Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

31.3.20

वनवास हुआ लॉकडाउन का एकांतवास ....

कोरोना के  खौफ पर खांटी  खड़गपुरिया की एक और  ....
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वनवास हुआ लॉकडाउन का  एकांतवास  ....
तारकेश कुमार ओझा
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वनवास हुआ लॉकडाउन
का  एकांतवास
खलने लगी जबरदस्ती की आराम तलबी 
तड़पाने  लगी वो स्थगित जिंदगी  ,
फिर लौटे मैदानों में  खेल
पटरियों पर दौड़े धड़धड़ाती रेल  ,
समझ आने लगी उन पलों की  अहमियत
दोस्तों संग एक कुल्हड़ चाय की कीमत ,
भागे मनहूसियत , मिटे  विधि का  लेखा
लौटे रौनक , सजे दुनिया का  मेला
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लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ट पत्रकार हैं। संपर्कः 9434453934, 9635221463

28.3.20

कोरोना के चलते यूपी हुआ अपराध मुक्त


अजय कुमार,लखनऊ

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सरकार किसी भी दल की रही हो,लेकिन सबके सामने कानून व्यवस्था हमेशा एक जैसी बड़ी चुनौती बनी रही। समाजवादी सरकारों का तो इस मामले में टैªक रिकार्ड काफी खराब रहा ही,योगी जैसे सख्त सीएम भी उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त नहीं कर पाए,जबकि अखिलेश राज में जंगलराज का नारा देकर ही भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। हाॅ कोरोना वायरस आने के बाद जरूर योगी सरकार को इससे राहत मिल गई है। प्रदेश में पहले पहले अमूमन लूट, डकैती, बलात्कार  की 3 से 5 घटनाएं रोज होती है. वहीं 22 मार्च से लेकर 27 मार्च तक कहीं कोई घटना नहीं सुनाई दी। इस बीच हत्या और एक बच्ची से दुष्कर्म की घटना जरूर सामने आई, लेकिन वे पारिवारिक रंजिश या विवाद के चलते हुई थी।

पत्रकार मनोज मिश्रा ने मीडिया वालों के लिए बनाया कंट्रेाल रूम, यहां मिलेगी हर संभव सहायता!


लखनऊ : क्या होगा अगर हममें से कुछ लोग खबर करते हुए कोरोना पीड़ित हो जाएं तो? एक सच जिसका न तो जवाब होगा और न ही सुनने में अच्छा लगेगा -- हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिकित्सकों, अस्पतालकर्मियों, पुलिस और सरकारी अधिकारियों की तर्ज पर दो बार मीडिया का ज़िक्र अनिवार्य सेवाओं के रूप में किया जो कानों में घुलकर पूरे शरीर को आनंदित करता है - लेकिन ज़मीनी हकीकत से हम मुँह नहीं मोड़ सकते, चिकित्सकों, अस्पतालकर्मियों, पुलिस और सरकारी अधिकारियों की तर्ज पर न तो हमें कोई पेंशन मिलती है और न ही हमारी मौत के बाद हमारे किसी भी आश्रित को कही भी नौकरी मिलने की आस दिखती है -- इस सबके बावजूद हम कलम के सिपाही एकदम विपरीत परिस्थितयों में अपना काम इस यकीन के साथ कर रहें है की हम महत्वपूर्ण हैं और एक अनिवार्य सेवा देते हैं।

कोरोना और ईएमआई : सरकार माई बाप दुहाई!


कहाँ से भरेंगे EMI ? मध्यम वर्गीय परिवार हुई लाचार, सरकार करे इन पर भी विचार, फ्री के नहीं पर समय सीमा के छुट के ये भी हैं हकदार, क्योंकि ये भी हैं भारत सरकार के नागरिक जिम्मेदार...

वैश्विक महमारी कोरोना से पुरी दुनिया परेशान है। इसकी रोकथाम के लिये हर स्तर पर प्रयास जारी है। भारत में भी इसके लिए केंद्र समेत सभी राज्य सरकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ा है। लॉक डाउन से इसे रोकने का प्रयास किया जा रहा है। पुरे विश्व में तेजी से फ़ैल रहे इस बीमारी के लिए अनुभवों के आधार पर लॉक डाउन का कदम उठाया गया जिससे कोरोना वायरस के चेन को तोडा जा सके।

कोरोना की दहशत के बीच पत्रिका में जबरन करवाया जा रहा काम

कोरोना वायरस की दहशत के बीच पत्रिका में कर्मचारियों से जबर्दस्ती कार्य करवाया जा रहा है। कोई कर्मचारी अगर घर से कार्य करने के लिए कहता है तो उसे ऐसा काम बताया जा रहा है, जो वह घर से कर ही नहीं सकता। उसे ऑफिस आने पर मजबूर किया जा रहा है। इसके साथ ही ५० साल से ज्यादा उम्र के कर्मचारियों को ऑफिस बुलवाया जा रहा है।

लाक डाउन में बेजुबानों का भी रखें ध्यान


कुलबीर सिंह कलसी

चंडीगढ़ : आज कल हर कोई corona virus राष्ट्रीय आपदा के नियमों को मानते हुए अपने अपने घर बैठा है।  कोई संदेह नहीं है प्रशासन और चंडीगढ़ पुलिस बल असहाय गरीब लोगों रोजमर्रा की दिहाड़ी दार कमाई करने वाले मजदूरों में भोजन वितरण की सेवा करवा रही है।

भय और भ्रांतियों के बीच फैल रहा कोरोना और उसका डर

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे फर्जी मैसेज

जिस तेजी के साथ कोरोना अपने पांव पसार रहा है। उसी गति से भय और भ्रांतियां भी सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रहीं हैं। इसमें से कुछ सच हैं तो कुछ कोरे अफवाह, जो इस महामारी के बीच फैले हुए डर, अनिश्चितता और उहापोह की स्थिति को और बढ़ा रहे हैं।

27.3.20

शहर अंजान हो गया ..

पेश है कोरोना के  खौफ पर खांटी  खड़गपुरिया की  खास पेशकश ....
शहर अंजान हो गया ....
तारकेश कुमार ओझा
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कोरोना के  कहर में  , अपना ही शहर अंजान हो गया
सुनसान हुए चौक - चौराहे
बाजार वीरान हो गया ,
तिनके - तिनके से जहां थी दोस्ती ,
पहचान ही गुमनाम हो गया ,
लापता हो गई यारी - दोस्ती ,
मुल्तवी हर काम हो गया ,
एक अंजाने  - अनचिन्हे डर के आगे ,
बेबस - बेचारा विज्ञान हो गया

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ट पत्रकार हैं। संपर्कः 9434453934, 9635221463

25.3.20

बंगाल में महामारी पर राजनीति नहीं हो रही, ममता की तारीफ कर रहे विपक्षी नेता

श्वेता सिंह
 
कोलकाता। कोरोना के कहर से बचना ही आज सबकी प्राथमिकता है। राज्य में इस महामारी से लड़ने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आवश्यक कदम उठा रही हैं। उनके फैसलों की प्रशंसा पार्टी के नेता ही नहीं कर रहे बल्कि विपक्षी पार्टियों के नेता भी खुले दिल से उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। संकट के इस समय में बंगाल के नेता इस महामारी पर राजनीति नहीं कर रहे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्र ने ममता बनर्जी की तारीफ करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने ऐन समय पर राज्य में लॉकडाउन का फैसला लिया जो जरूरी था।

24.3.20

सीएए विरोध में लखनऊ के घंटाघर में चल रहा धरना खत्म

अजय कुमार, लखनऊ

जान है तो जहान है। वर्ना सब बेकार है। शायद इसी लिए दो महीने से अधिक समय से लखनऊ के घंटाघर में नागरिकता सुरक्षा कानूनू(सीएए) के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने कोरोना खौफ के चलते अपना धरना स्वतः खत्म कर दिया है। आश्चर्यजनक बात यह रही कि जिन महिलाओं को मोदी-योगी सरकार और पुलिस के बड़े-बड़े अधिकारी नही समझा सके थे की सीएए देश के मुसलामनों को खिलाफ नहीे है, उसे कोरोना वायरस ने समझा दिया। वर्ना तो धरना दे रही दादियां यहीं हुंकार भर रही थीं कि अगर सीएए वापस नहीं हुआ तो वह लोग मरते दम तक नहीं हटेेंगी, लेकिन जब मौत सिर चढ़कर बोलने लगी तो सबने जान बचाने के लिए घंटाघर से चले जाना ही बेहतर समझा।

कोरोना खौफ : रूसी राष्ट्रपति ने सड़कों पर छोडे़ शेर-बाघ!


अजय कुमार, लखनऊ
 
मास्को। कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में हाहाकार मचा है. हर दिन सैकड़ों लोगों की जान जा रही है. कई देशों के शहरों को लॉकडाउन कर दिया गया है. इसी बीच सोशल मीडिया पर रूस का एक मैसेज वायरल हो रहा है. इसमें दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लोगों से कोरोना वायरस के चलते घरों में रहने की अपील कर रहे हैं लेकिन लोग मान नहीं रहे हैं. लिहाजा उन्होंने वहां की सड़कों पर 800 शेर और बाघ को छोड़ दिए हैं.

कोरोना वायरस ‘परिवार’ का नया सदस्य है कोविड-19


संजय सक्सेना, लखनऊ
कोरोना वायरस का खतरा पूरी दुनिया पर हावी है। हजारों लोगों की जीवन लीला यह वायरस निगल चुका है। दुनिया के तमाम मुल्कों के वैज्ञानिक कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने/तलाशने में लगे हैं, लेकिन इससे इत्तर सोशल मीडिया का कुछ और ही कहना है।

22.3.20

आप चुप क्यों हैं मिस्टर सीएम हेमंत सोरेन ??

Rupesh Kumar Singh
 आप चुप क्यों हैं मिस्टर सीएम Hemant Soren ? आप तो ट्वीटर पर धड़ाधड़ आदेश देने में प्रसिद्ध हो चुके हैं और आपके ही राज्य में एक आदिवासी की लाश थाने में दो दिन से पड़ा हुआ है, फिर भी आप चुप हैं। आपको तो मालूम होगा ही कि 20 मार्च की सुबह सीआरपीएफ ने खूंटी जिला के मुरहू थानान्तर्गत कुम्हारडीह निवासी रोशन होरो की नक्सली समझकर गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसे पुलिस अधिकारियों ने भी गलती मानते हुए मानवीय भूल कहा था।

ट्राम के सफर की दिलचस्प खबर : सिर्फ कोलिकाता नहीं पटना में भी चलता था ट्राम

सक्षम द्विवेदी

"अगला स्टेशन रविन्द्र भवन है। दरवाजे बायीं ओर खुलेंगे।" स्टेशन के नाम बेशक बदल सकते हैं लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि ये वाक्य कोलिकाता, दिल्ली, बंगलुरू और अन्य महानगरों के जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। दरअसल बढ़ती आबादी और ट्रैफिक के उलझे जंजाल के बीच डेली लोकल सफर को आसान बनाना कभी भी आसान नहीं रहा। किसी को ऑफिस की जल्दी है तो किसी का एक्जाम छूटा जा रहा है। सड़कें वही हैं, रास्ते वही हैं, जनसंख्या और निर्माण बढ़ते जा रहेहैं। ऐसे बढ़ते दबाव में अनवरत यातायात की वैकिल्पक व समानांतर व्यवस्था के प्रयास भी हमेशा से ही जारी रहे हैं। आज पटरियों में भाग रही मेट्रो इसी व्यवस्था की संकल्पना का मूर्त रूप है।

कोरोना का इससे आसान ब्योरा तो नहीं मिलेगा... ज़रूर पढ़िेए-


तेज़ रफ्तार से चल रही दुनिया अचानक से थम सी गई है, दुनिया भर में हाहाकार मचा हुआ है. लोग डरे हुए हैं सहमे हुए हैं हर कोई सोच रहा है कोरोना का यह खौफ़ आखिर कब तक दिलों को दहलाता रहेगा. दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोग अपने घरों में ही कैद हो गए हैं. अंतराष्ट्रीय उड़ानें रद हो रही हैं, सरकारें परेशान हैं, कोई इलाज मिलता नहीं दिख रहा है, दिनों-दिन यह वायरस पूरी दुनिया में अपना पैर पसारता दिख रहा है, अब तक लगभग 170 देशों में कोरोना वायरस ने कोहराम बरपा कर दिया है, 11 हज़ार से अधिक लोगों की जान तक ले बैठा है यह वायरस, लेकिन अभी तक किसी को भी इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि यह कब खत्म होगा और इसपर कंट्रोल कब तक पाया जा सकेगा यह वायरस अभी और कितना दहशत फैलाएगा इसके बारे में कुछ भी ठीक-ठाक नहीं कहा जा सकता है.

21.3.20

क्रांति का चोता (कहानी)



आलोक नंदन शर्मा

घर के सामने बजबजाती हुई छोटी सी नाली पर दोनों तरफ पैर करके दंगला अभी टट्टी करने बैठा ही था कि सामने से गुजरने वाला ग्वाला दुगरन जो अपनी गलमुछों की वजह बडा ही भयानक लगता था   ने उसे जोर से हुल्की दी, “आज तुने अपने पिछवाड़े से लेढ़की निकाली तो मैं उसे फिर से तुम्हारे ही अंदर ठूंस दूंगा।”

ajnara khel gaov : Refund karaye es thag builder se


Hello sir,

Maine 4 year pahle ajnara khel gaov me flat book kiya tha.jo abhi tk nahi bana .jb complnt kiya to pata chala k project nahi banega .so refund nd return kar lijiye .jb refund return  k liye appliction bhar k diye to bole 2 month me bank loan close hojayega uske baad 6 month me full refund hojayega.

19.3.20

कोरोना और करूणा ....

कोरोना और करूणा ....: Get Hindi News Update , 24×7 Trending Update , Live coverage of Hindi News of India , West Bengal and All Districts , Genuine News Update

18.3.20

योगी के तीन साल थे ‘बेमिसाल’ या विपक्ष था लाचार

अजय कुमार,लखनऊ

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के तीन साल हो गए हैं। इन तीन वर्षो में पूरे देश में योगी जी हिन्दुत्व का नया चेहरा बनकर उभरे हैं। हाईकमान द्वारा कई राज्यों के विधान सभा चुनाव में योगी जी स्टार प्रचारक के तौर पर उतारा गया,जिसका भारतीय जनता पार्टी को फायदा भी मिला,लेकिन लाख टके का सवाल यही है कि क्या उत्तर प्रदेश की जनता जहां के योगी जी मुख्यमंत्री हैं योगी सरकार के कामकाज से संतुष्ट है। इसको लेकर लोगों के बीच अलग-अलग राय है। कुछ लोग योगी सरकार के कामकाज से पूरी तरह से संतुष्ट है तो कई का मानना है कि योगी जी दोहरी राजनीति करते हैं। वह एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए दूसरे वर्ग के लोगों का उत्पीड़न करते हैं। इसका उदाहण देते हुए बताया जाता है कि नागरिकता संशोधन एक्ट(सीएए) के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने वालों के विरूद्ध जिस तरह योगी सरकार ने दंगाइयों जैसा व्यवहार किया वह लोकतांत्रिक तरीका नहीं था। योगी सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में छात्रों पर लाठियां चलवाईं। कभी जिन्ना की तस्वीर के नाम पर तो कभी आतंकवाद के नाम पर छात्रों का उत्पीड़न किया गया। वहीं गौकशी के नाम पर माॅब लिंचिंग करने वालों को इस सरकार में खुली छूट मिली है। सैकड़ों मुस्लिम युवक आतंकवाद और दंगों आदि के नाम पर जेल भेज दिए गए हैं।

16.3.20

बहुजन आंदोलन के नायक कांशीराम : दो सपने जो अधूरे रह गए


मुलायम सिंह को दी थी पार्टी बनाने की सलाह

राष्ट्रपति के पद का ऑफर ठुकरा दिया था.

बीएस फोर से,बामसेफ से  बीएसपी तक का सफर.

क्या थे उनके दो सपने?


यूपी : दंगाइयों से वसूली का नया कानून बना सियासी मुद्दा

अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जुलूस, प्रदर्शन, बंदी, हड़ताल के दौरान सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ वसूली का जो नया कानून बनाया है। उसको लेकर जहां एक धड़ा खुश नजर आ रहा है तो दूसरी तरफ ऐसे लोगों की भी संख्या कम नहीं है जो इस कानून को लेकर आशंकित हैं,जो आशंकित हैं उन्हें लगता है कि यह लोकतंत्र के लिए काला कानून साबित होगा। यह कानून सरकार के खिलाफ मुंह खोलने वालों की आवाज दबाने की साजिश साबित होगा। उक्त कानून क्या प्रभाव होगा ? क्या इस कानून के आने से निजी और सरकारी सम्पति के नुकसान को रोका जा सकेगा ? कहीं इसका राजनैतिक दुरूपयोग तो नहीं होगा ? इस कानून की आड़ लेकर सरकार निरंकुश तो नहीं हो जाएगी। हो सकता है कि जल्द ही इस कानून के खिलाफ कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाए। वहां इसका क्या हश्र होगा यह भी देखने वाली बात होगी।

भास्कर ने पुलिस को ही गिरफ्तार करवा दिया!


 भास्कर में सोमवार को छपी खबर की कटिंग।

खबर राजस्थान के अजमेर से है,जहां सोमवार को जिले के केकड़ी कस्बे से अवैध बजरी से जुड़ी एक खबर दैनिक भास्कर में छपी है। भास्कर ने खबर में एक फोटो लगाया है,जिसमे केप्शन लिखा गया "इनको किया पुलिस ने गिरफ्तार" मगर मजे की बात यह है कि इस फोटो में आरोपियों का फोटो तो काट दिया गया और जिन पुलिसकर्मियों ने कार्यवाही को अंजाम दिया था,उनकी फोटो लगा दी गई।

बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी?


मध्य प्रदेश में आए सियासी तूफान को मुख्यमंत्री कमलनाथ किसी न किसी बहाने टालते आ रहे है | पहले कहा गया कि जो विधायक बाहर उन्हें पहले लौट कर आना चाहिए | जब वे लौट कर आए मुख्यमंत्री कमलनाथ उनका कोरोना टेस्ट कराने की बात करते रहे | ये भी बागी विधायकों के खिलाफ एक नया दांव ही समझा जाता रहा |मध्य प्रदेश में राज्यपाल लालजी टंडन ने कमलनाथ सरकार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने को कहा था | राजभवन से आये समाचार के  मुताबिक राज्यपाल के अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट कराने को कहा गया था स्थगित पर अब सुना जा रहा है कि विधान सभा 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई है और अब फ्लोर टेस्ट अभी नहीं होगा | जब भी होगा मुख्यमंत्री कमलनाथ को अविश्वास मत का सामना करना ही पड़ेगा |पूरी दुनिया कोरोना के कहर से जूझ रही है और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महामारी के मुंह में हाथ डाल कर राजनीतिक तरकीब खोज निकाली है. बागी कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के खिलाफ पहले ही इमोशनल कार्ड खेल चुके कमलनाथ अब कोरोना को ही विश्वास मत टालने का हथियार बना लिया  हैं और दलील भी ऐसी है कि भला कौन जोखिम उठाना चाहेगा |कोरोना की आड़ में अभी तक इस बात का फैसला नहीं हो सका है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा का सत्र 26 को  बुलाया जाएगा भी या नहीं|कमलनाथ कह रहे हैं कि ये सेफ्टी का मामला है और लापरवाही कतई नहीं बरती जाएगी|

पाकिस्तान के जयप्रकाश नारायण


डॉ. वेदप्रताप वैदिक

कल लाहौर में डा. मुबशर हसन का निधन हो गया। वे 98 वर्ष के थे। उनका जन्म पानीपत में हुआ था। वे प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार में वित्तमंत्री थे लेकिन उनकी विद्वता, सादगी और कर्मठता ऐसी थी कि सारा पाकिस्तान उनको उप-प्रधानमंत्री की तरह देखता था। भुट्टो की पीपल्स पार्टी आफ पाकिस्तान की स्थापना उनके घर (गुलबर्ग, लाहौर) में ही हुई थी।

14.3.20

बाराबंकी में दिखा गिद्धों का झुंड, पशु प्रेमी गदगद

संजय सक्सेना,लखनऊ    

लखनऊ से लगा जिला बाराबंकी वैसे तो अफीम की खेती के लिए जाना जाता है,लेकिन अब यह जिला  विलुत्प होते गिद्धों को पुनःजीवनदान देने के चलते चर्चा में आ गया है। हाल ही में एक व्यक्ति ने विलुप्त होने केे कगार पर पहुंच चुके गिद्धों का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में डाला तो यह खूब वायरल हुआ। गिद्ध एक ऐसा पक्षी है जो देखने में भले ही बहुत कुरूप लगता हो,लेकिन सृष्टि के लिए इसकी उपयोगिता अन्य तमाम पक्षियों और जानवरों से कहीं अधिक है।

जो किसान 72 घण्टे में अपने नुकसान की सूचना टोल फ्री नम्बर पर देगा उसे ही मुआवजा मिलेगा


बर्बाद किसानों के लिए टोल फ्री नम्बर भद्दा मज़ाक

मजदूर किसान मंच चलायेगा राहत अभियान

26 मार्च को लोकतंत्र बचाओ सम्मेलन में उठेगा किसानों का सवाल


लखनऊ 14 मार्च 2020,

भीषण ओलावृष्टि और वर्षा से पूरे तौर पर बर्बाद हो चुके किसानों के लिए टोल फ्री नम्बर जारी करना और उसमें यह शर्त रखना कि जो किसान 72 घण्टे में अपने नुकसान की सूचना इस नम्बर पर देगा उसे ही मुआवजा दिया जायेगा, किसानों के साथ भद्दा मजाक है। यह प्रतिक्रिया आज मजदूर किसान मंच के अध्यक्ष एस आर दारापुरी ने व्यक्त की है । उन्होंने ने बताया कि कल मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने सोनभद्र जिले के  करहिया, सिसंवा, झापर, आरंगपानी आदि विभिन्न गांवों में तबाह हुए किसानों से मुलाकात की थी।

देश आर्थिक तौर से खोखला, समाजिक तौर से बिखरा और दुनिया में अलग थलग पड़ गया है

उबैद उल्लाह नासिर
obaidnasir@yahoo.com


देश इस समय एक चक्रव्यूह में फंस गया है। आर्थिक तौर से देश खोखला हो चुका है। समाजिक तौर से ऐसा बिखराव कभी देखा नहीं गया। आर्थिक स्थिति का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है  कि अपने सभी पडोसी देशों यहां तक कि पाकिस्तान से भी निचले पायदान पर हमारी जीडीपी  4.5% है। जबकि खुद बीजेपी के सांसद डॉ सुब्रामण्यम स्वामी का कहना है कि मोदी सरकार फ़र्ज़ी आंकड़े दे रही, जीडीपी किसी भी तरह 1.5% से ज़्यादा नहीं है।

12.3.20

सबसे ज्यादा प्रतिबद्ध विधायक ज्योतिरादित्य के हैं लेकिन कमल सरकारमें सबसे ज्यादा मजाक के पात्र सिंधिया ही बने!

जयराम शुक्ल

राजमाता से ज्योतिरादित्य तक : प्रश्न प्रतिष्ठा का...  राजनीति में प्रतीकों और शब्दों का बड़ा महत्व होता है। जिनको यह नहीं मालूम वे 1967 के उस प्रकरण को याद करें जब पचमढ़ी में मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष अर्जुन सिंह के संयोजकत्व में आयोजित   सम्मेलन में मुख्यमंत्री द्वारिका प्रसाद मिश्र ने 'राजमाता' विजयाराजे सिंधिया पर कटाक्ष किया था..। श्रीमती सिंधिया की मौजूदगी पर डीपी मिश्र ने राजे-रजवाड़ों की लानत मलानत की थी। वह समय ऐसा था कि जो भी अधिकारी या नेता श्रीमती सिंधिया को राजमाता कहता उसपर तत्काल कार्रवाई हो जाती थी।

सिंधिया परिवार ने हर हुकूमत से बनाकर रखा है जबर्दस्त तालमेल


सी.एस. राजपूत

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने तथा भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार होने पर उनके परिवार पर फिर से उंगली उठने लगी है। वैसे तो देश में ऐसे कई नेता हैं जिनके परिवार पर अंग्रेजों का साथ देने का आरोप लगता रहा है पर सिंधिया परिवार इस मामल में लोगों की जुबान पर रहा है। अक्सर ङ्क्षसंधिया परिवार को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से गद्दारी करने का आरोप लगाया जाता रहा है। अंग्रेजों के 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने में पटौती, रामपुर के नवाब के साथ ही संधिया रियासत का भी अंग्रेजों का साथ देने में नाम आता रहा है। राजतंत्र के अलावा अंग्रेजी हुकुमत और देश के आजाद होने के बाद देश में स्थापित होने वाली पार्टियों में भी इस परिवार का दबदबा रहा। जहां कांग्रेस में माधव राव सिंधिया के साथ उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया  अपनी अलग पहचान बनाकर रखी वहीं भाजपा में उनकी मां विजया राजे ङ्क्षसधिया व बहन वसुंधारा राजे सिंधिया का दबदबा रहा।

दंगाइयों के पोस्टर हटाने के मामले में योगी सरकार कोर्ट के सामने झुकने को तैयार नहीं


अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और न्यायपालिका के बीच दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई के तरीके को लेकर मतभेद बढ़ता जा रहा है। एक तरफ योगी सरकार उन अराजक तत्वों पर सख्त से सख्त कार्यवाही कर रही है जिन्होंने बीते दिसंबर माह में लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में हिंसा, आगजनी का तांडव किया था जिसके चलते कई निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी, वहीं दूसरी तरफ न्यायपालिका है जिसे दंगाइयों की निजता की चिंता सता रही है। कौन सही है? कौन गलत? इसको लेकर कुछ भी दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन जिस तरह से न्यायपालिका सरकार के काम में दखलंदाजी कर रही है, उसे आम जनता सही नहीं मानती है। उसकी नजर में न्यायपालिका दोहरा रवैया अपना कर सरकार की मुश्किल बढ़ाती है, जिससे अराजक तत्वों के हौसले बुलंद होते हैं।

9.3.20

2022 के विधान सभा चुनाव के चलते चचा-भतीजा आएंगे करीब!

अजय कुमार, लखनऊ
कोरोना के चलते तमाम दलों के नेतागण अबकी बार होली मनाने और होली कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। पीएम मोदी सहित तमाम नेताओं ने अबकी से होली नहीं मनाने की घोषणा कर दी है,लेकिन ऐसा नहीं है कि इन नेताओं के घरों में भी होली के रंग नहीं बिखरेंगे। यह नेता भले ही सार्वजनिक रूप से रंगों के इस त्योहार पर नजर नहीं आएंगे,लेकिन परिवार और नातेदारों के बीच तो इन्हें जाना ही पड़ेगा। ऐसे में सबकी नजर इस बात पर लगी है कि अबकी से समाजवादी परिवार होली का त्योहार कैसे मनाएगा।

रंगकर्मियों के लिए एक उपहार है यह पुस्तक - पंकज सोनी


पुस्तक - सुबह अब होती है... तथा अन्य नाटक
कहानीकार- पंकज सुबीर, नाट्य रूपांतरण- नीरज गोस्वामी
प्रकाशन : शिवना प्रकाशन, पी. सी. लैब, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट, सीहोर, मप्र, 466001, दूरभाष- 07562405545
प्रकाशन वर्ष - 2020, मूल्य - 150 रुपये, पृष्ठ - 136


हाल ही हिंदी नाटकों की एक क़िताब पढ़ी 'सुबह अब होती है.. तथा अन्य नाटक'। शिवना प्रकाशन की यह किताब सुप्रसिद्ध लेखक पंकज सुबीर की चार कहानियों का नाट्य रूपांतरण है। नाट्य रूपांतरण किया है सुप्रसिद्ध रंगकर्मी और लेखक नीरज गोस्वामी ने। इन चारों कहानियों को मैं पहले ही पढ़ चुका था। और चारों ही मेरी पसंदीदा कहानियाँ हैं। किसी कहानी को मैं उसकी समग्रता में पसंद करता हूँ। मसलन उसमें निहित सामाजिक सोद्देश्यता, रोचकता, कहानीपन और चूंकि नाटकों की दुनिया से जुड़ा हूँ तो उसमें नाटकीय  तत्वों का होना बेहद जरूरी है,जो कि पंकज सुबीर की लगभग हर कहानी में होते ही हैं। चारों ही कहानियाँ मन को झकझोर देती हैं। जिन पर लंबी चर्चायें की जा सकती हैं। चूंकि मैं समीक्षक नहीं हूँ। सिर्फ एक रसिक पाठक हूँ। पर बतौर रंगकर्मी उसे एक अलग नजरिये से जरूर देखता हूँ। मेरा मानना है कि एक सजग रंगकर्मी को पढ़ने की आदत एक साहित्यकार से भी ज्यादा होनी चाहिये। क्योंकि यही उसकी बौद्धिक ख़ुराख है। एक बिन पढ़ा अभिनेता , रंगकर्मी कम रंगकर्मचारी ज्यादा लगता है।

8.3.20

बंबई के मुंबई बनने तक बहुत कुछ बदला ...

बंबई  के मुंबई बनने तक बहुत कुछ बदला ...
तारकेश कुमार ओझा
बंबई के मुंबई बनने के रास्ते शायद  इतने  जटिल और घुमावदार नहीं होंगे जितनी मुश्किल मेरी दूसरी  मुंबई यात्रा रही ....महज 11 साल का था जब पिताजी की अंगुली पकड़ कर एक दिन अचानक बंबई  पहुंच गया ...विशाल बंबई की गोद में पहुंच कर मैं हैरान था क्योंकि तब बंबई किंवदंती  की तरह थी ....ना जाने कितने गाने - तराने  , गीत  , संगीत ,  मुहावरे कहावतें  बंबई  पर आधारित होती थी ... तकरीबन हर फिल्म में किसी न किसी रूप में बंबई का जिक्र होता ही था ....क्योंकि फिल्मी दुनिया के  वो तमाम किरदार मुंबई मैं ही रहते थे , जो जूता पालिस  करते हुए पलक झपकते मुकद्दर  का  सिकंदर बन जाते थे . उनके करिश्माई करतब को आंखे फाड़ कर देखने वाली तब की  जवान हो रही साधारणतः टीन की  छत और मिट्टी की दीवार वाले घरों में  रहती थी . हालांकि तब भी मुंबई की  अट्टालिकाएं देखने मैं सिर की  टोपी गिर जाया करती थी .
हाल में दूसरी जब दूसरी  मुंबई यात्रा  का संयोग बना तब तक जीवन के चार दशकों का पहिया घूम चुका था .... बंबई - मुंबई हो गई ...बचपन में की गई मुंबई की यात्रा की यादें मन में बेचैन हिलोरे पैदा करती ....लेकिन फिर कभी मुंबई जाने का अवसर नहीं मिल सका .... कोल्हू के बैल की तरह जीवन संघर्ष की परिधि में गोल गोल घूमते रहना ही मेरी नियति बन चुकी थी ...कुछ साल पहले भतीजे की शादी में जाने का अवसर मुझे मिला था ... लेकिन आकस्मिक परिस्थितियों के चलते अवसर का यह कैच हाथ से छूट गया ....इस बीच कि मेरी ज्यादातर यात्रा उत्तर प्रदेश के   अपने पैतृक गांव या कोलकाता  -  जमशेदपुर तक सीमित रही , बीच में एक बार नागपुर के पास वर्धा जाने का अवसर जरूर मिला लेकिन  मुंबई मुझसे दूर ही रही , लेकिन कहते हैं ना यात्राओं के भी अपने संयोग होते  हैं , हाल में एक नितांत पारिवारिक कार्यक्रम में मुंबई जाने का अवसर मिला , बदली परिस्थितियों में तय हो गया कि इस बार मुझे मुंबई जाने से कोई नहीं रोक सकता , ट्रेन में रिजर्वेशन , अंजान मुंबई की विशालता , लोकल ट्रेनों की भारी   भीड़भाड़ के बीच गंतव्य तक पहुंचने की  की चुनौतियां अपनी जगह थी लेकिन बेटे बेटियों ने जिद पूर्वक एसी में आने जाने का रिजर्वेशन करा कर मेरी संभावित यात्रा को सुगम  बना दिया ...
रही सही कमी अपनों   के लगातार मार्ग निर्देशन और सहयोग   ने पूरी कर दी , इससे मुंबई की विशालता के प्रति  मन में बनी  घबराहट काफी हद तक कम हो गई .
जीवन में पहली बार वातानुकूलित डिब्बे   में सफर करते हुए मैं पहले  दादर और फिर बोईसर आराम से पहुंच गया , पारिवारिक कार्यक्रम में शिरकत की .
मुंबई में कुछ दिन गुजारने के दौरान मैने  यहां की लोकल ट्रेनों में भीड़ की विकट समस्या को नजदीक और गहराई से महसूस किया.
भ्रमण के दौरान बांद्रा कोर्ट के अधिवक्ता  व समाजसेवी प्रदीप मिश्रा  के सहयोग से विरार  स्थित पहाड़ पर जीवदानी माता के दर्शन किए . करीब 700 सीढ़ियां चढ़कर हम माता के दरबार पहुंचे और आनंद पूर्वक दर्शन किया . इससे हमें असीम मानसिक शांति मिली . अच्छी बात यह लगी कि हजारों की भीड़ के बावजूद दलाल या पंडा वगैरह का  आतंक कहीं  नजर नहीं आया . दर्शन की समूची प्रक्रिया बेहद अनुशासित और सुव्यवस्थित तरीके से संपन्न हो रही थी .
कुछ ऐसी ही  अनुभूति मुंबा देवी  और महालक्ष्मी मंदिर के दर्शन के दौरान भी हुए  . जिन विख्यात मंदिरों की  चर्चा बचपन से सुनता आ रहा था वहां दूर दूर तक आडंबर का  कोई नामो निशान नहीं , कोई मध्यस्थ वहीं , सीधे मंदिर पहुंचिऐ और दर्शन कीजिये . स्थानीय लोगों ने बताया कि मुंबई क्या पूरे महाराष्ट्र की  यह खासियत है .मुझे लगा कि यह सुविधा समूचे देश में  होनी चाहिए .
क्योंकि इस मामले में  मेरा अनुभव कोई सुखद नहीं है . मुंबई  के  प्रसिद्ध व्यंजनों का  स्वाद लेने की  भी भरसक कोशिश की  और  यात्रा समाप्त कर अपने शहर लौट आया .अलबत्ता यह महसूस जरूर किया कि अपनो की  मदद के बगैर अंजान और विशाल मुंबई की  मेरी यह यात्रा काफी दुरूह हो सकती थी .

7.3.20

कोरोना के सामने दुनिया ने जोड़े हाथ, अपनाई जा रही 'अभिवादन' की भारतीय संस्कृति

सी.एस. राजपूत

नई दिल्ली । यह भारतीय संस्कृति ही है कि हमारा देश दूसरे देशों से भिन्न नजर आता है। यह भारत ही है कि जिसमें सभी मौसम व्याप्त हैं। भारत एक समय में हर मौसम का मजा लिया जा सकता है। यह भारतीय संस्कृति है जिसमें अनेकता में भी एकता है। विभिन्न धर्मांे  के लोग, विभिन्न भाषाएं होने के बावजूद हम सब एक हैं। भले ही राजनीतिक दल लोगों को जाति और धर्म के नाम पर कितना भी बांटने की कोशिश करते रहें पर भारतीय संस्कृति हमें एक करने में सहायक बनती रहती है। जो लोग आधुनिकता की दौड़ में अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे थे, वे आज देख लें कि कोरोना वायरस से बचने के लिए भारतीय संस्कृति ही काम आ रही है। अब पूरा विश्व कहने लगा कि कैरोना वायरस से बचने के लिए हाथ मिलाने के बजाय भारतीयों की तरह हाथ जोड़कर अभिवादन करें। वैसे भी यदि भारतीय संस्कृति के हिसाब से चला जाता तो कोराना जैसी बीमारी पास फटक ही नहीं सकती थी।

दिल्ली को दंगे की आग में झुलसाया किसने..?


जयराम शुक्ल

सीएए : अब आगे क्या! यह स्वाभाविक ही है कि जब शरीर पर चोट का बड़ा घाव हो जाता है तब फोड़े-फुंसी,सर्दी-जुखाम की तकलीफें दब जाती हैं। दंगे ने सीएए के फिलहाल दबा दिया है।

बुधवार को राहुल गांधी उत्तर-पूर्व दिल्ली की राख फूल उठा आए हैं। केजरीवाल की सरकार बर्बाद हुए परिवारों का लेखा लगा रही है। भाजपाई फरार दंगाखोरों की सुराग लगाने में लगे हैं। इधर दंगों पर वक्तव्य और गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की माँग को लेकर संसद ठप्प है।

जब वाजिद अली शाह ने मुहर्रम-होली एक साथ मनाई

अजय कुमार, लखनऊ

आज भले ही कुछ लोगों ने धर्म के नाम पर हिन्दू-मुसलमानों के बीच दूरियां बढ़ा दी हों लेकिन अवध की जमीं पर हमेशा ऐसा दौर नहीं था। यहां लोग होली-दीवाली,ईद-बकरीद साथ-साथ मनाते थे। न किसी को बलि से गुरेज होता था, न कोई यह कहता था कि शरीर के जिस हिस्से पर रंग पड़ जाता है वह नापाक हो जाता है। होली के मौके पर यह बात बताना जरूरी है।  बस इतना समझ लें कि यह यहां होली त्योहार से बढ़कर है। य लखनऊ के नवाबों को यहाँ की सांस्कृतिक और धार्मिक सद्भाव के अग्रदूत होने का श्रेय दिया जाता है।

6.3.20

राष्‍ट्रबोध का सर्वोच्‍च विचार रखनेवाले हमारे बलदेव भाई जी!


हम धन्य है इस जग जननी कि, सेवा का अवसर है पाया
इसकी माटी, वायु, जल से, दुर्लभ जीवन है विकसाया
यहाँ पुष्प उसी के चरणों में, माँ प्राणों से भी प्यारी है
मन मस्त फकीरी धारी है अब एक ही धुन जय जय भारत ।


जब-जब प्रो. बलदेव भाई का स्‍मरण हो आया, उनकी कर्मठता, ज्ञान तथा जीवन मूल्यों के समर्पण को देखकर यही शब्‍द अंतस से बाहर निकल आते हैं। आज वे कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय के कुलपति हैं। वास्‍तव में यह धन्‍यता इस विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए भी है कि उनके यहां ऐसे श्रेष्‍ठ पत्रकारिता में ही नहीं बल्‍कि समाज के मर्मज्ञ एवं मनीषी कुलपति बलदेव भाई जी के रूप में उनका मार्गदर्शन करने उपलब्‍ध हुए हैं।

फिर से सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख करें मजीठिया वेज बोर्ड के क्रांतिकारी साथी


CHARAN SINGH RAJPUT

मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे क्रांतिकारी साथियों क्या हो गया ? कैसे शांत हो गये ? लड़ाई निर्लज्ज, बेगैरत और प्रभावशाली लोगों से है तो बाधाएं भी बड़ी ही आएंगी। निश्चित रूप से लेबर कोर्ट में यह लड़ाई प्रभावित हो रही है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में। राष्ट्रीय सहारा, दैनिक जागरण के अलावा दूसरे अन्य अखबारों के भी अधिकतर केस नोएडा लेबर कार्ट में हैं और यहां पर जज के रिटायरमेंट होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में जज भेजने की जहमत नहीं उठाई है।

5.3.20

तीसरे साल जागी योगी सरकार,अब जनसंख्या नीति की बात

अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शपथ ग्रहण करने के बाद से ही  कई मौकों पर प्रदेश में जनसंख्या ‘विस्फोट’ पर चिंता जताते हुए नई जनसंख्या नीति बनाने की बात कहते रहे हैं। ऐसा इस लिए है क्योंकि बढ़ती जनसंख्या और सीमित संशाधनों के कारण प्रदेश की योगी सरकार जनकल्याण के कार्यक्रम सही तरीके से लागू नहीं कर पा रही है। यदि उत्तर प्रदेश को एक देश माना जाये तो यह दुनिया का 5वां सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। वर्ष 2011 की अंतिम जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 21 करोड़ के करीब थी जो अब बढ़कर 23 करोड़ तक पहुंच गई होगी। जनसंख्या नियंत्रित नहीं होने और सीमित संसाधनों को देखते हुए यूपी में  जनसंख्या नीति बनाने की मांग लम्बे समय से उठती रही है,यह स्थिति तब है जबकि उत्तर प्रदेश की कुल आबादी से काफी छोटे राज्यों आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में जनयसंख्या नीति लागू है।

4.3.20

यूपी विधानसभा की चार खाली सीटों पर उपचुनाव छह माह में

अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधान सभा की चार सीटें रिक्त हो गयी हैं। इन सीटों पर अब उपचुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी गयी है। यह सीटें हैं-टुण्डला, बांगरमऊ, रामपुर की स्वार और बुलंदशहर। फिरोजाबाद जिले में आने वाली टुण्डला विधान सभा सीट 2017 के विस चुनाव में यहां से जीते भाजपा के एस.पी.सिंह बघेल के 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद बन जाने के बाद से रिक्त चल रही है।

कोरोना को लेकर यूपी हाई अलर्ट पर

अजय कुमार,लखनऊ

मेडिकल सांइस के लिए नई मुसीबत बना जानलेवा कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा है। चीन जहां पहली बार इस वायरस का संक्रमण फैला था,वहां हजारों लोग कोरोना के चलते मौत के मुंह में समा चुके हैं। सवाल यह उठता है कि कोरना वायरस से बचाव कैसे हो तो डाक्टर बस यही कहते सुने जाते हैं इस वायरस से बचाव के लिए सावधानी ही एक मात्र इसका इलाज है।

घटती आमदनी ,बढ़ता खर्च -आखिर क्या होगा गरीबों का ?

एक तरफ देश में आर्थिक मंदी और कोरोना वाइरस  ख़बरों का दौर चल रहा है दूसरी तरफ लोकलसर्कल के  सर्वे ने चिंता पैदा करदी है | पहले से ही व्यापार  धन्दों की वाट लगी हुई थी ऊपर से कोरोना वाइरस से डरा उपभोक्ता बाज़ार में ही नहीं निकल रहा है |महँगाई आज के समय में  भीषण समस्या का रूप ले चुकी है| कभी प्याज का भाव बढ़ गया तो कभी दाल का|

3.3.20

आस्था का एक ही नाम है ओरछा

मनोज कुमार
वरिष्ठ पत्रकार, भोपाल


ओरछा मध्यप्रदेश का गौरव है. धार्मिक दृष्टि से यह जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही पर्यटन और पुरातत्व की दृष्टि से इस स्थान की साख अलग सी है. दुनिया में शायद इकलौता नगर होगा जिसे राजा राम की नगरी कहा जाता है. दशकों से भगवान राम को सशस्त्र जवान प्रतिदिन अनुशासन के साथ सलामी देते हैं. यह अद्भुत है, अविश्वसीनय है और रोमांचक भी. लोक परम्परा का गवाह भगवान राम का मंदिर सुख-दुख में बुंदेलखंड के लोगों का साक्षी बनता है. लोगों को यह विश्वास है कि भगवान राम के चरणों में जाने के बाद उनका हर कार्य मंगल मंगल हो जाता है. शादी-ब्याहो हो या गृह प्रवेश, नए सदस्यों का घर में आगमन हो या किसी और खुशी का पल, पहला आमंत्रण भगवान श्रीराम के चरणों में. आस्था और धर्म की यह परम्परा जाने कब से चली आ रही है. उल्लेखनीय बात यह है कि ओरछा में ब्याह के लिए किसी मुर्हूत की जरूरत नहीं. जब आ गए तभी ब्याह की रस्म पूरी हो जाती है. सच भी है भगवान श्रीराम के दरबार में किसे और क्यों मुर्हूत की जरूरत होगी. इस आस्था का एक ही नाम है ओरछा.

2.3.20

उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रमुख बेच रहे थाना, अपहरण की फिरौती में वसूल रहे हिस्सा!

K.P.Singh 
उत्तर प्रदेश में खाकी जबर्दस्त पतन का शिकार नजर आती है। आईपीएस अधिकारी तक निकृष्ट चरित्र का कीर्तिमान स्थापित करने पर आमादा हैं। योगी सरकार में कई जिलों के प्रमुख घूसखोरी और क्राइम में संलिप्तता के कारण दंडित हो चुके हैं जबकि मुख्यमंत्री ईमानदार है और उनका दावा है कि जिला प्रमुखों के पद पर बहुत ही छानबीन के बाद नियुक्तियां की जा रहीं हैं। सवाल यह है कि फिर दागी अफसरों को वरीयता कैसे मिल जा रही है। जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री की नीयत पर तो संदेह नही किया जा सकता लेकिन गड़बड़ी इसलिए हो रही है क्योंकि अच्छी पोस्टिंग के लिए उन्होंने दायरा संकुचित कर रखा है। जिसमें केवल सवर्ण, पहाड़ी या उन्हीं अधिकारियों के लाभान्वित होने की गुंजाइश रह गई है जिन्होंने अंतर्जातीय विवाह करके दूसरे समुदाय से होते हुए भी अपना लाइफ पार्टनर सवर्णों में से चुना है। मुख्यमंत्री को इस स्वकारा से बाहर आना चाहिए तांकि उनके चयन का दायरा बढ़ सके।

संस्कृतिकर्मियों को सत्ताविरोधी ही नहीं बल्कि व्यवस्थाविरोधी भी होना होगा : सुंदर मरांडी

रूपेश कुमार सिंह
स्वतंत्र पत्रकार

आज जब झारखंड में महागठबंधन (झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-राजद) की सरकार है और झामुमो के हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। हेमंत सोरेन लगातार आदिवासी सभ्यता-संस्कृति की हिफाजत की बात कर रहे हैं व स्थानीय भाषाओं को भी बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ आदिवासियों की सभ्यता-संस्कृति व जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए लगातार अपने गीतों व नाटकों के जरिए झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों में चेतना बढ़ाने का काम करने वाला सांस्कृतिक संगठन ‘झारखंड एभेन’ झारखंड सरकार द्वारा प्रतिबंधित है।

कुछ बात तो है कि हस्ती मिटती नहीं दिग्विजय सिंह की

कृष्ण मोहन झा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह आगामी 28 फरवरी को अपने यशस्वी जीवन के 73 वे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। इस अवसर पर उनके सुदीर्घ राजनीतिक जीवन की उल्लेखनीय उपलब्धियों की चर्चा होना स्वाभाविक है। मेरी नजर में दिग्विजय सिंह की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि आप उनके विचारों से सहमत या असहमत हो सकते हैं, परंतु उन्हें इग्नोर नहीं कर सकते है। उनके बयान हमेशा ही उन्हें सुर्खियों में रखते है और कई बार विवादों को भी जन्म देते हैं। उनके बयानों में कुछ न कुछ ऐसा जरूर होता है, जो पढ़ने और सुनने वालों को सोचने पर विवश कर देता है। इसलिए दिग्विजय सिंह किसी भी मुद्दे पर अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करने से कभी परहेज नही करते हैं। उनकी एक खासियत और है कि वे अपने किसी भी बयान से कभी किनारा भी नहीं करते है। एक बार जो कुछ कह देते हैं, उस पर  हमेेशा अडिग रहते है। वे अपने बयानों पर कभी सफाई भी नहीं देते।

पुलिस के साये में मनाया गया संस्कृतिकर्मी सुंदर मरांडी का 5वां शहादत दिवस







रूपेश कुमार सिंह
स्वतंत्र पत्रकार


झारखंड के गिरिडीह जिला के पीरटांड प्रखंड के खुखरा थानान्तर्गत चतरो गांव में 28 फरवरी 2020 को सांस्कृतिक संगठन ‘झारखंड एभेन’ के संस्थापक कामरेड सुंदर मरांडी का 5वां शहादत दिवस समारोह, शहीद मेला व करम पर्व को बहुत ही उत्साहपूर्वक व जोश-खरोश के साथ मनाया गया। इसका आयोजन शहीद सुंदर मरांडी स्मारक समिति (चतरो, गिरिडीह) के बैनर तले किया गया था।

आपराधिक राजनीति

डा. शशि तिवारी

राजनीति बीच अपराधी है या अपराधी बीच राजनीति है या राजनीति ही अपराधी है। वास्तव में राजनीति और अपराधी आपस में इतने गुंथे हुए है कि दोनों को एक दूसरे से अलग करना न केवल मुश्किल लग रहा है बल्कि नामुमकिन भी लगने लगा है। या यूं कहे कि ये एक ही सिक्के के दो पहलू है। आज जनमानस इतना भ्रमित एवं डरा हुआ है कि पता नहीं कब कौन सा गुण्डा, बलात्कारी माननीय बन जाए, जेल की जगह सुरक्षित स्थान, कवच संसद/विधानसभा बन जाए। जनता के सामने राजनीतिक पार्टियां जिस तरह का प्रत्याशी पेश कर रही है जनता के लिये तो एक तरफ खाई तो दूसरी ओर कुआं ही है। अब जनता को भी अपनी मानसिकता बदलनी होगी अर्थात् अधिकांश पार्टी भक्त होते है फिर प्रत्याशी कोई भी हो, कैसा भी हो, चलेगा, बहुत कम प्रत्याशी के व्यक्तिगत् प्रोफाइल, व्यवहार, चरित्र, सामाजिक कार्य करने की तत्परता को देखते हैं, यद्यपि ऐसे लोगों की संख्या अति नगण्य है।

दिल्ली में हुई मौतों का जिम्मेदार कौन?

अशोक भाटिया
टी वी पर लगातार बहस चल रही है कि दिल्ली में हुई 48 मौतों का जिम्मेदार कौन ? हर आधे घंटे में चेहरे बदल जाते है पर आरोप – प्रत्यारोप का स्वरुप एक ही रहता है | हर राजनैतिक दल हिंसा व हिंसा भड़काने वाले भाषणों के लिए दूसरे दल को जिम्मेदार ठहराता है व् जताने की कोशिश करता है ही उसकी कमीज़ सामने वाले की कमीज़ से उजली कैसे ?दरअसल  दिल्ली  को मौजूदा हालात में धकेलने के लिए सभी जिम्मेदार हैं सरकार, विपक्ष, विभिन्न मुस्लिम नेता, प्रशासन, न्यायपालिका, मीडिया।

इतनी हायतौबा क्यों? यही एजेंडा तो है आरएसएस-भाजपा का

सी.एस. राजपूत

नई दिल्ली। मुझे बड़ा हास्यास्पद लगता है जब कोई विपक्ष का नेता, लेखक या पत्रकार यह कहता है या फिर लिखता है कि मोदी सरकार अराजकता फैला रही है, मुस्लिमों को टारगेट बना रही है। पुलिस से एकतरफा कार्रवाई करा रही है। उस नेता की भी बात पर हंसी आती है जो यह कहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह देश को गुजरात बना देना चाहते हैं। गुजरात से उनका मतलब दंगों वाले गुजरात से होता है। अरे भाई जो देश में हो रहा है, इसमें आश्चर्य की बात क्या है ?  आरएसएस का तो यही एजेंडा रहा है और मोदी सरकार भी आरएसएस के एजेंडे पर ही तो काम कर रही है।

1.3.20

राजनैतिक दवाब में नहीं सुनी जा रही दहेज पीड़िता की बात

आगरा। तमाम कोशिशों के बावजूद दहेज का रक्त पिपाशु दानव शांत नहीं हो रहा। बालाजीपुरम शाहगंज निवासी मंजू उर्फ शोभा पुत्री मटरू ने अपने ससुरालीजनों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना व मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के खिलाफ थाना जगदीशपुरा में दिनांक 01 फरवरी 2020 को एफ.आई.आर. दर्ज करवाई। लेकिन पीड़िता और उसके परिजनों का आरोप है कि पुलिस राजनैतिक दवाब में उसके ससुरालीजनों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं कर रही है।

देश को बर्बाद कर देगा जाति और धर्म के नाम पर बनाया जा रहा नफरत का यह माहौल

सी.एस. राजपूत

मेरे, भाषण, लेख और पोस्ट पर हमारे कई साथियों को यह आपत्ति होती है कि मैं सत्तापक्ष और हिन्दुत्व को ज्यादा टारगेट करता हूं और विपक्ष और मुस्लिमों की गलती की काफी अनदेखी करता हूं। मैं सभी साथियों से स्पष्ट कर दूं कि जो लोग मुझे करीब से जानते हैं वह भलीभांति जानते हैं कि ऊपर वाले ने मुझे बोलने,  लिखने और जमीनी संघर्ष करने में जो पारंगतता दी है शायद वह बहुत कम लोगों को दी होगी। क्या मैं भी इस बेलागम भीड़ का हिस्सा बन जाऊं ? मैं भी दूसरे लोगों की तरह जाति और धर्म के नाम पर लोगों में नफरत का माहौल बनाना शुरू कर दूं।

योगी सरकार को हटाने और लोकतंत्र बहाली तक चलेगा अभियान - अखिलेन्द्र

तानाशाही को परास्त करेगा लोकतंत्र

हाईकोर्ट के आदेश पर होगा लोकतंत्र बचाओ सम्मेलन, जताई उम्मीद

प्रदेश के हर जिले में होगा सम्मेलन, आमसभाएं व रैली


लखनऊ : विधानसभा के अंदर असहमति का सम्मान की बात करने वाली योगी सरकार को बताना चाहिए कि अमीनाबाद एसएचओ के द्वारा संस्तुति देने के बावजूद लोकतंत्र की रक्षा के लिए आयोजित हमारे सम्मेलन को बिना कोई कारण बताएं क्यों रोका गया। योगी सरकार को बताना चाहिए कि प्रदेश में लोकतंत्र है भी कि नहीं। दरअसल हर मोर्चे पर विफल रही योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को पुलिस राज में तब्दील कर दिया है। हर असहमति के स्वर को कुचला जा रहा है। इसलिए योगी सरकार को सत्ता से हटाने और लोकतंत्र की बहाली तक यह अभियान चलेगा। यह बातें आज प्रिमीयर होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में लोकतंत्र बचाओ अभियान के संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहीं।