अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में प्रतिबंद्धित एवं विवादित संगठन ‘स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आॅफ इंडिया’(सिमी) और उससे जुड़ा संगठन ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) एक बार फिर से राज्य में अपने पैर पसार रहा हैं। सिमी और पीएफआई दिल्ली में मोदी और यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से राज्य के मुसलमानों को कथित भय दिखाकर उकसाने में लगे हैं तो रिहाई मंच, बामसेफ, आईसा, नागरिक एकता पार्टी और शराब मुक्ति मोर्चा जैसे विवादित संगठनों की भी सक्रियता में तेजी देखी गई। चाहें तीन तलाक पर कानून बनाने की बात हो या फिर अयोध्या पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला अथवा गौरक्षा के नाम पर यदाकदा हुईं माॅब लीचिंग की घटनाओं ने इन संगठनों को ‘उर्जा’ प्रदान की तो नागरिकता संशोधन बिल की आड़ में इन संगठनों ने उत्तर प्रदेश को दंगा-आगजनी की आग में झोंक दिया। प्रतिबंद्धित संगठन को गैर भाजपा दलों के नेताओं के विवादित बयानों ने भी खूब फलने-फूलने का मौका दिया। वैसे,खुफिया सूत्र बताते हैं कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी यूपी में बवाल और हिंसा के लिए ‘जमीन’ तैयार की गई थी,लेकिन उस समय खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलांे की अति-सक्रियता के कारण इनके मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए थे। उस समय तमाम मुस्लिम धर्मगुरू भी परिपक्तता दिखाते हुए लगातार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने और शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील करते दिखाई दिए थे,लेकिन नागरिकता संशोधन बिल के पास होने के समय करीब-करीब सभी मुस्लिम धर्मगुरूओं और बुद्धिजीवियों ने मुसलमनों को समझाने की बजाए ‘आग में घी डालने’ का काम ज्यादा किया।