लेखक: नरेश मिश्र
मेरे
प्यारे बापू जी ! आप स्वर्ग से देश को देख रहे होंगे । थोड़ा बताईये कि जिस
आजादी के लिये आपने अनशन-सत्याग्रह और सत्य-अहिंसा के शस्त्र उठाये थे,उसकी
कैसी ख्वारी हो रही है । आपने कहा था कि पवित्र साध्य के लिये साधन भी
शुद्ध होना चाहिये । आपके कुछ तथाकथित चेले कह रहे हैं कि सत्य कूड़ेदान के
हवाले करो और लगातार झूठ बोलकर अपना उल्लू सीधा करो । आपने स्वदेशी और
सादगी का संकल्प लिया था,आपके चेले सिर्फ टोपी पहनकर सादगी का पाखंड रचते हैं ।
बापू
जी आपने आजादी मिलने के बाद कांग्रेस को एक आंदोलन मानकर उसे खत्म करने का
आदेश दिया था । कांग्रेसियों के गले आपका आदेश नहीं उतरा । वे दो अक्टूबर,तीस जनवरी,छब्बीस
जनवरी और पंद्रह अगस्त पर आपकी समाधि पर जाकर हुकूमत करने का लाईसेंस
रिन्यू कराते हैं । वे आपका नाम लेकर मुल्क में भ्रष्टाचार की आंधी चलाते
हैं और कालाधन विदेशी बैंकों में रखते हैं ।
सभी
जानते हैं कि आपने कांग्रेसियों को हुकूमत करने का लाइसेंस अपनी मर्जी से
नहीं दिया था लेकिन अब मुल्क पर दूसरी तबाही बरपा हो रही है । कुछ तथाकथित
नव गांधीवादी कांग्रेस से यह लाइसेंस झपटने का प्रयास कर रहे हैं ।
हुकूमत
गोश्त बेचने वाले की दुकान पर रखा मांस का टुकड़ा है । एक चील ने झपट कर उस
टुकड़े को उठा लिया और आसमान में उड़ गई । अब दूसरी चीलों का झुण्ड मांस के
इस टुकड़े को छीन लेना चाहता है । जातक में कहा गया है कि बोधित्सव को यही
दृश्य देखकर वैराग्य हो गया था । उन्हें लगा कि सत्ता का वैभव जिस प्राणी
की चोंच में होता है उसे झपटने के लिये दूसरी चीलें तैयार रहती हैं ।
इसलिये सत्ता के वैभव को त्याग देना ही ठीक है ।
बापू
जी समाजसेवी अन्ना आप के सच्चे शिष्य हैं । वे अपने सुख के लिये सत्ता का
वैभव नहीं चाहते । उनका गुजारा तो एक छोटी सी कोठरी और एक जोड़ी कपड़े में हो
जाता है लेकिन उनके तथाकथित रंगबिरंगे चेले सादगी का चोला ओढ़कर सब कुछ
हथिया लेना चाहते हैं । निगाहें कहीं पर हैं और निशाना कहीं पर है । मुझे
यकीन हैं कि आप कांग्रेस के क्रियाकलापों से क्षुब्ध हैं । अब अपने इन
तथाकथित दूसरे भक्तों के गिरोह से देश को आप कैसे छुटकारा दिलायेंगे ।
अर्जी हमारी है,सो कर दिया । अब आप ही देश में दोबारा जन्म लेकर इन पाखंडियों से हमें छुटकारा दिलाईये ।
No comments:
Post a Comment