ब्रजकिशोर सिंह,हाजीपुर। दिल्ली जन लोकपाल बिल 2014 को दिल्ली कैबिनेट
द्वारा पास कर दिया गया है। परन्तु कैबिनेट इस बिल को सीधे दिल्ली विधानसभा
में पेश करेगी, इसे केंद्र सरकार के सामने पेश नहीं किया जाएगा। संविधान
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला हुआ
है ऐसे में केंद्र सरकार को बाईपास करके कोई बिल दिल्ली विधानसभा में सीधा
पेश करना सीधे संविधान के ही खिलाफ है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या
केजरीवाल दिल्ली में सचमुच इस कानून को लागू करना चाहते हैं? या फिर वे
कानून पारित तो करना चाहते हैं लेकिन लागू करना नहीं चाहते यानि सांप भी मर
जाए और लाठी चलानी भी नहीं पड़े।
हो सकता है कि केजरीवाल इसको असंवैधानिक तरीके से लागू करवाने पर भविष्य में अड़ जाएं और फिर से धरने पर बैठ जाएं कि हम तो इस संविधान को नहीं मानते बल्कि हम जैसे चाहते हैं वैसे ही पारित होने को संवैधानिक मान लिया जाए। अगर यह कानून दिल्ली विधानसभा से पारित हो भी गया तो वह असंवैधानिक हो जाएगा बस किसी के कोर्ट जाने भर की देरी है फिर केजरीवाल इस विधेयक को विधानसभा में पेश करने से पहले राष्ट्रपति के पास उसी तरह क्यों नहीं भेजना चाहते जैसे कि उन्होंने शीला दीक्षित पर मुकदमा चलाने के मामले में प्रस्ताव भेजा है। इतना ही नहीं इस विधेयक में दिल्ली पुलिस और दिल्ली विकास प्राधिकरण को भी लपेट लिया गया है जो दिल्ली सरकार के दायरे में आते ही नहीं हैं। क्या ऐसा करके केजरीवाल यह नहीं चाहते कि वे कानून बनाने का श्रेय भी ले लें और कानून लागू भी न होने पाए? (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
हो सकता है कि केजरीवाल इसको असंवैधानिक तरीके से लागू करवाने पर भविष्य में अड़ जाएं और फिर से धरने पर बैठ जाएं कि हम तो इस संविधान को नहीं मानते बल्कि हम जैसे चाहते हैं वैसे ही पारित होने को संवैधानिक मान लिया जाए। अगर यह कानून दिल्ली विधानसभा से पारित हो भी गया तो वह असंवैधानिक हो जाएगा बस किसी के कोर्ट जाने भर की देरी है फिर केजरीवाल इस विधेयक को विधानसभा में पेश करने से पहले राष्ट्रपति के पास उसी तरह क्यों नहीं भेजना चाहते जैसे कि उन्होंने शीला दीक्षित पर मुकदमा चलाने के मामले में प्रस्ताव भेजा है। इतना ही नहीं इस विधेयक में दिल्ली पुलिस और दिल्ली विकास प्राधिकरण को भी लपेट लिया गया है जो दिल्ली सरकार के दायरे में आते ही नहीं हैं। क्या ऐसा करके केजरीवाल यह नहीं चाहते कि वे कानून बनाने का श्रेय भी ले लें और कानून लागू भी न होने पाए? (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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