मित्रों,तो क्या यह 24000 करोड़ रुपया नेताओं का है जिसको सुब्रत राय अवैध तरीके से सफेद धन में बदलने का असफल प्रयास कर रहे थे? देखना तो यह भी है कि सुब्रत राय को उनकी खुद की चहेती सरकार की पुलिस किस प्रकार से हिरासत में रखती है। उनको आम आदमी की तरह हिरासत में रखती है या फिर पाँच सितारा सुविधाएँ उपलब्ध करवाती है और कानून की नजर में सबके समान होने के सिद्धांत का खुलेआम मखौल उड़ाती है? जाहिर है कि सहारा श्री देश के बड़े रसूखदार लोगों में से हैं ऐसे में उनको सजा दिलवाना किसी भी तरह आसान नहीं रहनेवाला है क्योंकि आज कानून गांधी के जमाने से भी ज्यादा पैसेवालों की रखैल बन चुका है। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
28.2.14
यह 24000 करोड़ किसका है सहारा श्री जी?-ब्रज की दुनिया
मित्रों,तो क्या यह 24000 करोड़ रुपया नेताओं का है जिसको सुब्रत राय अवैध तरीके से सफेद धन में बदलने का असफल प्रयास कर रहे थे? देखना तो यह भी है कि सुब्रत राय को उनकी खुद की चहेती सरकार की पुलिस किस प्रकार से हिरासत में रखती है। उनको आम आदमी की तरह हिरासत में रखती है या फिर पाँच सितारा सुविधाएँ उपलब्ध करवाती है और कानून की नजर में सबके समान होने के सिद्धांत का खुलेआम मखौल उड़ाती है? जाहिर है कि सहारा श्री देश के बड़े रसूखदार लोगों में से हैं ऐसे में उनको सजा दिलवाना किसी भी तरह आसान नहीं रहनेवाला है क्योंकि आज कानून गांधी के जमाने से भी ज्यादा पैसेवालों की रखैल बन चुका है। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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27.2.14
अनुभूत चुनावी नुस्खे
नुस्खे हर कोई जनता है ,प्रयोग करता है और जब फलदायी होते हैं तो अनुभूत
नुस्खे का टैग मार दिया जाता है। लोकतंत्र भी अजब होता है क्योंकि हर नेता
हर नुस्खे को आजमा कर बैतरणी पार करना चाहता है।
दो कौम में विवाद पैदा करवाना अनुभूत नुस्खा है इसलिए हर छोटा बड़ा
नेता छूट से इसे इस्तेमाल करता है क्योंकि विवाद से गुस्से का जन्म होता है
और गुस्सा दंगे के रस्ते से गुजर कर या खामोश रहकर वोट में बदल जाता है
और वोट से लोकतंत्र साँसे गिनता है।
फिकरे कसना और ताने मारना भी सफल नुस्खा रहा है ,आम प्रजा को इसमें
रस आता है और जनता को कोई ताना रास आ गया तो हो जाए बम बम। आम
उम्मीदवार खास नेता में बदल जाता है। अभी एक भाई ने नया प्रयोग किया था
ढोल बजा कर पोल खोलने का ,किसी भी नुक्कड़ पर खड़े हो जाओ और ढोल
बजाकर पोल खोलने का स्वाँग रचो ,अगर स्वाँग असली जैसा लगा तो लोक
खुश और लोक खुश तो लोकतंत्र खुश।
पलटी मारना भी अनुभूत नुस्खा है बस जबान और दिमाग पलटने में गजब
कि फुर्ती चाहिए ,हवा का रुख पहचानो और दिशा बदल लो जिसने भी फुर्ती
से बदली कुछ ना कुछ पद पर चिपका दिया जाता है।
गुट्टी पिलाने का नुस्खा भी रामबाण ईलाज है चुनाव में। कैसी भी गुट्टी हो
गरीबी मिटाने की हो या महँगाई हटाने की सब चलती है। नाव पार लगने पर
कोई परिणाम प्रजा को नहीं भी मिले तो भी अगले चुनावों में वही गुट्टी पुन:
पिला दो ,पूरा असर दिखायेगी ,शर्तियाँ ईलाज है यह।
भगवान् के नाम के पर्याय शब्द का रटा लगा दो जैसे -राम ,ईसा,खुदा आदि
और पाँच लाईन के भाषण में सब पर्याय को पढ़ दो ,इससे आपकी छबी पर एक
सिक्का लगेगा जिसे लोकतंत्र में धर्मनिरपेक्षता कहा जाता है। यह सिक्का
जो भी लगाने से चुक गया समझो उसका तो डूबना तय है ,नुस्खा यह बताता
है कि एक कसम या वादा जो भी करो इन सबका नाम ले डालो ,हर कौम अपना
बना लेगी और नैया पार लगा देगी।
अनशन और धरना फिर से फैशन में आ गए हैं ,बात बात पर प्रदर्शन करो ,
सड़क पर जोर जोर से समस्या पर गला फाड़ो ,लोग सुनेंगे ,उनकी दुखती
रग को पकड़ो और खुद को मसीहा बताकर रग को दबाओ ,दबाने से जनता
का दर्द हरा हो जाएगा और तड़फड़ा कर बूथ पर ठप्पा लगा देगी और प्रजा
के दुःख से नए लोकयुग का प्रसव होगा जिससे जनसेवक का जन्म होगा ही।
गोल -मोल बातें करो ,बिना परिणाम की कथा सुनाते जाओ,जो कुछ अच्छा
हुआ उसे खुद के खाते में कैसे भी फिट करो और जो भी ख़राब हुआ उसे सामने
वाले के गले में लटका दो।
ये सब करने से भी 272 ना आये तो भी घबराओ मत ,अन्तिम अचूक नुस्खा
अपना लो ,कुछ हरे हरे लक्ष्मीजी के पत्ते हाथ में लो और शम्भुमेले की भीड़
पर उछाल दो ,शर्तियाँ सरकार बना लोगे ,आजमाया हुआ वशीकरण नुस्खा
है सांप नेवले को भी गले मिला देता है।
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26.2.14
बहुत टर्र टर्र करते हो ना !!
दिल करता है पाँच -सात लाफे चटका दूँ या फिर पोने दस कोड़े मारु बद जबान को !
जितनी साल जितनी खुराफातें करी थी साले ने पूरी की पूरी गिन गिन कर लिख
डाली दिवार पर ! और तो और उसकी बात को हवा देने के लिए एक गुनाह की
तस्वीर को लाख जगह चिपका डाला और वह भी फोकट में !किस घडी का पाप था
जो खुल कर सामने आ गया !!
क्या हुआ ताऊ,क्यों गर्म भजिये की तरह उफन रहे हो? हमने जानबूझ कर पूछ
लिया।
अरे! कुछ साल हेराफेरी कर ली तो कौनसा गुनाह कर दिया,आज तक सबने
मिलकर कब पुण्य का काम किया था,65 बरस से यही सब तो हो रहा था ;मेने
थोडा संगठित तरीके से किया ,पूरा गिरोह बनाया ,बड़ी सफाई से चाटा था तिजोरी
को !पूरा का पूरा नहीं डकारा था ,इतना नुगरा नहीं था ,जहाँ -जहाँ नजर गई वहाँ
तक सबको चाटने का मौका दिया,कोई चाटते देख ना ले इसलिए सब पर नजर
भी रखी और तो और इन भिनभिनाती मक्खियों को भी चीनी के दाने वक्त बेवक्त
डालता रहा ,मगर आज ये मक्खियाँ सबके कानों में जा जाकर पोल खोल रही है
और वह भी ऐसे वक्त में जब खाली हो रही जगह को फिर से भरना था !!!
अरे ताऊ ,इनका क्या बुरा मान बैठे ,ये तो भुलक्कड़ हैं ,सब किया धरा माफ कर
फिर से विजयी भव: कह दिया करते हैं। मेने सांत्वना देते हुए कहा
अरे !तुम समय को समझ नहीं पा रहे हो बच्चू ,वक्त बड़ा ख़राब आ रहा है,मेने
पहले ही कहा था मत लाओ सोशल मीडिया को ,इन सबको जाहिल ,अनपढ़ ही
रहने दो पर वो बाप खुद तो चला गया और अब हम छाती कूट कूट कर रो रहे हैं !
ये अखबार वाले कोई कम तंग करते हैं हमको,थोडा सा हाथ सफाई में चुक गये
तो गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाने लगते हैं ,ऐसा रिप्ले दिखाते हैं दिन भर कि
लोग उसे बार बार असली मान लेते हैं और ये जब थकते हैं तो सोशल मिडिया
के करोड़ों मेढ़क टर्र -टर्र करने लग जाते हैं। बोलते हैं पगार लेते हैं तो काम करो,
हम इनके चाकर हैं क्या !जब से ककहरा सीखा है इन लोगों ने तब से उपदेश देने
लगे हैं। ये तो हमारे ही हिये फूटे थे बच्चू ,फिरंगी साहबों के किस्मत ठीक थे ,मजे
से लूट लिया करते थे।
मगर अब तो ताऊ तेरे बचने के रास्ते नहीं दिख रहे हैं मन्ने तो। मेने ताऊ को छेड़ा
मेरी बात सुन ताऊ गुर्राया और बोला -कम ना समझ हमको बच्चू !हमने दुनियाँ
देखी है, दौ चार टर्राते मेढ़को को पकड़ कर टेंटुआ दबा दूँगा ना सब कुएँ में छलाँग
मारते नजर आयेंगे !!
फिर शुभ काम में देरी क्यों ताऊ ,अभी तो लकड़ी भी तूने ही पकड़ रखी है ,घुमा दे
ताऊ, मेने पुन: उकसाते हुए कहा
ताऊ बोला -छोरे,बात तो तेरी नेक लागे और तेरा नँबर भी पहले आवै मगर सामने
जो समय है ना वो मेढ़कों का ही है। इबकै बार ये मेढ़कों ने मेरे पर ठप्पा मार दिया
और मैं फिर जीत के आ गया तो ये पक्का जाण ले कि सोशल मीडिया कोई कहानी
बन जावेगा!!
मेने जाते जाते कहा -ताऊ फिर तो पक्का जाण कि तेरे करम फुट ही गए। सोशल
मीडिया तो रहेगा पर तूं कहीं नजर ना आवेगा।
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25.2.14
गांधीजी को पत्र
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24.2.14
भाजपा के लिए आत्मघाती होगा रामविलास से गठबंधन-ब्रज की दुनिया
मित्रों,छोटे मोदी ने एकबार फिर से भाजपा को बेमेल और आत्मघाती गठबंधन की आग में झोंकने की नापाक कोशिश की है। उपेंद्र कुशवाहा से गठबंधन किया कोई बात नहीं क्योंकि उनपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है लेकिन रामविलास पासवान से गठबंधन क्यों? ऊपर से छोटे मोदी रामविलास पासवान के खिलाफ सीबीआई जाँच के मामले में उनका खुलकर बचाव भी कर रहे हैं जबकि बोकारो स्टील कारखाने के प्रस्तावित बेतिया इकाई में बहाली में केंद्रीय मंत्री रहते उनके खिलाफ जमकर भ्रष्टाचार करने के सबूत सामने आ चुके हैं। ऊपर से रामविलास पासवान का बिहार में कोई खास वोट-बैंक भी नहीं है। पिछले लोकसभा चुनावों में तो हाजीपुर में उनको उनकी अपनी जाति ने भी एकजुट होकर वोट नहीं दिया था ऐसे में यह तो निश्चित है कि इस गठबंधन से भाजपा को मतों की दृष्टि से कोई लाभ नहीं होने जा रहा है। गठबंधन से जो भी लाभ होगा वह एकतरफा होगा और लोजपा को होगा।
मित्रों,हम सभी जानते हैं रामविलास पासवान राज्य के ही नहीं देश के भी महानतम अवसरवादी नेता है। वे सत्ता से दूर रह ही नहीं सकते। उनको केंद्र में मंत्री बनकर मलाई काटने की पुरानी बीमारी है। भूतकाल में अगर हम झाँककर देखें तो 1998 में रामविलास ने भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और केंद्र सरकार में महत्त्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे थे। बाद में जब उनको संचार मंत्रालय से हटा दिया गया तो उन्होंने गुजरात दंगों का बहाना बनाकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 1999 में लोकसभा में विश्वास-प्रस्ताव पर मतदान के दौरान उन्होंने राजग को धोखा दिया जिससे वाजपेयी जी की सरकार एक मत से गिर गई थी। फिर आज तो गुजरात दंगों के समय मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम उम्मीदवार हैं फिर रामविलास भाजपा के साथ कैसे गठबंधन कर सकते हैं और भाजपा भी ऐसे धोखेबाज के साथ कैसे गठबंधन बना सकती है? शायद रामविलास जी कांग्रेस पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाने के लिए भाजपा से गठबंधन का झूठा स्वांग कर रहे हैं या फिर कांग्रेस पर उनके खिलाफ सीबीआई जाँच रोकने के लिए बीजेपी से गठबंधन का नाटक कर रहे हैं। अगर वे भाजपा से सचमुच में गठबंधन करना चाहते हैं तो इसका एक कारण तो मोदी लहर हो सकती है और दूसरा कारण चुनावों के बाद बननेवाली एनडीए सरकार के समय सीबीआई के शिकंजे में आने से खुद को बचाना। श्री पासवान से गठबंधन करते समय भाजपा को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि रामविलास मूलतः लालू-मुलायम-येचुरी-सोनिया-ममता-जया आदि की तरह मुस्लिमपरस्त नेता हैं और स्वार्थवश अभी वे भले ही एनडीए की बारात में डांस करने को तैयार हो जाएँ लेकिन कभी भी बारात से भाग सकते हैं और पिटवा भी सकते हैं। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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क्या केजरीवाल और अंबानी में साँठगाँठ है?-ब्रज की दुनिया
असल में रोहतक की रैली में अरविन्द केजरीवाल ने मुकेश अंबानी और मोदी के साथ साथ मीडिया पर भी जमकर हमला बोला और कहा कि मीडिया का एक हिस्सा जानबूझकर उन्हें और उनकी पार्टी को बदनाम कर रहा है। केजरीवाल ने मीडिया पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब मुकेश अंबानी के इशारे पर हो रहा है क्योंकि मीडिया में आज हर जगह मुकेश अंबानी का पैसा लगा हुआ है।
मुकेश और मीडिया के रिश्तों पर बोलते बोलते अरविन्द केजरीवाल बोल गये कि कैसे एक एडीटर इन चीफ उनके पास आया और कहने लगा कि उसके ऊपर दबाव बनाया जा रहा है कि वह मोदी के बारे में ही खबरें दिखाएं। उस एडीटर इन चीफ से यह बात बर्दाश्त नहीं हुई और उसने अरविन्द से कहा कि इसलिए उसने इस्तीफा दे दिया है।
अगर अरविन्द की बात को सही मानें और मीडिया में मुकेश अंबानी की मौजूदगी को देखें तो निश्चित रूप से यह एडीटर इन चीफ कोई और नहीं बल्कि खुद आशुतोष ही हो सकते हैं क्योंकि आशुतोष जिस आईबीएन-7 के संपादक थे वह नेटवर्क-18 का हिस्सा है जिसमें मुकेश अंबानी ने पैसा निवेश कर रखा है। तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आशुतोष के आम पार्टी ज्वाइन करने की पोल खुद केजरीवाल ने ही खोल दी?
हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है जब अरविन्द केजरीवाल खुद मीडिया के एक हिस्से पर जमकर बरसे और अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर कोई खबर ऐसी दिखे जिसे देखकर लगे कि यह जानबूझकर गलत खबर चलाई जा रही है तो पार्टी कार्यकर्ता टीवी चैनलों के दफ्तर में फोन करके अपना विरोध दर्ज करवाएं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर ये लोग गलत खबर दिखाना बंद नहीं करते हैं तो मीडियावालों को भी ठीक करना पड़ेगा।
हालाँकि अधिकतर टीवी दर्शकों का यह मानना है कि आईबीएन 7 आशुतोष के होते हुए तो केजरीवाल का समर्थक था ही उनके हटने के बाद तो और भी अंधसमर्थक ही हो गया है। दिन-रात नॉन स्टॉप सिर्फ केजरीवाल के पक्ष में ही समाचार और कार्यक्रम चलाता रहता है। तो क्या केजरीवाल और अंबानी में भी भीतर-ही-भीतर साँठगाँठ है? अगर ऐसा नहीं है तो फिर आईबीएन 7 आज केजरीवाल का सबसे बड़ा समर्थक चैनल क्यों बना हुआ है? (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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पगथिया: स्थायी सरकार देना जनता की जबाबदारी
पगथिया: स्थायी सरकार देना जनता की जबाबदारी: स्थायी सरकार देना जनता की जबाबदारी विभिन्न पार्टियों का मेला ,अपने अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए बनने वाला विचित्र गठजोड़ क्या यही ल...
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22.2.14
फिर तो आईपीएल इंडियन फिक्सिंग लीग बन जाएगा?-ब्रज की दुनिया
मित्रों,जिस तरह से दाऊद आसानी से आईपीएल सट्टेबाजी में भाग लेकर मैचों को फिक्स कर ले रहा है उससे आम जनता के मन में ऐसी आशंका भी उत्पन्न हो रही है कि न सिर्फ आईपीएल और बीसीसीआई में उसकी पैठ बनी हुई है बल्कि केंद्र सरकार के एक से ज्यादा मंत्री भी उसके ही इशारों पर नाचते रहे हैं। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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“आप” (केजरीवाल) का रामबाण नुस्खा ।
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सामने आने लगे केजरीवाल के 'मृत-दल' के छिपे हुए उद्देश्य-ब्रज की दुनिया
'भीतर का राक्षसी स्वार्थ अब
साफ़ उभर आया है,
छिपे हुए उद्देश्य
यहाँ निखर आये हैं,
यह शोभायात्रा है किसी मृत-दल की।'
चुनावी महासमर नजदीक आने के साथ ही अरविंद केजरीवाल के छिपे हुए उद्देश्य भी सामने आने लगे हैं। केजरीवाल ने अपनी रणनीति बदलते हुए अपने 'मृत-दल' के निशाने पर नरेंद्र मोदी को राहुल गांधी से भी ऊपर कर लिया है। कांग्रेस को बचाने का उनका राक्षसी स्वार्थ अब साफतौर पर उभर आया है। भाजपा के पीएम प्रत्याशी की चौतरफा घेराबंदी के लिहाज से उन पर आरोपों की बौछार कर दी है। साथ ही उनके खिलाफ महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी के रूप में एक सशक्त उम्मीदवार उतारने की तैयारी भी कर ली है।
अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी के साथ रिश्तों को लेकर मोदी पर सवाल खड़े कर दिए। साथ ही उन्होंने अपने और अपने दल के ऊपर लगनेवाले किसी भी आरोप का स्पष्टीकरण न देने की महान परंपरा की रक्षा भी की है। उन्होंने यह नहीं बताया है कि वो ली कौन थी और उसका उद्देश्य क्या था? मोदी को पत्र लिखकर केजरीवाल ने कहा है, ‘लोग कहते हैं कि संप्रग की सरकार मुकेश अंबानी चला रहे हैं। अगर आपके पीछे भी मुकेश ही हैं तो लोगों के साथ धोखा हो जाएगा। किसी तरह आप प्रधानमंत्री बन भी जाते हैं तो क्या आपकी सरकार भी मुकेश ही चलाएंगे? चर्चा है कि आपकी एक-एक रैली पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि मुकेश अंबानी आपको फंड कर रहे हैं। क्या यह सच है?’ आप और राहुल गांधी देश-विदेश में घूमने के लिए हेलीकॉप्टर व निजी हवाई जहाजों का उपयोग करते हैं। खबरों के मुताबिक ये जहाज मुकेश अंबानी के हैं। ये फ्री में मिलते हैं या आप इनका किराया देते हैं? इस बीच परम प्रपंची और बुढ़ापे में नग्न नवयुवतियों के साथ शयन कर ब्रह्मचर्य संबंधी प्रयोग करनेवाले मोहनदास करमचंद गांधी के प्रपौत्र राजमोहन गांधी ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली। उन्होंने कहा कि पार्टी का जो आदेश होगा उसका पालन करेंगे। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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20.2.14
कन्फ्यूजिंग प्रश्नों पर चाहूं रायशुमारी
Posted by Dhanesh Kothari 0 comments
Labels: चुटकी