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5.3.20

तीसरे साल जागी योगी सरकार,अब जनसंख्या नीति की बात

अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शपथ ग्रहण करने के बाद से ही  कई मौकों पर प्रदेश में जनसंख्या ‘विस्फोट’ पर चिंता जताते हुए नई जनसंख्या नीति बनाने की बात कहते रहे हैं। ऐसा इस लिए है क्योंकि बढ़ती जनसंख्या और सीमित संशाधनों के कारण प्रदेश की योगी सरकार जनकल्याण के कार्यक्रम सही तरीके से लागू नहीं कर पा रही है। यदि उत्तर प्रदेश को एक देश माना जाये तो यह दुनिया का 5वां सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। वर्ष 2011 की अंतिम जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 21 करोड़ के करीब थी जो अब बढ़कर 23 करोड़ तक पहुंच गई होगी। जनसंख्या नियंत्रित नहीं होने और सीमित संसाधनों को देखते हुए यूपी में  जनसंख्या नीति बनाने की मांग लम्बे समय से उठती रही है,यह स्थिति तब है जबकि उत्तर प्रदेश की कुल आबादी से काफी छोटे राज्यों आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में जनयसंख्या नीति लागू है।

गौरतलब हो, उत्तर प्रदेश में लम्बे समय से चल रही वोट बैंक की सियासत और मुस्लिम तुटिकरण के चलते यहां अभी तक कोई  भी सरकार जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी है,लेकिन योगी सरकार तीन वर्ष बीत जाने के बाद ही सही अब जनसंख्या नीति बनाए जाने को लेकर एक्टिव नजर आ रही है। प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा इस पर तेजी से कार्य कर रहा है। राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि जनसंख्या अधिक होने से जन कल्याणकारी नीतियां बनाने में दिक्कत होती है।

बताते चलें 1950 से देश के साथ-साथ प्रदेश में भी परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू हुआ था, लेकिन जैसे सरकारी कार्यक्रम चलते हैं वैसे ही ये भी चला। इसके चलते जनसंख्या बढ़ती गई पर इसके सापेक्ष संसाधनों का विकास इतनी तेजी से नहीं हुआ। सरकारी योजनाएं जनसंख्या के अनुसार ही बनाई जाती हैं। इसलिए अब जरूरी है कि इस विषय पर नीति बने। सरकार इसके लिए पूरी तरह से कटिबद्ध है।

जनसंख्या नियंत्रण को लेकर योगी सरकार अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर रही है। प्रयास यह है कि पूरे देश की जनसंख्या नियंत्रण नीति का अध्ययन कर एक ऐसी नीति बनायें, जो सबसे बेहतर हो। सूत्रों के मुताबिक सरकार की नीति में प्रावधान हो सकता है कि तीन से अधिक बच्चों के होने पर सम्बन्धित व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं होगा। उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। यहां 200 मिलियन लोग रहते हैं। वर्ष 2011 की अंतिम जनगणना के अनुसार प्रदेश में पूरे देश की 16.51 प्रतिशत जनसंख्या रहती है। वर्ष 2001 में यह प्रतिशत 16.16 प्रतिशत था। राज्य में 64 ऐसे शहर हैं, जिनकी जनसंख्या एक लाख से अधिक है। यदि उत्तर प्रदेश को एक देश माना जाये तो यह दुनिया का 5वां सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।

ज्ञातव्य हो, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जनसंख्या नियंत्रण को लेकर अपील कर चुके हैं। पिछले वर्ष ही 15 अगस्त के मौके पर उन्होंने कहा था कि हमारे यहां जो जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, ये आने वाली पीढ़ी के लिए अनेक संकट पैदा करता है लेकिन ये भी मानना होगा कि देश में एक जागरूक वर्ग भी है जो इस बात को अच्छे से समझता है। ये वर्ग इससे होने वाली समस्याओं को समझते हुए अपने परिवार को सीमित रखता है। ये लोग अभिनंदन के पात्र हैं। ये लोग एक तरह से देशभक्ति का ही प्रदर्शन करते हैं। इसके बाद विभिन्न मौकों पर सरकार के जिम्मेदारों की ओर से जनसंख्या नियंत्रण की जरूरत बतायी गई। अब उत्तर प्रदेश सरकार भी इस दिशा में धरातल पर काम करने में जुट गई है।

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