Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

30.11.16

भास्कर समूह ये कैसी पत्रकारिता कर रहा...

दैनिक भास्कर अखबार का प्रबंधन अपने अखबार का किस कदर दुरुपयोग कर पाठकों के साथ छल कर रहा है, इसका प्रमाण अखबार में छपी ये कुछ खबरें और विज्ञापन हैं... इसे पेड न्यूज कहा जाए या रेवेन्यू के लिए चरम पतन...





रतन टाटा और साइरस मिस्त्री प्रकरण पर इकोनामिक टाइम्स का अनूठा प्रयोग

इकोनामिक टाइम्स अखबार ने रतन टाटा और साइरस मिस्त्री प्रकरण पर अनोखा प्रयोग किया. जब साइरस मिस्त्री टाटा समूह के चीफ बने तब और जब मिस्त्री हटाए गए तब, दोनों ही घटनाक्रमों के दौरान पहले पन्ने पर लीड हेडिंग को एक ही रखा गया... इसे कहते हैं समझदार प्रयोग...


उफ्फ! इतना घटिया संपादक...

सुदर्शन न्यूज नामक हिंदी चैनल के मालिक और संपादक की घटिया सोच-मानसिकता देखने के लिए यह स्क्रीनशाट ही काफी है...


एनडीटीवी पर बैन के खिलाफ 4पीएम अखबार कुछ यूं प्रकाशित किया गया

लखनऊ के चर्चित सांध्य दैनिक 4पीएम के प्रबंधन ने एनडीटीवी पर बैन के खिलाफ एक अनोखा प्रयोग किया.. देखें अखबार के दो पेज...



अमर सिंह के खिलाफ इससे घटिया पोस्टर नहीं लगाया जा सकता...

समाजवादी पार्टी के अंदरुनी कलह के दिनों यूपी में अमर सिंह को लेकर बेहद घटिया पोस्टर सपा के एक धड़े ने जगह जगह लगवाया... देखें...

बच्चों से अखबार बंटवाता है 'प्रदेश टुडे' का प्रबंधन!

मध्य प्रदेश का अखबार प्रदेश टुडे का प्रबंधन बाल मजदूरों के जरिए अखबार बंटवाता है.. देखें तस्वीरें..



एबीपी न्यूज ने पांच हजार का नोट भी बंद करा दिया!

एबीपी न्यूज ने पांच सौ की जगह पांच हजार का नोट बंद करा दिया.. देखें चैनल पर चली खबर की तस्वीर...


अखबार ने फर्स्ट पेज पर मोदी की फोटो के नीचे कैप्शन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लिख दिया

कोलकाता के एक बड़े अखबार हिंदी दैनिक सन्मार्ग के 8 नवंबर के अंक में फर्स्ट पेज पर मोदी के फोटो के नीचे कैप्शन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लिख दिया गया. देखें अखबार...


First Page of Sanmarg (8 Nov- issue), Largest circulated daily in Kolkata Captioning PM Modi as Manmaohan Singh with British PM Theresa May

मस्जिद में घुस गई बस, हुआ बवाल

शाहजहांपुर : एक मस्जिद में मंगलवार को बस घुस जाने से मस्जिद का एक हिस्सा टूट गया गया। जिसके बाद लोगो ने जमकर बवाल काटा। गुस्साए लोगो ने बस पर पथराव कर दिया। बस के शीशे तोड़ दिए इतने भर से जब लोगों का गुस्सा शांत नही हुआ तो गुस्साए लोगों ने बस को आग के हवाले कर दिया। जिसके बाद अफरा-तफरी का माहौल हो गया। जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। ये खबर शहर में आग की तरह फैली तो अफवाहें भी गर्म होने लगी। देखते ही देखते मौके पर हजारों की तादाद में लोग इकट्ठा हो गए और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को काबू करने की कोशिश की तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

क्या आरएसएस के लोग अछूत हैं?

शिक्षा के भारतीयकरण और मूल्य आधारित शिक्षा के लिए काम करने वाले गिने-चुने लोगों में अतुल कोठारी का नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। श्री कोठारी अदालती कामकाज, चिकित्सा, प्रबंधन, तकनीकी क्षेत्र और सरकारी कामकाज सहित जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हिंदी और स्थानीय भारतीय भाषाओं के प्रयोग के पक्षधर हैं। भाषा बचाओ आंदोलन, शिक्षा बचाओ आंदोलन, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और भारतीय भाषा मंच जैसे आन्दोलनों में उनकी अग्रणी भूमिका है। नई शिक्षा नीति, भाषायी संकट, शिक्षा के भगवाकरण जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर उनसे बात-चीत की। पेश हैं बात-चीत के प्रमुख अंश-


नोटबंदी से लघु उद्योगपतियों और किसानों को सदमा लगा है, इनके कर्ज माफ करें

आदरणीय,
श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी
प्रधानमंत्री ,भारत सरकार

विषय : लघु उद्योगपतियों व किसानों के ऋण माफी हेतु आवेदन।

महोदय,

मैं यह पत्र बतौर देश  के सजग एवं ईमानदार नागरिक होने के नाते आपको प्रेषित  कर कर रहा हूं। न ही मेरा प्रयोजन निजी हित का है न ही किसी तरह का निम्न राजनीतिक अभिप्राय । देश  की भलाई व विकास क लिए आपने दो महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। पहला पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक  दूसरा सबसे महत्वपूर्ण फैसला विमुद्रीकरण का । नोटबंदी या वास्तव में कहे तो नोटबदली के इस फैसले का आम नागरिक ने खुले दिल से समर्थन किया है। इस फैसले से दूरगामी स्वर्णिम लाभ देश  को होंगे  इसमें कोई संदेह नहीं। फिलहाल आपके इस फैसले से दो ऐसे वर्ग हैं जिन्हें वर्तमान में सबसे अधिक कष्ट  सहना पड रहा है। पहला वर्ग है लघु उद्योगपति ,दूसरा वर्ग है किसान। ये दोनों ही वर्ग आपके इस फैसले के बाद आपकी ओर सकरात्मक नजरिए से देख रहा है। ये अगर निराश होते हैं तो ये देश  के सबसे बडे वर्ग को गहरा सदमा लगेगा।

कालेधन को लेकर मोदी सरकार के ताजा फैसले पर ' नज्म '

--------   आधा हमारा-आधा तुम्हारा  --------

है कालेधन का नियम पुराना
आधा तुम्हारा-आधा हमारा

ये कल्लू जन्मा है जिस गुनाह से
आधा तुम्हारा-आधा हमारा

कविता : ...और अब वे कहते हैं कहां है जातिवाद आजकल?

क्रांतिकारी बदलाव
...........................

बैलगाड़ी से जाते हुये
उन्होंने मेरे दादा से
गांव की ही बोली में
पूछी थी उनकी "जात"
उन्होंने विनीत भाव से
बता दी.

25.11.16

रीयल इंडिया मेच्युल बेनेफिट कंपनी की धोखाधड़ी, एजेंट को आत्महत्या से बचाइए...



हमें आप सबकी सहायता से न्याय चाहिए...  हम लखनऊ (यूपी) की "रीयल इंडिया मेच्युल बेनेफिट" नामक कंपनी का गुजरात मे काम करते थे पिछले दो साल से। हम निवेशकों के पैसे इस कंपनी मे डेली ओर मंथली एक साल की योजना में लगाते थे। जब हमें पता चला कि कंपनी ने सरकारी टैक्स तक नहीं भरी है तो हमने छानबीन की। छानबीन के जरिए और घोटाले सामने आये कि कंपनी के पास गुजरात सरकार का पंजीकरण भी नहीं था ओर हमें धोखे में रखकर करोड़ों का काम करवाया है।

नव भारत हिंदी दैनिक समाचार पत्र की दुर्दशा की हकीकत

मध्य प्रदेश  भोपाल , इंदौर , जबलपुर , ग्वालियर  , सतना , छिंदवाड़ा से नव भारत  समाचार पत्र का अन्त एवम पूर्णतः दुर्दशा की हकीकत और कारण... नव भारत की इस दुर्दशा का कारण कोई और नहीं स्वयं आप (इसके संचालक मालिक ) ही हैं , नव भारत समाचार पत्र के पतन के मूल कारण , पारिवारिक  आपसी अंतर कलह , मीडिया चलाने का घमंड , अत्याधिक घमंड एवम अकड़ , कर्चारियों पर अविश्वास , कर्मचारियों का अत्याधिक शोषण , कर्चारियों का वेतन न देना , कर्मचारियों का प्रोविडेंट फण्ड जमा न  करना , बैंको के लोन हड़पने की नियत , एन बी प्लांटेशन के माध्यम से हड़प्पी इन्वेस्टर की पूंजी के कारण गिरती साख , और रेपुटेशन , सेंकडो  चलते कोर्ट केस ,  आए दिन छपते  बैंकों के कुड़की के नोटिस , कर्मचारी सैलरी और प्रोवीडेन ना मिलने से परेशान , मटीरिअल सप्लायर्स उधारी वसूलने से परेशान , कुल मिलकर नव भारत की  केवल और केवल  फाइल कॉपियां ही छपती हैं.

नव भारत के कर्मचारियों का शोषण, दुविधा में परिवार! आखिर यह कैसी नौकरी

नव भारत के शोषित कर्मचारी , बेचारे मोहताज़ हैं बेहाल हैं , बच्चे और परिवार वाले इनके पूछते हैं यह कैसी नौकरी है , जहां महीनों वेतन नहीं मिलता , तनखा के नाम पर नव भारत के संचालक कर्मचारियों के टुकड़े में खेरात बांटते हैं , कर्मचारी कोई तीज त्यौहार , होली , दशहरा , दिवाली, ईद नहीं मना पाता ,बच्चों को कपडे नहीं दिला पाता , स्कूल की फीस  समय पर जमा नहीं करवा पाता, मकान का किराया जमा नहीं कर पाता , हर महीने मकान मालिक की बातें सुनने को मज़बूर है नव भारत का कर्मचारी ,

हरियाणा न्यूज से तीन और गए, कांडा ने दिया मैनेजिंग एडिटर को आखिरी मौका

खबर विवादित पूर्व राज्यमंत्री गोपाल कांड के चैनल एसटीवी हरियाणा न्यूज़ से है... बताया जा रहा है हरियाणा न्यूज में इनदिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है एक तरफ जहां चैनल बंद होने की तरफ बढ़ रहा है वहीं कर्मचारियों में रोष बढ़ता जा रहा है... एसोसिएट प्रोड्यूसर पुनीत ने चैनल को बाय बाय कह दिया है...वहीं सीजी हेड धर्मेंद्र यादव ने हिंदी ख़बर ज्वाइंन कर लिया है... इसके अलावा कैमरा मैन सलिल सोनी ने न्यूज़ २४ के साथ नयी पारी शुरू कर दी है...

अलीगढ़ में खबर से नाराज विधायक ने रिपोर्टर पर कराया मुकदमा

maamla aligarh ka hai. jisme k news ke ek reporter arjun dev varshney ne smajvadi party ke vidhayak zameerullah ko bsp mai shaamil hone ki khabar ko breking news ki tarah chala diya.. mamla jb vidhayak ji samne aaya to vidhayak ne harkat mai aakar patrakaar ke khilaaf mukdma drz kra diya... kitne gair jimmedar hai aligarh ke k news aur nav bharat times jaise akhbbaar mai kaam kr rhe arjun dev varshney ji..

सुदेश अग्रवाल का चैनल 'खबरें अभी तक' तीसरी बार फिर बंद

हरियाणा में न्यूज़ चैनल जिस स्पीड से आते है उसी स्पीड से बंद हो रहे है।कभी हरियाणा की टीआरपी में नंम्बर 1 पर रहे के डी सिंह का चैनल ए 1 तहलका,नवीन जिंदल का फोकस हरियाणा, आई विटनेस, हरियाणा न्यूज़ पर भी तलवार लटक रही है और तीसरी बार खबरे अभी तक बंद होने से है हज़ारों मीडिया कर्मी बेरोजगार हो गए है।खबरें अभी तक ने तो ऐसा कई बार किया है। 3 महीने पहले ही गुड़गावं के विधायक उमेश अग्रवाल से लेकर सुदेश अग्रवाल ने फिर चैनल शुरू किया था जिसकी जिमेदारी ए 1 तहलका में इनपुट आउटपुट हैड रहे दीपकमल सहारण को चीफ एडिटर  के रूप  में दी, जिस दौरान चैंनल ने कुछ पकड़ भी बनाई।

ये बेटियां



यह कहानी है आटी गाँव की, जो राजस्थान के बाड़मेर जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। यह कहानी है यहाँ के माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाली लड़कियों की। यह कहानी है यहाँ की लड़कियों के खेल के प्रति जुनून और उनके जज़्बे की। यह कहानी है सामाजिक धारणाओं के टूटने की, एक सकारात्मक बदलाव की। यह कहानी महज एक कहानी नहीं है, यह है हकीक़त एक ऐसे गाँव की जहाँ कुछ साल पहले बेटियों को स्पोर्ट्स में भेजना तो दूर उन्हें विद्यालय तक भेजना मुनासिब नहीं समझा जाता था। यह कहानी सच है, यह उन माँ-बाप के लिए एक पैगाम है जो इस आधुनिक काल में भी अपनी बेटियों को शिक्षा और खेलों से दूर रखते हैं और उन्हें बोझ समझते हैं। यह उन भाइयों के लिए सच्चाई का आइना है जो यह समझते हैं कि बहनों का सिर्फ घर तक सीमित रहना ही उनका नसीब है।

तबाही के मुहाने पर हड़प हाउस

गाजियाबाद स्थित नवनिर्मित हज हाउस तबाही के मुहाने पर खड़ा कर दिया गया है। वर्तमान सपा सरकार में मुसलमानों को खुश करने की इतनी जल्दी थी कि हज हाउस को जमीन के नीचे से गुजर रही गेल की गैस पाइप लाइन के ऊपर ही बना दिया गया। यदि कभी तकनीकी खराबी या फिर किसी सिरफिरे की करतूतों के चलते कोई हादसा हुआ तो निश्चित तौर पर बड़ी संख्या में जनहानि से इनकार नहीं किया जा सकता। डूब इलाके में बने हज हाउस में हज यात्रियों की मौजूदगी में यदि दैवीय आपदा ने अपनी ताकत दिखायी तो निश्चित तौर पर जिस वर्ग की खुशी के लिए सरकारी खजाने से तकरीबन 50 करोड़ खर्च कर दिए गए वही तबका समाजवादियों को पानी पी-पीकर कोसता नजर आयेगा। पर्यावरणविदों से लेकर एनजीटी तक यह बात अच्छी तरह से जानता है कि सपा सरकार की जिद के चलते एक वर्ग विशेष को तबाही के मुहाने पर लाने के सारे इंतजाम कर दिए गए हैं लेकिन मुस्लिम वोट बैंक बटोरने की चाहत ने तथाकथित समाजवादियों को इतना अंधा कर दिया है कि उन्हें कुछ नजर ही नहीं आता।

तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार के कार्यकाल में मुस्लिम तुष्टिकरण नीति पर राजनीति का मुलम्मा चढ़ाने की गरज से गाजियाबाद में एक हज हाउस के निर्माण की पटकथा तैयार की गयी। सिंचाई विभाग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के आदेश पर आनन-फानन में योजना को कागजों पर उतार दिया। एनजीटी ने इस योजना का जमकर विरोध किया लेकिन तत्कालीन मुलायम सरकार मुसलमानों की खुश करने की गरज से अपनी जिद पर अड़ी रही। हज हाउस को बनाने का काम रफ्तार पकड़ता इससे पहले ही सूबे से मुलायम सरकार का पत्ता साफ हो गया। बसपा सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्य सचिव ने बन चुके ढांचे को तत्काल प्रभाव से ढहाये जाने के आदेश दिए। जिसे जिम्मेदारी सौंपी गयी वह विभाग कोई न कोई बहाना बनाकर मामले को टालता रहा। एक बार फिर से अखिलेश के नेतृत्व में सपा की सरकार ने सूबे में जीत के झण्डे गाड़े। मौके की तलाश में बैठे आजम खां इस बार किसी कीमत पर चूकने वाले नहीं थे। वैसे भी पार्टी में उन्हें मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति का ठेका मिला हुआ है लिहाजा आजम खां की चाहत को पूरा करने के लिए वर्तमान अखिलेश सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। अंतत: अनियमितताओं से भरा हज हाउस तनकर खड़ा हो चुका है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उद्घाटन भी कर चुके हैं लेकिन इसके निर्माण को लेकर शुरू हो चुकी कानूनी जंग अभी-भी जारी है।


 अनूप गुप्ता

24.11.16

तीन तलाक़ 2002 से ही अवैध, फिर 2016 में इसे कौन लाया?

– उवेस सुल्तान खान

कई महीने से सुप्रीम कोर्ट में चल रहे ‘तीन तलाक़’ केस में अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है, और यह मुद्दा कई तरह के ध्रुवीकरण की वजह बन गया है. दूसरी तरफ़ सोशल मीडिया पर झूठे इलज़ाम के साथ ही अफवाहें फैलाने का सिलसिला जारी है, कि आज फैसला आ रहा है, कल फैसला आ रहा है, या फैसला आ गया है.

भारतीय रेलवे को वेटिंग टिकिट से अमीर बनाते सुरेश प्रभु

डॉ. मयंक चतुर्वेदी
mayankchaturvedi004@gmail.com

विकास का यह भारतीय रेलवे का गलब का जुनून है, फिर इसके लिए किसी की जेब पर डाका ढालना पड़े तो क्‍या हर्ज है। यह अजीब नहीं लगता कि आपने रेलवे की वेटिंग टिकिट ली हो, इस प्रत्‍याशा में कि यह कंफर्म हो जाएगी और हम अपनी यात्रा सुखद तरीके से पूर्ण कर सकेंगे लेकिन इंटरनेट के इस युग में फार्म पर अपना मोबाइल नम्‍बर दर्ज करने के बाद आपको रेलवे इस बात की भी जानकारी देना उचित न समझे कि आपका टिकिट कंफर्म नहीं हुआ है?

ज़ाकिर नाइक की संस्था पर प्रतिबंध और मुसलमानों की प्रतिक्रिया

इमामुद्दीन अलीग

डॉक्टर ज़ाकिर नाइक को किस वजह से निशाना बनाया जा रहा है ? ये सभी जानते हैं कि उनका 'जुर्म' केवल "इस्लाम का प्रचार करना" है और इस्लाम का प्रचार भी इतने तर्क, तथ्य और संदर्भ के साथ कि वो साम्प्रदायिक और बातिल ताक़तों के लिए अजेय (यानी नाक़ाबिले शिकस्त) साबित हो रहे थे। उनके पास ज़ाकिर नायक का कोई तोड़ नहीं बचा था सिवाए इसके कि उलटे सीधे आरोप लगा कर उनकी संस्था को बैन कर दिया जाए। इसके इलावा और कोई वजह है किसी के पास? अगर ज़ाकिर नाइक को "इस्लाम का प्रचार करने" के 'जुर्म' में निशाना बनाया जा सकता है तो आप इस्लाम की खातिर उनका साथ क्यों नहीं दे सकते ? अगर ज़ाकिर नायक का साथ देने में आप का मसलक आड़े आ रहा है तो समझ लीजिए कि मसलक ने आप के इस्लाम को क़ैद कर लिया है !

अलीगढ़ के एसवी कालेज में सांप्रदायिक तत्वों ने की मुस्लिम छात्र की पिटाई

एसएसपी ने दिए कार्यवाही के आदेश... 


अलीगढ. एसवी कालेज अलीगढ में बीए प्रथम वर्ष के छात्र राशिद अहमद को कथित छात्र नेता संजू बजाज और हिंदूवादी नेता सत्तो नवमान ने मुस्लिम होने के चलते अपने साथियों सहित लात-घूंसों से पीटने और छात्र का मोबाइल और पर्स छीनने का मामला सामने आया है. पीड़ित छात्र ने एसएसपी को तहरीर देकर न्याय की गुहार लगाई है. गुरूवार को सपा छात्र नेता जियाउर्रहमान और पंडित विशाल गौतम के नेतृत्व में छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित छात्र राशिद अहमद व उसके पिता रईस अहमद के साथ एसएसपी से मिला.

23.11.16

अब किसानों की लंगोटी पर भी सरकार की नजर

राजाराम त्रिपाठी

भारत जैसी बहुत आंशिक रूप से संयोजित अर्थ व्यवस्था में में जहाँ अर्थ व्यवस्था का जबरदस्त भाग निजी प्रबंधन द्वारा होता रहा है और खुदरा मूल्यों, बाजारों और खेती को महत्व देना अपरिहार्य है या यों कहें की सरकार के गले में खेती के  महत्व मानने की मजबूरी भी है वहां "काला धन "  तथा भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने के लिए विमुद्रीकरण के  खतरनाक प्रयोग से किसान को क्या मिलेगा यह विचारणीय प्रश्न है। लोकतंत्र में लिए जा रहे फैसलों या नीतियों के परिवर्धन को शासकों की राजनितिक बाध्यता के पहलू से देखने पर  नीति परिवर्तन और नीतियों में अंतर अच्छी  तरह समझ में  आता है पर वर्तमान परिदृश्य में हमारे भारतीय किसान के लिए तो सब भूल भूलैया ही है। उन्हें इस पूरी कसरत से कोई फायदा मिलता नहीं दीखता बल्कि परेशानी के साथ इस साल की खेती का भविष्य भी अनिश्चय में हो गया है। सीधी सी बात है 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर अगर हम काला धन प्राप्त करने की बात करते हैं तो अर्थव्यवस्था की वर्तमान परिस्थित तथा सामाजिक व्यवस्था साथ ही हमारी नौकरशाही यह गारंटी कहाँ से दे सकती है की दो हजार के नोटों की शक्ल में आगे काला  धन नहीं जमा किया जाएगा। इस अर्थव्यवस्था के शीर्षासन के बजाय भरष्टाचार तथा अखाडा धर्म को रोकने के कठोर कानून बनाये जाते एवं उनको कठोरता से लाया जाना बेहतर विकल्प होता और दोषियों को सजा का प्रावधान होता तो शायद काला धन तथा भ्र्ष्टाचार से मुक्ति मिल सकती थी.

लेबर अफसरों को एचटी ग्रुप ने मैनेज कर लिया है!

खबर है दिल्ली के बड़े अखबार एचटी और हिन्दुस्तान दोनों के मजीठिया न देने के संबंध में। जैसा कि आपको भी पता है कि मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हिन्दुस्तान ने तमाम झूठे, फरेब भरे कागज, रिपोर्ट तैयार कर लिए हैं। यह तो इस मामले में पहले से ही मजीठिया अभी तक किसी को न देने के हर दांव-पेंच खेलने में माहिर है ही, उससे भी बड़ दुख और हैरानी की बात यह है कि इसने दिल्ली के डिप्टी लेबर कमिश्नर तथा कमिश्नर तथा नोएडा के डिप्टी लेबर कमिश्नर, कमिश्नर दोनों को अपने पैसे और दबदबे के दम पर अपने हिसाब से मैनेज कर लिया है।

मजीठिया वेतनमान: काश! कोर्ट से पूछने का अधिकार होता तो पूछता कि...

...आपको यह न्यायालय के अवमानना का मामला क्यों नहीं लगता?


पत्रकारों को मजीठिया वेतनमान दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भले ही कई कदम उठाए हैं लेकिन प्रेस मालिकों पर इसका तनिक भी भय नहीं है। अधिकांश पत्रकार आज भी मजीठिया वेतनमान के लिए तरस रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में दो साल से न्यायालय अवमानना का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इस संबंध में यदि आम नागरिक को कोर्ट से सवाल पूछने का अधिकार होता है तो कोर्ट से पूछा जाता कि आपको यह न्यायालय अवमानना का मामला क्यों नहीं लगता? जब कुछ प्रेस मालिकों ने यह जवाब नहीं दिया कि हम मजीठिया वेतनमान दे रहे हैं या नहीं। हजारों पत्रकारों ने न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराया कि हमें मजीठिया वेतनमान नहीं मिल रहा है।  जब पीडि़त सुप्रीम कोर्ट में प्रमाण प्रस्तुत कर रहा है फिर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा क्यों नहीं लगता कि यहां न्यायालय अवमानना का मामला बनता है?

जौनपुर के निकम्मे और घूसखोर ARTO की कारस्तानी-कहानी

जौनपुर के निकम्मे और लापरवाह ARTO ऑफिस की करतूतों से आम जनमानस को वाकिफ कराना जरूरी हो गया है। जिला प्रशाशन कुम्भकर्णी निद्रा से नहीं जागा। अभी तक हमें हमारा ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिल सका है। जिलाधिकारी से फोन पर बात करने पर उनके द्वारा आश्वाशन मिलने के बाद आज बीसवीं बार ARTO दफ्तर गया। जहाँ से बेरंग लौटना पड़ा। दोपहर 12:30 तक ARTO और उनके रसूखदार बाबू दोनों दफ्तर में नही आये थे।

यूपी के पुलिस अफसरों से सवाल, एचएमवीएल के लोगों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं ?

मैंने यूपी पुलिस के सभी जिम्मेवार अफसरों से सवाल किया है कि एचएमवीएल कंपनी के लोगों के आपराधिक कारनामे पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई ? इस क्यों का जवाब मेरे पास भी है, लेकिन जवाब उनसे सुनना ज्यादा अच्छा लगेगा। इस कंपनी के प्रभाव का आंकलन करने के लिये अफसरों को ट्विट की गई और आपसे साझा की जा रही एक प्रेस क्लिप ही काफी है। इस क्लिप में कंपनी के अखबार के नाच-गाने के कार्यक्रम का लुत्फ उठाने के बाद सम्मानित अफसरों ने खुले कंठ से आयोजन की तारीफ की है। साबित है कि पुलिस, कंपनी के रसूख के सामने सरेंडर कर चुकी है। और जिनके लोगों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिये, पुलिस उनके साथ बैठ कर रंगारंग कार्यक्रम का आनंद ले रही है।

वरिष्ठ पत्रकार मार्क टुली से मनोज अलीगढ़ी की यादगार मुलाकात



अमुवि के गेस्ट हाउस नं. 3 में वरिष्ठ पत्रकार मार्क टुली से मुलाकात करते फोटो जर्नलिस्ट मनोज अलीगढ़ी एवं अन्य। फोटोः दिवाकर राघव

अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में शामिल होने आये वरिष्ठ पत्रकार मार्क टुली से गेस्ट हाउस नं. 3 में फोटो जर्नलिस्ट मनोज अलीगढ़ी ने मुलाकात की और उनसे अनुभव साझा किये। वरिष्ठ पत्रकार मार्क टुली ने कहा कि मनोज अलीगढ़ी के फोटो जो विभिन्न समाचार पत्रों में छपते हैं, उन्हें मैं देखता हूं। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफर मौके पर जाकर फोटो खींचते हैं इसलिए उनका कार्य चुनौतीपूर्ण होता है।

मजीठिया वेतनमान: खाता नहीं अधिकार भी सीज कराने से बनेगी बात

मजीठिया वेतनमान और अपने अधिकारों को लेकर आज लगभग हर पत्रकार जागरुक हो गया है। जब जरूरत है एकता की। सवाल यह उठता है कि नौकरी सुरक्षित रखने के साथ ही कैसे अपना हक पाए? इसके लिए मालिकों के खते नहीं बल्कि अधिकार सीज कराने की जरूरत है।

डीडी स्पोर्ट्स के कुछ भ्रष्ट अफसरों का बाल बांका तक नहीं होता



बीजेपी सरकार अपने सरकारी चैनलों का हाल तो देख ले. करप्शन दूरदर्शन के चैनलों में जड़ तक पहुंच चुका है. सरकारी पैसों का लगातार दुरुपयोग हो रहा है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यवर्धन सिंह राठौर, वैंकय नायूडू जैसे नेताओं ने आंख बंद कर रखी है. डीडी स्पोर्ट्स में हो रहे हैं करोड़ों के घाल मेल. नेता से लेकर अधिकारी तक सब चुप.

अपनी ही ज़मीन को भूली सरकार, बाड़ ही खा रही खेत

प्रशासनिक लापरवाही से राज्य सरकार को करोड़ो का नुकसान 

हेमन्त जैमन

अलवर : बचपन में यह कहावत सुनी थी कि बाड़ (वृहत हिंदी शब्दकोष के अनुसार बाड़ का अर्थ है, फसल की रक्षा के लिए बनाया हुआ कांटे, बांस आदि का घेरा) इसलिए होता है कि वह खेत की सुरक्षा करे| खेत की फसल को बरबाद न होने दे पर, जब सुरक्षा के लिए बनी चीज ही बरबाद करने पर तुल जाये तो? यही हाल होता है, जो आज अलवर का हो रहा है| अलवर जिले की सरकारी ज़मीनो को बचाने का दायित्व किसका है? किन पर है? नौकरशाही, अधिकारी वगैरह का ही न, पर अलवर में हो क्या रहा है?

सासाराम में पत्रकार ही हत्या के विरोध में कैंडल मार्च


बरबीघा में कैंडल मार्च निकाल आक्रोश व्यक्त करते पत्रकार व अन्य।

बरबीघा। बरबीघा में पत्रकारों एवं युवाओं ने कैंडल मार्च निकाल कर सासाराम में पत्रकार धर्मेंद्र सिंह की हुए हत्या पे आक्रोश जताया। पत्रकारों ने सरकार से सुरक्षा और पचास लाख कीमुआवजा की मांग की। कैंडल मार्च ऐतिहासिक झंडा चौक से निकल कर लाला बाबु चौक (थाना चौक) पे समाप्त हुआ।

जिला जज शपथ पत्र दाखिल कर बताएं कोर्ट की भाषा हिंदी क्यों नहीं : हाईकोर्ट

वकील उमेश शर्मा ने हाईकोर्ट को बताया अधीनस्थ न्यायालयों की भाषा अगर हिंदी है तो फिर क्लर्क की भर्ती हिंदी भाषी होकर अंग्रेजी भाषा क्यों हो रही है? दिल्ली के अधीनस्थ न्यायालयों में कोर्ट की भाषा हिंदी बने। इस जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में शनिवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायधीश जी रोहिणी और संगीता ढींगरा की खंड पीठ ने अतुल कोठारी की याचिका स्वीकारते हुए दिल्ली के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक जज से 14 दिसंबर से इस मसले पर शपथ पत्र देकर स्पष्टीकरण मांगा है।

क्यों जरुरी है लाला जी को कानपुर की श्रद्धांजलि

राकेश मिश्र 
भारतीय लोकतंत्र आज एक संक्रमणकाल से गुजर रहा है| यह पता नहीं कि देश की राजनीति का ऊँट किस करवट बैठेगा| इस दुविधा के दौर में अतीत अतीत को समाधान खोजने की नजर से देखने की जरुरत है| यह संक्रमणकाल लाल बाल पाल समेत तमाम महापुरुषों के भारतीय स्वाधीनता संग्राम में योगदान को याद करने का समय है| क्या करें और क्या न करें इसकी फिक्र नहीं, लेकिन दिखावे का दौर है| ऐसे में लाल-बाल-पाल सरीखे आधुनिक भारत के उषाकाल के ऋषियों के जीवन और कामों को याद न किया जाना देश के लिए बेईमानी होगी| लाला लाजपत राय की 88वीं पुण्यतिथि पर हम कानपुर के लोग लालाजी को कानपुर की श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ साथ आज के दौर में उनके कार्यों की प्रासंगिकता का भी मूल्यांकन कर रहे हैं|  

रमेश चंद्र अग्रवाल से प्रेरित होकर बहुत से बिजनेसमैन पत्रकारिता में आए, उन्हें पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं

सत्ता और आर्थिक क्षेत्र की बड़ी हस्तियों में मीडिया से सिर्फ भास्कर समूह!



इंदौर में महँगी इश्तिहारबाजी और धूम धड़ाके के साथ आयोजित की गई इन्वेस्टर्स समिट के पहले दिन दोपहर भोज का फोटो दैनिक भास्कर ने छापा है. फोटो का शीर्षक है –पावरफुल लंच:सत्ता और आर्थिक क्षेत्र की बड़ी हस्तियाँ एक टेबल पर. हिंदुजा ब्रदर्स, बाबा रामदेव, दैनिक भास्कर के मालिक रमेश अग्रवाल और अनजाने से नटपुरी के अलावा टेबल पर जेटली, शिवराजसिंह चौहान और रविशंकर प्रसाद नजर ही आ रहे थे. भास्कर सेठ की मौजूदगी से मन में सवाल कौंधा की अख़बार जगत की तरफ से अकेले वो ही क्यों..? वैसे सब जानते हैं की अग्रवाल साहब अब सिर्फ अख़बार मालिक नहीं रहे बल्कि कामयाब उद्योगपति भी हैं. वो तेल उधोग, एनर्जी सेक्टर, रियल स्टेट और नमक निर्माण के साथ सितारा स्कूल भी चला रहे हैं. फिर उनका परिचय कामयाब उद्योगपति के बजाय भास्कर समूह के चेयरमेन के नाते क्यों दिया गया..? शायद इसलिए क्योंकि मीडिया अब पत्रकारिता नहीं महज धंधा बन कर रह गया है.

आज भी प्रासंगिक हैं महर्षि दयानंद

स्वामी अग्निवेश

महानिर्वाण दिवस 30 अक्टूबर पर विशेष

महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपने विलक्षण व्यक्तित्व एवं कृतित्व से उन्नीसवीं सदी के पराधीन और जर्जरित भारत को गहराई तक झकझोरा था। उसका प्रभाव हम इक्कसवीं सदी में भी महसूस कर रहे हैं और उनसे प्रेरणा पाकर उन सामाजिक कुरीतियों, धार्मिक, अंधविश्वासों से लोहा ले रहे हैं जो दीमक बनकर समाज व धर्म को भीतर ही भीतर खोखला कर रहे हैं। सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिक, आर्थिक, राजनीतिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक जगत की व्याधियों, दुर्बलताओं तथा त्रुटियों का तलस्पर्श अध्ययन ऋषिवर ने किया था, अत: रोग के अनुसार ही उन्होंने उपचार किया। तब तक ऐसा सर्वांगीण प्रयास किसी भी समकालीन सुधारक से न हो सका था, यद्यपि सुधार के नाम पर विविध क्षेत्रों में बहुत कुछ हो भी रहा था। समग्र क्रांति के पुरोधा के रूप में ऋषिवर ने मुनष्य व समाज के सर्वांगीण विकास तथा कायाकल्प के लिए जो आदर्श जीवन मार्ग दिखाया वह वस्तुत: विश्व इतिहास की अनमोल निधि के रूप में शताब्दियों तक देखा जाएगा। यही कारण है कि दयानंद बिंदु से विराट और बूंद से सागर बनते जा रहे हैं।

पीटीआई फेडरेशन के नेता एमएस यादव के करप्शन की कहानी

Proof of corruption by Federation of PTI Employees General Secretary MS Yadav and others.

by Kundan Kumar





















पीटीआई फेडरेशन के सर्वोच्च नेता एमएस यादव ने फेडरेशन के संविधान को दरकिनार करते हुए एक छुटभैये नेता सुनील सहगल के नाम पर वर्ष 2011 में फेडरेशन फंड के पैसे से जमीन खरीद लिया. वर्ष 2016 में इस प्लाट को यादव ने अपने पुत्र अमित यादव और एक अन्य के नाम बेच दिया.

नोट

हे प्रभु
ये कैसी लीला है
नोट खातिर ठेलम-ठेला है।

17.11.16

मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक अभी और भी है

-डा. शशि तिवारी

विदेश से काला धन तो नहीं ले पाए तो क्या पहले देश में जमा काला धन जो नई-नई युक्तियों के साथ विदेशों में सुरक्षित पहुंचा खुद को सुरक्षित रखने वालों को मोदी ने दूर की चाल चलते हुए पहले तो लोगों को पोटा कि 30 सितम्बर तक आप स्वेच्छा से अपने काले धन को उजागर कर दे हम केवल 45 प्रतिशतकर लेंगे और आप कई चिंताओं से मुक्त हो जायेंगे, हम नहीं पूछेंगे कि ये धन आप कहाँ से लेकर आए, स्त्रोत क्या है, जमा करने वालों के नाम भी हम उजागर नहीं करेंगे, सरकार की ओर से इतनी निश्चितता का आश्वासन फिर भी काले धन के पक्के कुबेर टस से मस भी नहीं हुए लेकिन, कच्चे खिलाड़ियों ने 45 प्रतिशत कर चुका 55 प्रतिशत राशि की बचत के साथ तमाम झंझटों से मुक्ति के चलते सरकार को लगभग 29,362 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ। बड़े धन कुबेर सोचते रहे ये सरकार का धमकाने का अंदाज पुराना है, सब चलता है, स्वच्छता अभियान नरेन्द्र मोदी का एक अहम अभियान है।

नोटबंदी पर फैसला सही लेकिन तैयारी आधी-अधूरी

बरुण कुमार सिंह

500 और 1000 रुपये के नोट को तत्काल बंद होने से लोगों में काले धन से निपट लेने का हौसला तो जगा है, लेकिन इससे पैदा हुई उनकी रोजमर्रा की दिक्कतें कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं। जब तक बैंक एवं बैंक के एटीएम जहां से कैश मिल रहा है, कैश मिलना जब तक बंद नहीं हो रहा है, लोग कतार में लगे हैं, लोग तभी वापिस जा रहे हैं जब कैश खत्म हो जा रहा है। कितने लोग द्वारा पूरे दिन बर्बाद करने के बाद भी उनका नंबर नहीं आया और बैंक का रुपया एवं समय भी समाप्त हो गया। क्योंकि कुछ बैंक जब तक उनके पास कैश है बैंक का समय अवधि समाप्त होने पर भी रुपये दे रहे हैं लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं दिख पा रहा है। क्योंकि इसका लाभ सिर्फ बैंक के शाखा एवं बैंक एटीएम तक पहुंचने वाले लोग ही ले रहे हैं। इस मामले में सरकार के नीति-विश्लेषक जो बड़े-बड़े बयान दे रहे हैं उनके बयान से नकारापन झलकता है और ऐसा लगता है वे अनुमान लगाने में पूर्णतः विफल रहे, उनका अनुमान तथ्यों पर आधारित नहीं है और धरातल के वस्तुस्थिति से बिल्कुल ही अनभिज्ञ हैं, वो सिर्फ मेट्रो सिटी के लोगों के रहन-सहन एवं उनके जीवनस्तर के अनुमान के आधार पर ही ये फैसला लेते हैं एवं नीति बनाते हैं कि लोग नेट बैंकिग, आॅनलाइन पेमेंट, वाॅलेट मनी या अन्य प्रचलित आॅनलाइन पेमेंट का सहारा लेंगे।

नोटों की महाभारत में मोदी की राम कथा

धरती आकाश और समुद्र के तीनो सेनापतियों ने विभीषण की तरह आतंक के रावण को मारने के लिए अवतारी राम मोदी को  सलाह दी कि-" हे राष्ट्रवाद के मानवरूपी अवतारी मोदिराम जबतक आप रावण की नाभि में अमृत की भांति संचित नकली करेंसी को नष्ट नहीं करते दशानन को मारा नहीं जा सकता। अतः आप 500 और 1000 के नोटों की रद्दी से एक अग्निबाण बनायें और उसे रावण की नाभि में ठोंक दें। जैसे ही रावण की नाभि का अमृत जलकर नष्ट हो जाएगा फिर चाहें कोई भी हो आप या लक्ष्मणजेटली या सुग्रीवराजनाथ या  खर्च हो चुके जामवंतआडवाणी ,  जिसका भी मूड होगा , जिसपर आपका विश्वाश,आपकी कृपा होगी वह आतंकवाद रुपी रावण का बध करने में सक्षम होगा। राम ने विभीषन की सलाह का संज्ञान लिया और  निर्णायक अनुमति के लिए कैलाश पर्वत अर्थाथ  राष्ट्रपति भवन में विराजे ईष्ट शंकर मुखर्जी की शरण में गये।

जनमोर्चा, लखनऊ में शोषण की कहानी, एक भुक्तभोगी कर्मचारी की जुबानी


सेवा में,
भड़ास मीडिया
लखनऊ

विषय : जनमोर्चा के भुक्तभोगी कर्मचारियों के शोषण के संबंध में

मैं रजा हुसैन निवासी लखनऊ का हूं। जब जनमोर्चा लखनऊ से लांच हुआ था तब उसी महीने मैंने अखबार में सब-एडीटर की पोस्ट पर कार्य करना शुरू किया था। मुझे जनमोर्चा लाने वाले फैजान मुसन्ना जी थे जो मेरे पुराने परिचित थे। उन्होंने मेरी मुलाकात वहां की सम्पादक सुमन गुप्ता से करायी थी और उनकी बहुत तारीफ की थी। खैर मेरे लिए वहां पर कई नये लोग मिले, जिसमें मोहम्मद उमैर, नन्दन, प्रशांत, आशु, पाठक जी, अस्थाना, दिनेश, फरहान सिद्दीकी और अरुण सिंह थे। इसके अलावा फैजान मुसन्ना, मोहम्मद जाहिद, तुराबी जिनको मैं पहले से जानता था। जनमोर्चा को बहुत बेहतरीन स्टाफ मिला था। पर 20 मार्च 2016 से जुलाई 2016 तक लगभग सभी पुराने स्टाफ जनमोर्चा छोड़कर जा चुका है। और मैंने भी 16 जुलाई 2016 को जनमोर्चा छोड़ दिया था। पुराने में सिर्फ नंदन, मो. जाहिद और अस्थाना ही बचे हैं। शायद जल्द ही जाहिद भाई भी वहां से जा सकते हैं। आखिर चंद महीनों में इतने सारे लोग क्यों छोड़कर चले गये। जनमोर्चा इतना बड़ा बैनर है, बड़ा अखबार सोचकर लोग ज्वाइंट किये थे।

मीडिया का बाप " भड़ास 4 मीडिया " Media ka Baap '' Bhadas 4 Media ''









11 सितम्बर 2016 को देश की राजधानी में एक छत के नीचे देश के नामचीन पत्रकार जमा हुए। और इतिहास में दर्ज हो गया ये दिन जब भड़ास का आठवां जन्मदिन मनाया गया। कांस्टीट्यूशन क्लब के स्पीकर हाल में एक बजे से लेकर रात आठ बजे तक चले कार्यक्रम में लगभग पांच सौ से ज्यादा लोग शामिल हुए, करीब सवा सौ लोग दिल्ली के बाहर से आए थे।