आपके पीछे तेज़ हवा है आगे मुकद्दर आपका है
उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया
मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है अगला नम्बर आपका है
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
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- आर्ड-ईवन फार्मूले को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री व परिवहन मंत्री को पत्र लिखकर दिए कुछ सुझाव।
- पहले आर्ड-ईवन फार्मूले की सफलता के लिए सरकार का तेह-दिल से धन्यवाद दिया।
- संस्था ने सरकार से साझा किए विचार ताकि प्रदूषण पर कामयाबी मिल पा सके।
- जिन्हें फार्मूले में छूट मिले उन्हें पेट्रोल या सीएनजी गैस प्रदूषण जांच के प्रमाण पत्र के बाद मिले
- लगभग 20 से 30 प्रतिशत गाडि़यां इतना प्रदूषण छोड़ती हैं कि यह पूरे फार्मूले को ही विफल कर देती हैं।
- इससे सरकार को भी राजस्व होगा और प्रदूषण में भी कमी आएगी।
नई दिल्ली। नई पीढ़ी-नई सोच संस्था जनता की भलाई के लिए रोजाना नए-नए कार्य जैसे पोलियो कैंप, नेत्र चिकित्सा कैंप, मतदाता पहचान पत्र कैंप आदि का आयोजन करके जनता व सरकार की मदद करती है। इसी कड़ी में संस्था ने एक और कार्य किया है। संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष श्री साबिर हुसैन ने दिल्ली सरकार के आर्ड-ईवन फार्मूले को सफल बनाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व परिवहन मंत्री गोपाल राय जी को पत्र लिखकर कुछ सुझाव दिए हैं। पत्र के शुरू में संस्था के अध्यक्ष श्री साबिर हुसैन ने दिल्ली सरकार के आर्ड-ईवन फार्मूले की सफलता के लिए संस्था की ओर से दिल्ली सरकार का तेह-दिल से धन्यवाद दिया है और आशा की है कि 15 अप्रैल से लागू हो रहे आर्ड-ईवन फार्मूले को भी सफलता मिले।
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पत्रकार और कला समीक्षक आलोक पराडकर की पुस्तक 'कला कलरव' का लोकार्पण
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-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'-
'हू इज रियल आनर आफ इण्डिया?' अर्थात् भारत के वास्तविक मूलमालिक कौन हैं? यह एक ऐसा महत्वपूर्ण सवाल है, जिसे वर्तमान समय में दुराशयपूर्वक लगातार उलझाया जा रहा है। एक ओर तो आर्य—वैदिक—मनुवादी व्यवस्था के संवर्धक संघ द्वारा भाड़े के कट्टरपंथी और रुग्ण एवं आपराधिक मानसिकता के लेखकों के मार्फत कूटकरण करके भारत के इतिहास का पुनर्लेखन करवाकर विदेशी आर्यों को भारत के मूलवासी—आदिनिवासी सिद्ध करने की कुटिल चाल चली जा रही है।
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गुजरी होली पर खबर हिमाचल प्रदेश के गांव से आई जहां सामुदायिक मिलन समारोह में पुरस्कारस्वरूप, महिलाओं को सेनेटरी-पेड बांटे गए। विवाद बढ़ा तो उनके पतियों ने खासा बवाल मचाया और अंतत: आयोजकों के माफी मांगने के बाद मामला रफा-दफा हुआ। मगर यही गलती जब देश के प्रमुख राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी से हो तो सवाल खड़े होना लाजिमी है। दिल्ली सरकार द्वारा दिया जाने वाला संतोष कोली साहित्यिक पुरस्कार बस्तर की आदिवासी नेता सोनी सोरी को दिया गया है, जिनकी पहचान एक एक्टिविस्ट और आप पार्टी की नवांकुर नेता से ज्यादा कुछ नही है।
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: रेलवे यात्रियों के साथ कर रहा है अमानवीय व्यवहार : सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रधानमंत्री व रेल मंत्री को किया मेल :
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World Culture Festival (WCF) organised on Yamuna
floodplains by Art of Living (AOL) remains in the news because of
administration of enzyme into Yamuna River.
All enzymes are proteins with very few exceptions but all proteins are
not enzymes. The three dimensional structure of a protein affects it
function. Therefore, those factors that denature proteins will reduce
the activity of enzymes. These include changes in pH, temperature, and
ionic strength.
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- मंत्री के करीबी के स्वामित्व की लॉज में हत्या के बाद धराया था शराब का जखीरा और देहव्यापार
- न्याय व्यवस्था की धीमी गति व हावी नौकरशाही का नायाब नमूना बना रतलाम
- मोदी सरकार के मंत्री है पर्दे के पीछे, सूबे के मुखिया का भी मौन समर्थन
- आपातकाल पर बड़़े-बड़़े बोल बोलने वाले सत्ताधारी भी है मौन
रतलाम। इतिहास गवाह रहा है की जब-जब किसी प्रदेश में सत्ता की पारी लम्बी चली है तब-तब नौकरशाह सरकार और खासकर जनता पर हावी हुए है। पूर्व की दिग्विजय सरकार पर भी इस प्रकार के आरोप लगे परन्तु वर्तमान शिवराज सरकार के नौकरशाहों ने तो यह साबित कर दिया है। यू तो व्यापम घोटाला, पीएमटी घोटाला, मनरेगा घोटाला व ड्रिप इरीगेशन घोटाला आदि कई घोटालो से सरकार की छाती खासे तमगे लगाए है पर अब रतलाम कलेक्टर चन्द्र शेखर बोरकर जो की सरकार के करीबी माने जाते है अपनी छाती पर तमगा लगाने के लालच में उच्च न्यायालय की अवमानना पर उतर आए है।
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: चुनावी रंजिश में जला दिए आशियाने, दो मासूम जलकर राख : राजनीतिक-सामाजिक संगठनों ने सीतापुर के लहरपुर थाने के पट्टी देहलिया गांव का किया दौरा : नृशंस आपराधिक अग्निकांड को प्रशासन दुर्घटना बताकर दोषियों को बचाने की फिराक में : पीडि़तों के पुर्नवास और मुआवजे की मांग की : ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए पुलिस की नामौजूदगी ने साफ किया कि सरकार को गरीबों की कोई चिंता नहीं :
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एक लड़की भीगी भागी सी,
सोती रातों में जागी सी,
मिली एक अज्ज ....।
क्या दिन भर गाना सुनती रहती हो कुछ अपने बारे में सोचो, एक्जाम सिर पर है। दादी के अचानक गाना बंद कर देने के बाद ,समृद्धि प्रतिरोध के रूप में अपनी किताबों का बंडल तेज से मेज पर पटकी और कुर्सी से तेज से उठी,जिससे कुर्सी के अगले दो पाये थोड़ा ऊपर उठे, फिर जमीन पर आ गये और समृद्धि तेजी से रूम से निकल गयी।
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To
Dr Ashwani Kumar
Chairman
Parliamentary Standing Committee (PSC) on Science & Technology, Environment & Forests
Parliament of India
Date: March 21, 2016
Subject-Request for probe into the nuclear leak at Gujarat’s Kakrapar Atomic Power Station
Sir,
With due respect on behalf of ToxicsWatch Alliance (TWA), this is to draw your urgent attention towards the nuclear leak at the Kakrapar Atomic Power Station (KAPS) on the fifth anniversary of the serial meltdown of atomic power plants at Fukushima, Japan and ahead of 30th anniversary of nuclear disaster in Chernobyl , Ukrain (former USSR). The leakage is continuing even after 9 days. This ‘incident’ at the 220-megawatt nuclear reactor in southern Gujarat merits your urgent attention.
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World Culture Festival (WCF) organised on Yamuna floodplains by Art of Living (AOL) remains in the news because of administration of enzyme into Yamuna river. When reporters approached ToxicsWatch Alliance (TWA), a public policy research and advocacy group for views on the issue, the following text was shared with them as a reply.
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22-03-2016
माननीय मुख्यमंत्री
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
आदरणीय केजरीवाल जी,
आप ने दिल्ली में जनलोकपाल बिल और स्वराज बिल पास करने का वादा किया था. 49दिन की सरकार के 48वें दिन (13-02-2014) आपकी अध्यक्षता में दिल्ली मंत्रिमंडल ने स्वराजबिल पास भी किया था, लेकिन अगले ही दिन आपने इस्तीफा दे दिया. अब आपके पास ऐतिहासिक बहुमत है लेकिन एक वर्ष बाद भी आपने स्वराजबिल को विधानसभा से पास नहीं कराया.
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@ होली आई रे आई रे होली आई रे @
प्रकाशन तिथि :- 22-03-2016
रंगो में घोल दो प्यार-मुहब्बत अपार होली आई रे
शिकवे-गिले भुला के बरसा दो प्यार होली आई रे
आई रे होली आई रे होली आई रे………………….
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-एस.आर. दारापुरी-
अपने प्रसिद्ध लेख “राज्य और क्रांति” में लेनिन ने कहा है, “मार्क्स की शिक्षा के साथ आज वही हो रहा है, जो उत्पीडित वर्गों के मुक्ति-संघर्ष में उनके नेताओं और क्रन्तिकारी विचारकों की शिक्षाओं के साथ इतिहास में अक्सर हुआ है. उत्पीड़क वर्गों ने महान क्रांतिकारियों को उनके जीवन भर लगातार यातनाएं दीं, उनकी शिक्षा का अधिक से अधिक बर्बर द्वेष, अधिक से अधिक क्रोधोन्मत घृणा तथा झूठ बोलने और बदनाम करने के अधिक से अधिक अंधाधुंध मुहिम द्वारा स्वागत किया. लेकिन उन की मौत के बाद उनकी क्रन्तिकारी शिक्षा को सारहीन करके, उसकी क्रन्तिकारी धार को कुंद करके, उसे भ्रष्ट करके उत्पीडित वर्गों को “बहलाने”, तथा धोखा देने के लिए उन्हें अहानिकर देव-प्रतिमाओं का रूप देने, या यूँ कहें, उन्हें देवत्व प्रदान करने और उनके नामों को निश्चित गौरव प्रदान करने के प्रयत्न किये जाते हैं.” क्या आज आंबेडकर के साथ भी यही नहीं किया जा रहा है?
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शैलेन्द्र चौहान
गृहमंत्री राजनाथ सिंह अकसर कहते हैं कि जो भी देशद्रोही बयान देगा उसे सजा मिलेगी। लेकिन शनिवार को उनके सामने श्री श्री रविशंकर ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ नारा लगाया और राजनाथ देखते रह गए। यह सब अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की संस्था ऑर्ट ऑफ लिविंग की 35वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह के दौरान हुआ। आश्चर्य यह कि पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा किेसी और ने नहीं, बल्कि खुद श्री श्री रविशंकर ने लगाया। उन्होंने कहा, ‘जय हिंद और पाकिस्तान जिंदाबाद।’ श्री श्री रविशंकर का यह बयान सुनते ही वहां खड़े राजनाथ सिंह और अन्य लोग हैरत में पड़ गए। श्री श्री ने कहा, ‘जय हिंद और पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा एक साथ क्यों नहीं लग सकता। पाकिस्तान खुद आतंकवाद से जूझ रहा है। ऐसे में अगर दोनों देश एक साथ आ जाएं तो काफी तरक्की कर सकते हैं। जय हिंद और पाकिस्तान जिंदाबाद भी एक साथ आ सकते हैं। यह दोनों पक्षों के लिए एक जिताने वाली स्थिति हो सकती है।’
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कहने को तो लोकसभा टीवी एक संसदीय चैनल है। लेकिन सच्चाई यही है इसकी शुरुआत से आज तक इस संसदीय चैनल में भाई भतीजावाद का ही बोल-बाला रहा है। जिसके चलते अपनी स्थापना के दस साल के बाद भी भारी भरकम बजट वाला ये चैनल अपनी पहचान को तरस रहा है। इस चैनल की कहीं कोई चर्चा नहीं है, कार्यक्रमों के लिए ये नहीं जाना जाता। जबकि महज़ चार साल पहले जन्मा राज्यसभा टीवी थोड़े समय में ही अपनी एक अलग पहचान बना चुका है।
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प्रकाश सिंह, छतरी और गोदाम
पवन कुमार बंसल
हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक स्वदेश कुमार सेठी ने एक बार पुलिस अकादमी में पुलिस अफसरों को संबोधित करते हुए कहा था कि अच्छे पुलिस अफसर छतरी की तरह होते हैं. जब तेज बारिश हो रही होती है और ओले पड़ रहे होते हैं तो छतरी की तरह उनका इस्तेमाल किया जाता है और बाद में बारिश खत्म होने पर छतरी की तरह उन्हें बंद करके गोदाम में रख दिया जाता है. उनकी पुरानी बात आज के माहौल में उत्त्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह पर सही साबित हो रही है. जब हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार जाट आंदोलन में हुई हिंसा को रोकने में असफल रहने को लेकर विपक्ष और मीडिया की आलोचना का शिकार हो रही थी तब सरकार ने प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में जाँच दल बनाकर मामले को शांत किया.
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मुंबई एनबीटी में क्या छपेगा और क्या नहीं, इसका फैसला करते है दूसरे अखबारों के वसूलीबाज पत्रकार
टाईम्स गुप का हिंदी अखबार नवभारत टाईम्स (एनबीटी) मुंबई का सबसे बड़ा और लोकपिय अखबार है, जिसमें हर कोई अपनी खबर छपवाना चाहता हैं, लेकिन गत 1 फरवरी से ही इस अखबार की गरिमा पर चौतरफा सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर इस अखबार को चला कौन रहा है। टाईम्स गुप या वसूलीबाज पत्रकार ? एनबीटी में छपने वाली ज्यादातर खबरें वसूलीबाज पत्रकारों से एनबीटी के पत्रकार ले रहे है। एनबीटी के पत्रकार घटनास्थल का दौरा किए बिना ही आफिस में बैठकर वसूलीबाज पत्रकारों से खबरें लेकर अपने दिनभर का कोटा पूरा कर रहे है। इसके एवज में वसूलीबाज पत्रकारों को आथिर्क लाभ मिल रहा है। इसलिए अब एनबीटी में छपी खबरों को कितना तवज्जों दिया जाए, इसपर आशंका बनी हुई है। एनबीटी में वसूलीबाज पत्रकारों द्वारा की जा रही खबरों की हेराफेरी को लेकर यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले कुछ ही दिनों में नवभारत टाईम्स का स्तर और नीचे गिर सकता है।
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राजशेखर व्यास
खूबसूरत शख्सियत रखने वाला नौजवान, हरदिल अजीज, शहीदों का शहजादा भगतसिंह भी कभी प्रेम करता होगा, ऐसा कोई सोच भी नहीं पाता, सोच भी नहीं सकता। पता नहीं क्यों ‘भगतसिंह’ का नाम लेते और याद आते ही हमारे दिमाग में उनका क्रांतिकारी रूप सामने आता है और हम यह मान लेते हैं कि एक क्रांतिकारी और विशेषकर भगतसिंह का तो प्रेम या नारी से कोई वास्ता नहीं होना चाहिए। दरअसल, ऐसा नहीं है।
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दैनिक जागरण, लखनऊ के संपादक दिलीप अवस्थी हैं. अखिलेश यादव की सरकार के चार साल पूरे होने पर इन्होंने एक विशेष आर्टकिल लिखा है दैनिक जागरण में. इस आर्टकिल को पढ़ते पढते आपको महसूस होगा कि इन्होंने अखिलेश यादव को मक्खन लगाते लगाते इस कदर कलमतोड़ पसीना बहाया है कि चमचागिरी के सारे प्रतिमान शरमा जाएं.
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लखनऊ । रिहाई मंच ने सपा सरकार के चार साल पूरे होने पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव, हिंसा, आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों को फंसाने का आरोप लगाया। मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने चार सालों में अखिलेश यादव द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय से किए गए वादों पर अमल न करने का आरोप लगाया। इंसाफ अभियान के उपाध्यक्ष सलीम बेग ने मुसलमानों के शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए मुस्लिम बाहुल्य जिलों में स्कूल-कालेज न खोलने, यूनानी चिकित्सा पद्धति के साथ सौतेला बर्ताव जैसी नीतियों पर सवाल करते हुए आरएसएस के एजेण्डे को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व को बढ़ाने का आरोप लगाया। उर्दू, अरबी और फारसी भाषा एवं अल्पसंख्यक संस्थानों से संबन्धित वादा न पूरा करने वाली सपा सरकार के चार साल पर रिहाई मंच ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से 40 सवाल किए हैं।
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महिला अध्ययन विभाग द्वारा ‘हैंडीक्राफ्ट एंड सस्टेनेबल लाइवलीहुड’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्टी आयोजित
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हैंडीक्राफ्ट को जाति व्यवस्था से जोड़ना घातक: डॉ. आर के श्रीवास्तव
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विभाजन की राजनीति करके पत्रकारों का बंटवारा करने वाले लखनऊ के पत्रकारों के कपड़े उतारने के लिये हास्य-व्यंग्य के बाण तैयार किये गये है। पत्रकारों के बीच बढ़ते जा रहे सर-फुटव्वल को बयाँ करने के साथ होली पर गिले-शिकवे भुला कर एकता स्थापित करने की नसीहत देने के मकसद से " होली बुलेटिन" तैयार किया जा रहा है। जिसमें पत्रकारों की खबरो को व्यंग्यात्मक तरीके से बयाँ करने के लिये फिल्मी गीतो की पैरोडी, गीत, गजल, कविताओ के जरिये पत्रकारिता की छवि धूमिल करने वालों को नंगा किया जायेगा। इसके अलावा फोटो- कैप्शन , कार्टून, कैरीकेचर के रंग सच का आईना दिखायेगे।
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कमला गोइन्का फाउण्डेशन द्वारा हिन्दी से कन्नड़ अथवा कन्नड़ से हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ अनुवाद के लिए घोषित इकतीस हजार राशि के "पिताश्री गोपीराम गोइन्का हिन्दी कन्नड़ अनुवाद पुरस्कार" के लिए इस वर्ष उडुपि (कर्नाटक) की डॉ. माधवी भंडारी जी द्वारा डॉ. मृत्युंजयप्पा जी की कन्नड़ मूल कृति का हिन्दी अनुवाद "खुदी को किया बुलंद" का चयन हुआ है। संग-संग फाउण्डेशन द्वारा धोषित हिन्दीतर क्षेत्र के वरिष्ठ हिन्दी साहित्यकार के लिए इकतीस हजार राशि का "बाबूलाल गोइन्का हिन्दी साहित्य पुरस्कार" इस वर्ष हैदराबाद के श्री विजय कुमार सप्पत्ति को उनकी कृति "एक थी माया" के लिए दिया जायेगा।
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तहसीलदार ने कहा- एक लेखपाल के कारण पूरे जिले की हुयी छीछालेदर
शुक्रवार को पी0जी0 कालेज में पढाई करने वाले छात्र धनन्जय चतुर्वेदी ने अपने पिता अनन्त चौबे की मृत्यु के 11 महीने बाद भी लेखपाल द्वारा वरासत न किये जाने पर भिक्षाटन कर रिश्वत की रकम इकटठा किया। भिक्षाटन का पैसा अतिरिक्त एस0डी0एम0 सत्येन्द्र श्रीवास्तव को यह कहते हुये देने का प्रयास किया गया कि जो पैसे कम पड रहे हों वे उसे आरोपी लेखपाल को देकर वरासत करा दें। इस प्रकार के लोकतांत्रिक कार्यक्रम से न केवल पत्रक लेने वाले एस0डी0एम0 शर्मसार हुये बल्कि पूरे राजस्व विभाग को मुंह छुपाना पडा। असर हुआ कि शुक्रवार को ही 11 माह से रिश्वत के अभाव में रोकी गयी वरासत कर दी गयी।
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-संजय द्विवेदी-
संत श्री पवन दीवान ने जब गुडगांव के मेदांता अस्पताल में 2 मार्च,2016 को आखिरी सांसें लीं तो सही मायने में एक युग का अवसान हो गया। छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा में अपनी पूरी जिंदगी लगा देने वाले और समाज जीवन के हर मोर्चे पर सक्रिय श्री दीवान की कई स्मृतियां एक साथ दिमाग में कौंध जाती हैं। मंत्री और सांसद रहे पवन जी की निजी जिंदगी में जैसी सादगी थी, वह आज की धर्मनीति और राजनीति दोनों में दुर्लभ है। मुझे उनके आश्रम में उनका टीवी इंटरव्यू करने का मौका मिला, एक कमरे में एक लकड़ी का एक बेहद सामान्य तख्त, कुछ खाना बनाने के बरतन, बस इतने से संसाधन। कोई वैभव नहीं- जो आज के संतों के लिए अनिवार्य हैं। आश्रम तो आश्रम सरीखा ही था। स्वयं बनाकर खाना और अपनी भुवनमोहिनी मुस्कान के साथ अपने लोगों के लिए सदा उपलब्ध। 8 अगस्त,1945 को जन्में और छत्तीसगढ़ के महासमुंद क्षेत्र से दो बार सांसद रहे संत पवन दीवान मप्र सरकार में जेल मंत्री भी रहे। बाद के दिनों में छत्तीसगढ़ गो सेवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे। उनकी राजनीति, धर्मनीति, कविता और कथावाचन सब कुछ लोगों के लिए थी।
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18 महीनों से सहारा इंडिया मीडिया के कर्मचारी प्रबंधन के ज़ुल्म के शिकार हैं! प्रबंधन न तो टाइम पर सैलरी दे रहा है और ना ही ये फैसला कर रहा है की मीडिया को चलाना है या नहीं! पिछले एक साल से प्रबंधन कर्मचारियों को ये कह कर गुमराह कर रहा है की किसी बड़ी पार्टी मीडिया को टेकओवर कर रही है! अब अच्छे दिन आने वाले हैं! बीच में ये खबर आई कई दुबई की कोई कंपनी टेकओवर कर रही है! लेकिन ये बात भी हवा हवाई साबित हुई! इसके बाद उपेन्द्र राय की फिर से एंट्री हुई तो कर्मचारियों ने समझा की अब सब कुछ ठीक हो जायेगा!
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आपको सूचित करना है कि मैं दानिश खान एक युवा पत्रकार हूं. उत्तराखण्ड के रामनगर शहर से मैंने अपना एक वीकली अखबार शुरू करा है. रामनगर बुलेटिन के नाम से. कृपया मेरी इस खबर को प्रकाशित करने की कृपा करें.
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Dear Mr. Singh,
I am writing in regards to my 600-word manuscript, tentatively titled, Way to flexible retirement! Way to flexible retirement! is about retirement planning. Also focus on the current generation (working people with young age) will live longer than previous ones due to improved medical and healthcare, implying the need to gather enough funds that can sustain longer life. This also implies that the healthcare needs and expenses are likely to haunt us. So we should be very serious to save for retirement in time of our precious employability. I am extremely excited about this article and think that i have been able to comply with all the roof of contributor guideline.
Thank you for your consideration!
Sincerely,
Ankit Tiwari
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-आनंद सिंह-
1992-93 में जब हम लोग पत्रकारिता की शुरुआत में थे, मैं नागपुर से अपने घर झुमरीतिलैया आया हुआ था। हमारे एक मित्र थे। पवन बर्णवाल। अर्थशास्त्र के विद्यार्थी। हमारे बाबूजी जगन्नाथ जैन कालेज में इसी विषय के विभागाध्यक्ष थे। पवन को जब कोई दिक्कत होती थी, वह बाबूजी से मिल लेता था। उसकी समस्या का समाधान हो जाता था। उस दिन भी उससे मुलाकात हुई। हाथ मिलाने के बाद उसने पूछाः आनंद आइसा ज्वाइन करोगे। मैंने पूछा-यह क्या है। उसने बताया कि यह सीपीआई का यूथ विंग है। छात्र राजनीति के लिए बढ़िया मंच। मैंने कहा, देखते हैं। मैं तो नौकरी कर रहा हूं। एबी वर्द्धन के संपर्क में हूं। नागपुर में प्रायः हर माह उनसे मुलाकात हो जाती है।
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प्रत्येक मिशन की ‘सिद्धि’ का मार्ग है शिक्षा-क्षेत्र!
युवाओं को मुहरा बनाना क्यों है सफलता का दिवास्वप्न?
शिवसेना का मुखपत्र सवाल करता है कि जेएनयू के छात्र ‘कन्हैया’ को हीरो किसने बनाया? केन्द्र की मोदी सरकार ने। निश्चित रूप से दिल्ली पुलिस केन्द्र के अधीन है, ऐसे में पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में जमानत मिलना और क्षण-प्रतिक्षण गिरगिटी वृत्ति अपनाते हुए शाब्दिक रंग बदलते हुए कन्हैया का हीरो बनना इस बात का प्रमाण है कि प्रत्येक मिशन की सिद्धि के लिए शिक्षा-क्षेत्र को सुगम मार्ग माना गया है। तीन मिशन (1. लाल यानी माओवाद, 2. नीला यानी दलितवाद 3. हरा यानी अलगाववाद) का समन्वय रसायन विज्ञान से सूत्रवत् प्रभाव ने कन्हैया को हीरो बनाया। हां इसमें चैथे भगवा-मिशन के रिफ्लेक्शन की भी भूमिका है। क्योंकि सियासी विसात के पहले सोपान ‘‘छात्र-राजनीति’’ के माध्यम से वोटबैंक की सियासत में दलगत वक्तव्यों व गतिविधियों को कन्हैया को शिखर तक पहुंचाने का श्रेय है।
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बड़ी चर्चा है कि इस बार का बजट गांव, खेती-किसानी के लिए है। बजट का पूरा सच जानने से पहले कुछ बातों पर गौर करना बेहद जरूरी है। 5 सालों में किसानों की आय दुगुनी करना कितना सच है? भारत सरकार में रहे वित्त सचिव का कहना है कि यह बयान सत्य से परे है। क्योंकि यदि इसे पूरा करना है तो 5 सालों में कृषि की विकास दर 15 प्रतिशत होना आवश्यक है। जबकि भारत क्या दुनिया के किसी भी देश की यह विकास दर सम्भव ही नहीं है। वैसे अभी किसानों की मासिक आय एक रिपोर्ट के अनुसार 1,632 रुपए है और 5 साल के बाद यह 3,264 रुपए हो जाएगी। इस तरह की बयानबाजी मोदी और उनके मंत्रियों की वैसे ही है जैसे कि विदेश से काला धन लाकर उनके खाते में 15 लाख रुपए जमा हो जाएगा। इसी तरह की ढेर सारी कलाबाजी बजट में दिखती है।
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कामरेड कन्हैया को भगवान कृष्ण-कन्हैया भक्त नवेद शिकोह का लाल सलाम
देश के चंद निष्पक्ष न्यूज चैनलो के सजीव प्रसारण के जरिये आपको सुनकर देश-दुनिया के लाखो-करोड़ों लोगो की तरह मैं भी आपकी शख्सियत और भाषण से काफी प्रभावित हुआ। क्योकि मैं भगवान श्री कृष्ण-कन्हैया का भक्त हूँ इसलिये मुझे जाने क्यों कन्हैया ( आपमे) मे भगवान कन्हैया का अवतार नजर आने लगा। जिसका कारण दोनो मे कई मायने मे समानता का महसूस होना था।
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