगी में हंसते हुए रहने से शरीर भी पूर्ण रूप से स्वस्थ्य रहता है। हास्य योग के अनुसार, हास्य सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपूर्ण बनाने के सभी तत्व उपस्थित रहते हैं। यह व्यक्ति के विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करता है और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। जब व्यक्ति समूह में हंसता है तो यह सकारात्मक ऊर्जा पूरे क्षेत्र में फैल जाती है और क्षेत्र से नकारात्मक ऊर्जा को हटाती है।

दिल्ली वालों के साथ पब्लिक एप्प कर रहा है फ्रॉड

दिल्ली के रिपोर्टरों को जानबूझ कर पेमेंट दे रहा कम

पब्लिक एप्प इन दिनों दिल्ली के रिपोर्टर के साथ फ्रॉड कर रहा है. पब्लिक अप्प ने अपने वीडियो से लाइक और व्यूज ऑप्शन बंद कर  दिया है जिससे कि रिपोर्टर को पता न चल सके कि कितने लोग देख रहे हैं, कितने लाइक कर रहे हैं.

News18 India Open Mic Uttarakhand Celebrates the Spirit of Uttarakhand with Prominent Personalities

 

1st May, Dehradun: News18 India, India’s No.1 Hindi News Channel conducted News18 India Open Mic Uttarakhand as a special initiative to showcase the diversity and talent of Uttarakhand. The conclave brought together leaders, artists, and other prominent personalities to discuss a range of themes and topics. The event was a great success, with inspiring speeches and performances.

आयुष्मान कार्ड से इलाज में खेल, पैसे न देने पर बीमार बच्ची को निकाला अस्पताल से बाहर


निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड से इलाज पर भी कर रहे वसूली, हद दर्जे की बदतमीजी पर उतरा अस्पताल का संचालक डाक्टर

कासगंज। आयुष्मान कार्ड से इलाज के नाम पर शहर के कलावती हॉस्पिटल पर धन वसूली का आरोप लगा है। एक तीमारदार ने आयुष्मान कार्ड होते हुए भी अस्पताल कर्मियों और डॉक्टर द्वारा दबाईयों के रुपये लिए जाने का आरोप लगाया है। इतना ही नही पैसे न दिए जाने पर अस्पताल कर्मचारियों और डॉक्टर द्वारा रोग पीड़ित बच्ची को अस्पताल से बाहर निकालने की बात भी तीमारदार ने कही है।

18.5.23

यूपी बीजेपी के पुराने ब्राह्मण चेहरे हाशिए पर!

 अजय कुमार, लखनऊ

      भारतीय जनता पार्टी में मोदी युग की शुरूआत के बाद कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बीजेपी की पिछले करीब एक दशक की राजनीति पर नजर दौड़ाई जाए तो यह कहा जा सकता है कि जहां कभी पार्टी की विचारधारा सर्वोपरि हुआ करती थी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आरएसएस) की मर्जी के बिना पार्टी में कोई फैसला नहीं लिया जाता था। संघ के कई नेता बीजेपी में आकर संघ की विचारधारा को आगे बढ़ाते थे। पार्टी के भीतर पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं को पूरा सम्मान मिलता था।समय-समय पर उन्हीं में से किसी नेता/कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाया जाता था। ऐसी परम्परागत भारतीय जनता पार्टी में आज की तारीख में विचारधारा की बात गौढ़ हो गई है। अब चुनाव में प्रत्याशी के चयन का आधार उसकी सोच से नहीं उसकी चुनाव जिताऊ क्षमता से तय किया जाता है। इसी प्रकार से अन्य दलोें की तरह बीजेपी में भी अब किसी नेता के ‘कद’ का निर्धारण उसकी विचारधारा और काबलियत से अधिक उसकी आक्रमकता से तय किया जाता है। मौजूदा बीजेपी के लिए वोहि नेता ‘काम’ का होता है जो सच-झूठ सब बोलने की क्षमता के साथ-साथ मतदाता तक अपनी बात सलीके से पहुंचाने में महारथ रखता हो, इसके साथ-साथ वोट बैंक की सियासत में फिट बैठता हो। पार्टी में अब ऐसा नेता ही आगे बढ़ता है। इसी वजह से पिछले कुछ वर्षो में दिल्ली से लेकर राज्यों तक की बीजपी इकाई में आयातित नेताओं के साथ-साथ पूर्व नौकशाहों का भी दबदबा बढ़ा है, जबकि बदलती राजनीति में बीजेपी के लिए अपना पूरा जीवन खपा देने वाले कई दिग्गज नेता हासिये पर चले गए हैं।  

तो क्या अटल बिहारी वाजपेयी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी घुटने टेकने वाले नेता थे नड्डा जी ?

चरण  सिंह राजपूत -

बेशर्मी की पराकाष्ठा है मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले देश को भ्रष्ट और घुटने टेकने वाला बताना

क्या सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा गीत भी मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लिखा गया है ? क्या भाखड़ा नागल बांध भी मोदी के पीएम बनने इ पहले बना है ? क्या बैंकों का एकीकरण भी मोदी के पीएम बनने के बाद किया गया है। क्या 1965 और 1971 का युद्ध भी मोदी के पीएम बनने के बाद जीता गया है ?  क्या देश परमाणु शक्ति भी मोदी के पीएम बनने के बाद हुआ है ? क्या सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, गांधी, लोहिया, जेपी सब भ्र्ष्ट और घुटने टेकने वाले थे ? बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कर्नाटक में दिए गए बयान से तो ऐसा ही लग रहा है।  दरअसल जेपी नड्डा ने कर्नाटक विधान सभा चुनाव में कहा है कि मोदी के पीएम बनने से पहले देश भ्रष्ट और घुटने टेकने वाला था। नड्डा का यह बयान ने केवल आज़ादी के बाद के सभी नेताओं और लोगों का अपमान कर रहा है बल्कि आजादी की लड़ाई में सब कुछ न्यौछावर करने वाले क्रांतिकारियों की शहादत को भी बेकार साबित कर रहे हैं। नड्डा का यह बयान मोदी के पीएम बनने से पहले सेना के जवानों को भी कायर बताने वाला है।

10.5.23

आने वाले 50 से 100 वर्षों में पृथ्वी पर जीवन ही नहीं बचेगा!

राजीव थेपड़ा-

पर्यावरण की दुर्दशा और हमारी मासूमियत... हममें से ऐसा कोई नहीं, जो इस पर्यावरण की दुर्दशा से हैरान और परेशान नहीं । लेकिन  हैरान जिस बात से सबको होना चाहिए, उस पर कोई भी हैरान नहीं । बरसों से पर्यावरण पर आए संकट पर सभी रोना रोते हैं। लेकिन उस संकट का कारण कोई भी स्वयं को नहीं मानता, अपितु सब दूसरों पर दोषारोपण करते हैं ।  एक बहुत छोटी सी बात करना चाहता हूं मैं, यदि इसे कोई उसी रूप में समझ ले, जिस रूप में मैं इसे कहना चाह रहा हूं, तो पर्यावरण के संकट की जिम्मेवारी उसी क्षण हम सब ऊपर, हरेक व्यक्ति पर आ जाती है।

वृद्धावस्था पेंशन लेने के लिए 70 वर्षीय महिला प्लास्टिक की कुर्सी के सहारे नंगे पैर चल रही है!

Naveen sinha-

 

ओडिशा में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से वृद्धावस्था पेंशन लेने के लिए 70 वर्षीय महिला प्लास्टिक की कुर्सी के सहारे नंगे पैर चल रही है। अचानक यह तस्वीर हर किसी का ध्यान आकर्षित करती है और सोशल मीडिया पर मशहूर हो जाती है लेकिन क्योंबैंक ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए अपने बुनियादी ढांचे के अनुकूल क्यों नहीं बनाया है