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28.2.14

यह 24000 करोड़ किसका है सहारा श्री जी?-ब्रज की दुनिया

हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,हम काफी दिनों से यह सुनते आ रहे थे कि अपने देश में काले धन को सफेद धन में बदला जाता है। अभी तक तो हम सुनते ही थे अब अपनी आँखों से देख भी रहे हैं कि कैसे सहारा श्री अज्ञात सफेदपोश लोगों के धन को काला से उजला बना रहे हैं। वे बताते हैं कि उनकी कंपनी में लाखों निवेशकों ने 24000 करोड़ रुपये लगाए हैं लेकिन सेबी के पूछने पर वे यह नहीं बता पाते कि वे लाखों निवेशक हैं कौन? प्रश्न अब यह नहीं है कि 24000 करोड़ रुपये हैं भी या नहीं बल्कि उससे भी बड़ा सवाल अब यह पैदा हो गया है कि निवेशक हैं भी या नहीं? अगर हैं तो उनका नाम और पता क्या है? किसी निवेशक का पता सिर्फ एनएच 2 या 4 तो नहीं हो सकता।
मित्रों,तो क्या यह 24000 करोड़ रुपया नेताओं का है जिसको सुब्रत राय अवैध तरीके से सफेद धन में बदलने का असफल प्रयास कर रहे थे? देखना तो यह भी है कि सुब्रत राय को उनकी खुद की चहेती सरकार की पुलिस किस प्रकार से हिरासत में रखती है। उनको आम आदमी की तरह हिरासत में रखती है या फिर पाँच सितारा सुविधाएँ उपलब्ध करवाती है और कानून की नजर में सबके समान होने के सिद्धांत का खुलेआम मखौल उड़ाती है? जाहिर है कि सहारा श्री देश के बड़े रसूखदार लोगों में से हैं ऐसे में उनको सजा दिलवाना किसी भी तरह आसान नहीं रहनेवाला है क्योंकि आज कानून गांधी के जमाने से भी ज्यादा पैसेवालों की रखैल बन चुका है। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

27.2.14

अनुभूत चुनावी नुस्खे

अनुभूत चुनावी नुस्खे

नुस्खे हर कोई जनता है ,प्रयोग करता है और जब फलदायी होते हैं तो अनुभूत
नुस्खे का टैग मार दिया जाता है। लोकतंत्र भी अजब होता है क्योंकि हर नेता
हर नुस्खे को आजमा कर बैतरणी पार करना चाहता है।

   दो कौम में विवाद पैदा करवाना अनुभूत नुस्खा है इसलिए हर छोटा बड़ा
नेता छूट से इसे इस्तेमाल करता है क्योंकि विवाद से गुस्से का जन्म होता है
और गुस्सा दंगे के रस्ते से गुजर कर या खामोश रहकर वोट में बदल जाता है
और वोट से लोकतंत्र साँसे गिनता है।

   फिकरे कसना और ताने मारना भी सफल नुस्खा रहा है ,आम प्रजा को इसमें
रस आता है और जनता को कोई ताना रास आ गया तो हो जाए बम बम। आम
उम्मीदवार खास नेता में बदल जाता है। अभी एक भाई ने नया प्रयोग किया था
ढोल बजा कर पोल खोलने का ,किसी भी नुक्कड़ पर खड़े हो जाओ और ढोल
बजाकर पोल खोलने का स्वाँग रचो ,अगर स्वाँग असली जैसा लगा तो लोक
खुश और लोक खुश तो लोकतंत्र खुश।

पलटी मारना भी अनुभूत नुस्खा है बस जबान और दिमाग पलटने में गजब
कि फुर्ती चाहिए ,हवा का रुख पहचानो और दिशा बदल लो जिसने भी फुर्ती
से बदली कुछ ना कुछ पद पर चिपका दिया जाता है।

 गुट्टी पिलाने का नुस्खा भी रामबाण ईलाज है चुनाव में। कैसी भी गुट्टी हो
गरीबी मिटाने की हो या महँगाई हटाने की सब चलती है। नाव पार लगने पर
कोई परिणाम प्रजा को नहीं भी मिले तो भी अगले चुनावों में वही गुट्टी पुन:
पिला दो ,पूरा असर दिखायेगी ,शर्तियाँ ईलाज है यह।

 भगवान् के नाम के पर्याय शब्द का रटा लगा दो जैसे -राम ,ईसा,खुदा आदि
और पाँच लाईन के भाषण में सब पर्याय को पढ़ दो ,इससे आपकी छबी पर एक
सिक्का लगेगा जिसे लोकतंत्र में धर्मनिरपेक्षता कहा जाता है। यह सिक्का
जो भी लगाने से चुक गया समझो उसका तो डूबना तय है ,नुस्खा यह बताता
है कि एक कसम या वादा जो भी करो इन सबका नाम ले डालो ,हर कौम अपना
बना लेगी और नैया पार लगा देगी।

अनशन और धरना फिर से फैशन में आ गए हैं ,बात बात पर प्रदर्शन करो ,
सड़क पर जोर जोर से समस्या पर गला फाड़ो ,लोग सुनेंगे ,उनकी दुखती
रग को पकड़ो और खुद को मसीहा बताकर रग को दबाओ ,दबाने से जनता
का दर्द हरा हो जाएगा और तड़फड़ा कर बूथ पर ठप्पा लगा देगी और प्रजा
के दुःख से नए लोकयुग का प्रसव होगा जिससे जनसेवक का जन्म होगा ही।

गोल -मोल बातें करो ,बिना परिणाम की कथा सुनाते जाओ,जो कुछ अच्छा
हुआ उसे खुद के खाते में कैसे भी फिट करो और जो भी ख़राब हुआ उसे सामने
वाले के गले में लटका दो।

ये सब करने से भी 272 ना आये तो भी घबराओ मत ,अन्तिम अचूक नुस्खा
अपना लो ,कुछ हरे हरे लक्ष्मीजी के पत्ते हाथ में लो और शम्भुमेले की भीड़
पर उछाल दो ,शर्तियाँ सरकार बना लोगे ,आजमाया हुआ वशीकरण नुस्खा
है सांप नेवले को भी गले मिला देता है।   
        

26.2.14

बहुत टर्र टर्र करते हो ना !!

बहुत टर्र टर्र करते हो ना !!

दिल करता है पाँच -सात लाफे चटका दूँ  या फिर पोने दस कोड़े मारु बद जबान को !
जितनी साल जितनी खुराफातें करी थी साले ने पूरी की पूरी गिन गिन कर लिख
डाली दिवार पर ! और तो और उसकी बात को हवा देने के लिए एक गुनाह की
तस्वीर को लाख जगह चिपका डाला और वह भी फोकट में !किस घडी का पाप था
जो खुल कर सामने आ गया !!

क्या हुआ ताऊ,क्यों गर्म भजिये की तरह उफन रहे हो? हमने जानबूझ कर पूछ
लिया।

 अरे! कुछ साल हेराफेरी कर ली तो कौनसा गुनाह कर दिया,आज तक सबने
मिलकर कब पुण्य का काम किया था,65 बरस से यही सब तो हो रहा था ;मेने
थोडा संगठित तरीके से किया ,पूरा गिरोह बनाया ,बड़ी सफाई से चाटा था तिजोरी
को !पूरा का पूरा नहीं डकारा था ,इतना नुगरा नहीं था ,जहाँ -जहाँ नजर गई वहाँ
तक सबको चाटने का मौका दिया,कोई चाटते देख ना ले इसलिए सब पर नजर
भी रखी और तो और इन भिनभिनाती मक्खियों को भी चीनी के दाने वक्त बेवक्त
डालता रहा ,मगर आज ये मक्खियाँ सबके कानों में जा जाकर पोल खोल रही है
और वह भी ऐसे वक्त में जब खाली हो रही जगह को फिर से भरना था !!!

अरे ताऊ ,इनका क्या बुरा मान बैठे ,ये तो भुलक्कड़ हैं ,सब किया धरा माफ कर
फिर से विजयी भव: कह दिया करते हैं। मेने सांत्वना देते हुए कहा

अरे !तुम समय को समझ नहीं पा रहे हो बच्चू ,वक्त बड़ा ख़राब आ रहा है,मेने
पहले ही कहा था मत लाओ सोशल मीडिया को ,इन सबको जाहिल ,अनपढ़ ही
रहने दो पर वो बाप खुद तो चला गया और अब हम छाती कूट कूट कर रो रहे हैं !
ये अखबार वाले कोई कम तंग करते हैं हमको,थोडा सा हाथ सफाई में चुक गये
तो गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाने लगते हैं ,ऐसा रिप्ले दिखाते हैं दिन भर कि
लोग उसे बार बार असली मान लेते हैं और ये जब थकते हैं तो सोशल मिडिया
के करोड़ों मेढ़क टर्र -टर्र करने लग जाते हैं। बोलते हैं पगार लेते हैं तो काम करो,
हम इनके चाकर हैं क्या !जब से ककहरा सीखा है इन लोगों ने तब से उपदेश देने
लगे हैं। ये तो हमारे ही हिये फूटे थे बच्चू ,फिरंगी साहबों के किस्मत ठीक थे ,मजे
से लूट लिया करते थे।

मगर अब तो ताऊ तेरे बचने के रास्ते नहीं दिख रहे हैं मन्ने तो।  मेने ताऊ को छेड़ा

मेरी बात सुन ताऊ गुर्राया और बोला -कम ना समझ हमको बच्चू !हमने दुनियाँ
देखी है, दौ चार टर्राते मेढ़को को पकड़ कर टेंटुआ दबा दूँगा ना सब कुएँ में छलाँग
मारते नजर आयेंगे !!

फिर शुभ काम में देरी क्यों ताऊ ,अभी तो लकड़ी भी तूने ही पकड़ रखी है ,घुमा दे
ताऊ, मेने पुन: उकसाते हुए कहा

ताऊ बोला -छोरे,बात तो तेरी नेक लागे और तेरा नँबर भी पहले आवै मगर सामने
जो समय है ना वो मेढ़कों का ही है। इबकै बार ये मेढ़कों ने मेरे पर ठप्पा मार दिया
और मैं फिर जीत के आ गया तो ये पक्का जाण ले कि सोशल मीडिया कोई कहानी
बन जावेगा!!

मेने जाते जाते कहा -ताऊ फिर तो पक्का जाण कि तेरे करम फुट ही गए।  सोशल
मीडिया तो रहेगा पर तूं कहीं नजर ना आवेगा। 

25.2.14

गांधीजी को पत्र

लेखक: नरेश मिश्र

मेरे प्यारे बापू जी ! आप स्वर्ग से देश को देख रहे होंगे । थोड़ा बताईये कि जिस आजादी के लिये आपने अनशन-सत्याग्रह और सत्य-अहिंसा के शस्त्र उठाये थे,उसकी कैसी ख्वारी हो रही है । आपने कहा था कि पवित्र साध्य के लिये साधन भी शुद्ध होना चाहिये । आपके कुछ तथाकथित चेले कह रहे हैं कि सत्य कूड़ेदान के हवाले करो और लगातार झूठ बोलकर अपना उल्लू सीधा करो । आपने स्वदेशी और सादगी का संकल्प लिया था,आपके चेले सिर्फ टोपी पहनकर सादगी का पाखंड रचते हैं ।

बापू जी आपने आजादी मिलने के बाद कांग्रेस को एक आंदोलन मानकर उसे खत्म करने का आदेश दिया था । कांग्रेसियों के गले आपका आदेश नहीं उतरा । वे दो अक्टूबर,तीस जनवरी,छब्बीस जनवरी और पंद्रह अगस्त पर आपकी समाधि पर जाकर हुकूमत करने का लाईसेंस रिन्यू कराते हैं । वे आपका नाम लेकर  मुल्क में भ्रष्टाचार की आंधी चलाते हैं और कालाधन विदेशी बैंकों में रखते हैं ।

सभी जानते हैं कि आपने कांग्रेसियों को हुकूमत करने का लाइसेंस अपनी मर्जी से नहीं दिया था लेकिन अब मुल्क पर दूसरी तबाही बरपा हो रही है । कुछ तथाकथित नव गांधीवादी कांग्रेस से यह लाइसेंस झपटने का प्रयास कर रहे हैं ।

हुकूमत गोश्त बेचने वाले की दुकान पर रखा मांस का टुकड़ा है । एक चील ने झपट कर उस टुकड़े को उठा लिया और आसमान में  उड़ गई । अब दूसरी चीलों का झुण्ड मांस के इस टुकड़े को छीन लेना चाहता है । जातक में कहा गया है कि बोधित्सव को यही दृश्य देखकर वैराग्य हो गया था । उन्हें लगा कि सत्ता का वैभव जिस प्राणी की चोंच में होता है उसे झपटने के लिये दूसरी चीलें तैयार रहती हैं । इसलिये सत्ता के वैभव को त्याग देना ही ठीक है ।

बापू जी समाजसेवी अन्ना आप के सच्चे शिष्य हैं । वे अपने सुख के लिये सत्ता का वैभव नहीं चाहते । उनका गुजारा तो एक छोटी सी कोठरी और एक जोड़ी कपड़े में हो जाता है लेकिन उनके तथाकथित रंगबिरंगे चेले सादगी का चोला ओढ़कर सब कुछ हथिया लेना चाहते हैं । निगाहें कहीं पर हैं और निशाना कहीं पर है । मुझे यकीन हैं कि आप कांग्रेस के क्रियाकलापों से क्षुब्ध हैं । अब अपने इन तथाकथित दूसरे भक्तों के गिरोह से देश को आप कैसे छुटकारा दिलायेंगे । अर्जी हमारी है,सो कर दिया । अब आप ही देश में दोबारा जन्म लेकर इन पाखंडियों से हमें छुटकारा दिलाईये ।
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24.2.14

भाजपा के लिए आत्मघाती होगा रामविलास से गठबंधन-ब्रज की दुनिया

हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों, पिछले दो दिनों से ऐसी चर्चा बिहार में जोरों पर है कि भारतीय जनता पार्टी और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के बीच लोकसभा चुनावों के लिए चुनावी गठबंधन हो गया है। सूत्रों के अनुसार इस गठबंधन के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का ज्यादा जोर है। पता नहीं सुशील कुमार मोदी को ऐसा क्यों लगता है कि भाजपा बिहार में अकेली चुनावों में जा ही नहीं सकती है। यह वहीं मोदी हैं जिन्होंने बिहार में कभी भाजपा का गठबंधन उस पार्टी से करवाया था जिसको 1995 के चुनावों में मात्र 6 विधानसभा सीटें मिली थीं और वो भी बड़ा भाई बनाकर और अपनी पार्टी से ज्यादा सीटें देकर जबकि 1995 में भाजपा के पास 30 विधानसभा सीटें थीं। यह वही छोटे मोदी हैं जिनको अभी कुछ महीने पहले तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पीएम पद के लिए योग्यतम व्यक्ति नजर आते थे।
मित्रों,छोटे मोदी ने एकबार फिर से भाजपा को बेमेल और आत्मघाती गठबंधन की आग में झोंकने की नापाक कोशिश की है। उपेंद्र कुशवाहा से गठबंधन किया कोई बात नहीं क्योंकि उनपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है लेकिन रामविलास पासवान से गठबंधन क्यों? ऊपर से छोटे मोदी रामविलास पासवान के खिलाफ सीबीआई जाँच के मामले में उनका खुलकर बचाव भी कर रहे हैं जबकि बोकारो स्टील कारखाने के प्रस्तावित बेतिया इकाई में बहाली में केंद्रीय मंत्री रहते उनके खिलाफ जमकर भ्रष्टाचार करने के सबूत सामने आ चुके हैं। ऊपर से रामविलास पासवान का बिहार में कोई खास वोट-बैंक भी नहीं है। पिछले लोकसभा चुनावों में तो हाजीपुर में उनको उनकी अपनी जाति ने भी एकजुट होकर वोट नहीं दिया था ऐसे में यह तो निश्चित है कि इस गठबंधन से भाजपा को मतों की दृष्टि से कोई लाभ नहीं होने जा रहा है। गठबंधन से जो भी लाभ होगा वह एकतरफा होगा और लोजपा को होगा।
मित्रों,हम सभी जानते हैं रामविलास पासवान राज्य के ही नहीं देश के भी महानतम अवसरवादी नेता है। वे सत्ता से दूर रह ही नहीं सकते। उनको केंद्र में मंत्री बनकर मलाई काटने की पुरानी बीमारी है। भूतकाल में अगर हम झाँककर देखें तो  1998 में रामविलास ने भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और केंद्र सरकार में महत्त्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे थे। बाद में जब उनको संचार मंत्रालय से हटा दिया गया तो उन्होंने गुजरात दंगों का बहाना बनाकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 1999 में लोकसभा में विश्वास-प्रस्ताव पर मतदान के दौरान उन्होंने राजग को धोखा दिया जिससे वाजपेयी जी की सरकार एक मत से गिर गई थी। फिर आज तो गुजरात दंगों के समय मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम उम्मीदवार हैं फिर रामविलास भाजपा के साथ कैसे गठबंधन कर सकते हैं और भाजपा भी ऐसे धोखेबाज के साथ कैसे गठबंधन बना सकती है? शायद रामविलास जी कांग्रेस पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाने के लिए भाजपा से गठबंधन का झूठा स्वांग कर रहे हैं या फिर कांग्रेस पर उनके खिलाफ सीबीआई जाँच रोकने के लिए बीजेपी से गठबंधन का नाटक कर रहे हैं। अगर वे भाजपा से सचमुच में गठबंधन करना चाहते हैं तो इसका एक कारण तो मोदी लहर हो सकती है और दूसरा कारण चुनावों के बाद बननेवाली एनडीए सरकार के समय सीबीआई के शिकंजे में आने से खुद को बचाना। श्री पासवान से गठबंधन करते समय भाजपा को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि रामविलास मूलतः लालू-मुलायम-येचुरी-सोनिया-ममता-जया आदि की तरह मुस्लिमपरस्त नेता हैं और स्वार्थवश अभी वे भले ही एनडीए की बारात में डांस करने को तैयार हो जाएँ लेकिन कभी भी बारात से भाग सकते हैं और पिटवा भी सकते हैं। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

क्या केजरीवाल और अंबानी में साँठगाँठ है?-ब्रज की दुनिया

हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। रविवार को रोहतक में रैली करने पहुंचे अरविन्द केजरीवाल ने क्या बातों ही बातों में अपनी ही पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष की पोल खोल दी है? अगर घटनाओं को सही मानें तो शायद हां। रविवार को रोहतक में रैली करने पहुंचे अरविन्द केजरीवाल के साथ आईबीएन-7 के पूर्व एडीटर इन चीफ आशुतोष भी थे। उन्होंने वहां अरविन्द से पहले रैली को संबोधित भी किया। लेकिन जब खुद केजरीवाल संबोधित करने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने ऐसी बात कह दी जिससे शक हुआ कि कहीं वे यह बात अपनी ही पार्टी के नेता आशुतोष के बारे में तो नहीं कह गए?
असल में रोहतक की रैली में अरविन्द केजरीवाल ने मुकेश अंबानी और मोदी के साथ साथ मीडिया पर भी जमकर हमला बोला और कहा कि मीडिया का एक हिस्सा जानबूझकर उन्हें और उनकी पार्टी को बदनाम कर रहा है। केजरीवाल ने मीडिया पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब मुकेश अंबानी के इशारे पर हो रहा है क्योंकि मीडिया में आज हर जगह मुकेश अंबानी का पैसा लगा हुआ है।
मुकेश और मीडिया के रिश्तों पर बोलते बोलते अरविन्द केजरीवाल बोल गये कि कैसे एक एडीटर इन चीफ उनके पास आया और कहने लगा कि उसके ऊपर दबाव बनाया जा रहा है कि वह मोदी के बारे में ही खबरें दिखाएं। उस एडीटर इन चीफ से यह बात बर्दाश्त नहीं हुई और उसने अरविन्द से कहा कि इसलिए उसने इस्तीफा दे दिया है।
अगर अरविन्द की बात को सही मानें और मीडिया में मुकेश अंबानी की मौजूदगी को देखें तो निश्चित रूप से यह एडीटर इन चीफ कोई और नहीं बल्कि खुद आशुतोष ही हो सकते हैं क्योंकि आशुतोष जिस आईबीएन-7 के संपादक थे वह नेटवर्क-18 का हिस्सा है जिसमें मुकेश अंबानी ने पैसा निवेश कर रखा है। तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आशुतोष के आम पार्टी ज्वाइन करने की पोल खुद केजरीवाल ने ही खोल दी?
हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है जब अरविन्द केजरीवाल खुद मीडिया के एक हिस्से पर जमकर बरसे और अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर कोई खबर ऐसी दिखे जिसे देखकर लगे कि यह जानबूझकर गलत खबर चलाई जा रही है तो पार्टी कार्यकर्ता टीवी चैनलों के दफ्तर में फोन करके अपना विरोध दर्ज करवाएं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर ये लोग गलत खबर दिखाना बंद नहीं करते हैं तो मीडियावालों को भी ठीक करना पड़ेगा।
हालाँकि अधिकतर टीवी दर्शकों का यह मानना है कि आईबीएन 7 आशुतोष के होते हुए तो केजरीवाल का समर्थक था ही उनके हटने के बाद तो और भी अंधसमर्थक ही हो गया है। दिन-रात नॉन स्टॉप सिर्फ केजरीवाल के पक्ष में ही समाचार और कार्यक्रम चलाता रहता है। तो क्या केजरीवाल और अंबानी में भी भीतर-ही-भीतर साँठगाँठ है? अगर ऐसा नहीं है तो फिर आईबीएन 7 आज केजरीवाल का सबसे बड़ा समर्थक चैनल क्यों बना हुआ है? (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

पगथिया: स्थायी सरकार देना जनता की जबाबदारी

पगथिया: स्थायी सरकार देना जनता की जबाबदारी: स्थायी सरकार देना जनता की जबाबदारी विभिन्न पार्टियों का मेला ,अपने अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए बनने वाला विचित्र गठजोड़ क्या यही ल...

22.2.14

फिर तो आईपीएल इंडियन फिक्सिंग लीग बन जाएगा?-ब्रज की दुनिया

22-2-14,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,जैसा कि बीसीसीआई सूत्रों ने मीडिया को बताया है कि इस साल का आईपीएल यानि आईपीएल 7 दक्षिण अफ्रीका में होने जा रहा है तो अगर ऐसा हुआ तो इस साल का आईपीएल इंडियन प्रीमियर लीग के बदले इंडियन फिक्सिंग लीग बन जाएगा। ऐसा होना सिर्फ इसलिए ही तय नहीं माना जा रहा क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में सट्टेबाजी प्रतिबंधित नहीं है बल्कि इसलिए भी क्योंकि जस्टिस मुद्गल समिति ने आईपीएल सट्टेबाजी की जांच रिपोर्ट में बताया है कि सारी सट्टेबाजी के पीछे कुख्यात डॉन दाऊद इब्राहिम का हाथ है। रिपोर्ट में न सिर्फ मयप्पन को बल्कि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान धोनी और रैना को भी संदेह के घेरे में रखा है। विदित हो कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में फिक्सिंग का गंदा खेल सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में ही उजागर हुआ था।
मित्रों,जिस तरह से दाऊद आसानी से आईपीएल सट्टेबाजी में भाग लेकर मैचों को फिक्स कर ले रहा है उससे आम जनता के मन में ऐसी आशंका भी उत्पन्न हो रही है कि न सिर्फ आईपीएल और बीसीसीआई में उसकी पैठ बनी हुई है बल्कि केंद्र सरकार के एक से ज्यादा मंत्री भी उसके ही इशारों पर नाचते रहे हैं। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

“आप” (केजरीवाल) का रामबाण नुस्खा ।


लेखक: नरेश मिश्र

साहबान,मेहरबान,कद्रदान ! न तो मैं कोई वैद्यडाक्टर या हकीम हूँन पहुंचा हुआ सियासी संन्यासी फकीर । मैं आप ही की तरह एक गरीब आम आदमी हूँ । सियासत की तीर्थयात्रा का मंसूबा बनाकर मैं अन्ना हजारे की सेवा में प्रस्तुत हुआ । मेरे दंड प्रणाम से गॉंधीवादी सन्यासी अन्ना हजारे प्रसन्न हुये । मेरे मन में मामूली नौकरी छोड़कर सियासत के शिखर पर झंडा लहराने की भावना थी,लेकिन मैं अपनी इस भावना को मन में ही छिपा कर मामा मारीच मृग की चाल चलना चाहता था ।

गांधीवादी सन्यासी अन्ना हजारे सरल स्वभाव,सच पर अडिग रहने वाले महात्मा हैं ? उन्हें क्या पता था कि मेरे मन में राम,बगल में छूरी हैं । उन्होंने मुझे सत्य,अहिंसा,सत्याग्रह का उपदेश दिया । उनका उपदेश मेरे लिये कचरे से ज्यादा अहमियत नहीं रखता था ।

मैंने अन्ना उपदेश दाहिने कान से सुनकर बायें कान से निकाल दिया । वापसी के सफर में मुझे सियासी शैतान मिला । उसने हंसकर मुझसे कहा – बच्चा अन्ना हजारे को भूल जाओ । मेरा नुस्खा आजमाओ । तुम पलक झपकते ही दिल्ली की गद्दी पर चढ़ बैठोगे ।

सियासी शैतान ने मुझे जो नुस्खा बतलाया,वह यूं हैं – साम्यवाद के पत्ते एक किलो,समाजवाद की छाल दो किलो,माओवाद के बीज ढाई सौ ग्राम,गांधीवाद का अर्क दस ग्राम,अराजकता की अंतरछाल दो किलो,झूठ का माजून दो किलो,इन सारी वस्तुओं को इकट्ठा कर पाखंड  की कड़ाही में डालो । इसमें मात्रा के मुताबिक आरोप का पानी डाल दो । कड़ाही के नीचे मीडिये की तेज आंच जला दो । दवा तैयार करते वक्त इसे झाड़ू की कलछुल से बार बार चलाते रहो । नफरत की बदबू फैलने लगे तो कड़ाही उतार दो । इसे मीठी वाणी की छाया में सूखने दो । बस लोकतंत्र की वहम में डालने की सिद्ध रामबाण दवा तैयार हो गयी । इसकी एक खुराक जवान को पिलाओगे तो वह सारी पढ़ाई लिखाई,ज्ञान गुण की बातें भूलकर तुम्हारे पीछे पगला जायेगा । खूसट बूढ़ों को पिलाओगे तो वह सियासत के संग्राम में अपना पेशा छोड़कर जवान की तरह कूदने को तैयार हो जायेगा । महिलाएं इसके सेवन से सुध बुध खोकर सियासत की उमंग तरंगो में बहने का मौका मिल जायेगा ।

नोट- ध्यान रहे,दवा पिलाते वक्त हर महत्वाकांक्षी मरीज को टोपी पहनाना मत भूलना । टोपी पहनकर दवा खाने से फौरन माकूल फायदा होता है । टोपी का महत्व दवा से कम नहीं । सियासत में टोपी पहनी और पहनाई जाती है । उछाली जाती है । टोपी पहनकर कोई कसम खाओ तो पाप नहीं लगता है ।

साहबान,मेहरबान,कद्रदान मैंने लोकतंत्र के हित में यह नुस्खा सार्वजनिक कर दिया । मैं लाहौर का वैद्य ठाकुर दत्त नहीं हूँ,जिन्होंने अमृतधारा का नुस्खा सार्वजनिक नहीं किया था । मैं सन्त रामानुजाचार्य की तरह लोकतंत्र का कल्याणकारी हूँ । उन्होंने गुरू का बताया गोपनीय मंत्र शिखर पर विराजमान होकर सबको बता दिया था । आप चाहें तो दवा घर में बना लें या मेरे दफ्तर में आकर मुफ्त ले जायें । आपसे कोयी शुल्क नहीं लिया जायेगा । आपको सिर्फ एक टोपी साथ लानी होगी ।

लोकतंत्र की लूट है,लूट सके तो लूट ।
अंतकाल पछताय वो,जो न बोले झूठ ।।
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सामने आने लगे केजरीवाल के 'मृत-दल' के छिपे हुए उद्देश्य-ब्रज की दुनिया

22-2-14,हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। हिन्दी के प्रसिद्ध कवि गजानन माधव मुक्तिबोध ने अपनी सबसे प्रसिद्ध कविता 'अंधेरे में' में कहा है कि
'भीतर का राक्षसी स्वार्थ अब
साफ़ उभर आया है,
छिपे हुए उद्देश्य
यहाँ निखर आये हैं,
यह शोभायात्रा है किसी मृत-दल की।'
चुनावी महासमर नजदीक आने के साथ ही अरविंद केजरीवाल के छिपे हुए उद्देश्य भी सामने आने लगे हैं। केजरीवाल ने अपनी रणनीति बदलते हुए अपने 'मृत-दल' के निशाने पर नरेंद्र मोदी को राहुल गांधी से भी ऊपर कर लिया है। कांग्रेस को बचाने का उनका राक्षसी स्वार्थ अब साफतौर पर उभर आया है। भाजपा के पीएम प्रत्याशी की चौतरफा घेराबंदी के लिहाज से उन पर आरोपों की बौछार कर दी है। साथ ही उनके खिलाफ महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी के रूप में एक सशक्त उम्मीदवार उतारने की तैयारी भी कर ली है।
अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी के साथ रिश्तों को लेकर मोदी पर सवाल खड़े कर दिए। साथ ही उन्होंने अपने और अपने दल के ऊपर लगनेवाले किसी भी आरोप का स्पष्टीकरण न देने की महान परंपरा की रक्षा भी की है। उन्होंने यह नहीं बताया है कि वो ली कौन थी और उसका उद्देश्य क्या था? मोदी को पत्र लिखकर केजरीवाल ने कहा है, ‘लोग कहते हैं कि संप्रग की सरकार मुकेश अंबानी चला रहे हैं। अगर आपके पीछे भी मुकेश ही हैं तो लोगों के साथ धोखा हो जाएगा। किसी तरह आप प्रधानमंत्री बन भी जाते हैं तो क्या आपकी सरकार भी मुकेश ही चलाएंगे? चर्चा है कि आपकी एक-एक रैली पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि मुकेश अंबानी आपको फंड कर रहे हैं। क्या यह सच है?’ आप और राहुल गांधी देश-विदेश में घूमने के लिए हेलीकॉप्टर व निजी हवाई जहाजों का उपयोग करते हैं। खबरों के मुताबिक ये जहाज मुकेश अंबानी के हैं। ये फ्री में मिलते हैं या आप इनका किराया देते हैं? इस बीच परम प्रपंची और बुढ़ापे में नग्न नवयुवतियों के साथ शयन कर ब्रह्मचर्य संबंधी प्रयोग करनेवाले मोहनदास करमचंद गांधी के प्रपौत्र राजमोहन गांधी ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली। उन्होंने कहा कि पार्टी का जो आदेश होगा उसका पालन करेंगे। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

20.2.14

कन्फ्यूजिंग प्रश्नों पर चाहूं रायशुमारी

अपने भविष्य को लेकर आजकल बड़ा कन्फ्यूजिया गया हूं। निर्धारण नहीं कर पा रहा हूं, कौन सा मुखौटा लगाऊं। आम- आदमी ही बना रहूं, या आम और आदमी के फेविकोल जोड़ से खासहो जाऊं। अतीत के कई वाकये मुझे पसोपेस में डाले हुए हैं। कुछ महीने पहले मेरी गली का पुराना चिंदी चोरउर्फ छुटभैयाधंधे को सिक्योर करने की खातिर खासबनना, दिखना और हो जाना चाहता था। एक ही सपना था उसका, कि बाय इलेक्शन या सेलेक्शन वह किसी भी सदन तक पहुंच जाए। फिर बतर्ज एजूकेशनल टूर हर महीने बैंकाकजैसे स्वर्गों की यात्रा कर आए। मगर, कल जब वह नुक्कड़ पर सुट्टामारते मिला, तो बोला- दाज्यू अब तुम बताओ यह आम आदमीबनना कैसा रहेगा? मैं हतप्रभ। देखा उसे, तो उसमें साधारण आदमी से ज्यादा आपवाला आदमीबनने की ललक दिखी, सो कन्फ्यूजिया गया। इसलिए उसे जवाब देने की बजाए मैं मन-मोहनहो गया।
फिर सोचा क्यों न आपके साथ ही चैनलों की डिबेटटाइप बकैती की जाए। बैठो, बात करते हैं, हम- तुम, इन कन्फ्यूजियाते प्रश्नों पर। आपसे रायशुमारी अहम है मेरे लिए। तब भी फलित न निकला तो एसएमएस, एफबी, ट्वीटर का ऑप्शन खुला है। जरुरी लगा तो प्रीपोल, पोस्टपोल, एग्जिट पोल भी संभव। रुको, बकैती से पहले बता दूं। गए साल प्रवचन में बापूकहते थे, प्रभु की शरण में आम और खास सब बराबर हैं। मगर, बड़ी बात है (आम) आदमी बनना। उससे पहले सुना था, ‘भैंसलाठी वाले की होती है। फिर सुना, देखा कि हर पांच साल में खास (नेता) लोग दशकों से मूरख बनते आम आदमी को खासकहते, बताते हैं। उसके भूत और भविष्य उनकी चिंता की कड़ाही में उबलते हैं। नौबत पादुकाएं उठाने की आएं, तो उसे सिर माथे लगाने से हिचकते नहीं।
अब देखो, अरविंद ने बड़ी नौकरी छोड़ी, आम आदमी बनें, तो सीधे सीएम बन गए। उन्हीं के नक्शेकदम कई और खासभी अपने ओहदोंको त्यागकर आम- आदमीबनने के लिए धरती पकड़ होने लगे हैं। आशुतोष भैया तो मलाई छोड़ चटाई पर आ भी गए। सो बंधु कन्फ्यूज बहुत है। समझना मुश्किल हो रहा है कि मेरे कन्फ्यूजन को दूर कौन करेगा, केजू, राहुल या नमो। केजू कथा का मूल पात्र तो आदमी पर आमका प्रत्यय लगाना नहीं भूलता। इसी फार्मूले से खुद को भी आदमी से पहले आमबताता है। दामादजी की तरह बनाना पीपुल्सनहीं कहता। वहीं राहुल बाबा तो वर्षों से झोपड़ी यात्राओं से बताते रहे हैं कि खास होते हुए भी उन्हें सुदामाके पास बैठना, उठना, लेटना अच्छा लगता है। वही आम आदमी जिनके लिए कभी दादीने गरीबी हटाओ का नारा दिया था।
इधर देसी मीडिया ने अपने नरेंद्र भाई को शॉर्टनेम नमोक्या दिया, कि हर कोई शनिदोष निवारणशैली में जापकरना नहीं भुल रहा। आखिर चायवाले का खासहोना, और फिर कारपोरेटी रैलियों को जुगाड़ कर वापस चायवालों (आम) तक पहुंचना भी तो बड़ी बात है। वेटिंग को कन्फर्म करने के लिए इशारों में बतियाए रहे हैं- उन्हें 60 साल दिए, मुझे 60 महीने दे दो। भुज से लेकर चतुर्भुज तक 350 की स्पीड वाली बुलेट शंटिंग कर दूंगा। सो भांति-भांति के मुखौटों को देख मैं कन्फ्यूज हूं। यदि मैं किन्नर नरेश (खास) बन गया, तो कितने दिनों का टिकाऊ समर्थन मांगना पड़ेगा। अभी तक तो दे दनादन कांग्रेसी घुड़की मिल रही है। तभी संजयकी उधार दृष्टि से मैंने इलाहबाद को निहारा। जहां संभवतः नमो और आशुतोष युद्धम् शरणम् गच्छामि। ऐसे में मेरे जैसे निठल्ले चिंतित हैं, कि इनके रहते अपने दशहरी, लंगड़े का क्या होगा। सो मैं कौन सा मुखौटा लगाऊं, है कोई सॉल्यूशन आपके पास।
धनेश कोठारी