@ होली आई रे आई रे होली आई रे @
प्रकाशन तिथि :- 22-03-2016
रंगो में घोल दो प्यार-मुहब्बत अपार होली आई रे
शिकवे-गिले भुला के बरसा दो प्यार होली आई रे
आई रे होली आई रे होली आई रे………………….
सब नाचो, प्रेम भाव से गाओ गीत, ग़ज़ल, मल्हार होली आई रे,
स्नेहपूर्वक लगाओ गुलाल एक-दूसरे को सरकार होली आई
होली आई रे आई रे होली आई रे....................
खूब खाओ- ,खिलाओ मिष्ठानगुजिया भरमार होली आई रे,
उम्मीद उपयोग करोगे आप टेसू के फूलों का भरतार होली आई रे,
होली आई रे आई रे होली आई रे....................
पर्यावरण हित के लिए ना करना जल का तिरस्कार होली आई रे,
होगा समाज एवं आने वाली पीढ़ी एवं पर उपकार होली आई रे,
होली आई रे आई रे होली आई रे....................
जल है प्रकृति का अमूल्य उपहार होली आई रे,
करे विनती कवि #मुनेश_कुमार "अलीगढ़ी" बारम्बार होली आई रे,
होली आई रे आई रे होली आई रे....................
मन में उठी उमंगे देनी लगी दिल पर दरकार होली आई रे,
भेष बदलकर आऊंगा मत करना मिलने से इंकार होली आई रे,
होली आई रे आई रे होली आई रे....................
समझ पगली किस तरह का है मेरा प्यार होली आई रे,
चढ़ने लगा इज़हार-ए-मुहब्बत का खुमार होली आई रे,
होली आई रे आई रे होली आई रे....................
व्यस्त रहूँगा नहीं आ सकता मैं सबके द्वार होली आई रे,
दूरियों से फर्क नहीं पड़ता मुहब्बत आपसे रहेगी बरकरार होली आई रे,
होली आई रे आई रे होली आई रे....................
होली के इस अवसर बच्चों को ढेर सारा प्यार होली आई रे,
बड़े-बुजर्गों को मेरा सादर चरण-स्पर्श नमस्कार होली आई रे,
होली आई रे आई रे होली आई रे....................
मचा हो सीमा में रहकर भारतीय संस्कृति का हाहाकार होली आई रे,
बहुत-बहुत मुबारक हो सभी को रंगो का त्यौहार होली आई रे,
होली आई रे आई रे होली आई रे...................
मुनेश कुमार "अलीगढ़ी"
युवा कवि,शायर एवं लेखक"
सम्पर्क सूत्र:- 9808282183, 8534842344
ईमेल:- muneshkumar201301@gmail.com
23.3.16
मेरी नयी कविता आप सभी को समर्पित...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment