किसी भी देश के विकास के लिए जिन तत्वों को आवश्यक माना जाता है, उनमें अत्यधिक महत्वपूर्ण है, उस देश का कारोबारी माहौल कितना सकारात्मक है और वहाँ व्यापारियों-उद्योगपतियों को पर्याप्त सम्मान मिलता है कि नहीं। भारत के संदर्भ में इसे लें तो आज स्थितियाँ पूर्व की अपेक्षा बहुत ही सकारात्मक हैं। हलांकि इसका प्रारंभ केंद्र में राजीव गांधी की सरकार के बाद ही दिखना शुरू हो गया था, किंतु राजीव गांधी के असमय निधन के बाद नौवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेते ही पामुलापति वेंकट नरसिंम्हा राव ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा देते हुए समाजवादी भारत की अर्थव्यवस्था को पूंजीवाद और खुली अर्थव्यवस्था की ओर मोड़ने में सफलता हासिल की।
30.10.16
भारत के प्रति विश्व बैंक का नकारात्मक रवैया
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यूपी में उलझी अंकल की मुलायम सियासत
प्रभुनाथ शुक्ल
राजनीति में यह जुमला आज भी उतनी शिद्दत से प्रचलित है कि दिल्ली की राजनीति का भविष्य यूपी तय करता है। राजनीतिक लिहाज से उत्तर प्रदेश की एक अलग पहचान है। कहा जाता है कि दल्ली की तख्त पर कौन विराजमान होगा और सत्ता का ताज किसके सिर बंधेगा यह यूपी तय करता है। लेकिन राज्य की सत्ताधारी दल समाजवादी पाटी में मचे आंतरिक घमासान ने राज्य में राजनीतिक संकट पैदा कर दिया है। बाप-बेटे और चाचा-भतीजे के साथ भाइयों के बीच सत्ता और उत्तराधिकार का संकट सैफइ से सीधे लखनउ की सड़कों पर नूरा कुश्ती में बदल गया है। राज्य में लोकतंत्र और सरकार मजाक बन कर रह गइ। हालांकि दिल्ली और प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक पूरे घटनाक्रम पर निगाह गड़ाए हैं। राज्यपाल ने सीएम अखिलेश यादव को बुलाकार सरकार की स्थिति का आंकलन किया है। हालंाकि राज्य में राजनीतिक संकट से इनकार नहीं किया जा सकता है। भाजपा अध्यक्ष अमितशाह भी गुजरात का दौरा बीच में छोड़़ लौट आए हैं, क्योंकि राजनीतिक लिहाज से यूपी भाजपा के लिए नयी चुनौती है।
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यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा....
अंधियार ढल कर ही रहेगा
आंधियां चाहें उठाओ,बिजलियां चाहें गिराओ,
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।
रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाये,
वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर गाहक लगाये,
वह पसीने की हंसी है, वह शहीदों की उमर है,
जो नया सूरज उगाये जब तड़पकर तिलमिलाये,
उग रही लौ को न टोको,
ज्योति के रथ को न रोको,
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28.10.16
दो पत्रकारों को फैलोशिप अवार्ड
श्रीगंगानगर। वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय रामप्रकाश मील की स्मृति को चिरस्थायी
बनाए रखने के लिए गठित 'आरपीएम जर्नलिज्म फाउण्डेशन' की ओर से विगत दिवस दो
पत्रकारों को पूर्व घोषणानुसार फैलोशिप अवार्ड प्रदान किए गए। स्वर्गीय मील के
जन्मदिवस 21 अगस्त को इन पत्रकारों के नामों की घोषणा की गई थी, जिन्होंने 45
दिवस के गहन अनुसंधान-अध्ययन के बाद अपने-अपने विषय पर विश्वसनीय व विस्तृत
शोध पत्र प्रस्तुत किए। इन शोध पत्रों की प्रतिलिपियां अंतरराष्ट्रीय व
राष्ट्रीय स्तर की सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं को आगामी कार्ययोजना के लिए
प्रेषित की गई हैं।
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NUJ (INDIA) hails SC verdict on equal pay for equal work
New Delhi : "The National Union of Journalists (India), NUJ(I), hails the Hon'ble SC verdictt on equal pay for equal work as a historic one. The court has unequivocally rejected arguments of employers for lower pay to contract, temporary workers and slammed the claim that the workers are voluntarily accepting lower pay.
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उद्योगों की बाढ़ चली, नर्मदा की बलि चढ़ी
मध्य प्रदेश शासन ने कोरिया, जापान, इंग्लैण्ड (यू.के.), यूएई (अरब देश) और सिंगापुर जैसे देशों की सरकारों को साथ लेकर बड़ी इन्वेस्टर्स मीट संपन्न की। इसमें पधारे और न पधारे हुए उद्योगपतियों का आह्वान किया कि आप आइए और अपनी पूंजी लगाईये। इनमें निश्चित ही तमाम प्रकार के उद्योगों के लिए न्यौता दिया गया है और वह भी बिना किसी बंधन के। उन्हें कहा गया है, आपके लिए द्वार खुला है, नाम भले सिंगल विंडों क्यों न हो। इस प्रकार करोड़ों रूपये सार्वजनिक तिजोरी से खर्च करके आयोजित किये जाने वाले सम्मेलनों का कोई हिसाब-किताब रखा भी जाता हो तो जनता के सामने पेश नहीं किया जाता। इन्दौर या खजुराहो में हुए पिछले निवेश सम्मेलनों के बाद कितने उद्योगपतियों ने कितना पूंजी निवेश किया और उसमें भारत ने, मध्यप्रदेश की जनता ने क्या खोया-क्या पाया? कितना रोजगार निर्मित और कितनी खेती बर्बाद हुई? बेरोजगारी कितनी बढ़ी? इन सवालों का जवाब खोजा जाना जरूरी है।
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25.10.16
दैनिक ‘तरुणमित्र’ मचा रहा बिहार में तहलका, प्रकाशित समाचारों की दूसरे अखबार कर रहे नकल
उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र के बाद कुछ माह पूर्व बिहार की राजधानी पटना से
प्रकाशित दैनिक ‘तरुणमित्र’ अपने समाचारों के लिए इन दिनों बिहार में
चर्चा में है। इस दैनिक में प्रकाशित समाचारों ने राजधानी पटना समेत पूरे
बिहार में इस कदर तहलका मचा रखा है कि पटना से प्रकाशित कई अन्य प्रमुख
हिन्दी दैनिकों को दैनिक‘तरुणमित्र’ में एक दिन पूर्व प्रकाशित समाचारों
की नकल कर अपने अखबार में प्रकाशित करने को बाध्य होना पड़ रहा है। ताजा
उदाहरण बीते शुक्रवार को पटना एयरपोर्ट से दिल्ली के दो व्यवसायी बंधु
सुरेश शर्मा और उसके छोटे भाई कपिल शर्मा के अपहरण का है।
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मुलायम ने स्पष्ट कर दिया कि वे भाई के साथ हैं, बेटे के नहीं!
अखिलेश अखिल
नेता जी मुलायम सिंह की महा बैठक पर सबकी निगाहें टिकी थी। मीडिया के लोग हलुक हलुक कर कानाफूसी के जरिये ख़ास खबर लेने को बेचैन थे। विपक्ष वाले भी इस महाबैठक को सूंघने के लिए अपने अपने छोर रखा था। लखनऊ से दिल्ली तक राजनितिक दलों के भीतर इस महाबैठक पर चर्चा चल रही थी। लेकिन बैठक की कोई बात तबतक बाहर नहीं आयी जब तक नेता जी ने अपने इरादे की बात सबके सामने नहीं रखी। अन्त में नेता जी के मन की बात सामने आयी। चाचा -भतीजा को मिलाने की बात पहले सामने आयी। फिर दोनों के बीच हुयी झड़प की बाते भी खूब प्रचारित हुयी। भी सामने आयी कि अमर सिंह , मुलायम सिंह के सबसे ज्यादा करीबी है और मुख्यमंत्री अमर सिंह के बारे में गलत बयानबाजी नहीं करे।
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अंधेरे पर प्रकाश की जीत का पर्व है दीपावली
-डॉ. सौरभ मालवीय
असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अर्थात्
असत्य से सत्य की ओर।
अंधकार से प्रकाश की ओर।
मृत्यु से अमरता की ओर।
ॐ शांति शांति शांति।।
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24.10.16
तकनीक के तेजी से प्रभाव डालने से सामाजिक असंतोष बढ़ता दिख रहा
भोपाल। समाज में सबके अपने-अपने सत्य हैं। लोग एक आंशिक सत्य को ही पूर्ण सत्य बनाकर सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाते हैं। अपने आंशिक सत्य के सामने वह दूसरे के आंशिक सत्य को भी देखना नहीं चाहते। सोशल मीडिया ऐसा माध्यम है, जिस पर एक बार संदेश प्रसारित हो गया, तब उसका नियंत्रण हमारे हाथ में नहीं रहता। वह समाज के सामने किस प्रकार प्रस्तुत होगा, समाज पर किस प्रकार का प्रभाव डालेगा, यह तय नहीं। विचार किए बिना प्रसारित यह आंशिक सत्य समाज में कई बार तनाव का कारण बनता है। इसलिए आज आवश्यकता है कि सोशल मीडिया का स्व नियमन करने के लिए सामाजिक सहमति बनाई जाए, ताकि सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग बढ़े और नकारात्मक उपयोग कम से कम हो। यह विचार पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने व्यक्त किए। श्री शुक्ला माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से 'कानून एवं व्यवस्था के लिए सोशल मीडिया' विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि थे। कार्यशाला में प्रदेशभर से पुलिस अधिकारी एवं विषय विशेषज्ञ शामिल हुए हैं।
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पटाखों के प्रयोग से होती है जीव हिंसा, 300 बालक-बालिका नहीं छोड़ेंगे पटाखे
बाड़मेर । इंड़िया अगेंस्ट वॉयलेंस, बाड़मेर की ओर से रविवार को पटाखा बहिष्कार, ईको दीपावली व पर्यावरण संरक्षण को लेकर विशाल पटाखा बहिष्कार रैली का आयोजन किया । साधना भवन से रैली रवाना होने से पूर्व साध्वीश्री प्रशांतगुणाश्री म.सा. आदि ठाणा ने मंगलाचरण कर बच्चों को पटाखे नही छोड़ने का संकल्प दिलाया । इस अवसर पर साध्वी श्री प्रशांतगुणाश्री म.सा. ने कहा कि दीपावली पावन व मंगलमय पर्व पर पटाखों के प्रयोग से अपार जीव हिंसा होती है । हमें भगवान महावीर की जीओ और जीने दो की भावना रखते हुए जीव हिंसा व प्रताड़ना से बचना चाहिए । वहीं कार्यक्रम में संयोजक मुकेश बोहरा अमन ने तीन दिवसीय आयोजन के तहत् होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी । तत्पश्चात विशाल पटाखा बहिष्कार रैली को जैन समाज के वरिष्ठ नागरिक पन्नालाल बोहरा ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया ।
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22.10.16
बॉब डिलन के बहाने कुमार विश्वास
एक बार फिर से 'लोकप्रिय साहित्य' और 'गम्भीर साहित्य' के बीच का विमर्श शुरू हो गया है। समय-समय पर यह मुद्दा विमर्श, या यों कहें कि विवाद में आ जाता है। वस्तुतः विवाद तो यहीं से शुरू हो जाता है कि 'लोकप्रिय' और 'गम्भीर' साहित्य की परिभाषा क्या हो। इसका कोई नियामक तो है नहीं और न ही इन दोनों के बीच कोई स्पष्ट रेखा खींची जा सकती है।
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20.10.16
अति पिछड़ी जातियों का कोटा ओबीसी आरक्षण कोटा में से किया जाए
लखनऊ : "अति पिछड़ी जातियों का कोटा ओबीसी आरक्षण कोटा में से अलग किया जाये"- यह बात आज एस.आर .दारापुरी, राष्ट्रीय प्रव्क्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने प्रेस विज्ञप्ति में कही है. उन्होंने आगे कहा है कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण कोटा उपलब्ध है परन्तु उस में अति पिछड़ी जातियां जिन की जनसँख्या पिछड़ी जातियों में लगभग 33% है को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है क्योंकि उस का बड़ा हिस्सा ओबीसी में अगड़ी जातियां जैसे यादव, कुर्मी और जाटों द्वारा हथिया लिया जा रहा है. अतः अति पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ तभी मिल सकता है जब उनकी आबादी के अनुसार उन का कोटा अलग कर दिया जाये. आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने इस मांग को लगातार उठाया है और उसे अपने सामाजिक न्याय के एजंडे में शामिल भी किया है.
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19.10.16
कृष्णमोहन झा, अपनी औकात में रहो
भोपाल । चूहा चिन्दी मिलने पर बजाज हो गया। जी हाँ कृष्णमोहन झा जिनका कोई दीन-इमान नहीं, उन पर यही मुहावरा लागू होता है। ये वो शख्स है जिनकी जमीन नहीं और अपने आप को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कहते हैं? कल उनके गंदे मुख से कहा गया कि एम.पी.वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन गली-कूचे का संगठन है। मैं कृष्णमोहन झा को याद दिलाना चाहता हूँ कि एक समय वो स्वयं एम.पी.वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन में पदाधिकारी थे। उनकी स्वार्थ पूर्ति नहीं हुई तो वे चले गये। ये वे कृष्णमोहन झा है जो ‘‘स्वार्थ लाग करै सब प्रीति’’ वाले है।
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18.10.16
राजस्थान मूल के पत्रकार ओ.पी. यादव 'आयुर्वेद मीडिया एक्सीलेंस अवार्ड' से सम्मानित
नई दिल्ली- 18 अक्टूबर - राजधानी दिल्ली के पी.एच.डी. चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री सभागार में आयोजित एक अन्तर्राष्ट्रीय आयुर्वेद नॉलेज सिम्पोजियम में डी.डी. न्यूज नई दिल्ली के ओ.पी. यादव को ‘‘आयुर्वेद मीडिया एक्सीलेंस’’ अवार्ड से सम्मानित किया गया।
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लोकमत प्रबंधन को पटकनी देने वाले महेश साकुरे के संघर्ष की कहानी
जानिये कैसे 17 साल की लड़ाई के बाद सुप्रीमकोर्ट में महेश ने दी लोकमत प्रबंधन को पटकनी... लोकमत प्रबंधन को लेबर कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीमकोर्ट तक में पटकनी देने वाले वीर मराठा महेश साकुरे की कहानी उन सभी साथियों को प्रेरित करती है जो मजीठिया वेज के अनुसार वेतन, एरियर और प्रमोशन की मांग को लेकर सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। 4 अक्टूबर 2016 के सुप्रीमकोर्ट के ऑर्डर के बाद कई मीडियाकर्मी निराश हुए। मेरा दावा है महेश की कहानी आप एक बार पढ़िए। निश्चित रूप से आप में जोश आएगा और महेश के जज्बे को भी आप सलाम करेंगे। अपनी संघर्ष की कथा मेरे निवेदन पर लिखने को तैयार हुए महेश साकुरे।
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चरित्र हनन और मोरल पुलिसिंग के खिलाफ एएमयू की छात्राएं उठ खड़ी हुईं, देखें तस्वीरें...
आजादी की मांग को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्राएं सड़क पर उतर आई हैं. ये आजादी चरित्र हनन और मोरल पुलिसिंग से चाहिए. सैकड़ों की संख्या में लड़कियों ने सड़क पर उतर कर तानाशाही और मोरल पुलिसिंग के खिलाफ नारेबाजी की. इंदिरा गांधी हाल के प्रोवोस्ट डा. फर्रूक अर्जुमंद के बर्ताव के खिलाफ तीन दिन पहले विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ जो आज भी जारी रहा. वाइस चांसलर की मध्यस्थता भी फेल हो गई.
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जानिये मुम्बई के किन किन पत्रकारों को मिला है म्हाडा लाटरी में फ्लैट
मुम्बई गृहनिर्माण व क्षेत्रविकास मंडल (म्हाडा) द्वारा हर साल मुम्बई में बनाये गए अपने फ्लैटों की लॉटरी निकाली जाती है जिसमें आम आदमी के साथ साथ पत्रकारों को भी फ्लैट आवंटित होते हैं। पत्रकारों को बाकायदे पत्रकार कोटा से फ्लैटों की लाटरी निकालकर उन्हें फ्लैट आवंटित किये जाते हैं। मगर ये पता नहीं चल पाता है कि किस पत्रकार को म्हाडा लाटरी में फ्लैट आवंटित किए गए हैं। इसमें गड़बड़ झाला होने की भी आशंका जताई जाती है। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट शशिकान्त सिंह ने आरटीआई के जरिये ये जानकारी निकाली है कि पिछले चार साल में किन किन पत्रकारों की म्हाडा लाटरी के तहत फ्लेट आवंटित किए गए।
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आंतरिक जीवन ही महानता का सच्चा मार्गदर्शक है
हममें से अधिकतर लोग "जीवन की यथार्थता" को या तो समझने की कोशिश नही करते, या फिर जब समझना चाहते है तो सुनहरा वक्त गुजर चुका होता है । कुछ लोगों का यह भी कहना है कि " जब जगो तभी सवेरा" । बात तो उनकी भी ठीक है कि जागृति आए तो सही, भले ही देर से आए परन्तु यदि सूर्य देव प्रात:काल के बजाय मध्यान:काल में अपनी लालिम किरणों को हमारे बीच में बिखेरें , तो दिन तो होगा ही, मगर वह दिन शायद आधा-अधूरा ही होगा ? ध्यातव्य यह है कि यदि व्यक्ति वक्त रहते स्वयं को जागृत नहीं करता तो एक न एक दिन वक्त स्वयं ही उस व्यक्ति को जागृत कर ही देता है । यह भी सच है कि विलम्ब से जागृत हुआ व्यक्ति उस स्व-जागृति का उतना समर्थ्य उपयोग नहीं कर पाता, जितना की समय रहते स्व-जागृति होकर कर सकता था।
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आओ सर्जिकल स्ट्राइक - सर्जिकल स्ट्राइक खेलें
व्यंग्य...
सचमुच हमारा देश महान है। इसकी महानता का भान इंसानों को ही नहीं देवताओं व जानवरों को भी समय-समय (चुनाव के अलावा ) हमारे राजनीतिक दल व खबरिया चैनल कराते रहते हैं। ज्यादा पीछे न भी जाएं तो हाल-फिलहाल की गतिविधियां ही काफी हैं। ताजा मामला भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक का है। अभी मैं इसकी ऐतिहासिकता पर बात नहीं करूंगा कि यह पहली बार हुई है या पहले भी हो चुकी है। मैं इसके सबूत मांगे जाने और खून की दलाली की चर्चा कर हिंदू राष्ट्रभक्त होने के तमगे से भी वंचित नहीं होना चाहता।
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आधुनिक राष्ट्र निर्माण का अभिनव पहल : स्मार्ट सिटी योजना
डॉ.सौरभ मालवीय
किसी भी देश, समाज और राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया के आधारभूत तत्व सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण, वैचारिक स्पष्टता और सांस्कृतिक विकास ही उसका आधार स्तम्भ होता है जिससे वहां के लोग आपसी भाईचारे से विकास की नैया आगे बढ़ाते है। समाज का प्रत्येक वह व्यक्ति जो राष्ट्र का नेतृत्व करना चाहता है उसके पास राष्ट्र निर्माण के लिए एक दृष्टि होनी चाहिए साथ ही उसे क्रियात्मक रूप देने के लिए एक कारगर योजना भी होनी चाहिए। भारत का यह दुर्भाग्य रहा है कि कहने को तो देश के पास राष्ट्र-नायको की कभी कोई कमी नही रही, परंतु आजादी के समय से लेकर मई 2014 तक एक से बढ़ कर एक बुद्धि वादियों के हाथ में देश का नेतृत्व रहा लेकिन राष्ट्र निर्माण के लिए उनके द्वारा जो भी पहल की गई वह मौलिक सोच पर आधारित नही थी। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जहा देश को समय से पहले इंग्लैंड (विकसित राष्ट्र) बनाना चाहते थे, वही भारत के अंतिम कांग्रेसी प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सोच कभी उनकी खुद की नही रही और वो पूरे कार्य काल तक नाम मात्र के कठपुतली प्रधानमंत्री बन कर रह गए।
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17.10.16
Mamata for Jehadis, Muharram violence for Hindus : Dr. Surendra Jain
New Delhi. October 17, 2016. Mamata has transformed Sonar Bangla into a wasteland. Hindus were at the receiving end even during the Left rule, but the kind of atrocities that the Mamata regime has inflicted on the Hindus in the name of Muslim appeasement is something that the Hindus did not undergo even during Islamic rule. Dr. Surendra Jain, Int’l Joint General Secretary of Vishwa Hindu Parishad today also said that the bans that were imposed on Durga Puja this year were unprecedented. It was only because of the intervention of the Hon. High Court that the Hindus found some relief. However, the Jehadi elements, on the provocation of the Muslim Personal Law Board, carried out the most macabre violence in muslim-majority areas.At so many places in West Bengal, beef was used by the muslims to desecrate the puja pandals, the idols were destroyed and temples ransacked. Hindu women were raped, the shops and residences of Hindus were ransacked and burnt down and murderous attacks were carried out on the Hindus, he added.
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आज के समय में अंतरधार्मिक संवाद की बहुत आवश्यकता
आचार्य डा. लोकेश मुनि जी के 34वें दीक्षा दिवस एवं अहिंसा विश्व भारती के 11 वें स्थापना दिवस के अवसर पर अहमदाबाद में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘सर्वधर्म संवाद के द्वारा शांति व सद्भावना’ का उदघाटन करते हुए गुजरात के राज्यपाल महामहिम श्री ओम प्रकाश कोहली जी कहा कि वर्तमान परिस्थितों में ऐसे समसामयिक विषय पर संगोष्ठी का आयोजन करना राष्ट्र व समाज के लिए कल्याणकारी है| राज्यपाल श्री ने इस अवसर पर आचार्य लोकेश मुनि व संस्था के सभी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि आचार्य लोकेश मुनि पिछले 34 वर्षों से धर्म को समाज कल्याण के साथ जोड़कर न सिर्फ भारत में अपितु विश्व में शांति व सद्भावना की स्थापना के लिए प्रयास कर रहे है यह बेहद हर्ष का विषय है| आचार्य लोकेश मुनि केवल जैन धर्म को ही नहीं समूची भारतीय संस्कृति को विश्व भर मैं फैला रहे है| उनके नेतृत्व में अहिंसा विश्व भारती संस्था धर्म को समाज सेवा से जोड़कर उसे सामाजिक बुराइयों को मिटाने का प्रयास कर रही है उसकी जितनी सराहना की जाये वो कम है|
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16.10.16
चैनल के मीडियाकर्मियों को पत्रकार श्रेणी में नहीं मानती सरकार!
भोपाल । दूरदर्शन सहित देश में चल रहे न्यूज चैनल जो कि हमें हर पल की खबर से रूबरू कराते हैं, इन चैनलों में काम करने वाले पत्रकार और कैमरामैन कानून की नजर में पत्रकार की श्रेणी में नहीं आते हैं। यह खुलासा हुआ प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के जवाब में। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र तो लिखा था दूरदर्शन में काम करने वाले पत्रकारों को लेकर। उस पत्र को प्रधानमंत्री कार्यालय से संबंधित विभाग को उचित कार्यवाही के लिये भेजा गया।
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15.10.16
आजादी के 70 वर्ष बाद भी नही मिल पाया विंध्य प्रदेश को सड़क का स्वराज
शिवभानु सिंह बघेल ‘‘त्योंधरी’’
सतना ! बडे दुर्भाग्य की बात है कि देश के प्रधानमंत्री तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री बार बार विकास की बात करते है इन दोनो जबावदारो का कहना है कि यह 21 वीं सदी है और यह सदी भारत की है। उनका यह भी दावा है कि भारत दुनिया में सुपर पावर बनने की ओर अग्रसर है। लेकिन उनका यह दावा जमीन पर आकर खोखला साबित हो जाता है। विंध्य प्रदेश क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्गो की हालत इतनी दयनीय है कि इन्हे अब मौत के राजमार्गो के नाम से जाने जाना लगा है। सच तो यह कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी इस क्षेत्र को सड़को का स्वराज नही मिल पाया है।
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चैनल ने शुरू किया ठगी का धंधा
इंडिया क्राइम न्यूज़ चैनल ने शुरू किया ठगी का धंधा... असल में इंडिया क्राइम न्यूज़ चैनल एक साल से अपने स्ट्रिंगरो को कोई पैसा नही दे रहा है... अब जबसे इंडिया क्राइम न्यूज़ चैनल DEN पर कहीं कहीं दिखने लगा है तो चैनल ने अपने पहले से कार्यरत लोगों को एड के लिय मजबूर किया और एड न देने का बहाना बना कर बाहर कर दिया... वहीँ अब चैनल ने ठगी का एक नया तरीका इस्तेमाल किया है... चैनल हर जिले में 2 लाख रुपए की स्ट्रिंगर से मांग कर रहा...
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हिंदुस्तान अखबार ने करवाया विभीषण दहन!
दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान ने अखबार की दुनिया में बुधवार को नया अध्याय लिख दिया! गुडगांव ब्यूरो से प्रकाशित पुलआउट के 12 अक्टूबर के अंक में विभीषण दहन करवा दिया! जिसमें रावण-कुंभकरण के साथ मेघनाथ दहन के बजाए विभीषण दहन की खबर लिख दी!
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डॉ. वीरेन्द्र आज़म का उत्तराखंड में सम्मान
देहरादून। अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति अमेरिका (भारत चैप्टर) एवं उत्तर भारत श्रमजीवी पत्रकार परिषद द्वारा हिन्दी दिवस के उपलक्ष में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित एक भव्य समारोह में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वीरेन्द्र आज़म को उनकी साहित्यिक पत्रकारिता तथा करीब चार दशक की स्वस्थ पत्रकारिता के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सम्मानित किया। डॉ.वीरेन्द्र आज़म प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘‘शीतलवाणी’’ के संपादक हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ.वीरेन्द्र आज़म गत चार दशक में नवभारत टाइम्स दिल्ली, अमर उजाला मेरठ, राष्ट्रीय सहारा दिल्ली, दैनिक जागरण देहरादून, जनवाणी मेरठ, नेशनल दुनिया दिल्ली व आकाशवाणी लखनऊ से जुड़े रहे है।
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संस्कृत गीतों और धुनों ने किया मंत्रमुग्ध
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के 'पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन' में संस्कृत बैंड ध्रुवा की प्रस्तुति
भोपाल, 15 अक्टूबर। वेदों की ऋचाओं और श्लोकों से संस्कृत बैंड ध्रुवा ने जब अपनी प्रस्तुति शुरू की, तब श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए। एक ओर रवीन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर शरद पूर्णिमा की चाँदनी शीतलता का अहसास करा रही थी, वहीं ध्रुवा बैंड के सुर-ताल पर संस्कृत श्रोताओं के हृदय में उतर रही थी। संस्कृत गीतों, भजनों और श्लोकों की यह सांगीतिक प्रस्तुति ध्रुवा ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन के अवसर दी। संस्कृत के मंत्रों के साथ भारतीय पारंपरिक और पाश्चात्य के इस अद्भुत संगम को सुनने के लिए देशभर के मीडिया और संचार संस्थाओं में कार्यरत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ अध्यापक, अधिकारी और शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।Posted by यशवंत सिंह yashwant singh 0 comments
शायद पार्टी ही कन्फ्यूज है राहुल के भविष्य पर
अजय जैन ' विकल्प '
जिसने कभी खुद मंडी में जाकर या ठेले वाले भय्या से आलू नहीं खरीदा हो ,वो भला कैसे समझेगा कि आलू की फैक्टरी नहीं होती है।अरे अभी तक जो अपने संगठन कॊ जी ही नही पाया ,वो भला मानुष तो 'सर्जिकल स्ट्राइक' कॊ भी आलू ही मानेगा न।इसके लिए इनकी कांग्रेस पार्टी सहित कॊई भी नेता अगर इनको जिम्मेदार मानता है तो गलती उस संगठन की है,जिसने इनको 'खून की दलाली' कहने के लिए देश में नेता के भेष में अकेले छोड़ दिया है।बस जनपथ से ही चल रही पार्टी की मुखिया कॊ अब तो समझना-स्वीकारना चाहिए कि ,गाँधी का मतलब ही स्वीकार्य सत्ता,लोकप्रिय छवि और जनप्रतिनिधि नहीं होता है।ऎसा बनने के लिए जीवन तक त्यागना पड़ता है।सेना की 'सर्जिकल स्ट्राइक 'पर भाजपा के श्रेय कॊ लेकर राहुल ने क्या कहा,सवाल अब यह नही है।वरन ये है कि राहुल गांधी आखिर बात-हालात की गहराई कॊ नापना कब समझेंगे-सीखेंगे।इनके अब तक के राजनीतिक सफर में इतने उतार-चढ़ाव आने पर भी इन्होंने कोई सबक सीखा हो,इस पर विश्वास करना अभी भी ज़रा मुश्किल है।
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पत्रकारिता : मानक नहीं, मान्यता बदलें
अर्पण जैन "अविचल"
तेज गति से चलने वाले जनजीवन में पत्रकारो और पत्रकारिता का महत्व क्षणे-क्षणे कमतर होता जा रहा है, जनसामान्य ना जाने क्यू वर्तमान में पत्रकारो को हेय की दृष्टि से देखने की आदत डाल रहा है? ना जाने किस भय से आक्रांतित है जनमानस, या ना जाने पत्रकारो ने कौन सी भूल कर दी, या कौनसा ऐसा अपराध हो गया इस कुनबे से जो आज मानस पटल से पत्रकारो को सम्मान उतना नहीं मिल पा रहा है, जितना आज़ादी के पहले और बाद के कुछ सालो तक मिला | इस क्षणभंगूर दुनिया को कितनी ही आज़ादी का पाठ पत्रकारो ने पड़ाया, कितना मानवीय दृष्टिकोण के साथ हर संभव प्रयासो द्वारा उनके दुख को कम किया , अपनी हर भूमिका में जनहित किया / करवाया , किंतु आज विडंबना यह है की पत्रकार पहले से और दूरी बना रहे है जनता के साथ |
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उप्र चुनाव : ओपीनियन पोल से भाजपा की खुशफहमी जरूर बढ़ी होगी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दशहरे के मौके पर लखनऊ के ऐशबाग रामलीला कमेटी मंच से जय-जय श्री राम का उद्घोष क्या किया, समाजवादी पार्टी में घट रहा असमाजवाद बजाए थमने के उफान लेने लगा। यह कयास भी लगाए जाने लगे कि कहीं भाजपा ने चुनावी एजेण्डा तो नहीं तय कर दिया? भाजपा उत्साहित है तो दूसरी पार्टियों में अब भी अनिश्चितता का माहौल दिख रहा है। अब तो सपा सुप्रीमों ने भी साफ-साफ कह दिया कि उप्र में मुख्यमंत्री सरकार बनने के बाद ही तय होगा। यानी अहम का पटाक्षेप होने के बजाए अभी केवल ‘तू बड़ा कि मैं’ का ट्रेलर ही सामने आया है। परिवार के विवाद में उलझी सपा और आयाराम-गयाराम के नफा-नुकसान को आंक रही बसपा के बीच, उम्मीदों का अंकुर पाल, नए सिरे से जोश के साथ आगे बढ़ रही कांग्रेस को एक झटके में ही, खबरिया चैनलों के ओपीनियन पोल ने सकते में डाल दिया।
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राजेश बादल बोले- अखबारों में अच्छा लिखने और टीवी पर अच्छा दिखाने के लिए अच्छा पढना पहली शर्त
माखनलाल विश्वविद्यालय के 'पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन' में विद्वानों और विद्यार्थियों ने रखे विचार
भोपाल, 15 अक्टूबर। पत्रकारिता मात्र रोजगार का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सरोकारों से जुड़ा पेशा है। एक रोते हुए व्यक्ति के आँसू पोंछने की ताकत पत्रकारिता में है। पत्रकारिता से समाज को उम्मीदें हैं। एक सामान्य आदमी पत्रकारिता पर भरोसा रखता है। उसके भरोसे को बनाए रखना पत्रकारों की जिम्मेदारी है। पत्रकारिता में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। तकनीक बदल रही है। नए माध्यम आ रहे हैं। इस परिवर्तन के साथ हमें कदमताल करते हुए मीडिया में आगे बढऩा चाहिए, लेकिन अपने मूल्यों को साथ लेकर। व्यावसायिकता के इस दौर में भी मूल्यों की पत्रकारिता कठिन कार्य नहीं है। बस एक पहल की जरूरत है। यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के 'पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन' में वक्ताओं ने प्रकट किए। सम्मेलन का आयोजन रजत जयंती वर्ष के तारतम्य में किया गया।Posted by यशवंत सिंह yashwant singh 0 comments
गरीब मरीजों से बुरा बर्ताव करता है बनारस का ये बाल रोग विशेषज्ञ डा. अशोक राय, पढ़िए एक बेबस पिता का पत्र
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बिहार में राशन उपलब्ध कराने की सम्पूर्ण जानकारी वेबसाइट पर अपलोड नहीं
“केंद्र सरकार के सर्वर पर जगह नहीं है रहने के कारण बिहार में जिन परिवारों को राशन दिया जाता है इसकी सूची प्रकाशित नहीं की गयी है”... आज सेवा सेतु द्वारा दायर लोक शिकायत परिवाद की सुनवाई के दौरना बिहार सरकार के खाद्य एवं उपभोगता संरक्षण विभाग के IT मैनेजर ने यह बात बताई....
क्या है मामला ?
बिहार में किन परिवारों को खाद्य सुरक्षा योजना (PHH) और अन्त्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत राशन उपलब्ध कराया जा रहा है इसकी सम्पूर्ण जानकारी खाद्य एवं उपभोगता संरक्षण विभाग के वेब साईट पर सार्वजनिक नहीं किया गया है.
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यूपी में जंगलराज : थाने में मां-बेटे को थर्ड डिग्री, महिला से दुर्व्यवहार
अलीगढ़ : कस्बा चंडोस के थाना चंडोस के गांव जलाक्सेरु में पुलिस का कारनामा... माँ बेटे को थर्ड डिग्री दी... थाने में दरोगा ने किया महिला से दुर्व्यवहार... जलकसेरु गांव के लोकेश को गांव में अवैध कब्जों को लेकर प्रधान और दबंगों के विरुद्ध कार्यवाही करना व हाईकोर्ट जाना महँगा पड़ गया। दबंगों ने लोकेश को घर में घुसकर मारा और उसकी माँ राजेंद्रजी को भी मारा एवं उसके कपड़े फाड़ दिए।
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हिन्दुस्तान और प्रभात ख़बर ने सुशील मोदी और संजय सिंह को दिया आरक्षण!
ऐसा लगत है हिन्दुस्तान और प्रभात ख़बर ने सुशील मोदी और संजय सिंह को आरक्षण दे दिया है. प्रति दिन के हिन्दुस्तान में “राजकाज” और प्रभात में के “राजपाट” नामक पृष्ट में सुशील मोदी और संजय सिंह का एक खबर लगा होता है. कई बार दोनों अखबारों में एक ही खबर छपी होती है. 14 अक्टूबर को हिंदुस्तान में “लोहिया के मुद्दे को पीएम कर रहे हैं पूरा: सुशील मोदी” और प्रभात ख़बर में “लोहिया के सपनो को गला घोट दिया: मोदी”दोनों खबर एक ही है ये कैसा सांठ- गाँठ है?
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यूपी में जंगलराज : एक भूमाफिया ने पत्रकार के पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी
सेवा में,
श्रीमान् पुलिस महानिदेशक
उ0प्र0 लखनऊ।
विषयः- भू माफिया एंव दबंग शातिर संजीव गुप्ता उर्फ वासी द्वारा प्रार्थिया के पति एंव समूचे परिवार को जान से मारने की धमकी दिये जाने के सम्बन्ध में।
महोदय,
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मीडिया में रुचि रखने वाले मीडियाकर्मी ज़रूर पढ़ें...
लिखने का ये सिलसिला उस वाकये से शुरू होता है, जब रोज़ की तरह, सुबह से रात तक युवाओं की टीम काम कर रही थी, एक ऐसे चैनल के लिए, जिसकी बड़ी पहचान नहीं है, जो बिल्कुल नया है, फ़िर भी आत्मविश्वास से भरी टीम के युवा उस चैनल की आईडी को जीते हैं, उसे फ़ेसबुक, व्हाट्सएप, हर जगह जीना शुरू करते हैं, रात तक की ड्यूटी करने के बाद जैसे ही ये युवा आराम करने का मन बनाते हैं, अचानक उनके सीनियर का फ़ोन आता है, फ़ोन सिर्फ इत्तला करने के लिए, कि शहर में कुछ मसला हो गया है, जाना चाहो तो देख लो, लेकिन आधी रात का समय है और ख़बर की जगह काफ़ी दूर है, कार भी नहीं है।
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भास्कर के पत्रकार साहिब संधू पर देश द्रोह का मामला दर्ज करने की मांग
साहिब संधू भदौड़ जिला बरनाला पंजाब से दैनिक भास्कर का पत्रकार है जो गत कई वर्षों से देश विरोधी ताकतों के साथ मिलकर समय समय पर देश विरोधी कार्रवाइयों में शामिल रहा है। इसके अलावा दैनिक भास्कर के जिला इंर्चाज हिमांशु दुआ के साथ मिलीभगत के चलते दैनिक भास्कर कार्यालय में बैठे स्थानीय संपादकों को पता नहीं चलने दिया और दैनिक भास्कर के नाम के तले देश विरोधी कार्रवाईयां चलती रही।
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किताब 'गुस्ताखी माफ़ हरियाणा' की पत्रकार-छायाकार स्व. बुद्धिराजा द्वारा लिखी गई समीक्षा
स्वाद हरियाणा का... भारतीय मानचित्र पर हरियाणा एक छोटा सा प्रदेश है। हमेशा चर्चा में रहने वाला। राजनीति से लेकर अफसरशाही तक, आम आदमी की जीवन शैली से लेकर रोजमर्रा के हालात पर आए दिन किस्से बनते रहते हैं। कोई किस्सा खबर बन कर सामने आया तो कोई बिना शीर्षक बने खत्म हो गया। चर्चित और अनाम किस्सों को संकलित कर उसे एक किताब के रूप में सामने लाने का नवोदित लेकिन उल्लेखनीय प्रयास है – गुस्ताखी माफ हरियाणा।
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कहीं हम नदियों को जोड़कर भविष्य की आपदा तो नहीं बुला रहे?
नदियों को जोड़ने की मुहिम देश के लिए कितनी उपयोगी या घातक होगी, बेहद सुर्खियों में है। इसे लेकर बहुत से विशेषज्ञों की अलग-अलग राय तथा सरकार की अपनी योजनाएं हैं। सच्चाई यह कि प्रमाणित आधारों या अपर्याप्त उदाहरणों से संशय ज्यादा उपजा है। हर कहीं केवल अपने तर्क हैं, तर्कों पर नीतियां-योजनाएं नहीं बनतीं, इसके लिए वैज्ञानिक आधार चाहिए। तमाम विवादों और प्रकरणों के बाद सबसे पहले अब यह जरूरी हो गया है कि जितनी भी नदी जोड़ परियोजनाएं हैं उनका वैज्ञानिक आधार सार्वजनिक हो ताकि उपयोगी होने पर, जनसमर्थन तो मिले ही जनजागृति भी बढ़े। लेकिन इस परिपेक्ष्य में अब तक जितनी भी बातें सामने हैं, वो बताती हैं कि योजनओं के नफा-नुकसान पर दुविधा ज्यादा है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के चलते भविष्य में जल की उपलब्धता और भी प्रभावित होने वाली है।
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पत्रकारिता की मर्यादा बनाये रखना ज़रूरी : डॉ. बिजेंदर कुमार
डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज में फ्रेशर पार्टी का आयोजन
दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. भीम राव अम्बेडकर कॉलेज में हिंदी पत्रकारिता विभाग की फ्रेशर पार्टी ‘कलरव 2016’ का आयोजन किया गया। इस दौरान पत्रकारिता विभाग के सीनियर छात्रों ने प्रथम वर्ष के नव आगंतुक छात्रों का धूमधाम से स्वागत किया। सीनयर छात्रों ने नव आगुंतक छात्रों से उनके पत्रकारिता कोर्स में आने को लेकर सवाल पूछे, जिसका सभी फ्रेशर ने अपने-अपने अंदाज में जबाव दिया। इसके अलावा मिस व मिस्टर फ्रेशर को चुनने के लिए ट्रेजर हंट, सामान्य व मीडिया ज्ञान, डांस परफॉर्मेंश आदि प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। जिसमें सभी फ्रेशर ने पूरी तैयारी के साथ बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिता के सभी राउंडों को क्लियर करते हुए सूरज रॉय ने मिस्टर फ्रेशर और गुलफ्शां ने मिस फ्रेशर का खिताब अपने नाम किया।Posted by यशवंत सिंह yashwant singh 0 comments
13.10.16
उरी के शहीदों के परिजनों से मुलाकात का भावुक पल
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की धर्मपत्नी श्रीमती अमृता फडणवीस और ‘परमवीर’ की लेखिका मंजू लोढ़ा ने उरी हमले के शहीदों की विधवाओं और उनके परिवारजनों से मुलाकात। उरी में हुए महाराष्ट्र के चार शहीदों नासिक के संदीप ठोक, अमरावती के जानराव उईके, सातारा के चंद्रकांत गालांडे और यवतमाल के विकास कुलमेठे के परिजनों से मिलकर श्रीमती फडणवीस और श्रीमती लोढ़ा भावुक हो गईं।
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10.10.16
दुर्गा पूजा और महिषासुर : चामुंडा देवी द्वारा महिषा का वध करने का कोई साक्ष्य नहीं
-एस.आर.दारापुरी
आई.पी.एस
(से.नि.)
पिछले वर्ष एक बार फिर जेएनयू में दुर्गा पूजा की अनुमति दिए जाने तथा महिषासुर पूजा की अनुमति न देने तथा लोकसभा में भी महिषासुर का सन्दर्भ आने के कारण महिषासुर का मुद्दा पुनः चर्चा आया था. हम जानते हैं कि नवरात्र के दौरान दुर्गा के नौ अवतारों की नौ दिन तक बारी बारी पूजा की जाती है. इसी अवधि में दुर्गा की सार्वजानिक स्थलों पर मूर्तियों की स्थापना की जाती है जहाँ पर रात को तरह तरह के गाने व् भजन होते हैं और माता के भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा करते हैं और चढ़ावा चढाते हैं. नौ दिन के बाद दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है. यह देखा गया है कि पहले सार्वजानिक स्थलों पर बहुत कम मूर्तियों की स्थापना की जाती थी परन्तु इधर इन की संख्या बहुत बढ़ गयी है जो शायद हिंदुत्व के सुनियोजित कार्यक्रम का हिस्सा है.
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नवरात्रि साधना (स्वाध्याय) – Day 9
Discourse By Shraddhey Dr. Pranav Pandya Ji
(Chancellor of Dev Sanskriti Vishwavidyalay & Head of All World Gayatri Pariwar)
Date – 09/10/2016_
* नवरात्रि का अंतिम दिन श्लोक 4/42वां – ज्ञान की महिमा का शिखर । इस श्लोक में यह बताया गया है कि ज्ञान के शिखर में कैसा लगता है । जीवन की साड़ी दुविधाएं समाप्त हो जाती है । हमें अपने जीवन को किस प्रकार जीना चाहिए यह सिखाता है श्लोक ।
* गीत – लागी रे लगन हो मान एक तेरे नाम की... ।
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धान की सरकारी खरीद शुरू न होने से किसान बेहाल
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में धान की सरकारी खरीद शुरू न होने से किसान बेहाल हैं और मंडियों में व्यापारियों के हाथों लुटने के लिए मजबूर है. यह बात आज एस.आर. दारापुरी पूर्व आई. जी. एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कही है. उन्होंने इस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले महीने घोषणा की थी कि 1 अक्तूबर से पूरे प्रदेश में धान की खरीद के लिए सरकारी धान क्रय केन्द्रों की स्थापना हो जाएगी और परन्तु आज तक पूरे प्रदेश में एक भी धान क्रय केंद्र स्थापित नहीं हुआ है जब कि धान की कटाई शुरू हो चुकी है.
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9.10.16
मजीठिया : आखिर क्या चाहते हैं मालिकान
पहले तो न्यायपालिका आभार उसने लोकतंत्र के दरकते चौथे खंभे के अस्तित्व को बचाये रखने में लगातार उसका साथ दिया। मजीठिया वेजबोर्ड के अधिसूचित होने के बाद जबसे मामला अदालत की शरण में आया है तबसे लेकर अवमानना की लंबी लड़ाई तक कमोबेश हर सुनवाई में अदालती कार्यवाही अखबार कर्मियों के पक्ष में ही रही है। मालिकानों ने थोक में देश के नामी - गिरामी वकीलों को "ढाल" बनाया, तरकश के सारे तीर इस्तेमाल कर डाले लेकिन वे माननीय न्यायाधीशों कवच को नहीं भेद पाये।
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पांच लाइन में पांच गलतियां
अमर उजाला। हरिद्वार। 4 अक्तूबर। पांच लाइन में पांच गलतियां- डेस्क कहां गई थी। मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तक का नाम सही नहीं। रिपोर्टर ने जल्दबाजी कर दी होगी लेकिन क्या डेस्क भी जल्दी में थी।
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मजीठिया : आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी
मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन का डिफरेंस दिलवाने के इकलौते (29-08-16) दावे को उत्तराखंड के " काबिल श्रम विभाग ने पीठासीन अधिकारी, श्रम न्यायालय के हवाले कर दिया। बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन कराने की कौन कहे। उत्तराखंड का श्रम विभाग इसे औद्योगिक विवाद मान बैठा और तीन-चार तारीख लगाने के बाद श्रम न्यायालय के हवाले कर अपने कर्तव्य की "इतिश्री" कर ली। श्रम विभाग ने अब गेंद न्यायपालिका के हवाले कर दिया। अब देश की सबसे बड़ी अदालत के फैसले की समीक्षा जिला स्तर की अदालत करेगी। यानी साल-छह महीने मामला श्रम न्यायालय में चलेगा, फैसला आएगा, उस फैसले के खिलाफ मेरे नियोक्ता हाईकोर्ट जाएंगे। हो सकता है कि दो-तीन साल वहां लग जाए और जब फैसला आये तो कोई एक पक्ष सुप्रीम चला जाए। तो क्या सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले की जिसके अवमानना का मामला दो साल से चल रहा है।
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फिर गुजरात सरकार बर्बर कानून को लेकर बेकरार हुई
संजय रोकड़े
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पत्रकार हैं पक्षकार नहीं
अर्पण जैन "अविचल"
जमाने में बहस जारी है क़ि फलाँ टीवी चैनल उसका समर्थक है, फलाँ इसका | सवाल समर्थन के अधर से शुरू होकर चाटुकारिता के पेट तक पहुँचने में जुटा हुआ है | आख़िर राजा राममोहन राय के आदर्शों से शुरू हुई चिंतन की पराकाष्ठा पर आज मीडिया के कई मानवीय मूल्य दाँव पर लग चुके हैं, जनता के विश्वास की बलिवेदी पर यदि मीडिया इसे अपनी वैश्विक प्रगति मान रहा है तो इसे इस समय की सबसे बड़ीं भूल मानना पड़ेगी, आख़िर किन मानवीय मूल्यों की हत्या करना चाह रहे हैं आज के तथाकथित न्यूज चैनल मालिक, या उनके पत्रकार......
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डाक्टरों की नजर में यह है पत्रकारों की औकात
लापरवाह डाक्टर, क्लीनिक में घूमते बीमार कुत्ते...
मऊ। जिले में उस दौरान हड़कम्प मच गया जब जिले के बच्चों के डाक्टर के यहा जिले के ही एक वरिष्ठ पत्रकार अपने संबंधित ब्यक्ति द्वारा अस्पताल में भर्ती बच्चों को देखने पहुचे। मामला नगर क्षेत्र के नरई बाध स्थित डाक्टर राजकुमार सिंह के यहाँ राविवार सुबह करीब दस बजे भर्ती बच्चे को देखने जब वरिष्ट पत्रकार पहुचे तो देखा कि वार्ड के पास में ही एक कुत्ता शो रहा था जो तेज गति से हाफ रहा था। इसकी सुचना पास में ही बैठे एक वार्ड व्याय को पत्रकार द्वारा दिया गया तो वार्ड व्याय ने कहा कि कुत्ते के बैठने से क्या मतलब , लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक होते हुये और कुत्ते से कही इंफेक्शन संबंधी रोग और न बढ़ जाय । इस भय से इसकी सुचना डाक्टर राजकुमार सिंह को देना उचित समझते हुये देना चाहे कि कुत्ते की बात सुनते ही डाक्टर ने उल्टे पत्रकार पर ही भड़क गये कि कुत्ते को भगाना नगर पालिका का काम है हमारा काम नही है आपको भागना है तो भगाइये मैं क्यों भगाउ। अभी इतनी बात कह ही रहे है थे कि उसी दौरान पत्रकार के हाथ से डाक्टर ने मोबाइल छीन लिया। और कहा कि जाओ जो करना हो करिये।
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कानपुर प्रेस क्लब : कब होगा चुनाव?
कानपुर : कानपुर प्रेस क्लब का तो वैसे तो विवादों से पुराना नाता है लेकिन बीते 2 साल के घटना क्रम पर अगर नजर डालें तो ये कानपुर प्रेस क्लब के लिए किसी अभिशाप से काम नहीं थे, बीते साल जून से लगातार एस.आर.न्यूज़ के प्रबन्ध सम्पादक बलवन्त सिंह ने कानपुर प्रेस क्लब के 2014 में हुए चुनावो को चुनौती देते हुए पदाधिकारियों पर फर्जीवाड़ा का प्रेस क्लब पर कब्ज़ा करने का आरोप लगया था, जिसके बाद उनके द्वारा कोर्ट में भी 2 मुक़दमे लगाए गए थे जिसमे लगभग दोनों ही मुकदमों में आने वाले कुछ दिनों में प्रेस क्लब के विपक्ष में एक पक्षीय कार्यवाही हो सकती हैं,
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हम असुर लोग इस धोखे की निंदा करते हैं
कोलकाता की एक संस्था ने धोखे से हम असुरों को बुलाकर महिषासुर शहादत अभियान को बदनाम करने की कोशिश की. इसका हम असुर समुदाय घोर निंदा करते हैं. हम असुर कोलकाता के किसी आयोजन में शामिल होने नहीं जा रहे हैं. हमारे संगठन की महासचिव वंदना टेटे ने आयोजकों को बता दिया है दुर्गा पूजा के किसी आयोजन में असुर लोग भाग नहीं लेंगे. यह आर्यों का छल-बल का पुराना तरीका है.
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खून की दलाली बनाम राजनीतिक स्यापा
अर्पण जैन 'अविचल'
दिल्ली से लेकर दंतेवाड़ा, मुंबई से लेकर मीरपुर और बंगाल से बारामूला तक हिंद के जनमानस में केवल और केवल 'सर्जिकल स्ट्राइक' ही बसा हुआ है| कुछ समय पहले सर्जिकल स्ट्राइक जिसकी परिभाषा से भी देश का वास्ता नहीं रहा उसी परिभाषा ने आज देश को सेना के प्रति ज़िम्मेदार बनाया है| सन 1971-72 के बाद और कारगील युद्ध के समय सेना के प्रति राष्ट्रवासियों का प्रेम उमड़ा था, वही हाल आज सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी देश की जनता के है वही प्रेम, वही अपार स्नेह| किंतु जब राष्ट्रवासी सीमा के रक्षकों के त्याग का महिमामंडन कर रहे हो, उसी दौर में ज़िम्मेदार राजनीतिक दल के युवराज का बचकाना बयान कही ना कही उस दल के मानसिक अपरिपक्व होने का प्रमाण भी देता है|
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8.10.16
अब समय मांगने का नहीं, छीनने का है
चरण सिंह राजपूत
सड़कों पर भी लड़ें मान-सम्मान व अधिकार की लड़ाई :
हर काम को प्रभावित करने वाली राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि अब इस पर बड़े स्तर पर मंथन की जरूरत है। समाजसेवा के रूप में जाने जाने वाली यह राजनीति अब धंधा बनकर रह गयी है। समाजसेवा के जितने भी पेशे थे वे अब राजनीतिक धंधे के रूप में तब्दील होते जा रहे हैं। मरीजों का इलाज करने वाले डाक्टर, जरूरतमंदां को इंसाफ दिलाने वाले वकील, बच्चों का भविष्य बनाने वाले शिक्षक अपना मूल पेशा छोड़कर राजनीति करने में मशगूल हैं। ऐसा भी नहीं कि ये लोग समाजसेवा की राजनीति कर रहे हों। इनका राजनीति में आने का मकसद इसे ढाल के रूप में इस्तेमाल करना है। राजनीति में आने का मकसद या तो पैसा कमाने या फिर गलत ढंग से कमाए गए पैसे को ठिकाने लगाना मात्र रह गया है। डाक्टर राजनीति करेगा तो स्वभाविक है कि अस्पताल में जनसेवा नहीं राजनीति होगी।Posted by यशवंत सिंह yashwant singh 0 comments
साहित्य की ये सनी लियोनी और विपाशा बसुएं
रासबिहारी पाण्डेय
पिछले दिनों युवा संभावनाशील रचनाकार को दिया जानेवाला भारतभूषण पुरस्कार दिल्ली की जिस छात्रा को दिया गया उसकी सरस्वती पर लिखी एक निहायत घटिया और फूहड़ कविता को मंगलेश डबराल और उनके लगुए भगुओं ने फेसबुक पर वायरल कर दिया और लगे हाँकने कि यह तो बहुत ऊँची कविता है.... लोग समझ ही नहीं पा रहे हैं ।थोड़े ही दिन बाद भाई लोगों ने तोताबाला और दोपदी नाम से दो फेंक आइडी बनायी और सुबह शाम दोपहर लगे कवितायें पोस्ट करने ..... कवितायें भी कैसी कैसी ......मैंने नहीं उतारा दरोगा के सामने अपना पेटीकोट...चाहे जो करूं शरीर तो मेरा है.....देहराग से ओतप्रोत .....सिर्फ और सिर्फ रोमांस नहीं ....संभोग के इर्द गिर्द का व्यायाम... रूस में बैठे एक अध्यापक तो बाकायदा प्रवक्ता ही बन बैठे इनका.....डमी के लिए कितने दिन तक मेहनत करते भला....चुप हो गये.... अब आँधी के बाद वाला सन्नाटा पसरा है। भाई लोग किसी नयी प्रतिभा की तलाश में लगे हैं ।हिंदी पाठकों के लिए ऐसी छिछोरी कवयित्रियों की औकात सनी लियोनी और विपाशा बसु से रत्ती भर ज्यादे नहीं है।
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सांस्कृतिक एकता की प्रतीक विजयदशमी
-डॉ. सौरभ मालवीय
भारत एक विशाल देश है. इसी भौगोलिक संरचना जितनी विशाल है, उतनी ही विशाल है इसकी संस्कृति. यह इस भारत की सांस्कृतिक विशेषता है ही है कि कोई भी पर्व समस्त भारत में एक जैसी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है, भले ही उसे मनाने की विधि भिन्न हो. ऐसा ही एक पावन पर्व है दशहरा, जिसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है. दशहरा भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है. विश्व भर के हिन्दू इसे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के अवतार राम ने रावण का वध कर असत्य पर सत्य की विजय प्राप्त की थी. रावण भगवान राम की पत्नी सीता का अपहरण करके लंका ले गया था. भगवान राम देवी दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन रावण का वध कर अपनी पत्नी को मुक्त कराया. दशहरा वर्ष की तीन अत्यंत महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है, जिनमें चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा भी सम्मिलित है. इस दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करना अति शुभ माना जाता है. यह शक्ति की पूजा का पर्व है. इस दिन देवी दुर्गा की भी पूजा की जाती है. दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन को बहुत ही शुभ माना जाता है.
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मानसिक गुलामी को हटाएगा लोकमंथन : दत्तात्रेय होसबोले
भोपाल। पिछले कुछ समय में एक खास विचारधारा के लोगों ने सुनियोजित ढंग से राष्ट्र और राष्ट्रीयता पर प्रश्न खड़े करने का प्रयास किया है। उन्होंने राष्ट्रीय विचार को उपेक्षित ही नहीं किया, बल्कि उसका उपहास तक उड़ाया है। जबकि इस खेत में खड़े किसान, कारखाने में काम कर रहे मजदूर, साहित्य सृजन में रत विचारक, कलाकार और यहाँ तक कि सामान्य नागरिकों के नित्य जीवन में राष्ट्रीय भाव प्रकट होता है। आजादी के 70 वर्षों में इस देश को मानसिक औपनिवेशिकता ने जकड़कर रखा गया है। अब समय आ गया है कि वह टूटना चाहिए। लोकमंथन इस मानसिक गुलामी को हटाने का माध्यम बनेगा। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने व्यक्त किए। विश्व संवाद केन्द्र, भोपाल की ओर से 'लोक मंथन : वैचारिक अवधारणा और कार्ययोजना' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में श्री होसबोले मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। लोक मंथन एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसका आयोजन 12, 13 और 14 नवम्बर को भोपाल में होना है। इस कार्यक्रम में देशभर के विचारक और कर्मशील आएंगे।
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मोदी को शहीदों के खून की दलाल कहना भारी पड़ सकता है कांग्रेस को
-निरंजन परिहार-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शहीदों के खून की दलाली करनेवाला बताना राहुल गांधी की राजनीतिक भूल साबित हो सकती है। माना जा रहा है कि उनका यह बयान कांग्रेस को बहुत भारी पड़ सकता है। ताजा माहौल में भी साफ दिख ही रहा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को शहीदों के खून की दलाली करनेवाला कहकर खुद को तो चौतरफा हमले के माहौल में डाल ही दिया है, कांग्रेस पार्टी के लिए भी उन्होंने बड़ी मुसीबत मोल ली है। आनेवाले कई दिनों तक माहौल इसी राहुल गांधी के इस बयान के खूनी रंग में रंगा रहेगा, यह साफ दिख रहा है।
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मजीठिया मामला : अखबारों के एचआर हेड को सुप्रीम कोर्ट में बनाया जाएगा पार्टी
देश भर के पत्रकारों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में लेबर विभाग में 17(1) का क्लेम लगाने वाले समाचार पत्र कर्मियों को गलत तरीके से टर्मिनेट करने और उनके ट्रांसफर सस्पेंशन मामले में अब जल्द ही देश भर के समाचार पत्रों के एच आर हेड को भी सुप्रीमकोर्ट में दौड़ना पड़ेगा। मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट उमेश शर्मा ने जानकारी दी कि जिस तरीके से मजीठिया वेज बोर्ड के क्रियान्यवन के मामले में अब तक अखबार मालिकों को पार्टी बनाया गया है, उसी तरह देश भर के समाचार पत्रों के एच आर हेड को भी सुप्रीमकोर्ट में पार्टी बनाया जाएगा, वह भी उनके नाम के साथ।
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6.10.16
आरएसएस का निच्छद्दम राज है और विपक्ष गायब है : प्रो. चौथी राम यादव
'वनांचल लेखक एवं पत्रकार मंच' तथा 'रीडिंग रूम्स पब्लिकेशन, नई दिल्ली' द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 'साहित्य और मीडिया में सत्ता की घुसपैठ' विषयक गोष्ठी का हुआ आयोजन
वाराणसी । लोकसभा चुनाव-2014 के बाद परिस्थितियां तेजी से बदली हैं और यह पहली बार है कि लेखकों के लिखने और बोलने एवं उनकी अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं और लेखकों की हत्याएं हो रही हैं। यह शुद्ध रूप से उग्र हिंदुत्ववादी आरएसएस की सरकार है जो कि अपनी पूर्ववर्ती एनडीए सरकार से भी भिन्न है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय भी लेखकों और मीडिया पर इस तरीके के हमले नहीं हुए। आरएसएस का निच्छद्दम राज है और विपक्ष गायब है।
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भास्कर की इस घटिया पत्रकारिता से आसाराम बापू के चाहने वाले दुखी
Lokesh Mahawar : पेज ले-आउट के दोयम दर्जे के पैंतरों, भ्रमित हेड-लाइन्स लगा देने के हुनर से तडकामार टाइप की खबरें छापने में माहिर दैनिक भास्कर जिस घटिया स्तर पर उतर आया है, देश के प्रिंट मीडिया में फिलहाल जारी ‘येलो-जर्नलिज्म’ के चलन में यह अव्वल दर्जे का कहा जा सकता है। कुछ दिनों पहले रांची के एक बड़े अस्पताल में एक महिला को जमीन पर खाना परोसने वाले करुणाजनक दृश्य का फोटो छापकर मुद्दे की अधूरी जानकारी देकर अखबार ने जो अपनी ‘बुलंद पत्रकरिता’ का जो बौड़म मचाया उसका कहना ही क्या? अगले दिनदैनिक जागरण द्वारा उसी खबर का विस्तृत विवरण देने के बाद हल्ला-गुल्ला अभी थमा भी नहीं था कि भास्कर अपनी नयी करतूत के साथ आ खड़ा हुआ। इस बार संत आसाराम बापू पर ऐसी सनसनीखेज मसालेदार न्यूज के चक्कर में बनावटी खबर लगा डाली कि बवाल खड़ा हो गया है. बेशक संत आसाराम बापू के समर्थक गुस्से में है और इस बार वे दैनिक भास्कर के संपादकों की बखिया उधेड़ने के लिए उतारू हैं।
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रेड एफएम 93.5 जमशेदपुर का कैंपेन : सफाई की सुपारी- माफ़ कर साफ़ कर
रेड एफएम 93.5 जमशेदपुर ने बीते दिनों एक रेडियो कैम्पेन "सफाई की सुपारी - माफ़ कर साफ़ कर" किया ! इस कैम्पेन के तहत रेड एफ एम ने शहर जमशेदपुर को स्वक्छ रखने का सन्देश दिया ! एक हफ्ते के अपने इस कैम्पेन के तहत रेड ऍफ़ एम् ने शहर वासियों को स्वक्षता के प्रति जागरूक किया ! जैसा की हाल में आये आंकड़ों के हिसाब से झारखण्ड राज्य देश का सबसे गंदे राज्य में शुमार हुआ और जमशेदपुर शहर जो कभी स्वक्ष शहर में गिना जाता था वो गंदे शहरों में गिना जाने लगा!
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5.10.16
दिल्ली प्रेस क्लब का काम आखिर है क्या?
पढ़ने को मिला कि दिल्ली प्रेस क्लब में कई साथियों ने बड़े अंतर से चुनाव जीता। कई साथी फिर से अपने पदों पर काबिज हुए। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है और चलता रहेगा। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिरकार प्रेस क्लब में चुनाव जीतने वाले इन पदाधिकारियों का काम है क्या ? प्रिंट मीडिया में ईमानदार और देशभक्त पत्रकार भुखमरी के कगार पर हैं। जगह-जगह पत्रकारों की हत्या की खबरें सुनने को मिलती हैं। लगभग सभी समाचार पत्रों में मालिकान व संपादक मीडियाकर्मियों का जमकर शोषण व उत्पीड़न कर रहे हैं। प्रिंट मीडिया के लिए गठित मजीठिया वेजबोर्ड सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं लग पा रहा है। अखबारों में आतंक का माहौल बना हुआ है। जो साथी मजीठिया मांगते हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।
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सरकार जितना ‘हगती’ नहीं है, उससे ज़्यादा पत्रकार उसे ‘गंधवाने’ पर तुले हैं!
तेल लेकर घूमने वाले पत्रकारों की बाढ़ आ गई है... फूंक मार-मार कर छाती को चौड़ा करके 56 तक पहुंचाया जा रहा... किसी पत्रकार की इतनी औकात नहीं है कि वो एक सवाल उस आदमी से पूछ सके... जो सर्वशक्तिमान बनकर बैठा हुआ है... जो कहा, वो मानो... जो नहीं कहा, वो मत मानो... फिर भी हमारे दिग्गज पत्रकार तेल का कटोरा साथ में लेकर चाटने में जुटे हुए हैं... अगर एक छोटी सी बात भी हो जाती है.. तो सीधे मोदी से जोड़ कर माहौल टाइट कर दिया जाता है... टॉप बैंड में चाहे जितनी ख़तरनाक लाइन लिख दो... आखिरी में विस्मयादीबोधक (!) चिह्न लगा दो... आप पास हो जाते हो...
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3.10.16
“थिएटर ऑफ़ रेलेवंस” मानवता की कलात्मक हुंकार!
मंजुल भारद्वाज
(रंग चिन्तक- “थिएटर ऑफ़ रेलेवंस” के सृजक और प्रयोगकर्ता)
नब्बे का दशक देश, दुनिया और मानवता के लिए आमूल बदलाव का दौर है.”औद्योगिक क्रांति” के पहिये पर सवार होकर मानवता ने सामन्तवाद की दासता से निकलने का ख्वाब देखा.पर नब्बे के दशक तक आते आते साम्यवाद के किले ढह गए और ”औद्योगिक क्रांति” सर्वहारा की मुक्ति का मसीहा होने की बजाय पूंजीवाद का खतरनाक,घोर शोषणवादी और अमानवीय उपक्रम निकला जिसने सामन्ती सोच को ना केवल मजबूती दी अपितु विज्ञान के आविष्कार को तकनीक देकर भूमंडलीकरण के जरिये दुनिया को एक शोषित ‘गाँव’ में बदल दिया. ऐसे समय में भारत भी इन वैश्विक प्रक्रियाओं से अछुता नहीं था .
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यूपी के जंगलराज में बौध परिपथ पर रोज गिरता है खून....
गाजीपुर में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शुरू किया 'आपरेशन एनएच'
गाजीपुर, उत्तर प्रदेश। सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कुछ मरीजों को चारपाई पर लिटाकर रौजा की सडक पार कराया। हाथों में स्लोगन लिखी तखितयां लेकर सडक पार कराते वक्त शासन/प्रशासन एवं जिम्मेदार माननीयों की सदबुद्धि के नारे भी लगाये। सभी ने कहा कि अच्छी सडकों पर चलना आम आदमी का मौलिक अधिकार है। जनपद में सडकों की जर्जरता को लेकर अपने अन्दाज में लगातार अनोखे आन्दोलन चलाकर शासन/प्रशासन का ध्यानाकर्षण कर रही सामाजिक संस्था समग्र विकास इंडिया के कार्यकर्ताओं ने कुछ दिन पूर्व नन्दगंज के जलजमाव में स्नान एवं दूसरे दिन जिम्मेदार लोगों केे नाम पिण्डदान भी किया था।
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साहित्यकारों ने कहा- मुक्तिबोध की भूमिका में हैं कवि प्रभात
गुरूवार को साहित्यकार प्रभात सरसिज के काव्य-संग्रह ‘लोकराग’ का लोकार्पण हुआ. लोकार्पण खगेन्द्र ठाकुर, रामवचन राय, शिवानन्द तिवारी, हृषिकेश सुलभा और शेखर ने समवेत रूप से की. कवि खगेन्द्र ठाकुर ने कहा कि कवि प्रभात सरसिज में एक श्रेष्ठ कवि कि सम्भावना है. उनके काव्य-संकलन में प्रछन्न रूप से मनुष्यता को व्यक्त करने कि कोशिश कि गई है. काव्य के साथ व्यक्त होने वाली इस पुस्तक कि भाषा भी बहुत समर्थ है.
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आगंनबाडियों के आन्दोलन की जीत
लखनऊ : आज आगंनबाड़ियों के संघर्ष के बदौलत उनके मानदेय में 800 रु की हुई वृद्धि पर यू0 पी0 वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष व आइपीएफ के प्रदेश संगठन सचिव दिनकर कपूर ने बधाई दी है। आज प्रेस को जारी अपने बयान में वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पिछले पच्चीस दिनों से लगातार आंदोलनरत आगंनबाड़ियों के हौसले को कल अखिलेश सरकार के द्वारा कराए लाठीचार्ज से भी रोका नहीं जा सका।
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डेंगू, चिकनगुनिया, वायरल का होम्योपैथिक उपचार जानिए
लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
इन दिनों देशभर में डेंगू, चिकनगुनिया और वायरल फीवर ने कहर बरपा रखा है। देश के समर्पित डॉक्टर इन बीमारियों से पूरी निष्ठा के साथ लड़ रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप हम हमारे अपनों को इन बीमारियों के कहर से बचा पा रहे हैं। यद्यपि बीमारी के दौरान और बीमारी के उपचार के बाद जो हड्डीतोड़ दर्द उठने-बैठने, चलने-फिरने और नैतिक क्रियाकर्म तक करने में बाधक बन रहा है, वह केवल दर्द-निवारक दवाओं के भरोसे छोड़ा जा रहा है। जो कतई भी उचित नहीं है। ऐसे रोगियों की दशा गठिया के रोगियों की जैसी हो जाती है, क्योंकि गठिया में भी असहनीय दर्द होता है, लेकिन गठिया से सामान्यत: कोई मरता नहीं और इस दर्द से भी कोई मरता नहीं है। इसी कारण डॉक्टर और परिजन भी ऐसे रोगियों के दर्द के प्रति अगम्भीर रहते हैं। यह स्थिति ऐसे रोगियों के साथ क्रूरतम अन्याय से कम नहीं।
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सिटी कनेक्शन स्वच्छता अभियान
सिटी कनेक्शन साप्ताहिक समाचार पत्र ने महात्मा गांधी जयंती व राष्ट्रीय स्वच्छता दिवस के अवसर पर लखनऊ के कई क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान का आयोजन किया। साथ ही कुछ थानों व पुुलिस बूथों पर कीटनाशक का छिड़काव किया।
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Remembering Deo Krishna Vyas
Members of the Delhi Union of Journalists proudly remembered Deo Krishna Vyas, veteran journalist, freedom fighter, trade unionist and so much more at a meeting held at the DUJ office on Thursday, Sept 29. Many of his former colleagues at the Dainik Hindustan and other fondly recalled Vyasji who was known for his professional competence, political beliefs and simple, austere lifestyle.
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2.10.16
मौजूदा सड़ी हुई व्यवस्था की मुक्ति का महानायक भगत सिंह और उसके राजनीतिक विचार
विवेक दत्त मथुरिया
पिछले दिनों शहीदे आजम भगत सिंह की जयंती थी। अफसोस और विडंबना इस बात की है कि परिवर्तन और प्रगति का आकांक्षी देश का युवा वर्ग अपने को भगत सिंह के राजनीतिक विचार और आदर्शो को आज तक समझ नहीं पाया। इंकलाब से जुड़े शहीद भगत सिंह के विचार विश्व दृष्टि के साथ मानवता की मुक्ति और श्रम की श्रेष्ठता की स्थापना से जुड़े हैं। आजादी के बाद गहरी राजनीतिक साजिश के तहत भगत सिंह और उनके विचारों से इस देश के युवाओं को दूर रखा गया। मानवता की मुक्ति से जुड़े भगत सिंह के राजनीतिक विचार सार्वभौमिक सच हैं।
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ब्राह्मणों को लुभाने के लिये सियासी ब्रह्मस्त्र
अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर करीब दस प्रतिशत ब्राह्मणों को लेकर सियासत गरम हो गई है। ब्राह्मणों को सभी दल अपने खेमें में खींचने को ललायित हैं। कभी कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक समझे जाने वाले ब्राह्मणों ने 1989 में मण्डल-कमण्ड के दौर में कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। करीब दो दशकों तक ब्राह्मणों का बीजेपी से लगाव बना रहा,इस सिलसिले को बसपा ने तोड़ा। 2007 में जब बसपा ने खालिस दलित राजनीति से किराना करके सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अख्तियार करते हुए ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ का नया नारा बसपाइयों को दिया तो बीजेपी के ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लग गई। बीएसपी का दलित-ब्राह्मण-मुस्लिम गठजोड़ का फार्मूला जबर्दस्त हिट रहा। 2007 में बीएसपी पहली बार इस गठजोड़ के सहारे बहुमत के साथ सत्ता हासिल करने में कामयाब रही। इसका प्रभाव यह हुआ कि 2007 से पूर्व तक बसपा में जिन पदों पर दलित नेता विराजमान थे,वहां ब्राह्मण चेहरे नजर आने लगे। पहली बार मुख्यमंत्री मायावती ने ब्यूराक्रेसी मंे भी दलित अधिकारियों को अनदेखा करते हुए तमाम महत्वपूर्ण पदों पर ब्राह्मण अधिकारियों की तैनाती कर दी, लेकिन 2012 के चुनाव करीब आते-आते माया को ब्राह्मणों को तरजीह देने के कारण दलित वोटरों की नाराजगी का अहसास होने चुका था।
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मुस्लिम साक्षरता 03%, बिन साक्षरता और रोजगार कैसे संभव होगा विकास यह मंथन जरूरी है : मो. तारिक
भोपाल ! सर सैयद अहमद, अल्लामा इकबाल, रफी अहमद किदवई, अशफाक उल्ला खान, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉ जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद, कैप्टेन हमीद, एपीजे अब्दुल कलाम यह वह महान हस्तियां हैं जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में भारत का प्रतिनिधित्व कर मुस्लिम समाज का भी नाम ऊंचा किया परंतु अब शिक्षा प्राप्त करना इतना आसान नहीं जो एक जटिल समस्या बन गई है !
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EX.LOKAUKTA TO FIGHT CORRUPTION IN NEW AVTAR
PAWAN KUMAR BANSAL
NEW-DELHI
Justice Pritam Pal, former Judge of Punjab and Haryana High court
and former Lokaukta of Haryana has decided to continue his fight
against corruption although in new Avatar .By enlarging area of his
fight he has formed ‘Social Justice Front which will be formally
launched on auspicious day of 2nd October at Ladwa.A large number of
retired Judges, civil servants, social workers and journalists have
also joined with him in his fight against injustice of any kind
Pritam Pal .During his tenure as Lokaukta this scribe who has
launched signature campaign for empowerment of Lokaukta, has written
that he was dummy having no powers. But within his limited powers he
had created history by ordering registration of cases against six
legislators of ruling party including one Chief Parliamentary
Secretary for allegedly demanding money for getting permission for
change of land use .After writing the judgement which had put then
chief minister ,Bhupinder Hooda in a very embracing position,
Justice Pritam pal rang to this scribe telling that he had proved that
he was not dummy. Another landmark judgement was ordering enquiry into
ten thousands crores Rs. Value added tax scam involving top officer of
taxation department and several top cops.
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WILL MODI ENQUIRE WHO LEAKED INFORMATION BOUT BANSAL.S SONS, BLACK MONEY DECLARATION
PAWAN KUMAR BANSAL
NEW-DELHI
Times of India has carried a front page report claiming that five
days before former corporate affairs D,G,B,K, Bansal and his son
,Yogesh allegedly ended their life, the later appears to have
declared around RS.2.4 Crore under the Income Declaration Scheme 2016
of the Income tax department. Million dollar question being asked in
political and administrative circles is that will Prime Minister
,Narender Modi order high level probe to find out as who in the
department has leaked this information to the paper. According to the
provisions of the scheme all information was to be kept secret and
leakage has made mockery of the scheme. Those who had declared black
money under the scheme now fear that their identity will also be
disclosed to vested interests. It is feared that several potential
declarants may now have second thoughts .It is the serious case of
breach of trust and confidential clause of the scheme.
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